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#621 | |
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बच्चे जब बाप का जूता पहनने लगें तो बाप को अपने खोल में आ जाना चाहिए !! और फिर बूढा को बूढा नहीं तो क्या लौंडा बोलूँ !! अरे भाई यह ना तो फागुन का समय है और ना ही पहली अप्रैल है !! ![]() ![]() ![]()
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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#622 |
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bhaiya aap khud niyamak hain aur ye baat aap kah rahe hain. kaun niyamak aisee baaraat nahi chaahega ? maafi chahta hoon ki mujhe roman mein likhna pad raha hai kyoki driver gaadi chala raha hai aur mera dhyan kabhi is baat par bhi chala jaata hai ki wo galat to nahi jaa raha. abhi mein hathras jaa raha hoon isliye translate kaa jhanjhat chod kar mein direct baat kar raha hoon.
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#623 | ||
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आपने बता भी दिया था भाई / अब इतना बूढा भी नहीं कि एक बार में समझ में ना आये / हा हा हा हा हा
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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#624 | |
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अनिल भाई आपको dc का आईना याद है या नही ?
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#625 | |
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#626 |
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मित्र ,बुढापा अपनी सोच में होता है. बहुत से युवा कम उम्र में ही हिम्मत हार जाते हैं और स्वयं को बुढा और थका हुआ महसूस करने लगते हैं. जबकि वहीँ दूसरी और कुछ वृद्ध लोगों में एक अद्भुत जोश और हौंसले का संचार देखा गया है. उम्र कभी उन पर हावी नहीं हो पाती. वे ता उम्र युवा रहते हैं. उदाहरण के तौर पर एम् डी एच कंपनी के मालिक "महाशय धर्मपाल " जी को ही देख लो. वे नब्बे से ऊपर आयु के हैं और होंसलों से अभी भी युवा हैं.
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अच्छा वक्ता बनना है तो अच्छे श्रोता बनो, अच्छा लेखक बनना है तो अच्छे पाठक बनो, अच्छा गुरू बनना है तो अच्छे शिष्य बनो, अच्छा राजा बनना है तो अच्छा नागरिक बनो |
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#628 |
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उस नरक की एक एक बात याद हैं bhai . एक bhai ne कुछ बोल दिया कि उसका मतलब ये था कि हम कुछ काम ke नहीं हैं. bhai आपको शायद पता नहीं है कि एक सुडोकू नाम की पहेली में मैंने ठान कर १५ स्थान अपने नाम लिखवा लिए थे. कुल तीस स्थानों में से बाकी ke उनके लिए छोड़ दिए थे. अगर कुछ दिन और रहता था आपकी कृपा से सारे स्थान मेरे पक्के थे.
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#630 | ||
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(भाई मैंने तो मनाई थी अभी अभी ........ ) ![]() Quote:
आपने सही कहा अनिल भाई किन्तु सभी फोरम के नियम और नियामक एक जैसे तो नहीं होते ? अब डी सी को ले लो .......... क्या वाहियात ( हम हिन्दी भाषियों के लिए ) स्थान था वह ? ![]()
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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