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![]() यदि उपरोक्त कष्ट अपच, पेट की गड़बड़ी से उत्पन्न हुए हो तो सोंठ को पीसकर उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर लुग्दी बनाकर तथा हल्का-सा गर्म करके पीड़ित स्थान पर लेप करें। इस प्रयोग से आरम्भ में हल्की-सी जलन प्रतीत होती है, बाद में शाघ्र ही ठीक हो जाएगा। यदि जुकाम से सिरदर्द हो तो सोंठ को गर्म पानी में पीसकर लेप करें। पिसी हुई सौंठ को सूंघने से छीके आकर भी सिरदर्द दूर हो जाता है। |
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#632 |
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गले का बैठ जाना:
अदरक में छेद करके उसमें एक चने के बराबर हींग भरकर कपड़े में लपेटकर सेंक लें। उसके बाद इसको पीसकर मटर के दाने के आकार की गोली बना लें। दिन में एक-एक करके 8 गोलियां तक चूसें अथवा अदरक का रस शहद के रस में मिलाकर चूसने से भी गले की बैठी हुई आवाज खुल जाती है। आधा चम्मच अदरक का रस प्रत्येक आधा-आधा घंटे के अन्तराल में सेवन करने से खट्टी चीजें खाने के कारण बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। अदरक के रस को कुछ समय तक गले में रोकना चाहिए, इससे गला साफ हो जाता है। |
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#633 |
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कफज बुखार:
आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ एक कप पानी में उबालें, जब आधा पानी शेष बचे तो मिश्री मिलाकर सेवन कराएं। अदरक और पुदीना का काढ़ा देने से पसीना निकलकर बुखार उतर जाता है। शीत ज्वर में भी यह प्रयोग हितकारी है। अदरक और पुदीना वायु तथा कफ प्रकृति वाले के लिए परम हितकारी है। |
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#634 |
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अपच: ताजे अदरक का रस, नींबू का रस और सेंधानमक मिलाकर भोजन से पहले और बाद में सेवन करने से अपच दूर हो जाती है। इससे भोजन पचता है, खाने में रुचि बढ़ती है और पेट में गैस से होने वाला तनाव कम होता है। कब्ज भी दूर होती है। अदरक, सेंधानमक और कालीमिर्च की चटनी भोजन से आधा घंटे पहले तीन दिन तक निरन्तर खाने से अपच नहीं रहेगा।
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#635 |
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पाचन संस्थान सम्बन्धी प्रयोग:
6 ग्राम अदरक बारीक काटकर थोड़ा-सा नमक लगाकर दिन में एक बार 10 दिनों तक भोजन से पूर्व खाएं। इस योग के प्रयोग से हाजमा ठीक होगा, भूख लगेगी, पेट की गैस कब्ज दूर होगी। मुंह का स्वाद ठीक होगा, भूख बढे़गी और गले और जीभ में चिपका बलगम साफ होगा। सोंठ, हींग और कालानमक इन तीनों का चूर्ण गैस बाहर निकालता है। सोंठ, अजवाइन पीसकर नींबू के रस में गीला कर लें तथा इसे छाया में सुखाकर नमक मिला लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम पानी से एक ग्राम की मात्रा में खाएं। इससे पाचन-विकार, वायु पीड़ा और खट्टी डकारों आदि की परेशानियां दूर हो जाती हैं। यदि पेट फूलता हो, बदहजमी हो तो अदरक के टुकड़े देशी घी में सेंक करके स्वादानुसार नमक डालकर दो बार प्रतिदिन खाएं। इस प्रयोग से पेट के समस्त सामान्य रोग ठीक हो जाते हैं। अदरक के एक लीटर रस में 100 ग्राम चीनी मिलाकर पकाएं। जब मिश्रण कुछ गाढ़ा हो जाए तो उसमें लौंग का चूर्ण पांच ग्राम और छोटी इलायची का चूर्ण पांच ग्राम मिलाकर शीशे के बर्तन में भरकर रखें। एक चम्मच उबले दूध या जल के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पाचन संबधी सभी परेशानी ठीक होती है। |
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#636 |
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कर्णनाद (कानों में सांय-सांय की आवाज होने पर):
एक चम्मच सोंठ और एक चम्मच घी तथा 25 ग्राम गुड़ मिलाकर गर्म करके खाने से लाभ होता है। |
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#637 |
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आंव (कच्चा अनपचा अन्न):
आंव अर्थात् कच्चा अनपचा अन्न। जब यह लम्बे समय तक पेट में रहता है तो अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। सम्पूर्ण पाचनसंस्थान ही बिगड़ जाता है। पेट के अनेक रोग पैदा हो जाते हैं। कमर दर्द, सन्धिवात, अपच, नींद न आना, सिरदर्द आदि आंव के कारण होते हैं। ये सब रोग प्रतिदिन दो चम्मच अदरक का रस सुबह खाली पेट सेवन करते रहने से ठीक हो जाते हैं। |
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#638 |
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बार-बार पेशाब आने की समस्या:
अदरक का रस और खड़ी शक्कर मिलाकर पीने से बहुमूत्र रोग की बीमारी नष्ट हो जाती है। |
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शीतपित्त:
अदरक का रस और शहद पांच-पांच ग्राम मिलाकर पीने से सारे शरीर पर कण्डों की राख मलकर, कम्बल ओढ़कर सो जाने से शीतपित्त रोग तुरन्त दूर हो जाता है। अदरक का रस 5 मिलीलीटर चाटने से शीत पित्त का निवारण होता है। |
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#640 |
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आधासीसी (आधे सिर का दर्द):
अदरक और गुड़ की पोटली बनाकर उसके रसबिन्दु को नाक में डालने से आधासीसी के दर्द में लाभ होता है। आधे सिर में दर्द होने पर नाक में अदरक के रस की बूंदें टपकाने से बहुत लाभ होता है। |
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