22-08-2014, 10:59 PM | #671 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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23-08-2014, 12:57 AM | #672 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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मशवरा कर रहे हैं आपस में चंद जुगनू सहर के बारे में (राहत इन्दौरी)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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23-08-2014, 05:56 AM | #673 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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मिरी बरबादियों का डाल कर इल्ज़ाम दुनिया पर वो ज़ालिम अपने मुंह पर हाथ रख कर मुस्कुरा दे है
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
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23-08-2014, 10:05 AM | #674 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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फिर कोई दिल के आसपास है क्या उसका चेहरा बुझा बुझा है क्यों धूप मेरी तरह उदास है क्या (रहबर हथगामी)
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23-08-2014, 05:54 PM | #675 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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23-08-2014, 07:08 PM | #676 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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जो मेरे होठों को खुद आ के पियालों ने छुआ (मुहम्मद अलवी)
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23-08-2014, 07:12 PM | #677 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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अभी से सोच ले मुहब्बत फना कर देती है, अगर अंजाम से डर लगता है तो आगाज़ मत कर..........
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23-08-2014, 11:20 PM | #678 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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मैंने देखा तो नहीं, मुझमे मगर है कोई ठोकरें दे के तुझे उसने तो समझाया बहुत एक ठोकर का भी तुझपे असर है कोई (कुँवर बैचेन)
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23-08-2014, 11:38 PM | #679 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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इन्ही में खींचकर रूहे-मुहब्बत मैने भरे हैं, मेरा अश्यार देखेंगे मेरा दिल देखने वाले। 1.अश्यार - शे'र (जिगर मुरादाबादी)
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24-08-2014, 06:00 AM | #680 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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लोगों से कहो खुद भी कभी पढ़ लिया करें जो उनके निजी चाल-चलन की किताब है पढने के लिए दिन में ज़माने की धूप है रातों में 'कुंअर' हम पे गगन की किताब है
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