24-08-2014, 09:11 AM | #681 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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हमने जफा न सीखी, उनको वफा न आई, पथ्थर से दिल लगाया और दिल पे चोट खाई!
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24-08-2014, 11:03 AM | #682 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में (बहादुर शाह ज़फ़र)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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24-08-2014, 12:55 PM | #683 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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माँ अच्छी तरह तय्यार करना, आज मेरा आख़िरी दिन है, बहुत सा प्यार करना, आज मेरा आख़िरी दिन है, सभी बहनों की मुहब्बत आज मुझे ही दे दो, दिल-ओ-जान निसार करना, आज मेरा आख़िरी दिन है..........
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24-08-2014, 06:56 PM | #684 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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दिल को बहलाने के लिए 'ग़ालिब' खयाल अच्छा है! (अगर रीपोस्ट हो तो क्षमा चाहूंगा)
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24-08-2014, 10:24 PM | #685 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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जल के हमसाये ने दीवार गिरा दी अपनी (मुज़फ्फ़र हनफ़ी) हमसाया = पड़ौसी
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25-08-2014, 12:01 AM | #686 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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न कोई संगे – दर अपना न कोई आस्तां अपना, जहाँ सिज्दे को मन आया वहीं पर लिया सिज्दा.......
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25-08-2014, 12:14 AM | #687 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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परदे पे तसवीर .....................बना दी अपनी लोग शोहरत के लिये .........जान दिया करते हैं और इक हम हैं कि......मिटटी भी उड़ा दी अपनी (मुज़फ्फ़र हनफ़ी)
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25-08-2014, 01:02 AM | #688 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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ना कोई आ कर हम दोनों को हँसा दे, मैं रोती हूँ तो रोने लगती है तन्हाई, जब भी तेरे ख़्वाबों से निकलना चाहा, यादों के बीज बोने लगती है तन्हाई.........
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25-08-2014, 05:54 AM | #689 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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इन फफोलों का गिला कीजे तो किस से कीजे हम ही बैचैन थे दिल आग में धर देने को
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
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27-08-2014, 01:24 AM | #690 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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जो रास्ते में आये उसे भी गवारा कर मत भूल इस मकान में कोई मकीं भी है दिल को बचा के जिस्म मेरा पारा-पारा कर (शकील ग्वालियरी) पारा-पारा = टुकड़े-टुकड़े
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