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![]() नई दिल्ली। एक संसदीय समिति ने कहा है कि भारत को राजमार्ग परियोजनाओं के लिए अपने प्रमुख एनएचडीपी कार्यक्रम के तहत अगले 15-20 साल में हर दिन 200 करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत होगी। फ्रांसिस्को सरदीन्हा की अध्यक्षता वाली प्राक्कलन समिति ने राष्ट्रीय राजमार्ग विकास योजना (एनएचडीपी) पर अपनी रपट में यह निष्कर्ष निकाला है। रपट में कहा गया है कि राजमार्ग परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय संसाधनों की काफी मात्रा में जरूरत पड़ेगी। अगले 15-20 साल के दौरान अनुमानित 200 करोड़ रुपए का निवेश हर दिन चाहिए होगा। संप्रग सरकार की प्रमुख योजनाओं में शामिल एनएचडीपी का उद्देश्य देश में प्रमुख राजमार्गो को उन्नत बनाने और इन्हें चौड़ा करना है ताकि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया जा सके। इस पर तीन लाख करोड़ रुपए लागत आने का अनुमान है। इसे सात स्तरों में लागू किया जाएगा। समिति ने कहा है कि चूंकि इस तरह की पूंजी प्रधान पहल के लिए सरकारी संसाधन पर्याप्त नहीं हैं, सभी संसाधन जुटाने के लिए प्रभावी वित्त पोषण योजना की जरूरत है ताकि धन का सतत प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके। इस रपट के सुझावों पर सरकार की राय का समिति को इंतजार है। एनएचडीपी की धीमी प्रगति पर चिंता व्यक्त करते हुए समिति ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से इन परियोजनाओं को आकर्षक बना कर निजी क्षेत्र से निवेश आमंत्रित करने का प्रयास तेज करने को कहा है। प्राक्कलन समिति की रिपोर्ट के अनुसार, समिति इस बात पर जोर देती है कि मंत्रालय विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजनाओं को आकर्षक बनाने के लिए निजी क्षेत्र से निवेश आमंत्रित करे क्योंकि सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) ही आधारभूत संरचना के विकास के लिए बेहतर जरिया है।
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सीरिया ने संरा महासचिव का मजाक उड़ाया, शांति योजना संकट में
सीरिया। सीरिया ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को पक्षपातपूर्ण बताते हुए उनका मजाक उड़ाया और उनकी टिप्पणियों को ‘अपमानजनक’ करार दिया है। बान ने सीरिया प्रशासन पर संघर्ष विराम उल्लंघन केआरोप लगाए थे जिस पर सीरिया ने यह प्रतिक्रिया जाहिर की है। समझा जाता है कि सीरिया की इस प्रतिक्र्रिया से देश में शांति के लिए जारी अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को खतरा हो जाएगा। शनिवार को कार्यकर्ताओं ने कहा कि सीरिया में सरकारी बलों का एक तटीय गांव में राष्ट्रपति बशर अल असद के ग्रीष्मकालीन आवास के समीप सेना के बागियों के साथ टकराव हुआ और दमिश्क के एक उपनगर में बंदूकधारियों पर गोले दागे गए। सरकारी मीडिया का कहना है कि सरकारी बलों ने बंदूकधारियों का रबर की नौकाओं से सीरिया के तट पर उतरने का प्रयास नाकाम कर दिया। बताया जाता है कि पहली बार विद्रोहियों ने समुद्र के रास्ते से आने की कोशिश की थी। प्रशासन की संयुक्त राष्ट्र महासचिव पर की गई टिप्पणी से यह चिंता उत्पन्न हो गई है कि क्या असद उस योजना से बचने के लिए समय बिता रहे हैं जिस योजना के तहत उन्हें पद छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है। विशेष दूत कोफी अन्नान की छह सूत्रीय योजना के अनुसार, सीरिया में संयुक्त राष्ट्र के करीब 300 संघर्ष विराम निरीक्षकों की तैनाती के बाद संघर्ष विराम का पालन किया जाना है। साथ ही सीरिया के भविष्य पर असद और विरोधियों के बीच बातचीत भी होनी है। प्रवक्ता नीरज सिंह ने बताया कि पर्यवेक्षक दल के प्रमुख, नार्वे के मेजर जनरल रॉबर्ट मूड अपना दायित्व संभालने के लिए दमिश्क पहुंच रहे हैं। बारह अप्रेल तक संघर्ष विराम की अन्नान की समय सीमा का कई बार उल्लंघन किया गया। विरोधियों की पकड़ वाले स्थानों पर प्रशासन के हमले जारी हैं। बागी लड़ाके लगातार सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं। बान और अन्नान के मुताबिक, संघर्ष विराम का उल्लंघन दोनों पक्षों की ओर से हुआ है। लेकिन मुख्य रूप से उन्होंने प्रशासन को दोषी बताया। शुक्रवार को बान ने कहा था कि सीरियाई प्रशासन द्वारा नागरिकों का दमन असहनीय स्थिति पर पहुंच गया है।उन्होंने मांग की कि प्रशासन दुनिया के साथ किया गया वादा निभाए।
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2020 तक कॉलेज पहुंचने वाले छात्रों की संख्या ढाई गुनी करने का लक्ष्य : सिब्बल
जालंधर। शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सुधार और विभिन्न कानूनों की जरूरत पर बल देते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा है कि केंद्र सरकार का लक्ष्य अगले आठ साल में स्कूल से कॉलेज पहुंचने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या ढाई गुनी करने का है। जालंधर में पंजाब टेक्निकल विश्वविद्यालय की ओर से शनिवार रात आयोजित एक समारोह में विभिन्न कुलपतियों और अन्य शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए सिब्बल ने कहा कि देश में शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़े सुधार की जरूरत है। सरकार इसके लिए तत्पर है। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में और सुधार के लिए संसद में कई विधेयक लंबित हैं। उन्होंने कहा कि इनमें शिक्षा में भ्रष्टाचार को समाप्त करने से संबंधित विधेयक भी है जिसका निजी क्षेत्र वाले पुरजोर विरोध कर रहे हैं। सिब्बल ने कहा कि सरकार का लक्ष्य 2020 तक कॉलेज पहुंचने वाले छात्रों की संख्या ढाई गुनी करने का है। वर्तमान में लगभग 22 करोड़ बच्चे स्कूल जाते हैं। इनमें से एक करोड़ 70 लाख बच्चे ही कॉलेज पहुंच पाते हैं। हम शिक्षा के क्षेत्र में सुधार कर रहे हैं जिससे 2020 तक लगभग साढ़े चार करोड़ बच्चे कॉलेज तक पहुंच सकेंगे। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि शिक्षा के क्षेत्र को आगे बढ़ाने तथा बच्चों को शिक्षा देने के लिए निजी क्षेत्र को भी आगे आना होगा क्योंकि सरकार इस काम को अकेले नहीं कर सकती है। सिब्बल ने कहा कि 2020 तक अथवा उसके बाद के लक्ष्य को पूरा करने के लिए देश में लगभग 800-900 कॉलेजों की आवश्यकता होगी। इसके लिए वर्तमान में 40-45 हजार कॉलेजों में सीटों की संख्या भी दोगुनी करनी होगी और यह काम अकेले सरकार नहीं कर सकती। इसके लिए निजी क्षेत्र के लोगों को भी आगे आना होगा ताकि बच्चों के लिए गुणवत्ता परक शिक्षा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार किया जा रहा है। इससे 2020 तक स्कूल छोड़कर बैठने वाले बच्चों की संख्या बिल्कुल समाप्त हो जाएगी। जितने बच्चे नामांकन कराएंगे उतने ही पास होकर निकल सकेंगे। उन्होने यह भी कहा कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को रेटिंग देने के लिए एक स्वायत्त संस्था बनाने का प्रस्ताव है जिसमें शिक्षाविद होंगे और वे ही रेटिंग देंगे । इसके अलावा शिक्षा से संबंधित समस्याओं को निपटाने के लिए एक न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) बनाने की भी सरकार की मंशा है। सिब्बल ने राज्य सरकारों पर आरोप लगाया कि राज्यों में कितने निजी विश्वविद्यालय बन रहे हैं, उसके बारे में केंद्र को कोई जानकारी नहीं है। कब विधानसभा में तय हो जाता है और कब विश्वविद्यालय शुरू हो जाता है राज्य सरकारें इसकी सूचना तक नहीं देती हैं। बाद में हमसे पूछा जाता है। उन्होंने कहा कि दो-दो कमरों में विश्वविद्यालय चलाए जा रहे हैं। जहां न तो शिक्षक हैं और न ही फर्नीचर। जिसे शिक्षा की एबीसी पता नहीं वह कॉलेज और विश्वविद्यालय चला रहा है। यह समस्या है। अगर ये विधेयक पारित हो जाते हैं तो इन गड़बड़ियों पर विराम लग सकता है।
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सरकोजी ने गद्दाफी से अवैध वित्तीय मदद लेने के आरोपों को नकारा
लंदन। फ्रांसीसी राष्टñपति निकोलस सरकोजी ने उन सभी आरोपों का खंडन किया है जिनमें कहा जा रहा है कि उन्होंने वर्ष 2007 के राष्टñपति चुनावों के प्रचार अभियान के लिए लीबिया के तत्कालीन तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी से अवैध रूप से 4.2 करोड़ पाउंड लिए थे। सरकोजी के प्रवक्ता नताली कोसिउस्को मोरिजेट ने गद्दाफी से अवैध रूप से वित्तीय मदद लेने सम्बंधी रिपोर्टों को खारिज करते हुए कहा कि राष्टñपति पद की दौड़ में सरकोजी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी सोशलिस्ट उम्मीदवार फ्रांसुआ होल्लांद के समर्थकों ने यह दुष्प्रचार किया है। उन्होंने बताया कि सरकोजी पहले भी इन आरोपों का खंडन कर चुके हैं। सरकोजी से फ्रांसीसी पत्रकारों ने गद्दाफी से पैसे लेने के मामले में मार्च में पहली बार सवाल पूछा था। उन्होंने उसी समय काफी सख्ती के साथ इन आरोपों को नकार दिया था। फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक दस्तावेज सार्वजनिक करके सरकोजी और गद्दाफी के बीच पैसों के अवैध लेन-देन का खुलासा किया गया था। इस दस्तावेज में आरोप लगाया गया है कि सरकोजी लीबियाई तानाशाह के पैसों की बदौलत ही राष्टñपति पद पर आसीन हुए थे। एक समाचार वेबसाइट ने दावा किया है कि यह रकम स्विट्जरलैंड और पनामा के बैंक खातों के जरिए सरकोजी को दी गई। वेबसाइट ने अरबी भाषा में लिखित एक समझौते का भी ब्यौरा दिया है जिस पर गद्दाफी के तत्कालीन खुफिया प्रमुख मूसा कूसा के हस्ताक्षर हैं। इस समझौते के मुताबिक सरकोजी के प्रचार अभियान को मदद देने के लिए लीबियाई सरकार ने पांच करोड़ यूरो की मदद दी। हालांकि फ्रांसीसी कानून के मुताबिक राष्टñपति पद के उम्मीदवारों को छह हजार 300 पाउंड से अधिक की नकद रकम लेने की अनुमति नहीं है। गौरतलब है कि होल्लांद राष्टñपति चुनावों के पहले चरण में सरकोजी को पीछे छोड़ चुके हैं। उन्हें 28.61 प्रतिशत मत मिले जबकि सरकोजी 27.06 प्रतिशत मतों के साथ दूसरे स्थान पर हैं। ऐसे में पहले से बेहद दबाव झेल रहे सरकोजी के सामने अब नई चुनौती आ गई है। आगामी छह मई को होने वाले दूसरे दौर में अगर सरकोजी हार जाते हैं तो वह वर्ष1981 के बाद दूसरे दौर में जीत दर्ज नहीं करा पाने वाले पहले राष्टñपति बन जाएंगे।
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सात साल पहले ही रक्षा मंत्रालय ने किया था टाट्रा ट्रकों की खरीद पर विचार
नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने करीब सात साल पहले ही असल निर्माता से नहीं बल्कि एक मध्यस्थ कंपनी के जरिए टाट्रा ट्रकों की खरीद पर विचार किया था लेकिन मामले को बंद कर दिया था। थलसेना प्रमुख जनरल वीके सिंह की ओर से टाट्रा ट्रकों की खरीद में कथित तौर पर हुई रिश्वत की पेशकश का मुद्दा उछालने के बाद सीबीआई अब इन ट्रकों की खरीद में हुई अनियमितता के आरोपों की जांच कर रही है। सीबीआई चेक गणराज्य स्थित ‘टाट्रा’ से आपूर्ति का मामला 1997 में रवि ऋषि की कंपनी ‘टाट्रा सिपोक्स यूके’ को सौंपने के सिलसिले में हुई कथित अनियमितता के आरोपों की जांच कर रही है। टाट्रा के साथ करार पर 1986 में ही दस्तखत किए गए थे। साल 2005 में ऐसे आरोप लगाए गए थे कि टाट्रा ट्रक एक एजेंट के जरिए खरीदे गए थे न कि सीधे तौर पर ओईएम से। यह भी कहा गया कि बीईएमएल तो बिना प्रौद्योगिकी हासिल किए ही ऐसे वाहनों की असेंबलिंग करती थी। ऐसे आरोप लगाए जाने के बाद रक्षा मंत्रालय ने मामले की जांच की थी और साफ तौर पर यह पाया कि मध्यस्थ कंपनी के जरिए पुर्जे खरीदने के मामले में कुछ भी गलत नहीं था। इस निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले मंत्रालय को स्लोवाकिया के राजदूत से एक पत्र मिला जिसमें टाट्रा सिपोक्स यूके कंपनी के मालिकाना हक का जिक्र था। मुद्दे की हालिया समीक्षा के बाद आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक राजदूत ने 2005 में बताया था कि ‘टाट्रा सिपोक्स’ कंपनी चेकोस्लोवाकिया के दो गणराज्यों,- चेक और स्लोवाक, में विभाजित हो जाने के बाद सामने आए समन्वय संबंधी मुद्दे सुलझाने के लिए स्थापित की गई थी। चेकोस्लोवाकिया के विभाजन के बाद ट्रकों का उत्पादन करने वाली टाट्रा का भी बंटवारा हो गया।
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सलमान को लेकर अफवाहों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता : कैटरीना कैफ
नई दिल्ली। दिलकश अदाकारा कैटरीना कैफ का कहना है कि सलमान खान और उनको लेकर सामने आने वाली अफवाहों या अटकलों से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। हिंदी सिनेमा में कदम रखने के बाद से ही कैटरीना और सलमान के बीच कथित प्रेम प्रसंग की बातें सामने आती रही है। दोनों आखिरी बार 2008 में ‘युवराज’ में एक साथ रूपहले पर्दे पर नजर आए थे। अब दोनों फिर यशराज बैनर की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘एक था टाइगर’ में काम कर रहे हैं। कैटरीना ने कहा कि जब किसी फिल्म में काम करते हैं तो हम पेशेवर होते हैं। मैं यहां अपना काम करने के लिए हूं और अगर लोग आधारहीन कहानियां बनाना चाहते हैं तो यह उनके ऊपर है। मुझे नहीं लगता कि इस तरह की बातों का मेरे काम या फिल्म पर किसी तरह का असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि मुझे इस तरह की कहानियों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। ऐसा क्यों हो। मेरा मानना है कि हर कलाकार को इससे गुजरना पड़ता है। जब आप यहां काम करना शुरू करते हैं तो लोग आपको अपनी जिंदगी के हिस्से के तौर पर देखने लगते हैं। इस पर ज्यादा माथापच्ची क्यों होनी चाहिए। सलमान के साथ नई फिल्म के बारे में कैटरीना ने कहा कि मैं फिल्म को लेकर बहुत उत्साहित हूं। सलमान पहली बार यशराज के साथ काम रहे हैं। सलमान के साथ काम करना हमेशा मजेदार होता है और वह सेट पर सब कुछ सहज बना देते हैं। ‘मेरे ब्रदर की दुल्हन’ के साथ पहली बार यशराज बैनर के साथ करने वाली कैटरीना इसकी और फिल्म में शाहरूख खान के साथ काम रही हैं। इस फिल्म का निर्देशन यश चोपड़ा कर रहे हैं। कैटरीना ने कहा कि मैं शाहरूख और यशजी के साथ काम करके लुत्फ उठा रही है। यशजी हिंदी सिनेमा में एक अद्वितीय शख्सियत हैं और उनके साथ काम करना सीखने वाला अनुभव है। शाहरूख को लेकर उन्होंने कहा कि शाहरूख एक अद्भुत सह-कलाकार हैं। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है।
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राष्ट्रपति चुनाव को लेकर करूणानिधि से मिले एंटनी, सोनिया को देंगे जानकारी
चेन्नई। कांग्रेस नेता और रक्षा मंत्री एके एंटनी ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर संप्रग के घटक दलों के बीच सहमति बनाने के प्रयास के तहत रविवार को द्रमुक नेता एम करूणानिधि से मुलाकात की। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल आगामी 25 जुलाई को सेवानिृत्त हो रही हैं। ऐसी स्थिति में अगले राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर कवायद शुरू हो गई है। करूणानिधि के साथ एक घंटे की मुलाकात के बाद एंटनी ने संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने द्रमुक नेता को इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विचारों से अवगत कराया। उन्होंने बातचीत के विवरण का खुलासा करने से इंकार करते हुए कहा कि यह बहुत उपयोगी मुलाकात थी। उन्होंने जो भी कहा है कि मैं उसकी जानकारी कांग्रेस अध्यक्ष को दूंगा। एंटनी के मुताबिक सोनिया ने उनसे कहा था कि वह करूणानिधि के साथ मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा करें। उन्होंने कहा कि हमारे बीच क्या चर्चा हुई, इसकी जानकारी मैं कांग्रेस अध्यक्ष को दूंगा। एंटनी ने कहा कि करूणानिधि देश के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं और हम हमेशा उनकी सलाह को अहमियत देते हैं। दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान द्रमुक संसदीय दल के नेता ने टीआर बालू और करूणानिधि की सांसद बेटी कानिमोझि भी मौजूद थीं। कृषि मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस नेता शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष के बीच हुई मुलाकात के कुछ दिनों बाद ही एंटनी और करूणानिधि की मुलाकात हुई है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के बीच भी मुलाकात संभव है।
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संसद की कार्यवाही बाधित न हो : विशेषज्ञ
नई दिल्ली। संसद और राज्य विधानसभाओं की कार्यवाही में लगातार व्यवधान के कारण बहुमूल्य समय और धन की बर्बादी पर चिंता व्यक्त करते हुए विशेषज्ञों ने कहा है कि सांसदों को सदन में विरोध व्यक्त करते समय स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में पारित उस सर्वसम्मत प्रस्ताव को ध्यान में रखना चाहिए जिसमें कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी। राज्यसभा के मनोनीत सदस्य मणिशंकर अय्यर ने कहा कि लोकसभा में स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ पर पारित प्रस्ताव में कहा गया था कि अगर किसी मसले पर विरोध व्यक्त करना है तो ‘वाकआउट’ का रास्ता अपनाया जा सकता है, लेकिन सदन की कार्यवाही में बाधा नहीं डाली जाएगी। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अध्ययन के अनुसार, 2011 मेंं संसद के तीन सत्रों में 73 दिन बैठक हुई। इस अवधि में कामकाज के लिए निर्धारित 803 घंटों में 258 घंटे कई मुद्दों पर व्यवधान की भेंट चढ़ गए। लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप ने कहा कि स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ पर सर्वसम्मति से पारित इस प्रस्ताव में सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी। प्रस्ताव में कहा गया था कि हम लोकसभा के सदस्य हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की सेवाओं और महान बलिदान को कृतज्ञता के साथ याद करते हैं और संसद की प्रतिष्ठा के संरक्षण और इसे आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त रूप से और सर्वसम्मति से प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं। सदस्यों ने नियमों का सम्मान करने और प्रक्रियाओं का पालन करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी और कहा था कि वह प्रश्नकाल के दौरान सदन के आधिकारिक क्षेत्र में नारेबाजी करने से बचेंगे। संवैधानिक मामलों की जानकार कल्पना राजारमन के अनुसार, आंध्रप्रदेश विधानसभा की सदन के कामकाज और प्रक्रिया से संबंधित नियमों की अनुसूची 5 में आचार संबंधी नियमों का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि जब सदन की कार्यवाही चल रही हो तब सदस्यों को आपस में बातचीत नहीं करनी चाहिए लेकिन अगर बात करना अत्यंत जरूरी हो तब आवाज इतनी धीमी रखें कि कार्यवाही में कोई व्यवधान न हो। अगर अध्यक्ष के सदन में आने के बाद बोलने के लिए खड़े हों या व्यवस्था दे रहे हों, तब सदस्यों को अपने स्थान पर बैठ जाना चाहिए। नियमों के अनुसार कोई भी सदस्य अगर प्रश्न करना चाहते हों तो उन्हें तब तक हाथ उठाना चाहिए जब तक अध्यक्ष का ध्यान उनकी ओर नहीं जाता। बिना अध्यक्ष की अनुमति के उन्हें नहीं बोलना चाहिए। चर्चा के दौरान किसी भी सदस्य को आपस में जिरह नहीं करनी चाहिए। पीआरएस के अध्ययन के अनुसार, लोकसभा की कार्यवाही में व्यवधान के कारण 30 प्रतिशत समय बर्बाद हुआ जबकि राज्यसभा में 35 प्रतिशत समय बर्बाद हुआ। संसद में अभी करीब 80 विधेयक पारित होने के लिए लंबित हैं जिसमें शिक्षा सुधार से संबंधित 15 विधेयक शामिल हैं। सदन के कामकाज में लगातार व्यवधान के बीच कुछ समय पहले राज्यसभा में प्रश्नकाल का समय सुबह 11 बजे के स्थान पर दोपहर बाद दो बजे किया गया था लेकिन फिर से इसे 11 बजे कर दिया गया। गौरतलब है कि शुक्रवार को जदयू नेता शरद यादव को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एफसीआई द्वारा गेहूं की खरीद नहीं होने संबंधी किसानों की समस्या पर बोलने की अनुमति नहीं मिलने से नाराज विपक्ष ने निचले सदन से वाकआउट किया था।
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यूआईडीएआई निजी आंकड़ों के दुरूपयोग की शिकायतों की कर रहा जांच
नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) लोगों को आधार संख्या जारी करने के दौरान एक से ज्यादा कार्ड बनने और निजी आंकड़ों के दुरूपयोग की कई शिकायतों की जांच कर रहा है। सूचना का अधिकार कानून के तहत मिली जानकारी के अनुसार यूआईडीएआई को छह शिकायतें मिली हैं जो त्रुटियों या पता के दुरूपयोग से जुड़ी हुई हैं। प्राधिकरण को शिकायतें सात, 13 और 23 मई 2011 और नौ मार्च 2012 को शिकायतें मिलीं। दो शिकायतें उसे ईमेल के जरिए 27 फरवरी 2012 तथा 10 अगस्त 2011 को मिलीं। शिकायतों को संबंधित प्राधिकारों को भेज दिया गया है। चार शिकायतें दिल्ली में संबंधित प्राधिकारों को भेजी गई हैं जबकि एक-एक शिकायतें महाराष्ट्र और कर्नाटक में रजिस्ट्रारों को भेजी गई हैं। इसमें कहा गया है कि यूआईडीएआई को एक शिकायत एक से अधिक आधार कार्ड जारी किए जाने से भी जुड़ा हुआ है। शिकायत में देश के इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में निजी आंकड़ों की संवेदनशीलता का जिक्र किया गया है। हालांकि यूआईडीएआई को फर्जी आधार संख्या या कार्ड के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है। यूआईडीएआई ने कहा कि उसने एकत्र किए जा रहे निजी आंकड़ों की सुरक्षा सुनिश्चत करने के लिए सूचना सुरक्षा नीति और अन्य दिशानिर्देश तैयार किए हैं। यूआईडीएआई को हर नागरिक को 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या जारी करने का जिम्मा सौंपा गया है। यह नागरिकों से जुड़ी विभिन्न जानकारी शामिल रहेगी। इसका उपयोग भारत में कहीं भी अपनी पहचान के लिए तथा अन्य सेवाओं के लिए किया जा सकता है।
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केवल 57 प्रतिशत जुर्माने की राशि ही वसूल सका है सूचना आयोग
नई दिल्ली। आरटीआई अर्जियों के जवाब देने में देरी करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के केंद्रीय सूचना आयोग के प्रयासों का कोई खास परिणाम नहीं दिखाई दिया है क्योंकि आयोग दोषी अधिकारियों पर लगाए गए जुर्माने में से केवल 57 प्रतिशत रााशि ही वसूल सका है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार सीआईसी ने वर्ष 2005 में प्रभाव में आने के बाद से अब तक 1.45 करोड़ रु पए का जुर्माना लगाया है लेकिन अधिकारियों से केवल 83 लाख रुपए ही वसूले जा सके हैं क्योंकि शेष मामलों में जिम्मेदार ठहराए गए अफसरों ने अदालतों के समक्ष आयोग के आदेशों को चुनौती दी है। सूचना के अधिकार कानून के तहत सर्वोच्च अपीली प्राधिकरण सीआईसी के पास किसी जन सूचना अधिकारी पर 30 दिन की अनिवार्य अवधि के भीतर जानकारी नहीं देने पर उस पर 250 रुपए प्रति दिन का जुर्माना लगाने का अधिकार है जो अधिकतम 25 हजार रुपए तक हो सकता है। जुर्माना जिस अवधि पर लगाया जाता है, उसे अर्जी दाखिल होने के 31वें दिन से गिनना शुरू किया जाता है और सूचना दिए जाने वाले दिन तक गिना जाता है। जुर्माना अधिकारी पर व्यक्तिगत रूप से लगाया जाता है और उसके वेतन में से यह राशि काटी जाती है। विभाग से इसका कोई लेना-देना नहीं होता। सम्बंधित अधिकारी रिट याचिका के माध्यम से आयोग के फैसले को किसी उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकता है क्योंकि सीआईसी केआदेशों के खिलाफ अपील दाखिल नहीं की जा सकती। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग से आरटीआई अर्जी के जवाब में मिली जानकारी के अनुसार आयोग केवल 83.36 लाख रुपए वसूल सका है क्योंकि शेष राशि के सम्बंध में उच्चतम न्यायालय में रिट दाखिल की गई हैं। आरटीआई कार्यकर्ता आरके जैन को मिले आरटीआई अर्जी के जवाब के अनुसार कुछ मामलों में आयोग को पक्ष बनाया गया है लेकिन कई मामले ऐसे हैं जहां आयोग को पक्ष नहीं बनाया गया है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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