29-12-2011, 08:25 PM | #741 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
अपने आवाज़ की लरजिश पे तो काबू पा लो
प्यार के बोल तो ओंठों से निकल आतें हैं अपने तेवर तो संभालो की कोई ये न कहे दिल बदलते हैं तो चेहरे भी बदल जातें हैं
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ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
Last edited by Ranveer; 29-12-2011 at 08:37 PM. |
29-12-2011, 08:39 PM | #742 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
कभी कभी दिल उदास होता है
हल्का हल्का सा आँखों को एहसास होता है छलकती है मेरी भी आँखों से नमी जब तुम्हारे दूर होने का एहसास होता है
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31-12-2011, 10:42 AM | #743 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
हम भी बिकने गए थे बाज़ार-ऐ-इश्क में,
क्या पता था वफ़ा करने वालो को लोग ख़रीदा नहीं करते !
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मांगो तो अपने रब से मांगो; जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत; लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना; क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी। |
06-01-2012, 12:14 AM | #744 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
देखने वाले हर चीज़ को गलत नजरिये से देखतें हैं ,
माली से गर हिफाज़त हो जाती , तो गुलाब के संग कांटे क्यूँ निकलते ||
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06-01-2012, 12:17 AM | #745 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
तुम्हारी सांसों की खुशबु से टूट जाऊँगा ,
करीब आकर भी थोड़ा सा फासला रखना ..
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06-01-2012, 12:51 PM | #746 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
एक नाटक है जिंदगी जिसमे ,
आह की जाए ..वाह की जाए ..
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06-01-2012, 01:12 PM | #747 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
घर के अंदर भी गर मिटना है,
तो संभालों ये घर, हम चले। जिसमें दिन-रात हम जले, ऐसे घर से हम बेघर भले।
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
07-01-2012, 11:23 PM | #748 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
अपनी आंखों के समंदर में उतर जाने दे
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको सोचता हूँ कि कहूँ तुझसे, मगर जाने दे. |
07-01-2012, 11:28 PM | #749 |
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Re: सदस्योँ की समस्याएं /शिकायत/समाधान
कोई पूछ रहा है मुझ से मेरी ज़िन्दगी की कीमत...
मुझे याद आ रहा हे तेरा हल्के से मुस्कुराना... |
08-01-2012, 11:13 PM | #750 |
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Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
कहीं छाँव है कहीं धूप है , कहीं और ही कोई रूप है कई चेहरे हैं छुपे हुए , एक अजीब सी ये नकाब है कहीं एक हसीन सा ख्वाब है , कहीं जानलेवा अज़ाब है कहीं आंसुओं कि हैं दास्ताँ , कहीं मुस्कुराहटों का है बयाँ कहीं बरकतों कि है बारिशें , कहीं तिश्नगी बेहिसाब है ये जो जिंदगी कि किताब है , ये किताब भी क्या किताब है ? (सेहर )
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