03-04-2015, 01:00 PM | #771 |
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Re: आप यहाँ अपने दिल की बात कह सकते है !
अब मूर्तियां बनती बहुत जल्दी है और उससे भी तेजी से कई बार टूट जाती हैं. जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ पहला संपादकीय लिखने में भारतीय समाचार पत्रों को वर्षों लग गए थे. अभी तो हाल यह है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के खिलाफ शपथ ग्रहण के एक हफ्ते के अंदर सोशल मीडिया पर हर दिन लाखों की संख्या में संपादकीय लिखे जा रहे हैं. एक महीने के शासन के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद मोदी को सार्वजनिक तौर पर कहना पड़ा कि "मुझे हनीमून पीरियड नहीं मिला." महानता अब क्षणभंगुर है. इमेज मैनेजमेंट पर खर्च किए जा रहे हजारों करोड़ रुपए धरे के धरे रह जाते हैं और कोई बच्चा बोल उठता है- "राजा तो नंगा है."
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03-04-2015, 06:24 PM | #772 |
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Re: आप यहाँ अपने दिल की बात कह सकते है !
Last edited by dipu; 03-04-2015 at 08:03 PM. |
03-04-2015, 08:13 PM | #773 |
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Re: आप यहाँ अपने दिल की बात कह सकते है !
राहुल गाँधी कहते हैं कि काँग्रेस एक पार्टी नहीं, एक सोच है।
और विद्या बालन कहती है कि जहाँ सोच है वहाँ शौचालय है। बहुत कन्फ्यूजन है, भाई!
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03-04-2015, 08:17 PM | #774 |
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Re: आप यहाँ अपने दिल की बात कह सकते है !
बहुत दर्द होता है जब टीचर कहती है कि तुम्हारा और तुम्हारे आगे वाले का जवाब एक जैसा है।
तो दिल से एक ही आवाज़ आती है, "साला सवाल भी तो एक जैसा ही था।"
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03-04-2015, 08:52 PM | #775 |
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Re: आप यहाँ अपने दिल की बात कह सकते है !
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10-05-2015, 06:12 PM | #776 |
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Re: आप यहाँ अपने दिल की बात कह सकते है !
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19-10-2015, 10:37 AM | #777 |
Administrator
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Re: आप यहाँ अपने दिल की बात कह सकते है !
माँ के निधन के पश्चात इकलौते बेटे ने पत्नी के कहने में आ कर अपने पिता को वृद्धाश्रम में भेजने का निर्णय ले लिया। पिता की समस्त भौतिक वस्तुएं समेट वो एक ईसाई पादरी द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में पिता को ले आया ।
काउंटर पर बैठी क्लर्क ने बहुत से विकल्प दिए टेलीविज़न एसी शाकाहारी मांसाहारी इत्यादि । पिता ने सादे एक वक़्त के शाकाहारी भोजन को छोड़ सब के लिए मना कर दिया । पुत्र पिता का सामान कार से निकालने बाहर गया । तभी पत्नी ने फ़ोन किया ये पता लगाने के लिए कि सब कुछ ठीक से निपटा या नहीं । और इस बात के लिए पति को ज़ोर देकर आगाह किया की उसके पिता को अब त्यौहारों पर भी घर आने की ज़रुरत नहीं । अनाथाश्रम का मेनेजर बाहर आया पिता को देख उनकी और बढ़ गये । और उनके दोनों कन्धों पर हाथ रख कर बात करने लगे । इस दौरान पिता हिम्मत से मुस्कुराते रहे । बेटे को बड़ा आश्चर्य हुआ । उसने तुरंत निकट पहुंचकर मेनेजर से पूछा कि वो पूर्व परिचित हैं क्या?? जो इतनी बेतकल्लुफी से बात कर रहे हैं ? मेनेजर ने गीली आँखें पोछते हुए बेटे को देखा और कहा हाँ ! बहुत ही अच्छे से .. ये 30 साल पहले यहां आये थे और अपने साथ एक अनाथ बच्चे को ले गए थे गोद लेने के लिए ताकि इसके बुढापे का सहारा बन सके और आज वही बेटा इनको यहाँ छोड़ने आया है !!!!! बेटा अवाक था ।।।
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
19-10-2015, 12:18 PM | #778 |
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Re: आप यहाँ अपने दिल की बात कह सकते है !
Touching story!
यही है दुनिया की रीत! फ़िल्म "लगे रहो मुन्नाभाई" में एक scene की याद आ रही है। Thanks for sharing. GV |
01-11-2015, 10:14 AM | #779 |
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Re: आप यहाँ अपने दिल की बात कह सकते है !
हर साल 6 हजार हरियाणवी बनते हैं फौजी, सबसे ज्यादा रेवाड़ी के
रेवाड़ी। भारतीय सेना में भी हरियाणा सबसे आगे खड़ा है... आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग हों या पूर्व जनरल वीके सिंह। जवान से लेकर सर्वोच्च पदों पर पहुंचकर हरियाणवी युवाओं ने अपनी ताकत दिखाई है। प्रदेश में सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों की संख्या करीब 19 लाख है। हर साल 6 हजार से ज्यादा युवा अपने दम पर सेना में एंट्री करते हैं। सेना में हर 10वां जवान इसी प्रदेश से है। सबसे ज्यादा जवान रेवाड़ी के सेना में अभी लगभग 1.75 लाख जवान हमारे प्रदेश से हैं, जबकि करीब 3.75 लाख रिटायर हो चुके हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा जवान देने वाला जिला रेवाड़ी है। अभी रेवाड़ी के 25 हजार युवा सेना में हैं। देश की सुरक्षा एवं अखंडता के लिए जितनी भी लड़ाइयां हुईं, उसमें इस प्रदेश के सैनिकों ने शहादत दी है। असल में जय जवान-जय किसान का नारा हरियाणा से ही जीवंत है।
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01-11-2015, 10:25 AM | #780 |
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Re: आप यहाँ अपने दिल की बात कह सकते है !
संविधान के अनुसार जिस संवैधानिक संस्था को निष्पक्ष न्याय देने की जिम्मेदारी दी गई थी आज वही न्याय के कटघरे में खड़ी होती दिखाई दे रही है। देश में लगातार बहस चल पड़ी है कि न्यायपालिका की निष्पक्षता को कैसे बरकरार रखा जाए और इसी बहस के बीच न्याय देने वाले सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को कैसे चुना जाए इस पर बहस होती रही है। वैसे तो जजों के चुनने की व्यवस्था कोलेजियम पर कई जाने माने जज भी गलत मान चुके हैं लेकिन यह आंकड़ा और भी चौका देता है कि देश के भीतर उपस्थित 13 उच्च न्यायालयों में 52 प्रतिशत या 99 जज, बड़े वकीलों के रिश्तेदार चुने गए। यह आंकड़ा न्यापालिका के भ्रष्टाचार को साबित करने के लिए पर्याप्त है और पिछले 22 सालों से देश में जजों को इसी तरह चुना गया।
2014 के बाद केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद जजों की नियुक्ति का एक नया तरीका एनजेएसी (राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग) अमल में लाया गया उसे संसद में भी पास कर दिया गया लेकिन न्यायपालिका ने अपने बीच में राजनीतिक दखलंदाजी ठीक नही समझी और एनजेएसी जैसे प्रावधान से जजों के चुनने के तरीके को ख़ारिज कर उसी कोलेजियम को लागू कर दिया जिसके भयावह आंकड़े यह भी बताते है कि 22 साल पुरानी इस व्यवस्था में जजों और न्यायपालिका से जुड़े लोगों ने कैसे अपने ही रिश्तेदारों को अपना उत्तराधिकारी चुन लिया। कोलेजियम पर फैसला देने वाले जजों में चेलामेश्वर अकेले ऐसे जज थे जिन्होंने कोलेजियम को भ्रष्ट बताया हालही में कोलेजियम और एनजेएसी पर जिन पांच जजों की पीठ ने फैसला सुनाया उनमे एक जज जे. चेलामेश्वर का दर्द फैसले के वक़्त उभर आया। वह एक मात्र ऐसे जज थे जिन्होंने जजों को चुनने की कोलेजियम व्यवस्था का समर्थन नही किया। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि केलिजियम की व्यवस्था एक दम अपारदर्शी है इस बारे में जनता कुछ नही जान सकती, उन्होंने इस दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद एक जज के विवादित प्रमोशन का भी उदाहरण दिया। चेलामेश्वर के अनुसार न्यायिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के कई तरीके है। इसमें जजों के चुनने का अधिकार बनाये रखना भी एक है। लेकिन यह कार्यपालिका द्वारा सुझाये गए मॉडल को ख़ारिज करने की वजह नही हो सकती जिसमे लोगों की इच्छा भी शामिल होती है। उन्होंने कहा कोलेजियम की व्यवस्था न तो न्याय पालिका के लिए लाभदायक है और न ही देश हिट में। कोलेजियम से चुने गए 21 में से सिर्फ 2 ही महिलाये एक चर्चा के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने उदाहरण दिया था कि कोलेजियम सिस्टम से चुने गए जज अदालतों में देर से आते हैं, और सहयोगी बेंच के जजों को भी धमकाते हैं। इस बारे में रोहतगी ने हाई कोर्ट की महिला चीफ जस्टिस का जिक्र किया जो बाद में आशीर्वाद से सुप्रीम कोर्ट की जज बनी। सरकार की तरफ से एक और उदाहरण दिया गया जिसमे कहा गया था की कॉलेजयम प्रणाली से 31 में से सिर्फ 2 महिलाओं को जज बने गया। जज कुरियन जोसेफ ने माना कि वह कॉलेजियम प्रणाली विफल हो गई, जहां दिशा-निर्देशों की अनदेखी कर चहेते और नाकाबिल जजों का चयन होता है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भरूचा ने 15 वर्ष पहले कहा था कि हाईकोर्ट के 20 फीसदी जज भ्रष्ट हैं वहीं, पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने चीफ जस्टिस सहित 50 फीसदी जजों को भ्रष्ट करार दिया।
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