My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 10-12-2010, 10:01 AM   #71
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default Re: तेनाली राम की कहानियॉ

सन्तुष्ट व्यक्ति के लिए उपहार

एक दिन तेनाली राम बडी प्रसन्न मुद्रा में दरबार में आया। उसने बहुत अच्छे कपडे और गहने पहन रखे थे। उसे देख् कर राजा कॄष्णदेव राय बोले, “तेनाली, आज तुम बहुत प्रसन्न दीखाई दे रहे हो। क्या बात है?”

“महाराज कोई खास बात नहीं है।” तेनाली राम प्यार से बोला।

“नहीं आज मुझे तुम कुछ अलग लग रहे हो। वैसे एक बात है, जब तुम मुझे पहली बार मिले थे, तब तुम्हारा व्यक्तित्व बहुत साधारण था।”

तेनाली राम बोला, “महाराज, प्रत्येक व्यक्ति समय के साथ बदलता है। विशेषतः जब उसके पास थोडा बहुत धन भी हो। मैंने आपके द्वारा दिए गए उपहारों से काफी बचत कर ली है।”

राजा बोले, “तब तो तुम्हें अपनी बचत का कुछ भाग दूसरों को भी देना चाहिए।”

तेनाली राम बोला, “महाराज, अभी मैंने दूसरों को देने के लायक पर्याप्त बचत नहीं की है।”

यह सुनकर राजा ने तेनाली राम की दान न करने की प्रवॄति कि लिए उसे काफी लताडा। तेनाली राम ने जब देखा कि उसकी बात का राजा बुरा मान गए हैं तो उसने अपनी गलती स्वीकारकरते हुए महाराज से पूछा कि उसे क्या दान करना चाहिए।
__________________

हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें!
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 10-12-2010, 10:02 AM   #72
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default Re: तेनाली राम की कहानियॉ

” तेनाली, तुम एक भ्व्य घर बनवाओ और उसे दान दो, इससे तुम्हें प्रसन्न्ता होगी।” राजा ने कहा ।

तेनाली राम ने राजा की बात मान ली। अगले कुछ माह तक वह एक भ्व्य मकान बनवाने में व्यस्त हो गया। जब वह भ्व्य मकान बनकर तैयार हो गया तो तेनाली राम ने मकान के उपर एक तख्ती टॉग दी, जिस पर लिखा था, “यह घर उस व्यक्ति को दिया जाएगा, जो अपने जीवन में मात्र उतने में ही प्रसन्नता महसूस करता हो, जितना उसके पास है।”

कई लोगो ने उस तख्ती को पढा, परन्तु कोई भी मकान लेने नहीं आया। एक बार एक निर्धन व्यक्ति को उस घर के बारे में पता चला। उसने सोचा कि क्यों न वह उस मकान को प्राप्त करने की कोशिश करे। यह सोचकर वह तेनाली के घर पहुँचा उसने बाहर लगी त्ख्ती को बार-बार पढा। उसने सोचा सोचा कि लोग कितने मूर्ख हैं, जो इस मकान को लेने नहीं आ रहे। वह घर में गया और बोल, ” श्रीमान, मैंने घर के बाहर टँगी तख्ती को पढा हैं, मैं दावा करता हूँ कि मैं सबसे प्रसन्न व संतुष्ट व्यक्ति हूँ। अतः मैं इस मकान का अधिकारी हूँ।”

इस पर तेनाली राम हँसने और बोला, “यदि इस घर के बिना तुम प्रसन्न और संतुष्ट हो, तो फिर तुम्हें इस घर की क्या आवश्यकता है? और यदि तुम्हें आवश्यकता है तो फिर तुम्हारा दावा गलत है। क्योंकि अगर जो कुछ तुम्हारे पास है तुम उससे संतुष्ट हो, तो तुम इसे क्यों मॉगोगे?”

निर्धन व्यक्ति को अपनी भूल का आभास हो गया। उसके बाद उस मकान को मॉगने के लिए कोई नही आया। अन्त में तेनाली राम ने सारी कथा राजा को सुनाई। राजा बोले, “तुमने एक बार फिर अपनी बुद्धिमानी का परिचय दिया। परन्तु अब तुम उस मकान का क्या करोगे?”

“कोई शुभ दिन देखकर मैं उसमें गॄह-प्रवेश करुँगा।’ इस प्रकार एक बार फिर तेनाली राम ने राजा कॄष्णदेव राय को निरुत्तर कर दिया।
__________________

हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें!
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 10-12-2010, 10:02 AM   #73
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default Re: तेनाली राम की कहानियॉ

सीमा की चौकसी

विजयनगर में पिछले कई दिनों से तोड़-फोड़ की घटनाएँ बढ़ती जा रही थीं। राजा कृष्णदेव राय इन घटनाओं से काफी चिंतित हो उठे। उन्होंने मंत्रिपरिषद की बैठक बुलाई और इन घटनाओं को रोकने का उपाय पूछा। ‘पड़ोसी दुश्मन देश के गुप्तचर ही यह काम कर रहे हैं। हमें उनसे नर्मी से नहीं, सख्ती से निबटना चाहिए।’ सेनापति का सुझाव था। ‘सीमा पर सैनिक बढ़ा दिए जाने चाहिए ताकि सीमा की सुरक्षा ठीक प्रकार से हो सके।’ मंत्री जी ने सुझाया।

राजा कृष्णदेव राय ने अब तेनालीराम की ओर देखा। ‘मेरे विचार में तो सबसे अच्छा यही होगा कि समूची सीमा पर एक मजबूत दीवार बना दी जाए और वहां हर समय सेना के सिपाही गश्त करें।’ तेनालीराम ने अपना सुझाव दिया। मंत्री जी के विरोध के बावजूद राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम का यह सुझाव सहर्ष मान लिया।

सीमा पर दीवार बनवाने का काम भी उन्होंने तेनालीराम को ही सौंप दिया और कहा दिया कि छह महीने के अंदर पूरी दीवार बन जानी चाहिए। इसी तरह दो महीने बीत गए लेकिन दीवार का काम कुछ आगे नहीं बढ़ सका। राजा कृष्णदेव राय के पास भी यह खबर पहुँची। उन्होंने तेनालीराम को बुलवाया और पूछताछ की।

मंत्री भी वहाँ उपस्थित था। ‘तेनालीराम, दीवार का काम आगे क्यों नहीं बढ़ा?’ ‘क्षमा करें महाराज, बीच में एक पहाड़ आ गया है, पहले उसे हटवा रहा हूँ।’ ‘पहाड़…पहाड़ तो हमारी सीमा पर है ही नहीं।’ राजा बोले। तभी बीच में मंत्री जी बोल उठे-‘महाराज, तेनालीराम पगला गया है।’
__________________

हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें!
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 10-12-2010, 10:03 AM   #74
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default Re: तेनाली राम की कहानियॉ

तेनालीराम मंत्री की फब्ती सुनकर चुप ही रहे। उन्होंने मुस्कुराकर ताली बजाई। ताली बजाते ही सैनिकों से घिरे बीस व्यक्ति राजा के सामने लाए गए। ‘ये लोग कौन है?’ राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम ने पूछा।

‘पहाड़! तेनालीराम बोला-‘ये दुश्मन देश के घुसपैठिए हैं महाराज। दिन में जितनी दीवार बनती थी, रात में ये लोग उसे तोड़ डालते थे। बड़ी मुश्किल से ये लोग पकड़ में आए हैं। काफी तादाद में इनसे हथियार भी मिले हैं। पिछले एक महीने में इनमें से आधे पाँच-पाँच बार पकड़े भी गए थे, मगर…।’

‘इसका कारण मंत्री जी बताएँगे इन्हें दंड क्यों नहीं दिया गया?’ क्योंकि इन्हीं की सिफारिश पर इन लोगों को हर बार छोड़ा गया था।’ तेनालीराम ने कहा। यह सुनकर मंत्री के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। राजा कृष्णदेव राय सारी बात समझ गए। उन्होंने सीमा की चौकसी का सारा काम मंत्री से ले लिया और तेनालीराम को सौंप दिया।
__________________

हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें!
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 10-12-2010, 10:04 AM   #75
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default Re: तेनाली राम की कहानियॉ

स्वप्न महल

एक रात राजा कृष्णदेव राय ने सपने में एक बहुत ही सुंदर महल देखा, जो अधर में लटक रहा था। उसके अंदर के कमरे रंग-बिरंगे पत्थर से बने थे। उसमें रोशनी के लिए दीपक या मशालों की जरूरत नहीं थी। बस जब मन में सोचा, अपने आप प्रकाश हो जाता था और जब चाहे अँधेरा।

उस महल में सुख और ऐश्वर्य के अनोखे सामान भी मौजूद थे। धरती से महल में पहुँचने के लिए बस इच्छा करना ही आवश्यक था। आँखें बंद करो और महल के अंदर। दूसरे दिन राजा ने अपने राज्य में घोषणा करवा दी कि जो भी ऐसा महल राजा को बनाकर देगा, उसे एक लाख स्वर्ण मुद्राओं का पुरस्कार दिया जाएगा।

सारे राज्य में राजा के सपने की चर्चा होने लगी। सभी सोचते कि राजा कृष्णदेव राय को न जाने क्या हो गया है। कभी सपने भी सच होते हैं? पर राजा से यह बात कौन कहे?

राजा ने अपने राज्य के सभी कारीगरों को बुलवाया। सबको उन्होंने अपना सपना सुना दिया। कुशल व अनुभवी कारीगरों ने राजा को बहुत समझाया कि महाराज, यह तो कल्पना की बातें हैं। इस तरह का महल नहीं बनाया जा सकता। लेकिन राजा के सिर पर तो वह सपना भूत की तरह सवार था।

कुछ धूर्तों ने इस बात का लाभ उठाया। उन्होंने राजा से इस तरह का महल बना देने का वादा करके काफी धन लूटा। इधर सभी मंत्री बेहद परेशान थे। राजा को समझाना कोई आसान काम नहीं था। अगर उनके मुँह पर सीधे-सीधे कहा जाता कि वह बेकार के सपने में उलझे हैं तो महाराज के क्रोधित हो जाने का भय था।

मंत्रियों ने आपस में सलाह की। अंत में फैसला किया गया कि इस समस्या को तेनालीराम के सिवा और कोई नहीं सुलझा सकता। तेनालीराम कुछ दिनों की छुट्टी लेकर नगर से बाहर कहीं चला गया। एक दिन एक बूढ़ा व्यक्ति राजा कृष्णदेव राय के दरबार में रोता-चिल्लाता हुआ आ पहुँचा।
__________________

हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें!
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 10-12-2010, 10:04 AM   #76
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default Re: तेनाली राम की कहानियॉ

राजा ने उसे सांत्वना देते हुए कहा, ‘तुम्हें क्या कष्ट है? चिंता की कोई बात नहीं। अब तुम राजा कृष्णदेव राय के दरबार में हो। तुम्हारे साथ पूरा न्याय किया जाएगा।’ ‘मैं लुट गया, महाराज। आपने मेरे सारे जीवन की कमाई हड़प ली। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं, महाराज। आप ही बताइए, मैं कैसे उनका पेट भरूँ?’ वह व्यक्ति बोला।

‘क्या हमारे किसी कर्मचारी ने तुम पर अत्याचार किया है? हमें उसका नाम बताओ।’ राजा ने क्रोध में कहा। ‘नहीं, महाराज, मैं झूठ ही किसी कर्मचारी को क्यों बदनाम करूँ?’ बूढ़ा बोला। ‘तो फिर साफ क्यों नहीं कहते, यह सब क्या गोलमाल है? जल्दी बताओ, तुम चाहते क्या हो?’ ‘महाराज अभयदान पाऊँ तो कहूँ।’ ‘हम तुम्हें अभयदान देते हैं।’ राजा ने विश्वास दिलाया।

‘महाराज, कल रात मैंने सपने में देखा कि आप स्वयं अपने कई मंत्रियों और कर्मचारियों के साथ मेरे घर पधारे और मेरा संदूक उठवाकर आपने अपने खजाने में रखवा दिया। उस संदूक में मेरे सारे जीवन की कमाई थी। पाँच हजार स्वर्ण मुद्राएँ।’ उस बूढ़े व्यक्ति ने सिर झुकाकर कहा।

‘विचित्र मूर्ख हो तुम! कहीं सपने भी सच हुआ करते हैं?’ राजा ने क्रोधित होते हुए कहा। ‘ठीक कहा आपने, महाराज! सपने सच नहीं हुआ करते। सपना चाहे अधर में लटके अनोखे महल का ही क्यों न हो और चाहे उसे महाराज ने ही क्यों न देखा हो, सच नहीं हो सकता। ’

राजा कृष्णदेव राय हैरान होकर उस बूढ़े की ओर देख रहे थे। देखते-ही-देखते उस बूढ़े ने अपनी नकली दाढ़ी, मूँछ और पगड़ी उतार दी। राजा के सामने बूढ़े के स्थान पर तेनालीराम खड़ा था। इससे पहले कि राजा क्रोध में कुछ कहते, तेनालीराम ने कहा- ‘महाराज, आप मुझे अभयदान दे चुके हैं।’ महाराज हँस पड़े। उसके बाद उन्होंने अपने सपने के महल के बारे में कभी बात नहीं की।
__________________

हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें!
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 10-12-2010, 10:04 AM   #77
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default Re: तेनाली राम की कहानियॉ

हाथीयों का उपहार

राजा कॄष्णदेव राय समय-समय पर् तेनाली राम को बहुमूल्य उपहार देते रहते थे। एक बार प्रसन्न होकर राजा ने तेनाली राम को पॉच हाथी उपहार में दिए। ऐसे उपहार को पाकर तेनाली राम बहुत परेशान हो गया। निर्धन होने के कारण तेनाली राम पॉच-पॉच हाथियों के खर्चों का भार नहीं उठा सकता था क्योंकि उन्हें खिलाने के लिए बहुत से अनाज की आवश्यक्ता होती थी।

तेनाली राम अपने परिवार का ही ठीक-ठाक तरिके से पालन-पोषण नहीं कर पाता था। अतः पॉच हाथियों का अतिरिक्त व्यय उसके लिए अत्यधिक कठिन था, फिर भी अधिक विरोध किए बिना तेनाली राम हाथियों को शाही उपहार के रुप में स्वीकार कर घर ले आया। घर पर तेनाली राम की पत्नी सदैव शिकायत करती रहती, “हम स्वंय तो ठीक से रह नहीं पाते फिर इन हाथियों के लिए कहॉ रहने की व्यवस्था करें? हम इनके लिए कोई नौकर भी नहीं रख सकते। हम अपने लिए तो जैसे-तैसे भोजन की व्यवस्था कर पाते हैं, परन्तु इनके लिए अब कहॉ से भोजन लाए? यदि राजा हमें पॉच हाथियों के स्थान पर पॉच गायें ही दे देते तो कम-से-कम उनके दूध से हमारा भरण-पोषण तो होता।”

तेनाली राम जानता था कि उसकी पत्नी सत्य कह रही हैं। कुछ देर सोचने के बाद उसने हाथियों से पीछा छुडाने की योजना बना ली। वह उठा और बोला, “मैं जल्दी ही वापस आ जाऊँगा। पहले इन हाथियों को देवी काली को समर्पित कर आऊँ ।”

तेनाली राम हाथियों को लकेर काली मंदिर गया और वहॉ उसने उनके माथे पर तिलक लगाया। इसके बाद उसने हाथियों को नगर में घूमने के लिए छोड दिया। कुछ दयावान लोग हाथियों को खाना खिला देते, परन्तु अधिकतर समय हाथी भूखे ही रहते। शीघ्र ही वे निर्बल हो गए। किसी ने हाथियों की दुर्दशा के विषय में राजा को सूचना दी। राजा को सूचना दी। राजा हाथियों के प्रति तेनाली राम के इस व्यवहार से अप्रसन्न हो गए। उन्होंने तेनाली राम को दरबार में बुलाया और पूछा, “तेनाली, तुमने हाथियों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार क्यों किया?”

तेनाली राम बोला, “महाराज, आपने मुझे पॉच हाथि उपहार में दिए। उन्हें अस्वीकार करने से आपका अपमान होता। यह सोचकर मैंने उन हाथियों को स्वीकार कर लिया। परन्तु यह उपहार मेरे ऊपर एक बोझ बन गया, क्योंकि मैं एक निर्धन व्यक्ति हूँ मैं पॉच हाथियो की देखभाल का अतिरिक्त भार नहीं उठा सकता था। अतः मैंने उन्हें देवी काली को समर्पित कर दिया। अब आप् ही बताइये, यदि आप पॉच हाथियों के स्थान पर मुझे पॉच गायें उपहार में दे देते, तो वह मेरे परिवार के लिये ज्यादा उपयोगी साबित होतीं।”

राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ, वह बोले, “यदि मैं तुम्हे गायें देता, तब तुम उनके साथ भी तो ऐसा दुर्व्यवहार करते?”

“नहीं महाराज! गाये तो पवित्र जानवर हैं। और फिर गाय का दूध मेरे बच्चों के पालन-पोषण के काम आता। उल्टे इसके लिए वे आपको धन्यवाद देते और आपकी दया से मैं गायों के व्यय का भार तो उठा ही सकता हूँ।”

राजा ने तुरन्त आदेश दिया कि तेनाली से हाथियों को वापस ले लिया जाए तथा उनके स्थान पर उसे पॉच गायें उपहार में दी जाएँ।
__________________

हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें!
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 06:31 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.