28-03-2011, 03:21 PM | #71 |
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Re: राजनीती (आओ चुनावी खेल खेलें)
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Gaurav kumar Gaurav |
28-03-2011, 03:35 PM | #72 |
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Re: राजनीती (आओ चुनावी खेल खेलें)
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
28-03-2011, 03:38 PM | #73 |
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Re: राजनीती (आओ चुनावी खेल खेलें)
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Gaurav kumar Gaurav |
28-03-2011, 03:41 PM | #74 |
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Re: राजनीती (आओ चुनावी खेल खेलें)
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
28-03-2011, 04:12 PM | #75 |
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Re: राजनीती (आओ चुनावी खेल खेलें)
नेता बाले गुण लौन्डे मे आ गये बहुत आगे जाओगे
कम से कम श्री लंका के आगे तक तो जाऊगे
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Gaurav kumar Gaurav |
19-04-2011, 05:33 AM | #76 |
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Re: राजनीती (आओ चुनावी खेल खेलें)
लागत है कोई सगलेहार (सब जगह) 1 भी बोटवा ना मिलेही
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Gaurav kumar Gaurav |
19-04-2011, 02:07 PM | #77 |
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Re: राजनीती (आओ चुनावी खेल खेलें)
अचार संहिता लागु हो गया
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
19-04-2011, 07:26 PM | #78 |
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Re: राजनीती (आओ चुनावी खेल खेलें)
अचार आम का
अचार नीबू का अचार मुरब्बे का लेकिन ई का नया अचार है लकेँश
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Gaurav kumar Gaurav |
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