27-02-2015, 03:12 PM | #71 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
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27-02-2015, 03:12 PM | #72 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
नारद ने क्रोधपूर्वक गधे से कहा- ’मैं अपना शब्द वापस नहीं लूँगा। तू दिन में सपना तो नहीं देख रहा, गधा? मुझे पैदल चलना मंज़ूर है, लेकिन किसी हालत में एक गधे को अपना वाहन नहीं बनाऊँगा। पहले धेंकी, अब डंकी? नो.. ऐसा कभी नहीं होगा! अपमान.. घोर अपमान। मेरा तो श्राप देने का मन कर रहा है।’
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27-02-2015, 03:14 PM | #73 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
श्राप की बात सुनकर भगवान् विष्णु ने घबड़ाकर कहा- ’नारद जी, कृपया ठण्डे दिमाग से सोचिए। पैदल चलने से अच्छा है- आप गधे पर चलिए।'
नारद ने क्रोधपूर्वक कहा- ’भगवन्, क्या सोचूँ ठण्डे दिमाग़ से? गधा अच्छा और शरीफ़ जानवर नहीं है।’ भगवान् विष्णु ने आश्चर्यपूर्वक कहा- ’क्या कहते हैं आप, नारद मुनि? गधे से अच्छा और शरीफ़ जानवर कोई नहीं। बेचारे गधे के पास तो सींग तक नहीं!’
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27-02-2015, 03:15 PM | #74 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
नारद ने कहा- ’गधे के पास सींग नहीं तो क्या हुआ? पीछे के दो पैर तो हैं। भगवन्, आप मेरा ब्रेन-वाश करने की कोशिश न कीजिए। गधे के बारे में जब-तब बहुत शिकायतें मिला करती हैं। गधा जब देखो दुलत्ती मार देता है। इसलिए गधा देव-वाहनों में सबसे अधिक खतरनाक है। मुझे नहीं खानी गधे की दुंलत्ती।’
भगवान् विष्णु ने नारद की शंका को दूर करते हुए कहा- ’नारद मुनि, यह आपका भ्रम है। गधा खतरनाक जानवर बिल्कुल नहीं है। यह आपसे किसने कह दिया- गधा जब-तब हर किसी को बिना कारण दुलत्ती मारता रहता है? जिन लोगों ने आपसे गधे की शिकायत की, क्या उन लोगों ने आपसे बताया कि उन्होंने गधे के साथ क्या हरकत की थी? गधे को बोना फ़ाइड गधा और सीधा-सादा जानवर समझकर जब कोई गधे को बहुत परेशान करता है और पानी गधे के सिर से गुज़रने लगता है तब कहीं जाकर गधा दुलत्ती मारता है। गधा आपका अपना वाहन रहेगा तो वह आपको दुलत्ती क्यों मारेगा? और फिर आपको गधे से इतना भयभीत होने की कोई ज़रूरत नहीं है। आप हथियार की तरह भारी-भरकम वीणा हमेशा साथ रखते है। गधा ज़रा भी बदमाशी करे तो वीणा से गधे को जमकर पीट दीजिएगा। गधे का दिमाग़ ठिकाने आ जाएगा।’
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27-02-2015, 03:16 PM | #75 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
नारद ने मुँह बनाकर कहा- ’नहीं, भगवन्, नहीं चाहिए मुझे गधा। मेरा दिल गधे से नहीं भरता। मुझे गधे की लाइफ़स्टाइल बिल्कुल पसन्द नहीं है। जब देखो गधा धूल में लोटता रहता है!’
भगवान् विष्णु ने नारद को समझाते हुए कहा- ’नारद मुनि, मैं आपकी बात से सहमत हूँ- गधा जहाँ पाता है वहाँ धूल में लोटने लगता है। मगर आपको इससे क्या? जब गधा आपका अपना वाहन बन जाएगा तो आप गधे को रोज़ नहला-धुलाकर ऊपर से एक बोतल सेंट छिड़क दीजिएगा। गधा चारों ओर से महकने लगेगा। अच्छी खुशबू करने लगेगा।’
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27-02-2015, 03:17 PM | #76 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
नारद ने कुछ विचार करते हुए कहा- ’बात तो आपकी ठीक लगती है, भगवन्.. मगर देवर्षि होने के कारण मुझे गधे की सवारी करने में बड़ी शर्म महसूस होती है। प्रेस्टिज-प्राॅब्लम है। सुपिरिआॅरिटी काॅम्प्लेक्स है। और फिर इसमें आपकी कोई चाल तो नहीं?’
भगवान् विष्णु ने नारद को समझाते हुए कहा- ’इसमें कोई चाल नहीं, नारद मुनि। मैं तो आपके भले के लिए कह रहा हूँ। कुछ नहीं से गधा भला। सुपिरिआॅरिटी काॅम्प्लेक्स और प्रेस्टिज प्राॅब्लम की बात सोचेंगे तो कब तक पैदल चलेंगे? पैदल चल-चल कर थक जाएँगे आप। गधे से चलेंगे तो आपको बिल्कुल थकावट महसूस नहीं होगी। और फिर जैसे ही कोई अच्छा वाहन खाली हुआ, आपके नाम तुरन्त अलाॅट कर दिया जाएगा। आप बिल्कुल चिन्ता न करिए, नारद मुनि। मैं आपकी प्राॅब्लम समझ गया। वास्तव में गधा गधे की तरह दिखने के कारण ही आप उस पर चलने में अपना अपमान महसूस कर रहे हैं और शर्मा रहे हैं। मैं गधे को रंग-बिरंगे और चमकीले रंग से इस तरह रंग दूँगा कि गधा गधा नहीं, जि़राफ़ का छोटा भाई लगेगा। लोग आश्चर्य से देखेंगे कि नारद मुनि किसी अद्भुत वाहन पर चल रहे हैं। इससे आपकी इज्ज़त और बढ़ेगी। क्योंकि ऐसा विचित्र वाहन देवलोक में किसी देवी या देवता के पास नहीं होगा। समझदारी इसी में है, नारद- किसी से यह न बताया जाए- आप एक गधे की सवारी कर रहे हैं।’
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27-02-2015, 03:18 PM | #77 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
नारद ने विचार करते हुए कहा- ’बात तो आपकी ठीक लगती है, भगवन्। मगर इस नए रंग-बिरंगे और चमकीले वाहन का नाम क्या होगा?’
विष्णु ने मुस्कुराते हुए गधे को नया नाम देते हुए कहा- ’अब गधे का नया नाम गर्दभ होगा। कैसा लगा आपको गधे का नया माॅडर्न नाम?’ नारद ने दाँत निकालते हुए कहा- ’बड़ा सुन्दर नाम है, भगवन्!’ गधे ने नारद और विष्णु के वार्तालाप के बीच में कूदते हुए कहा- ’मैं किसी भी हालत में नारद का वाहन नहीं बनूँगा। नारद ने मेरा अपमान किया है। नारद को मुझसे माफ़ी माँगनी होगी। तब जाकर मैं नारद का वाहन बनूँगा।’
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27-02-2015, 03:19 PM | #78 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
भगवान् विष्णु ने गधे को बहुत समझाया किन्तु गधा अपनी जि़द पर अड़ा रहा। विष्णु ने नारद से कहा- ’चलिए, नारद जी.. आप ही गधे से माफ़ी माँग लीजिए। नहीं, वाहन हाथ से निकल जाएगा।’
नारद ने भड़ककर कहा- ’मैं एक गधे से कभी माफ़ी नहीं माँगूगा। यह मेरा अपमान है।’ भगवान विष्णु ने नारद को समझाते हुए कहा- ’नारद जी, मौके की नज़ाकत को समझिए। बड़ी मुश्किल से हाथ आया गधा अगर हाथ से निकल गया तो फिर पकड़ में नहीं आएगा। लोग मज़बूरी में गधे को भी बाप बनाते हैं। मैं आपसे गधे को बाप बनाने के लिए नहीं कह रहा हूँ, सिर्फ़ वाहन बनाने के लिए कह रहा हूँ। पकड़ लीजिए गधे का पैर।’ नारद अपनी जि़द पर अड़े रहे। गधा भी बिना माफ़ी माँगे नारद का वाहन बनने के लिए तैयार न हुआ।
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27-02-2015, 03:20 PM | #79 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
अन्त में भगवान विष्णु ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा- ’ठीक है, नारद। तुम कुछ महीनों तक गधे को अपने वाहन के रूप में स्वीकार करो। और गधे, तुम भी नारद के वाहन के रूप में नारद के साथ रहो। हो सकता है कि इन कुछ महीनों में तुम दोनों एक-दूसरे को इतना पसन्द करने लगो कि नारद को माफ़ी माँगने की ज़रूरत ही न पड़े। जब तक तुम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती न हो जाए, देव-वाहन के रिकार्ड में नारद मुनि के नाम के साथ उनके वाहन के रूप में गधा का नाम नहीं चढ़ाया जाएगा।’
भगवान् विष्णु की युक्ति नारद और गधा- दोनों को पसन्द आ गई। नारद ने पूछा- ’मेरे और गधे के बीच के इस नए वाहन एग्रीमेण्ट का नाम क्या होगा, भगवन्?’ विष्णु ने मुस्कुराते हुए कहा- ’इस नए वाहन एग्रीमेण्ट का नाम ’लिव-इन-गदहाशिप’ होगा!’
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27-02-2015, 03:21 PM | #80 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
देव-वाहन एग्रीमेण्ट का नया नाम सुनकर नारद प्रसन्न हो गए। भगवान विष्णु ने गधे को रंग-बिरंगे और चमकीले रंग से रंगकर एक अद्भुत वाहन बना दिया। नारद खुशी-खुशी गधे की सवारी करने लगे। भगवान विष्णु नारद के साथ शरारत न करें, ऐसा हो ही नहीं सकता। एक दिन नारद जब धरतीलोक पर गधे की सवारी कर रहे थे तो अचानक ज़ोर से पानी बरसने लगा। ज़ोरदार बारिश में गधे का रंग पानी में घुलकर बह गया और गधा गधा लगने लगा। नारद समझ गए कि भगवान विष्णु अपनी आदत से बाज नहीं आए और उन्होंने एक बार फिर उनके साथ शरारत करके भद्दा मज़ाक किया। इसीलिए गधे को पक्के रंग से न रंग कर वाटर कलर से रंग दिया। तब से आज तक नारद श्राप देने के लिए भगवान विष्णु को ढूँढ रहे हैं किन्तु विष्णु डरकर क्षीरसागर से बाहर ही नहीं निकलते। गधे से अच्छी दोस्ती हो जाने के कारण नारद आज भी गधे की ही सवारी कर रहे हैं, किन्तु देवलोक के रिकार्ड में पंजीकृत न होने के कारण आज तक किसी को यह नहीं पता कि नारद का वाहन गधा है! (समाप्त)
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