11-10-2013, 11:06 PM | #71 |
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Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
देख के तेरे रूप ने बैरन मेरे उल्टे पड़ गे पासे तेरे चक्कर मे पडके बदनाम कत्ती हाम होगे तन्ने दो कोडी के कर दिये मानस थे कत्ती खासे आन के दरदा आली दुकान तन्ने म्हारी खुला दी रोना लिख दिया किस्मत मंह कई साल बीत गे हांसे साफ बता दे बैरन जो भीतर ले के मंह लेरी सै नामदेव तेरे आगे साफ खड़या सै तू इब भी देरी झांसे |
11-10-2013, 11:07 PM | #72 |
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Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
जो आज मेरी हर बात तन्ने डी डी वन बरगी लागे सै !
कोए बात नही तू भी ते मन्ने उजड़े चमन बरगी लागे सै !! के हो गया जो आज हम पराये तेरी नजरान में होगे तू भी ते आज हमने एक बेवफा सनम बरगी लागे सै ! लाख करी कोशिश मिलन की मन्ने तेरे ते फेर भी तेरी मेरी कहानी फिर ते लिलो चमन बरगी लागे सै ! जाग चुक्या सुं मैं धोखे आली गहरी नींद ते आज तू आज भी भीतर में पाले हुए बहम बरगी लागे सै ! '''डाये आले '' के ठीक बखत पे अक्ल ला दी तन्ने जो तेरी बेवफाई भी आज खुदा के रहम बरगी लागे सै ! #सोमबीरनामदेव |
12-10-2013, 02:05 PM | #73 | ||
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Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
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दोनों ग़ज़लें लाजवाब है, सोमबीर जी. पहली ग़ज़ल में जहां आपने प्रिया के हाथों मिलने वाले धोखों व प्रेम की पीड़ा के दृश्य खींचे है वहीँ दूसरी ग़ज़ल में प्रिय से शिकायत होने के बावजूद इसे भी ऊपर वाले की अनुकम्पा मान कर स्वीकार करने की इच्छा प्रगट की गयी है, जो कवि हृदय की विशालता का परिचय देती है. |
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17-10-2013, 11:25 PM | #74 |
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Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
धन्यवाद रजनीश जी आभारी हु आपका जो आपने इस काबिल समझा
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04-01-2014, 11:29 PM | #75 |
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Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
बड़ी दूर किनारा सै तू कोए यार सहारा कर ले नै
नफरत म्ह के पड्या मन्नै जी ते प्यारा करले नै दुःख सुख का साथी भी कोए होना बहुत जरुरी सै भूल दुनिया दारी एक दूजे मैं खोना बहुत जरुरी सै आके यार कि बाहाँ मैं दुनिया तै दूर किनारा करले नै जो देखेगा राह तेरी तन्ने हमसफ़र तू कदे चाहवेगी उस मोड़ पे खड़ी हो भला फेर कुणसी और लखावेगी तू भी तै गैल मेरी आज बखत का इशारा समझले नै सीधा साधा यो ''नामदेव '' तेरा हरदम ख्याल करेगा नही आण दे गम नै पास तेरे ख़ुशीया तै झोली भरेगा ना कर इब वार घनी हाँ का छोटा सा हुंगारा भरले नै सोमबीर ''नामदेव '' 9321283377 — |
05-01-2014, 07:57 PM | #76 |
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Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
अद्भुत अदायगी । सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
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09-02-2014, 03:09 PM | #77 |
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Re: सोमबीर नामदेव की हरियाणवी रचनाएँ
एक हरियाणवी गीत
निकलते देख्या यार मनै आज तो चाँद चुबारे तै ! अपने होश गवा बैठ्या रै उसके एक इशारे तै ! पाछे नै ना वा मुड़ के देखे पायां नै भी वा संभल के टेके करडी करडी लखावे सै रे अपना नाम पुकारे तै ! शान शकल की वा सुथरी घनी सै हूर एक सुरग ते वा आन बसी सै जब वा चालै चाले करदे सड़क के दूर किनारे तै ! काला सूट जद गाड़ के चालै दिल बूढ़े का भी एक बै हालै बूढ़े मारे सीटी पे सीटी ये छोरे हाथ हिलारे सै ! डायेआला तेरे पै फ़िदा सै आशिक़ सै ना और खता सै दुनिया म्हारे पाछे सै और हम तनने मना रे सै सोमबीर ''नामदेव '' |
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