17-11-2010, 10:13 PM | #81 | |
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Re: दोस्तोँ की नजर
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17-11-2010, 10:19 PM | #82 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
गुल्लू जी, हरियाणा राज्य के शहर "रेवाड़ी" के रहने वाले हैं. मेरे पुराने मित्रों में से एक हैं. पहले मैं इन्हें "कार्टूनिस्ट गुल्लू जी" कहा करता था. लेकिन बाद में पता चला की ये तो बहुत से गुणों के स्वामी हैं इन्हें केवल एक विषय में बांधना उचित नहीं है. "गुल्लू जी" के बारे में एक प्रसिद्द कार्टूनिस्ट द्वारा लिखा गया एक मशहूर वाक्य बिलकुल सटीक बैठता है...... "इनका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है."
कई बार मैंने इनसे कंप्यूटर सम्बंधित जानकारियां भी ली है. कमजोर पक्ष... कुछ याद नहीं आ रहा.
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17-11-2010, 10:44 PM | #83 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
मैंने भाई गुल्लू के विषय में बहुत अधिक व्यक्तिगत रूप से तो नहीं जाना है किन्तु एक दृष्टि में ये मुझे आडम्बरहीन, कर्मठ, दक्ष, विवादों से दूर रहने वाले सत्यभाषी व्यक्तित्व के स्वामी प्रतीत हुए हैं / मैं इनकी हृदय से कद्र करता हूँ /
कई बार इनका बिना सूचित किये हुए फोरम से अवकाश पर जाना हमें बहुत बुरा लगता है / धन्यवाद /
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
17-11-2010, 10:49 PM | #84 | |
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Re: दोस्तोँ की नजर
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18-11-2010, 05:20 AM | #85 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
गुल्लू भाई के लिए चंद पंक्तिया :
(शब्दों पर कम और भाव पर ज्यादा ध्यान दें) करते हैं वही जो उनका उसूल है, युं ही समझ जाएंगे उन्हें हमारी भूल है, बहुत गहरा समन्दर है गुल्लू भाई के ज्ञान का, बिन जाने इसे नापने कि कोशिश फिजूल है/
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
18-11-2010, 07:43 AM | #86 | ||||||
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Re: दोस्तोँ की नजर
मैं फोरम के सभी दोस्तों को तहेदिल से धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने मेरे बारे में अपने विचार प्रकट किये .
मैं इस सूत्र के सूत्रधार को भी बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने ऐसे क्रियात्मक सूत्र का निर्माण किया है जिसमे जहाँ हम सभी सदस्यों को किसी व्यक्ति के बारे में अपनी आकलन क्षमता को जांचने का मौका मिलता है, साथ ही अपने बारे में बाकि सदस्य क्या विचार रखते हैं,ये जानने का भी मौका मिलता है .अपनी अच्छाईयों कि तारीफ भी सुनने को मिलती है और अपनी कमियां भी पता चलती हैं ,जिनको सुधार जा सकता है . केवल फोरम पर कही सुनी बातों के आधार पर वैसे तो किसी व्यक्ति के बारे में संपूर्ण अनुमान लगाना काफी मुश्किल है इसलिए मैं आगे आंकलित होने वाले अर्थात जिनके बारे में विचार प्रकट किया जाएँ,उन सभी सदस्यों से ये भी अनुरोध करता हूं कि वो सब सदस्यों को ये भी बताएं कि उनकी बनाई हुई राय या उस व्यक्ति के बारे में सोच ,ठीक भी है या नहीं .में भी विस्तार से ऐसा करना चाहूँगा , ताकि जो सदस्य मेरे बारे में पूरी तरह नहीं जान पायें है वो भी जान जाएँ . Quote:
Quote:
*में वास्तव में खाने पीने का बहुत शोकीन हूं ,हालांकि एक पंजाबी परिवार से होते हुए भी मैंने जिंदगी में कभी अंडे ,मांस मछली ,बीयर व्हिस्की ,पान बीडी सिगरेट आदि चीजों को हाथ नहीं लगाया है लेकिन फिर भी शाकाहारी भोजन में नए नए प्रयोग करना मुझको पसंद है .साथ ही उपरोक्त चीजों को मेरे सभी दोस्त इस्तेमाल करते हैं इसलिए में इनके खिलाफ भी नहीं हूं .जब मेरे दोस्त साथ बैठकर विस्की के जाम टकराते हैं तो में भी साथ देने के लिए पेप्सी का जाम टकरा लेता हूं. * ये बात भी ठीक है कि में यूनीक काम करने में विश्वास करता हूं .जो सूत्र या चित्र या सामग्री आसानी से हर जगह मिल जाये में उनको पेश करने में विश्वास नहीं करता .फ़िल्मी हीरो हिरोइन आदि के चित्र पेश करना में उचित नहीं समझता ,क्योंकि वो इतनी ज्यादा और इतनी आसानी से उपलब्ध है कि उन पर समय खर्च करना मुझको समय कि बर्बादी लगता है ,हालाँकि ऐसा करने वालों को में कभी हतोत्साहित भी नहीं करता लेकिन व्यक्तिगत रूप से में ऐसी सामग्री पेश करना चाहता हूं जो आसानी से ना मिले जिसको इकठ्ठा करने में भी मेरी मेहनत लगे .उदहारण के लिए एक सूत्र पिछले फोरम पर बनाया था 'दुर्लभ भारतीय चित्र' ,वो चित्र वास्तव में बहुत मुश्किल से अलग अलग स्थानों से एकत्रित किये गए थे, यहाँ पर मेरा अगला सूत्र वही होगा,ताकि सब सदस्यों उनका आनंद ले पायें . *पढ़ने के लिए में वाकई किसी भी हद तक जा सकता हूं, मेरे पास सभी तरह के साहित्य कि हजारों पुस्तकों का भण्डार है .और जासूसी उपन्यास का में हद से ज्यादा शोकीन हूं .जिस लेखक कि पुस्तक पसंद आ जाती है उसकी लिखी हुई सभी पुस्तकें में कितनी ही बार पढ़ सकता हूं . साथ ही पुस्तकें केवल खरीद कर पढ़ना पसंद करता हूं . * आपकी इस शिकायत से में ज्यादा सहमत नहीं हूं ,पहले तो में जिस सूत्र पर जाता था वहां अपना योगदान जरूर करता था, लेकिन यहाँ नियामक होने के नाते सभी प्रविष्टियों को देखने देखने में ही काफी समय लगता है कि कुछ गलत प्रविष्टि न हो जाये, साथ ही में फिल्म सम्बन्धी प्रविष्टियों में कम ही जाता हूं . बाकि विषयों पर सूत्र अभी कम ही बन रहे हैं . Quote:
*जैसे कि में आपको बता चूका हूं की में ५-६ साल तक कंप्यूटर हार्डवेयर का भी काम कर चूका हूं और कंप्यूटर सम्बंधित बहुत सी डिग्री और डिप्लोमा भी हासिल कर चूका हूं इसलिए सॉफ्टवेर और हार्डवेयर सम्बन्धी मेरी जानकारी काफी है . * यारों का यार वाली बात बिलकुल ठीक है क्योंकि में दोस्ती को सभी रिश्तों से ज्यादा अहमियत देता हूं और रुपये पैसे से ज्यादा में रिश्तों को मानता हूं . * परिवार को पूरा समय देता हूं और वो जरूरी भी है क्योंकि इन्टरनेट एक मनोरंजन का साधन है और अपने मनोरंजन के साधन और बाकि दुनियादारी के बीच में तालमेल बिठाना भी बहुत जरूरी है . आपकी शिकायेतें भी बहुत अहमियत रखती हैं ,सर्प्रथम तो में बता दू कि में गुस्सा बहुत ही कम करता हूं लेकिन व्यर्थ का विवाद करने वालों से और बदतमीज लोगों से बहुत झुन्ज्लाहट होती है . अगर कोई व्यक्ति पहली ही मुलाकात में आपसे तू तडाक से बात करें तो बहुत बुरा लगता है .लेकिन फिर भी में ऐसे सदस्यों से उलझने के बजाय उनकी शिकायत करना या चुप रहना ज्यादा बेहतर समझता हूं .अपना गुस्सा जल्दी से उन पर प्रकट नहीं करता . सूत्र ना बनाने वाली बात आपको क्या मुझको भी महसूस हो रही है इसलिए जल्दी ही कुछ अच्छे और नए सूत्र बनाने वाला हूं,बस भोतिक दुनिया में व्यस्तता ज्यादा हो गई है और उसको अनदेखा करना भी मुश्किल है . * आपसे आपकी उम्मीद से भी जल्दी मिलूँगा ,फिक्र न करें Quote:
Quote:
आपकी शिकायत से में आपसे भी ज्यादा सहमत हूं . असल में किसी भी साईट पर जाकर ,काम कि बातें देख कर या पढ़ कर उसको बंद कर देने कि इतनी सालों पुरानी आदत बन चुकी है कि में ये भूल जाता हूं कि ये फोरम बाकि साईट से अलग है और यहाँ हमारे दोस्त हमारे जवाब कि इन्तजार में रहते हैं और एकदम चले जाना उनको बुरा लगता है ,यहाँ से बिना बताये जाना ,वास्तविक दुनिया में दोस्तों कि महफ़िल से बिना बताये उठ जाने के बराबर है ,में ये बात अब समझ गया हूं इसलिए आगे से अपने आने जाने कि पूरी सूचना देता रहूँगा .याद दिलाने के लिए आपका धन्यवाद Quote:
धन्यवाद आपका . (में अनिल जी और सूत्रधार जी से निवेदन करूँगा कि फोरम में हमारे कुछ साथी ऐसे भी हैं जो बहुत विवादित रहें हैं ,उनके बारे में अगर सबकी राय जानी जायेगी तो शायद उनको पता चलेगा कि सब सदस्य उनके बारे में क्या सोचते हैं ,शायद इससे कुछ गलत फहमियां दूर हो सकें या उनको अपनी कुछ कमिओं को दूर करने में मदद मिलेगी )
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18-11-2010, 11:13 AM | #87 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
गुल्लू जी एक बहुत ही सुलझे हुए और दिलचस्प इन्सां है.
अपने क्षेत्र के हुनरमंद कम लेकिन सोलिड करने में विश्वास |
18-11-2010, 01:48 PM | #88 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
तारा बाबु ,हम आपकी इंसानों को परखने की क्षमता पर बधाई देते है .हम ऐसे ही हैं जैसे आपने जाना है .
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18-11-2010, 02:16 PM | #89 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
[QUOTE=aksh;15625][color="purple"][size="3"][b]
अनिल जी क्या यह सूत्र विशिष्ट जनोँ के लिए ही निर्मित है अथवा आम सदस्य भी इसमेँ प्रतिभाग कर सकते हैँ ? |
18-11-2010, 02:43 PM | #90 | |
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Re: दोस्तोँ की नजर
[QUOTE=Kumar Anil;15854]
Quote:
अनिल जी ये फोरम हर प्रकार से सामान्य ही है हम सब भी सामान्य सदस्य हैं सभी सदस्य फोरम के लिए महत्वपूर्ण हैं, आपकी राय से हमें वो ही आनन्द प्राप्त होगा जो शरीर के आत्मा द्वारा स्पर्श से मिलता है. आपका स्वागत है ..... और आपकी प्रविष्टियों का इंतजार भी ..... |
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