30-09-2013, 05:10 PM | #81 |
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Re: जानिए स्वस्तिक के बारे में.......................
ईसा पूर्व में स्वस्तिक आकृति के दायें और बायें पक्ष से आदमी लापरवाह थे। उस समय इस रहस्यमय आकृति की गंभीरता से लोग बेखबर थे। तब यह धार्मिक रूप से दो सिद्धान्तों के विकास और विनाश को दर्शाता था। स्वस्तिक का महत्त्व समाज और धर्म दोनों ही स्थानों में है। भारतवर्ष में एक विशाल जनसमूह स्वस्तिक निशान का उपयोग करता है................
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30-09-2013, 05:11 PM | #82 |
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Re: जानिए स्वस्तिक के बारे में.......................
कोई इसे सजाने के तौर पर तो कोई इसका उपयोग धर्म और आत्मा को जोड़कर करता है। दक्षिण भारत में जहां इसका उपयोग दीवारों और दरवाजों को सजाने में किया जाता है, वहीं पूर्वोत्तर राज्यों में इस आकृति को तंत्र-मंत्र से जोड़कर देखा जाता है। भारत के पूर्वी क्षेत्रों में इस आकृति को एक पवित्र धार्मिक चिह्न के रूप में माना जाता है................
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24-11-2013, 04:04 PM | #83 |
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Re: जानिए स्वस्तिक के बारे में.......................
स्वस्तिक का विश्वव्यापी प्रभाव......... हमारे मांगलिक प्रतीकों में स्वस्तिक एक ऐसा चिह्व है, जो अत्यन्त प्राचीन काल से लगभग सभी धर्मों और सम्प्रदायों में प्रचलित रहा है। भारत में तो इसकी जडें गहरायी से पैठी हुई हैं ही, विदेशों में भी इसका काफ़ी अधिक प्रचार प्रसार हुआ है। अनुमान है कि व्यापारी और पर्यटकों के माध्यम से ही हमारा यह मांगलिक प्रतीक विदेशों में पहुँचा। भारत के समान विदेशों में भी स्वस्तिक को शुभ और विजय का प्रतीक चिह्व माना गया। इसके नाम अवश्य ही अलग-अलग स्थानों में, समय-समय पर अलग-अलग रहे.........
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24-11-2013, 04:05 PM | #84 |
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Re: जानिए स्वस्तिक के बारे में.......................
स्वस्तिक का विश्वव्यापी प्रभाव......... स्वस्तिक संस्कृत का शब्द है। स्वस्तिक शब्द स्वस्ति से बना है। यह हम सभी जानते हैं कि भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है। संभवत:यहीं से विश्व के अनेक देशों में स्वस्तिक का विस्तार हुआ होगा। स्वस्तिक शब्द का प्रयोग पश्चिमी देशों में भी होता है। विभिन्न देशों में इसका अर्थ भिन्न-भिन्न है। स्वस्तिक चिह्न का डिजाइन इजिप्सन क्रास, चाइनीज ताउ, रोसीक्रूसियंस और क्रिश्चियन क्रास से मिलता जुलता है। विभिन्न आकृतिओं से मिलने वाला यह चिह्न हर युग में अपना अलग-अलग महत्त्व भी रखता है। सनातन धर्म और जैन धर्म हो या बौद्ध धर्म, हर धर्म और युग में अपनी महत्ता के साथ स्वस्तिक उपस्थित है.........
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24-11-2013, 04:06 PM | #85 |
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Re: जानिए स्वस्तिक के बारे में.......................
स्वस्तिक का विश्वव्यापी प्रभाव......... स्वस्तिक को भारत में ही नहीं, अपितु विश्व के अन्य कई देशों में विभिन्न स्वरूपों में मान्यता प्राप्त है। जर्मनी, यूनान, फ्रांस, रोम, मिस्त्र, ब्रिटेन, अमरीका, स्कैण्डिनेविया, सिसली, स्पेन, सीरिया, तिब्बत, चीन, साइप्रस और जापान आदि देशों में भी स्वस्तिक का प्रचलन है। स्वस्तिक की रेखाओं को कुछ विद्वान अग्नि उत्पन्न करने वाली अश्वत्थ तथा पीपल की दो लकड़ियाँ मानते हैं। प्राचीन मिस्त्र के लोग स्वस्तिक को निर्विवाद, रूप से काष्ठ दण्डों का प्रतीक मानते हैं। यज्ञ में अग्नि मंथन के कारण इसे प्रकाश का भी प्रतीक माना जाता है.........
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24-11-2013, 04:09 PM | #86 |
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Re: जानिए स्वस्तिक के बारे में.......................
स्वस्तिक का विश्वव्यापी प्रभाव......... अधिकांश लोगों की मान्यता है कि स्वस्तिक सूर्य का प्रतीक है। जैन धर्मावलम्बी अक्षत पूजा के समय स्वस्तिक चिह्न बनाकर तीन बिन्दु बनाते हैं। पारसी उसे चतुर्दिक दिशाओं एवं चारों समय की प्रार्थना का प्रतीक मानते हैं। व्यापारी वर्ग इसे शुभ-लाभ का प्रतीक मानते हैं। बहीखातों में ऊपर की ओर 'श्री' लिखा जाता है। इसके नीचे स्वस्तिक बनाया जाता है। इसमें न और स अक्षर अंकित किया जाता है जो कि नौ निधियों तथा आठों सिद्धियों का प्रतीक माना जाता है.........
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24-11-2013, 04:10 PM | #87 |
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Re: जानिए स्वस्तिक के बारे में.......................
स्वस्तिक का विश्वव्यापी प्रभाव......... स्वास्तिक का प्रयोग अनेक धर्म में किया जाता है। आर्य धर्म और उसकी शाखा-प्रशाखाओं में स्वस्तिक का समान रूप से सम्मान है। बौद्ध, जैन, सिख धर्मो में उसकी समान मान्यता है। बौद्ध और जैन लेखों से सम्बन्धित प्राचीन गुफाओं में भी यह प्रतीक मिलता है। जैन व बौद्ध सम्प्रदाय व अन्य धर्मों में प्रायः लाल, पीले एवं श्वेत रंग से अंकित स्वास्तिक का प्रयोग होता रहा है। महात्मा बुद्ध की मूर्तियों पर और उनके चित्रों पर भी प्रायः स्वस्तिक चिह्व मिलते हैं। बौद्ध धर्म में स्वस्तिक का आकार गौतम बुद्ध के हृदय स्थल पर दिखाया गया है। अमरावती के स्तूप पर स्वस्तिक चिह्व हैं। विदेशों में इस मंगल-प्रतीक के प्रचार-प्रसार में बौद्ध धर्म के प्रचारकों का भी काफ़ी योगदान रहा है.........
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24-11-2013, 04:11 PM | #88 |
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Re: जानिए स्वस्तिक के बारे में.......................
स्वस्तिक का विश्वव्यापी प्रभाव......... दूसरे देशों में स्वस्तिक का प्रचार महात्मा बुद्ध की चरण पूजा से बढ़ा है। बौद्ध धर्म के प्रभाव के कारण ही जापान में प्राप्त महात्मा बुद्ध की प्राचीन मूर्तियों पर स्वस्तिक चिह्व अंकित हुए मिले हैं। जापानी लोग स्वस्तिक को मन जी कहते हैं और धर्म-प्रतीकों में उसका समावेश करते हैं। मध्य एशिया के देशों में स्वस्तिक चिह्न मांगलिक एवं सौभाग्य सूचक माना जाता रहा है। नेपाल में हेरंब तथा बर्मा में महा पियेन्ने के नाम से पूजित हैं। मिस्र में सभी देवताओं के पहले कुमकुम से क्रॉस की आकृति बनाई जाती है। वह एक्टोन के नाम से पूजित है। यूरोप और अमेरिका की प्राचीन सभ्यता में स्वस्तिक का प्रयोग होते रहने के प्रमाण मिलते हैं। ईरान, यूनान, मिश्र, मैक्सिको और साइप्रस में की गई खुदाइयों में जो मिट्टी के प्राचीन बर्तन मिले हैं, उनमें से अनेक पर स्वस्तिक चिह्व हैं.........
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24-11-2013, 04:12 PM | #89 |
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Re: जानिए स्वस्तिक के बारे में.......................
स्वस्तिक का विश्वव्यापी प्रभाव......... आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड के मावरी आदिवासियों द्वारा आदिकाल से स्वस्तिक को मंगल प्रतीक के रूप में प्रयुक्त किया जाता रहा हैं। ऑस्ट्रिया के राष्ट्रीय संग्रहालय में अपोलो देवता की एक प्रतिमा है, जिस पर स्वस्तिक चिह्व बना हुआ है। टर्की में ईसा से 2200 वर्ष पूर्व के ध्वज-दण्डों में अंकित स्वस्तिक चिह्व मिले हैं। एथेन्स में शत्रागार के सामने यह चिह्व बना हुआ है। स्कॉटलैण्ड और आयरलैण्ड में अनेक ऐसे प्राचीन पत्थर मिले हैं, जिन पर स्वस्तिक चिह्व अंकित हैं.........
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Re: जानिए स्वस्तिक के बारे में.......................
स्वस्तिक का विश्वव्यापी प्रभाव......... प्रारम्भिक ईसाई स्मारकों पर भी स्वस्तिक चिह्व देखे गये हैं। कुछ ईसाई पुरातत्त्ववेत्ताओं का विचार है कि ईसाई धर्म के प्रतीक क्रॉस का भी प्राचीनतम रूप स्वस्तिक ही है। छठी शताब्दी में चीनी राजा वू ने स्वस्तिक को सूर्य के प्रतीक के रूप में मानने की घोषणा की थी। तिब्बती स्वस्तिक को अपने शरीर पर गुदवाते हैं तथा चीन में इसे दीर्घायु एवं कल्याण का प्रतीक माना जाता है। विभिन्न देशों की रीति-रिवाज के अनुसार पूजा पद्धति में परिवर्तन होता रहता है। सुख समृद्धि एवं रक्षित जीवन के लिए ही स्वस्तिक पूजा का विधान है.........
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