05-04-2011, 03:48 PM | #81 |
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Re: " कबीर के दोहे "
भुल गया तो गांडगुडघा फेर जनम जुती है ॥
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05-04-2011, 03:50 PM | #82 |
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Re: " कबीर के दोहे "
ऐसी चकमक होती यारो गरीबके बुरे हालजी ॥
माया डाखीन बडी खडी लढती है निर्वानजी ॥ आशा उठी मनशा उठी लेवे नाक कानजी ॥
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05-04-2011, 03:51 PM | #83 |
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Re: " कबीर के दोहे "
काम क्रोधके घोडे छुटे कीया दानादानजी ॥
अहंकारकी गाडी भरी ले जावे निधानजी ॥
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05-04-2011, 03:52 PM | #84 |
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Re: " कबीर के दोहे "
सींध कुमर दिया ऐसा बेगुमानजी ॥
रामनामका प्रताप ऐसा पूरन होय कामजी ॥ कहत कबीरा सुन भाई साधु जपो रामनामजी ॥
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05-04-2011, 03:54 PM | #85 |
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Re: " कबीर के दोहे "
ये दुनिया बुरी है आपआपसे भुली है ॥
सच्चा छांड झूटा करे । महेल खजाना मेरा है । भुलगया माया बजार । फेर चौर्*यांशी आया है ॥
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05-04-2011, 04:00 PM | #86 |
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Re: " कबीर के दोहे "
काका मरे मामु मरे । उनोसे देखकर रोता है ।
आप मरे जद रोवे कोय । देखो बुरी बाता है ॥
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05-04-2011, 04:02 PM | #87 |
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Re: " कबीर के दोहे "
कहत कबीरा सुनो भाई साधु । दुनया भयो उलटी ।
रामनामकी सुद ना रखे । डारे गांड लंगोटी ॥
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05-04-2011, 04:07 PM | #89 |
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Re: " कबीर के दोहे "
देनेवाला ओ है न्यारा सब देव उनकू भेटे ।
कहत कबीरा मुरशद मौला रामरंग है लुटे ॥
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05-04-2011, 04:08 PM | #90 |
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Re: " कबीर के दोहे "
कलजुगवा मैं भज नहीं ॥मेवा मिटाई लडु पेढे जोरूकू खिलावे ।
बासी सलज सूका टुकडा मातापिता नहीं पावे ॥
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