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Old 04-06-2012, 09:24 AM   #9671
Dark Saint Alaick
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जेएनयू में 2013 से मास मीडिया पर शोध पाठ्यक्रम

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अगले साल से मास मीडिया पर शोध पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है । इस उद्देश्य के लिए कुछ समय पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने जेएनयू में सेंटर फार मीडिया स्टडीज (सीएमएस) गठित किये जाने को मंजूरी प्रदान कर दी। जेएनयू के कुलपति सुधीर कुमार सोपोरी ने बताया ‘‘मास मीडिया में एम.फिल और पीएचडी पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए अकादमिक परिषद की मंजूरी मिल गयी है। हमें उम्मीद है कि अगले साल से इस पाठ्यक्रम को शुरू कर देंगे।’’ सेंटर पर मीडिया स्टडीज मीडिया के क्षेत्र में शोध एवं विश्लेषण कार्य को आगे बढाने के लिए राष्ट्रीय स्तर के शोध केंद्र के रूप में काम करेगी । इसका पाठ्यक्रम इस प्रकार से तैयार किया जा रहा है जो मीडिया के क्षेत्र में बढती विविध जरूरतों को ध्यान में रखेगा। सोपोरी ने बताया, ‘‘हमारा प्रयास होगा कि हम इस पाठ्यक्रम से बेहतरीन शिक्षक को जोड़े जो चार साल तक चलने वाले शोध कार्य में छात्रों की भरपूर मदद करें । इसके लिए हम स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति करना चाहते हैं।’’ सीएमएस में इतिहासकारों, अर्थशास्त्रियों, समाजशास्त्री, राजनीति शस्त्री एवं वरिष्ठ पत्रकारों को शिक्षक के रूप में शमिल किये जाने की योजना है। मास मीडिया पर प्रस्तावित शोध पाठ्यक्रम में मीडिया और समाज, मीडिया..संगठन एवं सरकारी नीति, मीडिया वाणिज्य एवं उद्योग, मीडिया कानून जैसे विषयों को शामिल किया जा रहा है। केंद्र से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि यह मीडिया के अन्य संस्थानों से कई मायने में काफी अलग होगा और इसका जोर पत्रकार की बजाए विश्लेषक तैयार करने पर होगा। साल 2012-13 से ही जेएनयू में मास मीडिया पर शोध पाठ्यक्रम शुरू किए जाने पर विचार किया जा रहा था लेकिन इस संबंध में जरूरी मंजूरी नहीं मिल पाने और कुछ अन्य बाध्यताओं के कारण इसमें देरी आई। यह पूछे जाने पर कि मास मीडिया में अन्य पाठ्यक्रम भी शुरू करने की योजना है, कुलपति ने कहा ‘‘अभी विश्वविद्यालय में एम.फिल और पीएचडी का पाठ्यक्रम शुरू करेंगे । इसके अलावा कोई अन्य पाठ्यक्रम अभी शुरू नहीं होगा। हम अभी शोध कार्य पर अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे और इसे बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि हमारे देश में मीडिया की अहमियत बढ गयी है। ऐसे में संभव है आगामी दिनों में हम मीडिया से संबंधित दूसरे पाठ्यक्रम भी अपने यहां शुरू करें। लेकिन इस पर अभी विचार नहीं किया जा रहा है। यह पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के ‘स्कूल आफ सोशल साइंसेज’ की ओर से संचालित किया जाएगा।
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Old 04-06-2012, 09:25 AM   #9672
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पाकिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमलों में मारे गए दस आतंकी

इस्लामाबाद। पाकिस्तानी सरकार के विरोध के बावजूद अमेरिकी खुफिया एजेंसी (सीआईए) के एक अभियान के तहत ड्रोन हमलों में दस आतंकियों को मार गिराया गया। ये हमले दक्षिणी वजीरिस्तान के कबीलाई इलाके में एक मकान को निशाना बनाकर किए गए। इस मकान में मौजूद तालीबानी आतंकवादी शनिवार को हुए ड्रोन हमले में अपने एक कमांडर की मौत पर शोक व्यक्त करने के लिए इकट्ठे हुए थे। खुफिया विमानों ने इस मकान पर चार मिसाइलें दागीं। इससे मकान में आग लग गई थी। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि मकान में मौजूद कम से कम दस लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए । कुछ टीवी चैनलों ने अधिकारियों के हवाले से यह भी बताया कि मारे गए आतंकियों में कुछ विदेशी भी थे। रिपोर्टों के मुताबिक मरने वाले आतंकी मुल्ला नजीर के नेतृत्व वाले तालिबान गुट से जुड़े थे। इस संगठन के दो कमांडर कल के ड्रोन हमलों में मारे गए थे। 23 मई के बाद से अब तक सात ड्रोन हमले किए जा चुके हैं। अमेरिकी और अफगान अधिकारियों के मुताबिक, उत्तरी वजीरिस्तान तालिबान और अल कायदा के लिए एक सुरक्षित जगह माना जाता है। ज्यादातर ड्रोन हमले उत्तरी वजीरिस्तान इलाके में ही हुए हैं। कल से इन ड्रोन हमलों का निशाना दक्षिणी वजीरिस्तान को बनाया गया है। यह वही इलाका है जहां तीन साल पहले तालिबान के खात्मे के लिए पाकिस्तानी सेना ने एक अभियान चलाया था। शिकागो में हुए नाटो सम्मेलन में पाकिस्तान की ओर से छह माह से बंद आपूर्ति मार्ग को खोले जाने के सम्बंध में कोई घोषणा नहीं करने के चलते सम्मेलन के समापन के बाद अमेरिका ने उसके खिलाफ ड्रोन हमले बढ़ा दिए थे। पिछले साल नवंबर में नाटो के हवाई हमलों में पाकिस्तान के 24 सैनिकों के मारे जाने के बाद से पाकिस्तान ने आपूर्ति मार्ग बंद कर दिए थे। ड्रोन हमलों ने अमेरिका और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा दिया है। पाकिस्तान ने इन हमलों को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन माना और इन्हें रोकने की मांग की। इस साल 130 से भी ज्यादा लोग इन ड्रोन हमलों में मारे जा चुके हैं। इनमें से अधिकतर आतंकवादी थे। पिछले साल लाहौर में दो पाक नागरिकों पर गोली चलाकर उन्हें मारने वाले सीआईए ठेकेदार के गिरफ्तार होने के बाद और अबोटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मारने की अमेरिका की एकपक्षीय कार्रवाई के बाद अमेरिका ने पाकिस्तानी कबीलाई इलाकों में ड्रोन हमलों को कम कर दिया था।
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Old 04-06-2012, 09:27 AM   #9673
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शाही हीरक जयंती समारोह का विरोध

लंदन। महारानी ऐलिजाबेथ के शासन के 60 साल पूरे होने पर शाही जश्न और समारोह मनाए जाने के बीच एक प्रमुख रिपब्लिकन समूह का मानना है कि हीरक जयंती सप्ताहांत के समय छुट्टियां और पार्टी करना तो ठीक है पर इसके पीछे का विचार ठीक नहीं है। राजतंत्र का विरोध करने वाला यह समूह ब्रिटेन के लिए एक ऐसा राष्ट्रप्रमुख चाहता है जो लोगों द्वारा चुना जाए। समूह का कहना है कि राजतंत्र की व्यवस्था महंगी है और जवाबदेह नहीं है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए उचित नहीं है। राजशाही एक ऐसा संस्थान है जो चरमरा चुका है। रिपब्लिकन समूह के विचारों को राजतंत्र का विरोध करने वाले समर्थन दे रहे हैं। इसमें प्रसिद्ध स्तंभकार पॉली टोइनबी भी शामिल हैं। उन्होंने ‘गार्जियन’ में लिखा है कि हम किस बात का जश्न मना रहे हैं। राष्ट्र पर एक परिवार की पकड़ का, राष्ट्रीयता के छलावे का या एक शाही धोखे का।
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Old 04-06-2012, 09:27 AM   #9674
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ब्रिटेन के वित्त मंत्री की तनख्वाह काटने का प्रस्ताव

लंदन। अगर कोई वित्त मंत्री सरकार का बजट संतुलित करने में विफल रहता है तो क्या उसकी तनख्वाह काटकर उसे दंड दिया जाना चाहिए। ब्रिटेन के एक दिग्गज विश्लेषण संगठन ने एक ‘डेट ब्रेक’ का सुझाव दिया है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बजट संतुलित करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को दीर्घकाल में देश के हित में काम करने के लिए ईमानदारी से काम करने को बाध्य किया जाए। ब्रिटेन के इंस्टीट्यूट आफ इकोनामिक अफेयर्स (आईईए) ने एक रपट में सुझाव दिया है कि चांसलर जार्ज ओसबॉर्न अगर बजट संतुलित करने में विफल रहते हैं तो उनकी तनख्वाह 20 प्रतिशत काट ली जाए। स्विट्जरलैंड और जर्मनी में इस तरह के प्रावधानों को देखें तो पता चलता है कि सरकारी खर्च सीमित करने में ‘डेट ब्रेक’ काफी प्रभावी साबित हुआ है, जबकि ब्रिटेन में सरकारी नियमों में सरकार को फिजूलखर्ची से नहीं रोका गया जिससे यहां की सरकार पर कर्ज का भारी बोझ है।
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Old 04-06-2012, 09:28 AM   #9675
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कुरान की मदद से परिवार नियोजन को बढ़ावा

नई दिल्ली। अक्सर परिवार नियोजन को इस्लाम एवं कुरान विरोधी माना जाना है, लेकिन असम के एक मुस्लिम चिकित्सक ने मुसलमानों को परिवार नियोजन के लिए राजी कराने की मुहिम चला रखी है। असम के गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज के शल्य चिकित्सक डा. इलियास अली अपनी इस मुहिम के लिए कुरान की आयतों की मदद लेते हैं और उन्होंने अपनी कोशिश के जरिए अनेक मुस्लिम धर्मिक नेताओं को भी जोड़ लिया है। डा. अली ने जनवरी 2009 में इस अभियान की शुरूआत की थी और इस छोटे से अंतराल में उन्होंने बड़ी कामयाबी पाई है। जनवरी 2009 से दिसंबर 2011 के बीच उनकी टीम ने करीब 33 हजार लोगों को परिवार नियोजन के लिए तैयार किया जिनमें 43 फीसदी लोग मुस्लिम थे। असम सरकार ने इस अभियान की सफलता को देखते हुए उन्हें राज्य में परिवार कल्याण कार्यक्रम का नोडल पदाधिकारी और मुख्य प्रशिक्षक नियुक्त किया है। डा. अली का कहना है कि देश में परिवार नियोजन का राष्टñीय औसत 5-5 है जबकि असम ने 15-19 का लक्ष्य हासिल कर लिया है। डा. अली कहते हैं कि इस अभियान का शुरूआत में काफी विरोध हुआ लेकिन अब कई मौलाना भी इस अभियान में शमिल हो गए हैं। अब इस अभियान के कारण मुस्लिम आबादी के बीच काफी पुरूष कंडोम का इस्तेमाल करने लगे हैं और औरतें गर्भनिरोधक गोलियों और कॉपर टी जैसे गर्भनिरोधक उपायों का प्रयोग करने लगी हैं। डा. अली का कहना है कि मुस्लिम समुदाय में परिवार नियोजन को लेकर कोई साफ दृष्टिकोण नहीं है, इसलिए कई धार्मिक नेता अब भी इसके खिलाफ हैं। वह कुरान की एक आयत का हवाला देते हुए कहते हैं कि अगर कोई मां अपने एक बच्चे को दूध पिलाते हुए दूसरे बच्चे को जन्म देती है, तो वह पवित्र कुरान के लिहाज से, दोनों बच्चों को मौत के मुंह में धकेल रही है। इस आयत के जरिए डा. अली ने लोगों को समझाया कि दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम ढाई साल का अंतर होना ही चाहिए। वह इस बात पर जोर देते हैं कि इस्लाम धर्म अकेला ऐसा मजहब है, जहां मोहम्मद साहब के समय से ही परिवार नियोजन चला आ रहा है। नॉन स्कैलपेल वैसेक्टमी (एनएसवी) के विशेषज्ञ डा. अली इस तकनीक के बारे में कहते हैं कि इस विधि में न चीरे और न ही टांके लगाने की जरूरत होती है। वह कहते हैं कि ऐसी प्रक्रिया कुरान में भी प्रतिबंधित नहीं है, लिहाजा उन्होंने मुस्लिम बस्तियों में जाकर इसका प्रचार करना शुरू किया। इस मकसद से उन्होंने पूरे असम का दौरा किया। इसके लिए उन्होंने कहीं पैदल यात्राएं की तो कहीं नाव से, कहीं बैलगाड़ी से और कहीं मोटरसाइकिल से। उन्होंने बताया कि कट्टरपंथी देश माने जाने वाले ईरान में भी नसबंदी काफी लोकप्रिय है जहां वर्ष 1993 से वर्ष 2004 के बीच करीब तीन लाख 75 हजार लोगों ने नसबंदी कराई।
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Old 04-06-2012, 09:29 AM   #9676
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विलुप्तप्राय बोलियों के संरक्षण के लिए बोलचाल की भाषा में शिक्षा

नई दिल्ली। देश में विलुप्तप्राय बोलियों को संरक्षण प्रदान करने की कवायद के तहत सरकार ने स्कूली शिक्षा एवं पाठ्यक्रम को उस क्षेत्र की बोलचाल की भाषा में आगे बढ़ाने की योजना बनाई है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि छह जून को केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में इस विषय पर चर्चा की जाएगी और राज्यों के शिक्षा मंत्रियों समेत शिक्षा के विभिन्न पक्षों के साथ इसकी रूपरेखा तैयार की जा सकती है। केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान के निदेशक राजेश सचदेवा के अनुसार, 11वीं योजना में विलुप्तप्राय भाषा एवं बोलियों के संरक्षण, सुरक्षा और विकास के उद्देश्य से ‘भारतीय भाषा विकास योजना’ तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में प्रत्येक समुदाय की भाषा में शिक्षा प्रदान की जाए और शैक्षणिक पाठ्य सामग्रियों में सभी को समान अवसर प्रदान किए जाएं ताकि बोलचाल की भाषा को मजबूत बनाकर सम्पूर्ण भाषाई धरोहर को संरक्षण प्रदान किया जा सके। सचदेवा ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं हैं लेकिन हमारा दायित्व उन भाषाओं और बोलियों को भी संरक्षण तथा बढ़ावा देना है जो 8वीं अनुसूची में नहीं हैं। यूनेस्को के दस्तावेज के अनुसार भारत में 100 गैर अनुसूचित बोलियों एवं भाषाओं में से 75 खतरे की श्रेणी में हैं। मणिपुर, नगालैण्ड एवं पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों समेत विभिन्न प्रदेशों से ऐसी मांग उठती रही हैं कि ऐसी बोलियां जो 1000 या 500 लोगों द्वारा उपयोग में लाई जाती हों, उनके संरक्षण के लिए भी योजना बनाई जानी चाहिए। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के परामर्श समिति की कुछ दिनों पहले हुई बैठक में विलुप्तप्राय भाषा एवं बोलियों पर चर्चा हुई। बैठक के दौरान मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि इनके संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए बजटीय आवंटन पर्याप्त नहीं है जिसे बढ़ाया जाएगा। सरकार ने राज्यों से स्कूली पाठ्यक्रम को सरल एवं बच्चों की बोलचाल की भाषा में बनाने का सुझाव दिया है। छह से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून के तहत मंत्रालय ने राज्यों के शिक्षा सचिवों, नवोदय विद्यालय समिति के आयुक्तों, केंद्रीय विद्यालयों एवं सीबीएसई के अध्यक्ष आदि को इस सम्बंध में परामर्श भेजा है। सरकार का मानना है कि घर की बोलचाल की भाषा और पाठ्यपुस्तकों की भाषा में अंतर के कारण बच्चों के सीखने की रूचि प्रभावित होती है। इसलिए आरटीई कानून के प्रावधानों के तहत जितना व्यवहारिक हो, घर की बोलचाल की भाषा में पढ़ाई कराई जाए। राज्यों समेत शिक्षा से जुड़े विभिन्न पक्षों से स्कूलों में आरटीई को व्यवहार्य एवं कारगर बनाने के लिए पाठ्यक्रम को एनसीईआरटी की राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 के सुझावों के अनुरूप बनाने का सुझाव दिया गया है। अधिकारी ने कहा कि स्कूलों में बच्चों की उम्र के अनुरूप पाठ्यक्रम नहीं होने के कारण उन पर पढ़ाई का बोझ काफी बढ़ जाता है । इसके मद्देनजर छात्रों के लिए पहली कक्षा से आगे पाठ्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए। सरकार का मानना है कि इन कार्यों से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई को रूचिकर बनाने के साथ भाषाओं और बोलियों को संरक्षण प्रदान करने में भी मदद मिलेगी।
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जलवायु परिवर्तन से तटीय इलाकों पर संकट के बादल

नई दिल्ली। मुंबई और केरल के इलाकों में अप्रवाहित पानी पर जलवायु परिवर्तन से होने वाले समुद्रजल के स्तर में इजाफा होने के कारण संकट के बादल मंडरा रहे हैं। एक सरकारी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि गंगा, कृष्णा, गोदावरी, कावेरी, महानदी के डेल्टा ऐसे इलाके हैं जिन पर खतरा मंडरा रहा है। संयुक्त राष्ट्र को सौंपी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 1990 से 2100 के बीच समुद्रजल का स्तर 3.5 इंचों से 34.6 इंचों तक चला जाएगा जिससे तटीय इलाकों में खारे जल और नम इलाकों पर खतरा होगा। इससे तटीय समुदायों को भारी नुकसान पहुंच सकता है। इसमें गुजरात के खम्बट और कच्छ के अलावा मुंबई और कोंकण शामिल हैं। इस रिपोर्ट को विभिन्न दलों ने तैयार किया है जिनमें 120 संस्थानों के कुल 220 वैज्ञानिक भी मौजूद थे। रिपोर्ट के अनुसार इन आर्थिक और सांस्कृतिक इलाकों में खतरे से राज्यों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। इन विशेषज्ञों ने 2004 में सुनामी से प्रभावित नागापट्टिनम, कोच्चि और पारादीप का दौरा किया जिससे समुद्र के जलस्तर में इजाफे का विस्तृत अध्यन किया जा सके। डिजिटल तकनीक और सॉफ्टवेयर के प्रयोग से पाया गया है कि नागापट्टिनम में सैलाब का खतरा मंडरा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोच्चि में बहुत अधिक इलाके में अप्रवाहित जल है। वहां भी सैलाब का खतरा मंडरा सकता है। पारादीप में भी यदि एक मीटर तक सागर का जलस्तर बढ़ता है तो 478 किलोमीटर का इलाका सैलाब की चपेट में आ जाएगा। इस जानकारी से आने वाले समय में बंदरगाह निर्माण और बुनियादी सुविधाओं के लिए योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।
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कांग्रेस कार्यसमिति का विभिन्न मुद्दों पर मंथन आज
विपक्ष के तेवरों से निपटने की होगी रणनीति तैयार


नई दिल्ली। देश की मौजूदा राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति पर विचार करने के लिए सोमवार को यहां हो रही कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में जनाक्रोश को शांत करने और विपक्ष के कड़े तेवरों से निपटने की रणनीति तैयार किए जाने की उम्मीद है। लंबे अर्से के बाद हो रही विस्तारित कार्यसमिति की इस बैठक में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा किए जाने और गुजरात तथा हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति पर भी विचार किया जाएगा। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब केन्द्र की कांग्रेस नीति संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लग रहे है और आम आदमी महंगाई से त्रस्त है। हाल ही में पेट्रोल के दामों में भारी वृद्धि से लोगों की परेशानियां और बढ़ गई है। उम्मीद की जा रही है कि इसके मद्देनजर कार्यसमिति सरकार को कुछ दिशानिर्देश देगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई पार्टी की इस सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई की बैठक में उसके मूल सदस्यों के अलावा स्थाई आमंत्रित सदस्य, विशेष आमंत्रित सदस्य, पार्टी के मुख्यमंत्री था विधायक दलों के अध्यक्ष तथा प्रदेश अध्यक्ष भी भाग लेंगे। आसमान छूती महंगाई पर लगाम नहीं लग पाने के कारण पार्टी के प्रति जनाक्रोश है। हाल में पेट्रोल की कीमत में की गई भारी वृद्धि के कारण पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार की चौतरफा आलोचना हो रही है। विपक्ष ही नहीं सरकार में शामिल कुछ घटक दल भी इस कदम के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं। इन सभी मुद्दों पर बैठक में निश्चय ही गंभीर चर्चा होगी। पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही सरकार पर टीम अन्ना ने भ्रष्टाचार के नए आरोप लगाकर माहौल गरमा दिया है। उसने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा उनके 14 मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और उनकी जांच करने की मांग की है। ईमानदार छवि वाले डॉ. सिंह पर पहली बार भ्रष्टाचार के सीधे आरोप लगे हैं यद्यपि वह इन्हें पूरी तरह निराधार बता चुके हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा गोवा में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा जबकि उत्तराखंड में वह जैसे तैसे सरकार बनाने में कामयाब हुई। कांग्रेस अध्यक्ष ने इन चुनाव परिणामों की समीक्षा के लिए एंटनी समिति बनाई थी जिसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। चुनाव परिणामों के बाद से ही इन राज्यों में पार्टी संगठन में फेरबदल की चर्चा जोरों पर है। मुम्बई महानगर निगम तथा दिल्ली के तीनों नगर निगमों के चुनाव में कांग्रेस को इस बार भी हार का सामना करना पड़ा। पिछले माह हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में महापौर और उपमहापौर के चुनाव में पार्टी तीसरे स्थान पर रही। वर्ष के अंत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह उसके लिए चिंता का विषय है। अगले माह होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। ऐसे में पार्टी नेता इस मुद्दे पर भी चर्चा कर सकते है। पिछले कुछ माह से पार्टी संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर और सरकार में भी फेरबदल होने की चर्चा है। अब ऐसी अटकलें है कि कार्यसमिति की बैठक के बाद यह फेरबदल हो जाएगा।
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शिक्षकों का डाटा बैंक तैयार करने की योजना
शैक्षणिककमियों को दूर किया जा सकेगा


नई दिल्ली। सरकार ने देश में शिक्षकों की भारी कमी को दूर करने के लिए विभिन्न भाषाओं में दक्ष शिक्षकों का एक डाटा बैंक तैयार करने की योजना बनाई है, साथ ही कॉलेज स्तर पर फैकल्टी रिचार्ज प्रोग्राम योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पांच जून को राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक और छह जून को केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में शिक्षकों की गंभीर कमी और इससे जुड़े विविध आयामों पर विचार किया जाएगा और इससे निपटने की रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्री का मानना है कि भारत जैसे विकासशील देश में जब तक पर्याप्त संख्या में दक्ष शिक्षकों का समूह तैयार नहीं होगा तब तक किसी भी विकास कार्य के उद्देश्यों को हासिल करना कठिन होगा। उन्होंने कहा कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के जरिए विविध विषयों और भाषाओं के शिक्षकों का डाटाबैंक तैयार करने पर भी विचार किया जा रहा है। विश्वविद्यालय एवं कॉलेज स्तर पर फैकल्टी रिचार्ज योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है ताकि उच्च शिक्षा के स्तर पर शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सके। राष्ट्रीय शैक्षणिक प्रशासनिक एवं योजना विश्वविद्यालय (एनयूईपीए) और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों में अनुमान व्यक्त किया गया है कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) को लागू करने के लिए 12.6 लाख शिक्षक पदों को भरने के साथ 5.1 लाख अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी। अधिकारी ने कहा कि स्कूलों एवं कॉलेजों में जरूरत के अनुरूप दक्ष शिक्षकों की तैनाती अभी भी सबसे बड़ी चुनौती है। केब की बैठक में इस पर विस्तार से चर्चा होगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में शिक्षकों के सबसे अधिक 3,12,222 पद रिक्त हैं जबकि बिहार में शिक्षकों के 2,62,351 पद और पश्चिम बंगाल में 1,80,945 पद रिक्त हैं। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के 62,466 तथा राजस्थान में शिक्षकों के 51,100 पद अभी तक नहीं भरे जा सके हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल पदों की संख्या 16,602 है, जिसमें से 6,542 पद रिक्त हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च में शिक्षकों के कुल 518 पदों में 131 पद रिक्त हैं। इसी प्रकार से, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट में शिक्षकों के कुल 618 पदों में 111 पद रिक्त हैं जबकि इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी में शिक्षकों के कुल 5,092 पदों में से 1,611 पद रिक्त है। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी में शिक्षकों के कुल 224 पदों में 104 रिक्त हैं जबकि नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी के कुल 4,291 पदों में 1,497 पद रिक्त हैं। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के मंजूर पदों में 40 से 50 प्रतिशत पद रिक्त हैं। अधिकारी ने बताया कि विभिन्न स्तरों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए दक्ष शिक्षकों की कमी भी बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि 12वीं योजना के तहत सरकार ने शिक्षक शिक्षा योजना में संशोधन को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस उद्देश्य के लिए 6,308.45 करोड़ रुपए की राशि मंजूरी की गई है जिसमें केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी 75:25 के अनुपात में होगा। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह अनुपात 90:10 होगा। केंद्रीय शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों की कमी को दूर करने के उपाए के तहत सेवानिवृत्ति की आयु को बढ़ाकर 65 वर्ष कर दिया गया है।
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पहली पुण्यतिथि पर याद किए जाएंगे हुसैन

नई दिल्ली। मशहूर चित्रकार एम एफ हुसैन की पहली पुण्यतिथि पर उनकी निजी डायरी पढ़ी जाएगी ताकि उनके जीवन के एक अलग पहलू के बारे में जाना जा सके। हुसैन के करीबी दोस्त और चित्रकार सैयद हैदर रजा द्वारा स्थापित संस्था की ओर से आठ जून को आयोजित एक कार्यक्रम में यह डायरी पढ़ी जाएगी। हुसैन की यह डायरी खूबसूरत लिखाई में हैं। डायरी में हुसैन ने हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा का इस्तेमाल किया है। इसके अलावा इस डायरी में उनकी कला के कुछ नमूने भी मौजूद हैं। रजा फाउंडेशन के प्रबंधक संजीव कुमार चौबे कहते हैं कि यह डायरी हिंदी लेखक कृष्ण बलदेव वैद के निजी संग्रह में से मिली है। इस महान चित्रकार को याद करने के लिए इससे बेहतर अवसर और क्या हो सकता है। चौबे ने बताया कि डायरी का उर्दू वाले भाग का पाठन वैद करेंगे जबकि हिंदी वाले भाग का हिंदी कवि और कला आलोचक प्रयाग शुक्ला करेंगे। अंग्रेजी वाला भाग हुसैन के दोस्त और कलाकार कृष्णा खन्ना द्वारा पढ़ा जाएगा। निर्वासन झेल रहे हुसैन की मृत्यु पिछले साल नौ जून को लंदन में दिल का दौरा पड़ने से हो गई थी। इसी मौके पर सहमत नाम का एक दूसरा समूह भी हुसैन के चित्रों की एक चलती-फिरती प्रदर्शनी लगाने की योजना बना रहा है। सहमत समूह के एक सदस्य ने बताया कि हम प्रदर्शनी के बारे में सोच रहे हैं। अभी तक हमने अपना कार्यक्रम सुनिश्चित नहीं किया है। अगले सप्ताह तक इस योजना के बारे में विचार स्पष्ट हो जाएगा।
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