05-06-2012, 04:11 PM | #9721 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
नई दिल्ली। कुछ सदस्यों की ओर से मांग के बावजूद दूरसंचार से संबद्ध संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) 2 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी पर आमराय बनने तक इस सम्बंध में ट्राई की सिफारिशों पर किसी भी निर्णय पर रोक लगाने के लिए सरकार को नहीं कहेगी। माना जाता है कि जेपीसी के चेयरमैन पीसी चाको ने सदस्यों को बताया है कि वह 2 जी नीलामी मूल्य निर्धारण पर ट्राई की सिफारिशों पर किसी भी निर्णय को रोकने के लिए सरकार को नहीं कहेंगे। हाल ही में जेपीसी की बैठक में कांग्रेस, भाजपा और भाकपा सदस्यों ने चाको से अनुरोध किया था कि वह सरकार को 2 जी स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए बढे हुए प्रवेश शुल्क पर किसी भी तरह का निर्णय करने से रोकें। जेपीसी सदस्यों ने चाको को बताया कि समिति सबसे पहले हाल ही में सेवानिवृत्त ट्राई प्रमुख जेएस शर्मा से सवाल करेगी। शर्मा के कार्यकाल में ही ट्राई ने 2 जी स्पेक्ट्रम के लिए आधार मूल्य करीब 10 गुना बढ़ोतरी करने की सिफारिश की। ट्राई की इस सिफारिश की दूरसंचार कंपनियां आलोचना कर रही हैं।
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05-06-2012, 04:11 PM | #9722 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
मानव तस्करी मामले में आईएफएस अधिकारी के खिलाफ आदेश
नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2005 में नौ लोगों की जर्मनी को तस्करी करने के मामले में कथित रूप से शामिल होने को लेकर एक आईएफएस अधिकारी और एक गायक के खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूत के मद्देनजर उनके खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिए हैं। विशेष सीबीआई न्यायाधीश कंवलजीत आरोड़ा ने कहा कि जांच एजेंसी की ओर से एकत्रित एवं रिकार्ड में लाई गई सामग्री आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त है। अदालत ने अब इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि आठ जून निर्धारित की जब भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद (आईसीसीआर) के पूर्व महानिदेशक राकेश कुमार और पंजाबी गायक बलविंदर कौर के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार के मामले में आरोप तय किए जाएंगे। दोनों के अलावा अदालत ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के तत्कालीन कर्मचारी शिव कुमार शर्मा और पंजाब सशस्त्र पुलिस के कांस्टेबल गुरबेज सिंह के खिलाफ भी प्रथम दृष्टया सबूत पाए हैं। आरोप है कि आईएफएस अधिकारी ने वर्ष 2005 में अपने आधिकारिक पद का इस्तेमाल करते हुए फर्जी सांस्कृति समूह ‘महक पंजाब दी’ के गठन में मदद की और अवैध रूप से नौ लोगों कोे बर्लिन भेज दिया।
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05-06-2012, 04:12 PM | #9723 |
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जनरल सिंह ने सेवानिवृत्ति से पहले अधिकारी को दंडित किया था
नई दिल्ली। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह ने अपनी सेवानिवृत्ति से कुछ दिनों पहले असम में असफल गुप्तचर अभियान के सम्बंध में एक अधिकारी को दंडित किया। कर्नल के खिलाफ यह कार्रवाई सेना द्वारा रक्षा मंत्रालय के फोन टैप करने के बारे में खबरे जारी करने के आरोप लगाए जाने के बाद की गई। जनरल सिंह ने अधिकारी को लिखे गए अपने आदेश में कहा कि मैं निर्देश देता हूं कि तीसरी कोर की गुप्तचर एवं निगरानी इकाई के कर्नल जी श्रीकुमार को मेरी ‘गंभीर नाराजगी’ से अवगत कराया जाए जो कि वर्तमान समय में चौथी रैपिड डिविजन के मुख्यालय में तैनात हैं। इसी मामले में पूर्व सेनाप्रमुख ने तीसरी कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग और ब्रिगेडियर अभय कृष्ण को ‘खामियों’ और ‘जिम्मेदारी से बचने’ के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया। जनरल सिंह ने लेफ्टिनेंट जनरल सुहाग को जारी कारण बताओ नोटिस में कहा है कि यह पता चला है कि तीसरी कोर की गुप्तचर एवं निगरानी इकाई के कमांडिग आफिसर छुट्टी पर रहने के दौरान दिल्ली में गुपचुप तरीके से सेना के खिलाफ खबरें दे रहे थे। सेना ने हाल में कुछ कार्यरत अधिकारियों के साथ ही सेवानिवृत्त तेजिंदर सिंह पर जनरल सिंह के जन्मतिथि विवाद के समय कुछ सैन्य कर्मियों द्वारा रक्षा मंत्रालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के फोन टैप करने को लेकर मीडिया में खबरें जारी करने के आरोप लगाए थे। फोन टैपिंग मुद्दा 16 फरवरी को उस समय सामने आया जब सेना की उस गुप्तचर टीम ने फोन टैप किए जाने का संदेह जताया जिसे मंत्रालय के फोन को चोरी छुपे सुनने के खिलाफ अभियान चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सेना ने हालांकि इससे बाद में इन्कार कर दिया। उसने कहा कि टेलीफोन लाइन में कुछ विसंगति की बात सामने आई थी जिससे खलबली मची थी लेकिन बाद की जांचों में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई।
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05-06-2012, 04:12 PM | #9724 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
जलवायु परिवर्तन 2035 तक बढ़ाएगा बाढ़ और सूखे की समस्या
नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों की चेतावनी देते हुए सरकार ने कहा है कि मौसम में बदलाव के कारण अगले 23 साल में बाढ़ और सूखे की घटनाओं में बढ़ोतरी होगी। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के आने वाले दशकों में गंभीर परिणाम सामने आने की आशंका है। मौसम में हो रहे बदलाव के चलते 2035 तक सूखे और बाढ़ की घटनाओं में इजाफा होगा और मलेरिया संक्रमण भी कई रूपों में मानवीय आबादी को घेरेगा। मंत्रालय ने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन सम्बंधी एक बैठक में मई 2012 में अपनी रिपोर्ट पेश की है। इस रपट में कुछ परिणामों के साथ साथ शताब्दी के अंत तक वार्षिक मध्यमान सतही वायु तापमान में 3.5 से 4.3 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि होने की आशंका जताई गई है। रपट में कहा गया कि इससे देश के चार महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों अर्थात वन, स्वास्थ्य, जल और कृषि के प्रभावित होने का खतरा है। संसद के बजट सत्र में भी इस मुद्दे को लेकर चिन्ता व्यक्त की गई और सदस्यों ने इस बारे में सरकार से जवाबतलब किया। तब पर्यावरण एवं वन मंत्री जयंती नटराजन ने चेताया था कि आने वाले दशकों में जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। बहरहाल मंत्रालय का मानना है कि भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव कई रूपों में देखने को मिल सकते हैं। ये प्रभाव पहाड़ों पर बर्फ की मात्रा पर असर और ग्लेशियर के तेजी से पिघलने से गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी नदियों पर असर, अनियमित मानसून के कारण वर्षा आधारित कृषि को नुकसान, तापमान में बढ़ोतरी, समुद्र का स्तर बढ़ना और बाढ़ अधिक आने के रूप में होंगे। पर्यावरणविदों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया के सभी देशों को जनता के बीच जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत में उत्सर्जन की स्थिति को जानने का प्रयास करना चाहिए जो बिजली, इस्पात और परिवहन जैसे विभिन्न क्षेत्रों से होता है। यह विभिन्न समूहों, ग्रामीण एवं शहरी आबादी, कम एवं मध्यम आय वालों की ओर से भी होता है। अलग अलग कार्यों के लिए कोयला तेल और गैस के इस्तेमाल से भी उत्सर्जन होता है। अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि लगभग 4000 साल पुरानी दुनिया की पहली और महान शहरी सभ्यता के मिटने की महत्वपूर्ण वजह जलवायु परिवर्तन रहा है । भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश के मूल में यही सिंधु घाटी सभ्यता रही है। उनका कहना है कि यह सभ्यता अरब सागर से लेकर गंगा तक सिंधु नदी के 10 लाख वर्ग किलोमीटर मैदानी इलाके में बसी थी।
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05-06-2012, 04:13 PM | #9725 |
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कोई सरकार मजबूत लोकपाल विधेयक नहीं लाना चाहती : संतोष हेगड़े
बेंगलूर। कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त और टीम अन्ना के सदस्य संतोष हेगड़े ने कहा कि कोई भी सरकार देश में मजबूत लोकपाल विधेयक नहीं लाना चाहती है क्योंकि सरकार की इच्छा ही नहीं है। इंडिया एगेंस्ट करप्शन के बैनर तले कर्नाटक में फ्रीडम पार्क में विरोध प्रदर्शन में शामिल होते हुए हेगड़े ने संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार को मजबूत लोकपाल विधेयक लाना चाहिए लेकिन मुझे नहीं लगता कि सरकार मजबूत लोकपाल विधेयक लाना चाहती है। सरकार का इरादा ही नहीं है।’ उन्होंने खुशी व्यक्त की कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अन्ना हजारे और बाबा रामदेव एक मंच पर आ गए हैं। गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी में जंतर मंतर पर संप्रग सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना और रामदेव ने एक दिन का अनशन आयोजित किया था।
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05-06-2012, 04:15 PM | #9726 |
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असद ने हौला नरसंहार में अपनी सरकार का हाथ होने से किया इंकार
बेरूत। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने इस आरोप का खंडन किया कि पिछले हफ्ते हुए नृशंस हौला नरसंहार से उनकी सरकार का कोई लेना-देना है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि ‘दैत्य’ भी इस तरह का घिनौना अपराध नहीं करेंगे। टेलीविजन के जरिए संसद में दिए गए भाषण में असद ने कहा कि उनका देश असली युद्ध का सामना कर रहा है। उन्होंने इस रक्तपात के लिए विदेश समर्थित आतंकवादियों और उग्रवादियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने सैन्य कार्रवाई जारी रखने का संकल्प जताया। राष्ट्रपति की हौला नरसंहार के बाद यह पहली टिप्पणी है। उस नरसंहार में सौ से अधिक लोग मारे गए थे जिसमें करीब आधे बच्चे थे। संयुक्त राष्ट्र जांच अधिकारियों ने कहा कि इस बात के पुख्ता संदेह हैं कि सरकार समर्थक बंदूकधारियों ने हत्याओं को अंजाम दिया लेकिन असद ने इसका खंडन किया। असद ने कहा, ‘‘अगर दिलों को झकझोर डालने वाले दर्द को हम नहीं महसूस करते हैं तो हम इंसान नहीं हैं।’’ असद ने इससे पहले जनवरी में सार्वजनिक भाषण दिया था। 46 वर्षीय असद ने इस बात का खंडन किया कि विद्रोह के पीछे कोई जनता की इच्छा है। उन्होंने कहा कि विदेशी उग्रवादी और आतंकवादी विद्रोह को संचालित कर रहे हैं। असद की टिप्पणी से लगता है कि असंतुष्टों के हिंसक दमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक निंदा होने के बावजूद वह अपने रुख पर कायम हैं। असद के भाषण में उनके पूर्व के भाषणों की ही ढेर सारी बातें दुहराई गई हैं। इसमें इन घटनाओं के पीछे विदेशी आतंकवादियों और उग्रवादियों का हाथ होने और राष्ट्र की सुरक्षा की रक्षा करने का संकल्प जताना आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जैसा हमने खासतौर पर हौला नरसंहार में देखा है, वैसा :अपराध: तो राक्षस भी नहीं करेंगे। इसका वर्णन करने के लिए कोई अरबी या मानवीय शब्द नहीं है।’’ असद ने कहा कि उनके विरोधियों ने सुधार की तरफ उनके कदमों की अनदेखी की है। इसमें नए संविधान पर जनमत संग्रह और हालिया संसदीय चुनाव आदि शामिल हैं। उधर, जेद्दा में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने बढते सीरिया संकट पर व्यापक अंतरराष्ट्रीय वार्ता का आह्वान किया। उन्होंने सुरक्षा परिषद के सदस्यों से संघर्ष प्रभावित देश में संयुक्त राष्ट्र की ओर से कठोर कार्रवाई करने की अरब लीग की मांग पर विचार करने की अपील की। सउदी बंदरगाह शहर जेद्दा में इस्लामी सहयोग संगठन :ओआईसी: प्रमुख एकमेलेद्दीन ल्हसानोग्लू के साथ बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस वक्त हमारी प्राथमिकता सउदी जनता की मदद करने की है। मैं भावी कार्रवाई पर व्यापक अंतरराष्ट्रीय चर्चा का स्वागत करता हूं।’’ मून ने कहा कि उन्होंने सीरिया में और शांति निगरानीकर्ताओं को उतारने और कोफी अन्नान की छह सूत्री सीरिया शांति योजना को लागू करने के लिए निश्चित समय सीमा निर्धारित करने की मांग पर गौर किया है।
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05-06-2012, 04:17 PM | #9727 |
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बांग्लादेश में फेसबुक की टिप्पणी पर छात्र के खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाने की तैयारी
ढाका। बांग्लादेश की पुलिस फेसबुक पर प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ टिप्पणी करने वाले एक 21 वर्षीय छात्र को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाने की तैयारी कर रही है। नजरुल इस्लाम विश्वविद्यालय के इस छात्र ने फेसबुक पर की गई टिप्पणी में आरोप लगाया कि दो महीने पहले मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के सचिव इलियास अली के गायब होने के पीछे शेख हसीना का हाथ है। बांग्लादेश के उत्तरी मैमनसिंह के पुलिस प्रमुख गोला किब्रिया ने बताया, ‘‘सोहेल मुल्लाह (छात्र) अभी जेल में है क्योंकि हमने उसके खिलाफ प्रधानमंत्री को धमकाने के लिए राजद्रोह को आरोप लगाने की कार्रवाई शुरू कर दी है।’’ उन्होंने बताया कि जिला पुलिस ने गृह मंत्रालय को एक पत्र लिख कर सोहेल के खिलाफ राजद्रोह का आरोपपत्र दर्ज कराने की अनुमति मांगी है। सोहेल बांग्ला साहित्य का छात्र है और किब्रिया ने बताया कि उसे टिप्पणी करने के दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया। जानकारी के अनुसार सोहेल ने अपनी टिप्पणी में लिखा, ‘‘इलियास अली को अगर किसी जंगली बाघ ने पकड़ा होता तो वह मुक्त हो चुके होते। लेकिन यह जंगली बाघ शेख हसीना है।’’
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05-06-2012, 04:22 PM | #9728 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशियों के नामों पर मंथन करेंगे प्रमुख राजनीतिक दल
नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनावों को लेकर कांग्रेस तथा भारतीय जनता पार्टी नीत गठबंधनों और गैर कांग्रेस, गैर भाजपा दलों की ओर से शुरुआती जुमलेबाजी का दौर थमता दिख रहा हैं और संभावना है कि तीनों राजनीतिक पक्ष अगले सप्ताह प्रत्याशियों के नामों को लेकर गंभीर मंथन में जुटेंगे। तीनों पक्षों की शुरुआती सक्रियताओं में इस शीर्ष संवैधानिक पद के लिए उभरे तीन नामों वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, पूर्व राष्ट्रपति ए. जी. जे. अब्दुल कलाम तथा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पूर्णो ए संगमा को लेकर अब चुप्पी तारी होने लगी है और इसे राजनीतिक हल्कों में गंभीर मंथन की पीठिका माना जा रहा है। चार जून को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में केन्द्र में सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन की ओर से कोई आधिकारिक नाम सामने नहीं आया, लेकिन प्रत्याशी तय करने की जिम्मेदारी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी गई ! संभावना है कि भाजपा नीत विपक्षी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन तथा कांग्रेस एवं भाजपा नीत गठबंधनों से अलग रहे दलों का तीसरा राजनीतिक पक्ष इसके बाद ही इस बारे में अपना रुख तय करेगा। वैसे तीसरे पक्ष में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तथा तीन अन्य वाम दलों की मजबूत उपस्थिति के मद्देनजर नौ एवं दस जून को माकपा के शीर्ष सांगठनिक निकाय केन्द्रीय समिति की दो दिवसीय बैठक को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। समझा जाता है कि इस बैठक में राष्ट्रपति चुनाव के लिए पार्टी के रुख के बारे में भी चर्चा होगी। ज्ञातव्य है कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के अवकाश ग्रहण के अब 60 दिन से भी कम समय शेष हैं और नियमत: चुनाव आयोग अब किसी भी दिन इस चुनावों के लिए अधिसूचना जारी कर सकता हैं। चुनावी सुगबुगाहट में मुखर्जी, डॉ. कलाम तथा संगमा के अलावा उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी का नाम लगभग सम गति से चलता रहा है और इस बीच मीडिया में इस पद के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भी चर्चा रही हैं। लेकिन अभी म्यांमा की अपनी पहली यात्रा से लौटते हुए डॉ. सिंह यह कहकर इन चर्चाओं को खारिज कर चुके हैं कि वह जहां है वहां खुश हैं। ज्ञातव्य है कि चर्चाओं के पहले चरण में सबसे प्रबल तरीके से मुखर्जी का नाम सामने आया और आलम यह था कि संसद के अभी-अभी संपन्न बजट सत्र में 2012-13 के आम बजट तथा विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा नेता यशवंत सिन्हा सहित पक्ष-विपक्ष के कई नेताओं ने उसकी इस संभावित पदोन्नति पर उन्हें अग्रिम बधाई तक दे डाली थी। समझा जाता है कि संप्रग में कांछरेस के बाद सबसे बड़ी घटक तृणमूल कांग्रेस मुखर्जी की उम्मीदवारी से सहमत नहीं है। इस पद के लिए तृणमूल नेता तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पसंदीदा लोगों की सूची में उनकी गैर-मौजूदगी को इसी का सबूत माना जा रहा है। सुश्री बनर्जी ने जो तीन नाम गिनाए हैं, वे हैं लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम तथा पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल गांधी। संप्रग सरकार की घटक एनसीपी के शीर्ष नेता एवं कृषि मंत्री शरद पवार इस पद के लिए संप्रग के उम्मीदवार का समर्थन करने की घोषणा कर चुके है। शुरुआती चर्चा में भाजपा की ओर से डॉ. कलाम का नाम सामने आया, लेकिन लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज द्वारा इस नामोंल्लोख के तुरंत बाद राजग के प्रमुख घटक जनता दल ने तो इस एकतरफा घोषणा पर ऐतराज किया ही। राष्ट्रपति के रूप में पहली बार डॉ. कलाम की ताजपोशी के अभियान में अगुवा रही समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेता मुलायम सिंह यादव ने एक राजनीतिक व्यक्ति को ही शीर्ष संवैधानिक पद सौंपने की जोरदार हिमायत कर एक बड़ा सवाल उठा दिया। इस दौर में तीसरा नाम उभरा संगमा का उड़ीसा के मुख्यमंत्री एवं बीजू जनता दल के नेता नवीन पटनायक तथा अन्ना द्रविड मुनेत्र कषगम की नेता एवं तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने एक आदिवासी नेता को अगला राष्ट्रपति बनाने की हिमायत करते हुए उनका नाम आगे बढ़ाया और इसके बाद संगमा ने माकपा महासचिव प्रकाश करात एवं तीसरे राजनीतिक पक्ष में महत्वपूर्ण माने-जाने वाले कई नेताओं से मुलाकातें कर समर्थन जुटाने की कवायद भी शुरू की, लेकिन वह अपनी ही राष्ट्रपति कांग्रेस पार्टी का समर्थन नहीं जुटा सके।
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05-06-2012, 04:23 PM | #9729 |
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बुंदेलखण्ड की सियासत में मौज कर रहे हैं ‘लपकूराम’
सागर। बुंदेलखण्ड के राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस व भाजपा जैसे सियासी दलों का नहीं, बल्कि ‘लपकूराम’ का दबदबा बढता दिख रहा है। हालांकि यह ‘तमगा’ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने उन मौकापरस्त कांग्रेसियों को दिया है जो भाजपा में घुसपैठ कर मलाई छान रहे हैं और पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को अंगूठा दिखा रहे हैं। लेकिन अगर दलीय पहचान से हटकर देखा जाए तो अंचल की पूरी सियासत पर ही ये कथित लपकूराम काबिज नजर आ रहे हैं। उप्र के हालिया विधानसभा चुनावों में सपा द्वारा कांग्रेस और भाजपा को दी गई पटखनियों का असर मप्र के सियासी हलकों में भी महसूस किया जा रहा है। यहां दोनों ही दलों के दिग्गज खुलकर इस बात से इंकार नहीं कर पा रहे है कि अगर उप्र की जीत से उत्साहित सपा, मप्र में भी अपना दबदबा बढाने की कोशिश करेगी तो पहला निशाना बुंदेलखण्ड ही होगा। लेकिन बुंदेलखण्ड के मौजूदा हालात को देखकर लगता नहीं है कि भाजपा और कांग्रेस में से कोई दल इस अंचल को अपना गढ कहने की हिम्मत जुटा पा रहा है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि बुंदेलखण्ड के इन राजनैतिक हालात का लपकूरामों की कारगुजारियों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। दलीय राजनीतिक समीकरणों की खींच-तान के बावजूद भी ये अवसरवादी बड़ी खूबी से अपने काम निकालने में लगे हैं। सियासत के जानकार तो यह दावा तक कर रहे है कि सांसदों और विधायकों के इर्द-गिर्द इन लपकूरामों का जमावड़ा सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। उनका कहना है कि हालात तो अब इतने बदतर होते दिख रहे है कि जहां सारा जीवन पार्टी को समर्पित करने का दम भरने वाले कद्दावर भाजपाई और कांग्रेसी भी दबी जुबान में अपने को कोसने से नहीं चूक रहे हैं। इसे जनप्रतिनिधियों या नेतृत्व की नासमझी कहें या मौकापरसतों की होशियारी, जिसके चलते पार्टी के असली कार्यकर्ता दरबानों और सेवकों के रोल में और लपकूराम खास दरबारियों व सलाहकारों की भूमिका में नजर आने लगे हैं। हालांकि अधिकृत तौर पर कांग्रेसी नेतृत्व राजनीति में मौकापरस्तों के बढते दबदबे की बात से इंकार करते हैं। कांग्रेस पार्टी के जिला प्रवक्ता वीरेन्द्र गौर का कहना है कि पिछले विधानसभा व लोकसभा चुनावों के वक्त भाजपा के खेमे में शामिल हुए कांग्रेसी नेताओं का दामन पहले से ही दागदार रहा है। खासतौर पर भाजपा सांसद के करीब हुए दो कांग्रेसियों नेताओं को निशाना बनाते हुए गौर ने बताया कि भाजपा के खेमे में मौज कर रहे और वर्तमान में भाजपा के ही कार्यकर्ताओं को पीछे कर अगली कतार में खड़े नेता, कांग्रेसी नहीं मौकापरस्त थे, जो अपने व्यवसायिक व निजी हितों को पूरा करने के लिए हमेशा सत्ता पक्ष के करीब रहना चाहते हैं। उनके बाहर जाने से कांग्रेस पार्टी की सफाई हुई और वह और मजबूत हुई। लेकिन इस मामले में भारतीय जनता पार्टी असमंजस में नजर आ रही है। जहां भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा ने बुंदेलखण्ड की अपनी तमाम आम सभाओं में लपकूरामों को चुनावों में टिकट नहीं देने की बात कही। वहीं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं क्षेत्रीय सांसद भूपेन्द्र सिंह कहना का है कि अन्य दलों से भाजपा में शामिल होने की इच्छा जाहिर करने वाले लोगों के बारे में पार्टी उनके दल के आधार पर नहीं बल्कि उनके चाल-चलन के आधार पर फैसला करेगी। भाजपा सांसद ने कहा कि अगर ऐसे लोग भाजपा की कसौटी पर पूरी तरह से खरे उतरेंगे तो उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट भी दिया जा सकता है। भाजपा सांसद के इस बयान को राजनीतिक हलकों में मौकापरस्तों की हौसलाअफजाई करने वाला बताया जा रहा है। वहीं समाजवादी पार्टी के प्रदेश-अध्यक्ष गौरी यादव का कहना है कि उनकी पार्टी में अवसरवादियों के लिए कोई जगह नही है आगामी चुनावों में उनकी पार्टी केवल उन्हीं लोगों को टिकट देगी जो लंबे समय से पार्टी के लिए काम करते रहे हैं, लेकिन बुंदेलखण्ड की सियासत में सक्रिय एक दल ऐसा भी है जो सियासत में हलचल पैदा कर रहे ’लपकूरामों’ के बल पर ही सत्ता में आने की जुगाड़ लगा रहा है। बुंदेलखण्ड में तीसरा विकल्प होने का दावा करने वाले राष्ट्रीय जन न्याय दल ने आगामी चुनाव में जीत के लिए अभी से मौकापररस्तों के स्वागत में आश्वासनों का मखमली गलीचा बिछाना शुरु कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रज बिहारी चौरसिया का कहना है कि वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव के लिए उनकी पार्टी अपने उम्मीदवारों की घोषणा सबसे बाद में करेगी ताकि खासतौर पर भाजपा व काग्रेस व अन्य दलों के असंतुष्ट नेता अगर बगावत करते है तो उन्हें जन न्याय दल का मंच मुहैया कराया जा सके। बुंदेलखण्ड की राजनीतिक में लपकूरामों के बढते दखल से कमोवेश सभी राजनैतिक दलों और खास तौर पर भाजपा व कांग्रेस के अंदर कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढती दिख रही है। इसके चलते दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तो शुरु हुआ है, लेकिन लपकूरामों को बेनकाब करने के मामले में उनके बीच अघोषित तौर पर कुछ तालमेल भी बनता दिख रहा है। हालांकि यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि यह तालमेल क्या गुल खिलाएगा। इसके असर से सत्ता के खेल में हाशिए पर ’लपकूराम’ पहुंचेंगे या पार्टी कार्यकर्ता।
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05-06-2012, 04:24 PM | #9730 |
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दाल-रोटी से प्यार है दलाई लामा को
धर्मशाला। भारत को अपना दूसरा घर मान चुके तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के मन में पिछले 53 सालों में दाल-रोटी के लिए प्यार पैदा हो चुका है और वह धर्मनिरपेक्षता के गुणों को ग्रहण कर चुके हैं। अपने देश से 1959 में भारत आए तिब्बती धर्मगुरु का कहना है कि भारत आने के बाद जो सबसे बड़ी चीज उन्होंने सीखी वह थी ‘पाखंडी न बनने की कला’। नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा कि जब 1951 से 1959 तक वह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सक्रिय सदस्य रहे तो और सदस्यों की तरह उनमें भी पाखंड की कला प्रखर होने लगी पर यह तभी खत्म हुई जब वह भारत पहुंचे। उनका कहना है कि भारत आने और लंबे समय तक यहां रहने के बाद उन्होंने भारत के धर्म और संस्कृति से काफी कुछ सीखा है पर जिस चीज को वह सबसे ज्यादा प्रमुख तौर पर गिनाते हैं वह है उत्तरी भारत के मुख्य भोजन ‘दाल-रोटी’ के लिए उनकी पसंद। दलाई लामा ने बताया कि भारत में 50 साल तक रहने के बाद अब दाल रोटी मेरा पसंदीदा भोजन हो गई है। जब भी मुझे मौका मिलता है तो मैं इस भारतीय व्यजंन का जायका लेता हूं। उन्होंने कहा कि हाल ही में वह बिहार गए थे जहां उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कहा था कि वास्तव में बिहार ही बौद्ध धर्म की जन्मस्थली है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से ही तिब्बतियों की चिंताओं के प्रति सहानुभूति रखता आया है। दलाई लामा ने कहा कि भारत में हिंदू, इस्लाम, सिख, बौद्ध सभी धर्म अहिंसा का पाठ पढ़ाते है और धर्मनिरपेक्षता का पालन करते हैं। मैंने भी विभिन्न धर्मगुरुओं से विमर्श कर इन गुणों को आत्मसात किया है। उन्होंने भारत की धर्मनिरपेक्षता की भी प्रंशसा की और इसे भारतीय संस्कृति का मुख्य सार बताया। यह कहते हुए कि तिब्बतियों को मौजूदा संसार की गति के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए आगे बढ़ना होगा, दलाई लामा ने अपने शिष्यों को वैज्ञानिक प्रगति से रूबरू होने और वैज्ञानिकों से संपर्क बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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