07-02-2011, 10:46 AM | #982 |
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Re: साक्षात्कार
आपके जिन्दगी का सबसे हसीन लम्हा कौन सा हैँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
07-02-2011, 10:48 AM | #983 |
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Re: साक्षात्कार
नेट की दुनिया मेँ आप किसी से मिले हैँ
या मिलना चाहतेँ हैँ वो कौन से सदस्य हैँ और क्योँ
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07-02-2011, 12:06 PM | #986 |
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Re: साक्षात्कार
प्रिय मित्र अनिल जी,
आपने किसी प्रश्न के उत्तर में किन्हीं दो व्यक्तियों से वापस लौट आने के लिए कहा था. मैं उम्मीद करता हूँ कि उनमें से एक मैं हूँ इसलिए आपसे छोटे छोटे तीन चार सवाल जो हर समय मेरे मस्तिष्क में तैरते रहते हैं. १) भारत ने पिछले बीस वर्षों में जो तरक्की की है उसका श्रेय आप किस कारक को देना चाहेंगे ?. २) क्या देश की जनता पूरी इमानदारी से सरकार के प्रयासों में अपना योगदान दे रही है ? या जनता का काम सिर्फ सरकारों को कोसना भर रह गया है. ? ३) "देश ने हमें सब कुछ दिया है और अब हमारी बारी है देश को कुछ देने की" इस कथन के बारे में आप क्या सोचते हैं. ? ४) आपके विचार से मिश्र में क्या गलत हुआ जो जनता विद्रोह पर उतर आयी है ? ५) आपके विचार से देश को तरक्की के रास्ते पर आगे ले जाने के लिए क्या क्या कदम उठाने आवश्यक होंगे ? धन्यवाद. |
07-02-2011, 12:42 PM | #987 |
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Re: साक्षात्कार
प्रिय मित्र !
अपने देश में जन्म से लेकर मृत्यु तक कुरीतियाँ भरी पड़ी हैं और इन कुरीतियों के कारण काफी सारा समय, उर्जा और साधन इन कुरीतियों की भेंट चढ़ जाते हैं. अगर हम अपने अतीत पर नजर डालें तो काफी कुरीतियों पर हमने बहुत हद तक विजय पा ली हैं जैसे कि बाल विवाह, विधवा को प्रताड़ित जीवन जीने कि विवशता, सती प्रथा, नारी को उच्च शिक्षा या शिक्षा से दूर रखने की प्रथा, घर में बेटे और बेटी में फर्क करना, स्त्रियों के प्रति घरेलु हिंसा इत्यादि. पर अभी भी बहुत से कुरीतियाँ ऐसी हैं जिनका असर गाँव और दूर दराज के क्षेत्रों में अभी भी दिखाई दे ही जाता है. इसके अलावा कुछ और नई और पुरानी कुरीतियों ने इस देश में जडें गहरी कर ली हैं जिनकी वजह से देश को शर्मशार होना पड़ता है जैसे कि दहेज़ प्रथा, खर्चीली शादियाँ, खर्चीले जन्मदिन समारोह, समाज में दिखावे की असामान्य प्रवत्ति, सम्मान के लिए हत्या ( ओनर किलिंग ), बेटी की गर्भ में ही हत्या, जात पात को आधार मान कर वोट देना, जात के नाम पर आरक्षण की व्यवस्था, आरक्षण की मांग करने के लिए हिंसक प्रदर्शन जिसमें कितने ही बेगुनाह मारे जाते हैं और देश की संपत्ति का नुक्सान होता है. आपके विचार से क्या उपाय किये जा सकते हैं इन बढ़ती हुयी कुरीतियों को रोकने के लिए और एक नए भारत के निर्माण के लिए ? |
07-02-2011, 02:37 PM | #988 |
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Re: साक्षात्कार
खालिद भाई ! व्यस्तता के कारण तत्काल उत्तर देने मेँ असमर्थ हूँ । अनुरोध है कि आज रात तक की मोहलत दे देँ । धन्यवाद
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07-02-2011, 03:25 PM | #989 | |
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Re: साक्षात्कार
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आप रात की बात छोडिए अभी तो आप कई दिन जवाब देने हैँ
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07-02-2011, 04:54 PM | #990 |
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Re: साक्षात्कार
अरे बाप रे ! डर लग लग रहा है । इतना तो लोक सेवा आयोग के साक्षात्कार मेँ नहीँ लगा था जिसकी वज़ह से आज मेरी दाल रोटी चल रही है । हा हा हा
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