29-09-2018, 08:04 PM | #1 |
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सूक्ष्म शिक्षण क्या है? ये किस प्रकार मेगा
#teacher trainer #teacher training special नमस्कार सभी अध्यापकों का, जो शिक्षण के स्तर को बनायें हुए है | स्वागत है भावी अध्यापकों का जो भविष्य में शिक्षण स्तर बनाये रखने का प्रण लिए है | आज का विषय है सूक्ष्म शिक्षण (Micro Teaching) क्या होता है और यह मेगा शिक्षण (Mega Teaching)और स्कूल शिक्षण (School Teaching) से किस प्रकार भिन्न है| अधिकतर अध्यापक, अध्यापक ट्रेनर और भावी अध्यापक इन तीनों में अंतर नहीं कर पाते है तो ये पोस्ट उनके लिए बहुत उपयोगी है | मैं यहाँ किताबी बातें नहीं करने वाला, मैं तो सिर्फ प्रैक्टिकल बातें ही करना पसंद करता*** हूँ| किताबी बातें आप किताबों से ही पढ़ लेना| तो चलिए टॉपिक को बढ़ाते है – सूक्ष्म शिक्षण (Micro Teaching) : भावी अध्यापकों द्वारा अपने व्यवहार में शिक्षण के छोटे छोटे गुणों को विकसित करना होता है| अध्यापक प्रशिक्ष्ण (B.Ed and D.El.Ed ) के दौरान छात्र अध्यापकों को शिक्षण कौशल की ट्रेनिंग (Training) दी जाती है| असल में सूक्ष्म शिक्षण एक व्यक्तिगत प्रशिक्षण तकनीक (Individual Training Technique) है जिसमे हम स्वयं को शिक्षण कौशल में परांगत होते है| सूक्ष्म शिक्षण का उद्देश किसी का ज्ञान बढ़ाना नहीं होता बल्कि खुद को कुशल बनाना होता है ये बात अपनी ज्ञान की पोटली में बाँध कर रख लीजिये | ट्रेनिंग के दौरान इसका समय 6 से 10 मिनट का होता है| इस 6 से 10 में मिनट में छात्र – अध्यापक को कोई भी एक सूक्ष्म शिक्षण के एक कौशल को प्रस्तुत करना होता है या यूँ कहे एक कौशल की प्रैक्टिस करनी होती है | इस दौरान कक्षा में उसके ही सहपाठी मौजूद होते है जो अंत में उसको प्रतिपुष्टि (Feedback) प्रदान करते है| सूक्ष्म शिक्षण पर पूरी पोस्ट अलग से लिखूंगा जिसमे ये बताऊंगा कि सूक्ष्म शिक्षण के पाठ कैसे लिखे जातें है और उनका वास्तविक प्रयोग कहाँ होता है मेगा शिक्षण (Mega Teaching) : सूक्ष्म शिक्षण की प्रैक्टिस करने के बाद और स्कूल टीचिंग में जाने से पहले मेगा टीचिंग की जाती है | यह इसलिए की जाती है ताकि जो सूक्ष्म शिक्षण की ट्रेनिंग में तो प्रैक्टिस की है उसको स्कूल के छोटा मौहोल तैयार करके जांचा जा सकते | मेगा टीचिंग 20 से 25 मिनट की हो सकती है मेगा टीचिंग का उद्देश सूक्ष्म शिक्षण के दौरान की गई प्रक्टिस की जांच करना है ताकि स्कूल टीचिंग में किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो | इस में कृत्रिम कक्षा वातावरण बनाया जाता है | इसमें छात्र अध्यापकों को उसी प्रकार के पाठ योजना (Lesson plan) लिखनी होती है जैसी वो स्कूल प्रैक्टिस में लेकर जाते है | तो यहाँ ये भी फायदा होता है कि पाठ योजना भी उनको लिखनी आ जाती है | प्रभावशाली पाठ योजना कैसे तैयार करते है आगे आने वाली पोस्ट में मिल जाएगा | स्कूल शिक्षण (School Teaching) यह पूर्ण रूप है शिक्षण का | इसमें छात्र अध्यापक स्कूल में जाकर, स्कूल के बच्चों के सामने शिक्षण कार्य करते है| या वास्तविक शिक्षण के नाम से भी जाना जाता है | यहाँ छात्र अध्यापक को सभी प्रैक्टिस किये गये कौशलों का प्रयोग करके बच्चो को पढाता है | स्कूल शिक्षण में छात्र अध्यापक पाठ योजना तैयार करके लेकर जाते है | जो उपविषय पर आधारित होती है| इसमें वो उस उपविषय के उद्देश्यों को लिखते है जिन्हें वो पाठ पढ़ा कर प्राप्त करते है| स्कूल टीचिंग का उद्देश्य बच्चों का ज्ञान बढाना है और छात्र अध्यापकों का कौशलों में पारंगता हासिल करना है | ताकि भविष्य में जब वो स्कूल में पढ़ाने जाए तो किसी भी प्रकार की कक्षिये समस्या का सामना ना करना पड़े |
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