12-07-2018, 08:05 PM | #1 |
Diligent Member
|
ग़ज़ल- था भरोसा मगर सब धुंआ हो गया
●●●●●●●●●●●●●●● था भरोसा मगर सब धुंआ हो गया नाम जिसका वफ़ा बेवफा हो गया °°° सिर्फ मतदान कर के जरा सोचिए फर्ज क्या आपका है अदा हो गया °°° जिंदगी में खुशी की तमन्ना रही क्यूँ गमों का मगर सिलसिला हो गया °°° वो विधायक बना जबसे है साथियों ऐसे मिलता है जैसे खुदा हो गया °°° तुम अभी भी वही ढूंढते हो सुकूं ये नया दौर है सब नया हो गया °°° ऐसे ज़ालिम को "आकाश" क्या नाम दूँ दिल चुरा कर मेरा जो जुदा हो गया ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी ●●●●●●●●●●●●●●● वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) |
16-07-2018, 08:37 AM | #2 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: ग़ज़ल- था भरोसा मगर सब धुंआ हो गया
Quote:
एक खूबसूरत ग़ज़ल जिसमे हमारे आसपास की सच्चाइयों की झलक भी मिलती है. हार्दिक धन्यवाद, आकाश जी.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
|
17-08-2018, 05:34 PM | #3 |
Diligent Member
|
Re: ग़ज़ल- था भरोसा मगर सब धुंआ हो गया
|
Bookmarks |
|
|