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06-12-2014, 11:50 AM | #1 |
Junior Member
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नन्ही परी (नन्ही परी दुल्हन बन ससुराल चली)
नन्ही परी (नन्ही परी दुल्हन बन ससुराल चली) देखों-देखों घर आई एक नन्ही परी, दिल में उत्साह और उमंग भरी, देखों-देखों घर आई एक नन्ही परी|| घर में गूंज रही किलकारी ध्वनि, आँखों से झर रही मोतियों की लड़ी, जैसे खेत में ओंस की बुँदे है पड़ी || देखों-देखों घर आई एक नन्ही परी………………..|| पूरा परिवार उसके इर्द गिर्द घूम रहा, सुन्दर सलौना प्यारा सपना उसके लिए बून रहा, जैसे भंवरे की गुंजन में हर एक पुष्प झूम रहा|| देखों-देखों घर आई एक नन्ही परी………………..|| पैरों में घुंघरू बांधकर छमक-छमक वो बाजती, कभी दादा,कभी दादी,कभी माँ के पास भागती, जैसे वन में मौर की सुन्दर छवि है नाचती || देखों देखों घर आई एक नन्ही परी………………..|| नन्ही परी आज चली गुरुकुल की गली, चलो-चलो आज वो विवाह के मंडप में खड़ी, प्यारी नन्ही परी माँ का आँचल छोड़ चली, बाँटने स्नेह ससुराल की गली || देखो देखो घर छोड़ चली नन्ही परी बाँटने स्नेह ससुराल की गली || देखों-देखों घर छोड़ चली नन्ही परी, दुल्हन बन ससुराल चली ……|| कर्णिका पाठक http://www.deepawali.co.in/wedding-s...di-poetry.html नन्ही परी हिंदी कविता एक लड़की के जीवन का सारांश हैं कैसे वो एक परिवार में जन्म लेती हैं औए एक दिन उससे सदा के लिए छोड़ देती हैं | कितनी यादे वो एक पल में पराया कर जाती और एक नयी ज़िन्दगी को गले लगाती | जन्म से बिदाई तक वो अपनी माँ के आँचल में ज़िन्दगी को सहेजती हैं और अचानक ही एक दिन वो किसी आँगन की तुलसी बन जाती हैं | आजादी होती हैं उसे एक बेटी के रूप में, बहू बनते ही वो जिम्मेदारी निभाती हैं | |
06-12-2014, 06:48 PM | #2 |
Special Member
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Re: नन्ही परी (नन्ही परी दुल्हन बन ससुराल चली)
बहुत ही शानदार ...मैंने अपनी नन्ही बेटी को गोद में बैठा के सुनाई
...धन्यवाद कविता जी .... |
06-12-2014, 07:12 PM | #3 |
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Re: नन्ही परी (नन्ही परी दुल्हन बन ससुराल चली)
बहुत सुन्दर कविता जी. आपने कन्या रत्न के जीवन के विविध आयामों पर भावभीने शब्दों से युक्त काव्यात्मक विचार प्रस्तुत किये हैं. कविता अत्यंत प्रभावशाली है. इससे मिलता जुलता एक अन्य सूत्र blogs विभाग में निम्नलिखित लिंक पर "कन्या का जन्म एक त्रासदी नहीं" शीर्षक से चल रहा है:
http://myhindiforum.com/showthread.php?t=11489 इस पर भी एक दृष्टि डाल सकते हैं. धन्यवाद.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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hindi kavita on marriage, hindi poem on girl's life |
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