15-11-2012, 08:15 PM | #1 |
अति विशिष्ट कवि
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पुरुष - स्वभाव
लड़कियों की नज़र में जंचने को , शातिराना मिजाज़ रखते हैं . जाल में फंस गई अगर कोई , ख़ुब घुमाते हैं उसको बाइक पे ; तान कॉलर बघारते शेखी , मालिक़ाना मिजाज़ रखते हैं . लाख गड़ते हों सबकी नज़रों में , फ़र्क इनपे कोई नहीं पड़ता . शर्म हो जिसमें , आँख मूंदे ख़ुद , बेहयाना मिजाज़ रखते हैं . ताड़ कर और भी रईस बड़ा , फ़ुर्र हो जाये अगर माशूका ; ज़ख्म के साथ याद जी करके , शायराना मिजाज़ रखते हैं . हाल बेहाल देखकर इनका , घर बसाते जब इनका घर वाले ; कुछ दिनों तक ये अपनी पत्नी पे , हुक्मराना मिजाज़ रखते हैं . वक़्त के साथ झटक कर घूँघट , रंग असल जब वो दिखाने लगती . देखकर रौद्र रूप पत्नी का , कायराना मिजाज़ रखते हैं . इनके खुद के , पड़ोस के लड़के , जब इन्हीं हरकतों को दोहराते ; ख़ुब पिलाते हैं नसीहत उनको , फलसफाना मिजाज़ रखते हैं . रचयिता ~~ डॉ .राकेश श्रीवास्तव विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ . शब्दार्थ ~ फलसफाना = दार्शनिकों जैसा Last edited by Dr. Rakesh Srivastava; 17-11-2012 at 07:29 AM. |
15-11-2012, 09:59 PM | #2 |
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Re: पुरुष - स्वभाव
डॉक्टर राकेश जी .... अच्छी व्यंग्यात्मक रचना है ......!
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15-11-2012, 10:23 PM | #3 |
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Re: पुरुष - स्वभाव
[QUOTE=Dr. Rakesh Srivastava;181301]
डॉ. श्रीवास्तव जी, इस ग़ज़ल में आपने पुरुष स्वभाव- विशेष रूप से मनचले नौजवानों के स्वभाव- का बड़ा मनोहारी दृष्य पेश किया है जिसमे गंभीरता भी है और चुटीलापन भी है, रचना मनोरंजक होने के साथ साथनसीहत भी देती है. कायराना शब्द का प्रयोग अच्छा हुआ है. इतनी बढ़िया और नए मूड की रचना के लिये धन्यवाद और बधाई. |
16-11-2012, 12:01 PM | #4 |
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Re: पुरुष - स्वभाव
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17-11-2012, 09:03 AM | #5 |
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Re: पुरुष - स्वभाव
बहुत अच्छे राकेश जी ।
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ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
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