22-01-2015, 10:37 PM | #11 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
23-01-2015, 10:53 PM | #12 |
Diligent Member
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 65 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
बहुत बहुत धन्यवाद रजनीश जी आपने इस सूत्र को आगे बढाया , मै आपकी आभारी हूँ .. बहुत सी बातें जानने को मिली हम सबको इस फेस्टिवल के बारे में . पुनः हार्दिक धन्यवाद .
|
24-01-2015, 12:33 AM | #13 |
Moderator
Join Date: Sep 2014
Location: UP
Posts: 623
Rep Power: 31 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
आप बिल्कुल सही कह रहे हैं , वास्तव में देखा जाये तो गाने सिर्फ वही जहन में रहते हैं जिनके बोल अर्थपूर्ण हों , गाने की धुन और गाने की uniqueness सिर्फ कुछ ही समय तक गानों को popular बना सकती हैं ।
__________________
It's Nice to be Important but It's more Important to be Nice |
24-01-2015, 06:54 AM | #14 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
Quote:
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
|
24-01-2015, 07:06 AM | #15 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
Quote:
मैं आपकी बात से सहमत हूँ, पवित्रा जी. यही कारण है कि पुराने गानों की लोकप्रियता को देखते हुए और लोगों के दिलों तक पहुँचने की उनकी क्षमता के कारण ही आज की फिल्मों तथा विज्ञापनों में भी उनका प्रयोग किया जाता है चाहे कुछ बदलाव के साथ ही हो. आजकल एक विज्ञापन में "ये मेरा दीवानापन है .... " गीत का बदले हुए रूप में अच्छा उपयोग किया गया है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
|
24-01-2015, 09:32 AM | #16 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
जयपुर साहित्य महोत्सव में विजय शेषाद्रि
महोत्सव में भाग ले रहे विदेशी मेहमानों में एक प्रमुख नाम विजय शेषाद्रि का है जो भारतीय मूल के हैं हैं और अमरीका में रहते हैं. शेषाद्रि अंग्रेजी के जाने-माने कवि हैं और पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता हैं. अंग्रेजी साहित्य जगत में इसका अत्यंत महत्व है विशेष रूप से नॉन-फ़िक्शन साहित्य के क्षेत्र में. शेषाद्रि से जब किसी ने यह कहा कि भारत में काव्य-साहित्य के प्रति लोगों का रुझान कम होता जा रहा है. वे इसका क्या कारण समझते है? तो शेषाद्रि का कहना था कि वे भारत के साहित्यिक माहौल के बारे में अधिक कुछ नहीं जानते, अतः इस विषय में कुछ नहीं बता सकते. हाँ, यदि अमरीका का संबंध है, वहाँ काव्य-साहित्य की गरिमापूर्ण स्थिति है. वहाँ काव्य-साहित्य के प्रति लोगों की समझ तथा उसके प्रति रुझान बढ़ा है. ‘इस बारे में स्थिति इतनी अनुकूल है कि मैं कह सकता हूँ कि बारहवीं शताब्दी में पर्शिया (फ़ारस या ईरान) में काव्य-साहित्य के प्रति समाज के हर तबके में जो उत्साह और लगाव था, ठीक उसी प्रकार का उत्साह और लगाव आज अमरीकी समाज में काव्य-साहित्य के प्रति देखने को मिलता है.’ उन्होंने कहा कि अमरीकी संदर्भ में वर्तमान समय काव्य-साहित्य का “स्वर्णिम युग” है. हम आपको बता दें कि बारहवीं शताब्दी में पर्शिया या बड़े बड़े विद्वान् हो चुके हैं जिनमें सूफ़ी साहित्य के रचयिता शेख़ सादी व उमर ख़य्याम और उनसे पहले मौलाना रूमी थे. विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं. ये सभी विश्व-विख्यात विभूतियाँ है. हम कह सकते हैं कि सैंकड़ों वर्षों भी उनकी चमक कम नहीं हुई है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 24-01-2015 at 09:36 AM. |
24-01-2015, 02:56 PM | #17 |
Diligent Member
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 65 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
पुनः बहुत अभारी हु रजनीश जी ....धन्यवाद आपने इस सूत्र के क्रम को बहुत अच्छे से संभाला है ...
|
24-01-2015, 10:59 PM | #18 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
जयपुर साहित्य महोत्सव 2015
ज.सा.म. 2015 में गीतकार स्क्रिप्ट राइटर प्रसून जोशी अपने गीतों के लिए विख्यात तथा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार प्रसून जोशी ने इस बार पुनः महोत्सव में शिरकत की. दिल्ली के साथ उनके रोमांस की बात चली तो उन्होंने बताया कि बचपन से ही दिल्ली उनका एक भाग रहा है. उन्होंने रात बिरात भागम-भाग में यहाँ फ़िल्में देखी हैं. ढाबों के खाने का आनंद लिया है. अपनी जवानी के दिनों में उन्होंने अपनी लाइफ़ को खूब एन्जॉय किया है. ‘नो वन किल्ड जैसिका’ फिल्म जो 2011 में प्रदर्शित हुई थी, में दिल्ली के बारे में उनका एक गीत था- यह दिल्ली है मेरे यार. उसके बाद आयी फिल्म ‘दिल्ली-6’ में भी उन्होंने दिल्ली की संस्कृति को समेटने की अच्छी कोशिश की थी. उन्होंने अपनी रचनाओं यथा- माँ, ससुराल गेंदा फूल तथा सीखो ना नैनों की भाषा पिया- आदि का काव्य पाठ कर श्रोताओं का मनोरंजन किया. जोशी का प्रारम्भिक समय उत्तराखंड में व्यतीत हुआ. वे बताते हैं कि उन्होंने बीटल्स का नाम भी बहुत बाद में सुना था. वे शास्त्रीय, लोक व पारंपरिक संगीत से अवश्य परिचित थे लेकिन उनमे इतना शब्द सामर्थ्य नहीं था कि अपने आपको गीतकार के रूप में ले पाते. यह रुझान तो प्रोफ़ेशनल जीवन में आने के बाद ही विकसित हुआ. 43 वर्षीय जोशी ने अपने नए प्रोजेक्ट के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने बताया की आज कल वे एक पौराणिक विभूति पर बनने वाली फिल्म पर काम कर रहे हैं. निर्माणाधीन फिल्म “मर्गेरिटा, विद ए स्ट्रॉ ” के लिए भी गीत लिख रहे हैं. इस फिल्म में अभिनेत्री कल्कि कोयेचिन प्रमुख भूमिका में दिखाई देंगी.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
26-01-2015, 02:41 PM | #19 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
जयपुर साहित्य महोत्सव 2015
ज.सा.म. 2015 में फिल्मकार विशाल भारद्वाज फिल्म "हैदर" पर उठे विवाद पर: सच कहूँ तो मुझे इस फिल्म के सन्दर्भ में उठे विवाद का कुछ तो आभास पहले से था क्योंकि कश्मीर की पृष्ठभूमि पर कोई फिल्म बने और कोई विवाद न खड़ा हो यह हो ही नहीं सकता. लेकिन यह विवाद इतने व्यापक स्तर पर खड़ा होगा, यह मुझे नहीं पता था. फिल्म के द्वारा कोई राजनैतिक सन्देश देने की मेरी मंशा नहीं थी बल्कि मैं तो वहां जो हो रहा है, वही दिखाना चाहता था. कश्मीरी पंडितों की स्थिति पर कुछ नहीं कहा: दरअसल, यह फिल्म (हैदर) कश्मीरी पंडितों के बारे में नहीं थी. ऐसा नहीं कि कश्मीरी पंडितों को अपना घरबार छोड़ कर जो भटकना पड़ रहा है, उसकी मुझे तकलीफ़ नहीं है. मैं तो केवल यह कहना चाहता हूँ कि फिल्म में जिस कहानी को पेश किया गया है, उसमे इस समुदाय की मुश्किलों पर ध्यान फोकस करने की गुंजाईश नहीं थी. गुलज़ार साहब से रिश्तों के बारे में: गुलज़ार साहब से मेरे बड़े घनिष्ट संबंध हैं. कभी तो यह पिता-पुत्र के रिश्तों की तरह दिखाई देते हैं कभी गुरू-शिष्य की तरह. लेकिन मेरा मानना है कि उनसे मेरा संबंध रूहानी अधिक है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 26-01-2015 at 02:44 PM. |
26-01-2015, 03:12 PM | #20 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
जयपुर साहित्य महोत्सव 2015
ज.सा.म. 2015 में विवाद अन्य वर्षों की तरह इस वर्ष भी महोत्सव विवाद मुक्त नहीं रहा. इस बार विवाद उठा है राष्ट्रगीत को ले कर. बुधवार, 21 जनवरी को इसके उद्घाटन समारोह में 'जन-गण-मन' जो प्रस्तुति की गयी, उस पर विवाद उठाया गया है, जिसको ले कर एक सज्जन (श्री मधुसुदन सिंह राठौड़) न्यायालय की शरण में चले गए है. उनका आरोप है कि राष्ट्रगीत के गायन की मर्यादा का उल्लंघन किया गया है. एक तो इसकी धुन का ध्यान नहीं रखा गया, दूसरे, इसे गाने में 44 सैकेंड का अतिरिक्त समय लिया गया. परम्परा के अनुसार राष्ट्रगीत को गाने में ठीक 52 सैकेंड का समय लगना चाहिए. शिकायत Prevention of Insult to National Honour Act 1971 की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत की गयी है. मुख्य दण्डाधिकारी के आदेश पर पुलिस आरोप की जांच कर रही है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
Bookmarks |
Tags |
jaipur litt festival 2015 |
Thread Tools | |
Display Modes | |
|
|