15-08-2016, 07:36 PM | #1 |
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गीतिका- जिसने खुद को है पहचाना...
जिसने खुद को है पहचाना उसके आगे झुका जमाना दुनिया में तो दुख हैं लाखों फिर भी इनसे क्या घबराना लोग भला क्यों दंभी होते जब साँसों का नहीं ठिकाना यार कहो अच्छा है लेकिन देखो बंदा है अनजाना मयखाने में ज्वाला पीकर भूल गये हैं घर को जाना उनको भी ''आकाश'' खिलाओ पैदा करते हैं जो दाना गीतिका- आकाश महेशपुरी |
14-09-2016, 06:14 PM | #2 | |
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Re: गीतिका- जिसने खुद को है पहचाना...
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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