25-08-2016, 06:44 PM | #1 |
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ग़ज़ल- अच्छा हुआ कि यार...
221 2121 1221 212 मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ अच्छा हुआ कि यार अभी ज्ञान आ गया क़ाबिल तेरे नहीं हूँ मुझे ध्यान आ गया ~~~ मेरे बहुत हैं चाहने वाले जहान में क्यूँ दिल दुखाने को कोई अनजान आ गया ~~~ वो तो बड़ा बेदर्द है, ज़ालिम है दोस्तों मैंने जिसे माना कि है भगवान आ गया ~~~ जाकर कभी वो देख ले शमशान की तरफ है हुश्न पे यहाँ जिसे अभिमान आ गया ~~~ मुझसे खफ़ा 'आकाश' भला क्यों हुआ है वो क्या उसके जाल में नया इंसान आ गया ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर (यूपी) 9919080399 |
25-08-2016, 10:26 PM | #2 | |
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Re: ग़ज़ल- अच्छा हुआ कि यार...
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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26-08-2016, 05:37 AM | #3 |
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Re: ग़ज़ल- अच्छा हुआ कि यार...
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30-08-2016, 05:52 PM | #4 | |
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Re: ग़ज़ल- अच्छा हुआ कि यार...
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