07-11-2014, 06:29 AM | #11 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
यक़ीनन तेरे दामन पर न कोई दाग है फिर भी शराफ़त के लबादे का उतर जाना ही बेहतर है "दीक्षित दनकौरी".
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
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