10-05-2012, 04:35 AM | #31 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
लंदन ओलिंपिक की तीरंदाजी स्पर्द्धाएं ऐतिहासिक क्रिकेट मैदान लॉर्ड्स में आयोजित की जाएंगी। क्रिकेट के मक्का के तौर पर मशहूर इसी मैदान पर कपिलदेव की कप्तान में भारत ने 1983 विश्व कप जीता था। इसके बाद क्रिकेट भारत में सबसे लोकप्रिय खेल बन गया है। मुमकिन है इस बार तीरंदाजी में भी भारत के हाथ कुछ ऐसी ही शानदार सफलता हाथ लगे।
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10-05-2012, 04:36 AM | #32 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
नम्बर गेम
1900 पेरिस ओलिंपिक में पहली बार तीरंदाजी को शामिल किया गया। 1972 ओलिंपिक से तीरंदाजी लगातार इस खेल महाकुंभ का हिस्सा रहा है। 30 पदक जीते हैं दक्षिण कोरिया ने तीरंदाजी में अब तक, 16 स्वर्ण पदक सहित। 13 पदक जीतकर अमेरिका दूसरे स्थान पर है। इसमें 8 स्वर्ण पदक शामिलहैं।
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10-05-2012, 04:39 AM | #33 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
मेडल नहीं, अनुभव जीतने जाएंगे लंदन
तैराकी में अब तक चार भारतीय कर चुके हैं लंदन ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई, लेकिन पदक की उम्मीद काफी कम तैराकी भारत में मजबूरी या शौक के तौर पर ही देखा जाता है। मजबूरी उनके लिए जो बाढ़ से परेशान रहते हैं या समुद्र, नदियां और तालाब जिनकी जिंदगी का हिस्सा होते हैं। शौक उनके लिए जो इसे अच्छा टाइमपास होने के साथ-साथ एक्सरसाइज का उम्दा विकल्प भी मानते हैं। खेल के तौर पर तैराकी को भारत में बहुत पहचान नहीं मिली और इसी का नजीता है कि 100 साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद ओलिंपिक में सिर्फ पांच भारतीय तैराक हिस्सा ले पाए हैं। जाहिर है किसी को पदक नहीं मिला। इस बार चार भारतीय तैराकों ने इस खेल महाकुंभ के लिए क्वालीफाई किया है। इनमें से दो वीरधवल खाड़े और संदीप सेजवाल पहले भी ओलिंपियन रह चुके हैं। वहीं दो अन्य आरोन डिसुजा और सौरव सांगवेकर पहली बार किस्मत आजमाएंगे।
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10-05-2012, 04:48 AM | #34 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
अंतर्राष्ट्रीय स्तर से बहुत पीछे
वीरधवल खाड़े भारत के सबसे बेहतरीन तैराक माने जाते हैं। वे लंदन ओलिंपिक में 100 मीटर फ्रीस्टाइल स्पर्द्धा में शिरकत करेंगे। इस स्पर्द्धा में खाड़े का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 49.47 सेकंड का है। उनके लिए चुनौती कितनी कड़ी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2011 में बीजिंग में आयोजित वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 100 मीटर फ्रीस्टाइल का कांस्य जीतने वाले फ्रांस के विलियम मेनार्ड ने 48.00 सेकंड का समय निकाला था। गोल्ड जीतने वाले आस्ट्रेलिया के जेम्स मैगनुसीन ने तो 47.63 सेकंड का समय ही लिया था। जब भारत का सर्वश्रेष्ठ तैराक अपने वर्ग में अंतर्राष्ट्रीय स्तर से इतना पीछे है, तो शेष तैराकों की स्थित का अंदाजा बहुत ही आसानी से लगाया जा सकता है। भारतीय तैराक अपनी-अपनी स्पर्द्धाओं में हीट चरण से आगे निकलने में सफल रहे तो इसे ही बहुत बड़ी कामयाबी के तौर पर गिना जाएगा।
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10-05-2012, 04:49 AM | #35 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
महिलाओं की उपस्थिति ही नहीं
पुरुष वर्ग में तो चार तैराक ने कम से कम क्वालीफाई तो किया, लेकिन महिला वर्ग में एक भी भारतीय तैराक लंदन का टिकट हासिल नहीं कर सकी। नेशनल गेम्स में पदकों की झड़ी लगा देने वाली ऋचा मिश्रा भी इस उपलब्धि को हासिल नहीं कर सकीं। भारत के ओलिंपिक इतिहास में अब तक सिर्फ एक महिला तैराक इस खेल महाकुंभ में भाग ले पाई हैं। वह हैं कर्नाटक की निशा मिलेट। निशा ने 2000 सिडनी ओलिंपिक में हिस्सा लिया था। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में करीब 600 गोल्ड मेडल जीत चुकीं, निशा ओलिंपिक में कोई कमाल नहीं दिखा सकी थीं।
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10-05-2012, 04:51 AM | #36 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
अमेरिका और आस्ट्रेलिया महाशक्ति
ओलिंपिक तैराकी में अब तक अमेरिका का दबदबा रहा है। अमेरिकी तैराकों ने इसमें 214 स्वर्ण सहित 489 पदक जीते हैं। दूसरे नंबर पर मौजूद आस्ट्रेलिया ने 56 स्वर्ण पदक सहित 168 पदक अपनी झोली में डाले हैं। एशियाई देशों में जापान सबसे आगे है। जापान ने कुल 62 पदक जीते हैं, इसमें 20 स्वर्ण पदक शामिल हैं। ओवरआल जापान पांचवें स्थान पर है।
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10-05-2012, 04:54 AM | #37 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
फेल्प्स सबसे सफल तैराक
अमेरिका के माइकल फेल्प्स ओलिंपिक इतिहास के सबसे सफल तैराक हैं। उन्होंने 2004 एथेंस ओलिंपिक और 2008 बीजिंग ओलिंपिक को मिलाकर कुल 16 पदक जीते। इसमें 14 स्वर्ण पदक शामिल हैं। फेल्प्स ने सिर्फ बीजिंग ओलिंपिक में ही आठ गोल्ड मेडल जीते थे। फेल्प्स न सिर्फ तैराकी बल्कि किसी भी खेल में सबसे ज्यादा पदक जीतने वाले खिलाड़ी हैं।
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10-05-2012, 04:55 AM | #38 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
नम्बर गेम
27 ओलिंपिक खेलों का आयोजन हुआ है अब तक और सभी में तैराकी शामिल रहा। 1912 ओलिंपिक में पहली बार महिला तैराकी स्पर्द्धा को भी शामिल किया गया। 1906 ओलिंपिक तक तैराकी की स्पर्द्धाएं पूल में आयोजित न होकर ओपन वाटर में हुई। 50 मीटर के स्टैंडर्ड पूल का पहली बार 1924 ओलिंपिक में इस्तेमाल किया गया।
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10-05-2012, 05:04 AM | #39 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
बड़े घमासान के बाद चुना जाता है मेजबान
आज तक अफ्रीका, मध्य एशिया, मध्य-पूर्वी एशिया या दक्षिण एशिया में नहीं हुआ है ओलिंपिक ओलिंपिक में पदक के लिए होने वाली प्रतिद्वंद्विता से भी मुश्किल है इन खेलों की मेजबानी हासिल करने के लिए होने वाली जंग। मैदान पर तो जिस खिलाड़ी के पास हुनर और योग्यता है वह पदक जीतने में कामयाब हो जाता है, लेकिन मेजबानी हासिल करने के लिए सिर्फ इन्हीं खूबियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। यहां साम, दाम, दंड, भेद सबका सहारा लेना पड़ता है। जो शहर सबसे बड़ा दावेदार नजर आता है मुमकिन है वोटिंग में वह न जीत पाए और अपेक्षाकृत कमजोर माने जाने वाले दावेदार कई बार मेजबानी ले उड़ते हैं। कुछ ऐसा ही पिछली बार लंदन के साथ हुआ। 2012 ओलिंपिक खेलों के लिए पेरिस सबसे बड़ा दावेदार था और लंदन की चुनौती काफी कमजोर आंकी जा रही थी, लेकिन आखिरकार लंदन ने पेरिस को हराकर मेजबानी का अधिकार हासिल कर लिया।
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10-05-2012, 05:07 AM | #40 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
यह है चयन प्रक्रिया
अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक समिति ने 1999 में आयोजक शहर के चुनाव के लिए नई प्रक्रिया बनाई। इसके तहत दावेदारी के इच्छुक शहरों को एक विस्तृत आवेदन पत्र जमा करना होता है। इसके साथ प्रस्तावना और 10 मिनट का प्रजेंटेशन भी देना होता है। इसके बाद आईओसी का कार्यकारी बोर्ड जगह, सुरक्षा, यातायात समेत कई पैमानों पर इन दावेदारों को परखता है। जो शहर इसमें कमजोर पाए जाते हैं, उन्हें तत्काल प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाता है। शेष बचे दावेदारों में से चुनाव के लिए आईओसी के सदस्य देशों के बीच वोटिंग कराई जाती है। आयोजन का अधिकार उसी शहर को मिलता है, जिसे बहुमत हासिल हो जाए। अगर एक राउंड में ऐसा नहीं होता है, तो यह वोटिंग तब तक होती है, जब तक किसी एक शहर को बहुमत न मिल जाए। हर राउंड में सबसे कम वोट पाने वाला दावेदार बाहर हो जाता है। उदाहरण के तौर पर 2012 ओलिंपिक के मेजबान के लिए चार राउंड में वोटिंग करानी पड़ी थी। पहले राउंड में लंदन को 22, पेरिस को 21, मैड्रिड को 20, न्यूयॉर्क को 19 और मास्को को 15 वोट मिले थे। इस तरह सबसे कम वोट पाने वाला मास्को दूसरे राउंड की वोटिंग प्रक्रिया से बाहर हो गया। दूसरे राउंड में लंदन को 27, पेरिस को 25, मैड्रिड को 32 और न्यूयार्क को 16 वोट मिले। इसके बाद न्यूयार्क बाहर हो गया। तीसरे राउंड में लंदन को 39, पेरिस को 33 और मैड्रिड को 31 वोट मिले। चौथे और आखिरी राउंड में लंदन को 54 और पेरिस को 50 वोट मिले। इस तरह 2012 ओलिंपिक की मेजबानी का अधिकार लंदन को मिल गया। जाहिर है इस वोटिंग में हर वोट काफी कीमती है और माना जाता है कि इसे हासिल करने के लिए दावेदार किसी भी हद तक जा सकते हैं।
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