25-03-2013, 04:39 PM | #1 |
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इधर-उधर से
प्रिय मित्रो, इस नए सूत्र के माध्यम से मैं अपनी डायरी में दर्ज कुछ प्रसंग, कुछ शेरो शायरी, कुछ श्लोक व सूक्तियाँ, कुछ नए-पुराने शब्द और उनके अर्थ, कुछ तकनीकी शब्दावली तथा अन्य विविध रोचक सामग्री आपके साथ बांटना चाहता हूँ. बहुत से विषयों की मिली जुली प्रस्तुति होने के कारण सूत्र का शीर्षक ‘इधर-उधर से’ रखा गया है जिसके लिए हिंदी में एक संज्ञा मिलेगी ‘खिचड़ी’ या अंग्रेजी/ फ्रेंच में ‘pot pourri- पॉओ पोरी’. मूल रूप से इस सब का उद्देश्य यहाँ पर मनोरंजन करना है. कुछ अच्छा लगे तो उसे ग्रहण कर लें, जो अच्छा न लगे छोड़ दे. लेकिन समय समय पर अपनी टिप्पणियाँ दे कर मेरा मार्गदर्शन अवश्य करते रहें. तो शुभारंभ करते है. |
25-03-2013, 04:42 PM | #2 |
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Re: इधर-उधर से
हर चीज़ नहीं है मरकज़ में
इक ज़र्रा इधर इक ज़र्रा उधर दुश्मन को न देखो नफ़रत से शायद वो मुहब्बत कर बैठे -- रविवार दिनांक 29/06/1997 को ज़ी टी.वी. के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘आपकी अदालत’ में डॉ. कर्ण सिंह ने यह पंक्तियाँ सुनायीं. ***** दो गीत याद आ रहे है. ये दोनों मेरे दिल के बहुत करीब हैं: 1. हाँ दीवाना हूँ मैं/ हाँ दीवाना हूँ मैं/ ग़म का मारा हुआ इक बेगाना हूँ मैं / हाँ दीवाना हूँ मैं. उक्त गीत अभिनेता सुदेश कुमार पर फ़िल्माया गया था. फिल्म की नायिका जयश्री गडकर थीं. (फिल्म: सारंगा / स्वर: मुकेश / संगीत: सरदार मलिक) हो सकता है आप में से कई सदस्यों को मालूम न हो कि इस फिल्म के संगीतकार सरदार मलिक हमारे आज के जाने माने संगीतकार और ‘इंडियन आइडल’ कार्यक्रम के जज अन्नू मलिक के पिता हैं. 2. शोख़ नज़र की बिजलियाँ / दिल पर मेरे गिराये जा / मेरा न कुछ ख़याल कर / तू यूं ही मुस्कुराये जा / शोख़ नज़र की बिजलियाँ / (यह गीत साधना और मनोज कुमार पर फ़िल्माया गया था) (फिल्म : वोह कौन थी / स्वर: आशा भोंसले / संगीत: मदन मोहन ) Last edited by rajnish manga; 25-03-2013 at 04:56 PM. |
25-03-2013, 05:33 PM | #3 |
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Re: इधर-उधर से
जिन्हें अक्सर मिसाल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है उनमे से निम्नलिखित शे’र विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं:
1. खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले ख़ुदा बन्दे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है 2. हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा (शायर: अल्लामा मौ. इक़बाल) निम्नलिखित संस्कृत सूक्तियों पर भी कृपया दृष्टिपात करें: 1. उत्तापकत्वं हि सर्वकार्येषु सिद्धिनां प्रथमोsन्तराय: (नीति वाक्यामृतम = 10/134) भावार्थ: उत्तेजित होना सभी कार्यों की सिद्धि में प्रथम विघ्न है. 2. पापोनृषद्वरो जनः (ऐतरेय ब्राह्मण = 33/3) भावार्थ : अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है. |
25-03-2013, 05:56 PM | #4 |
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Re: इधर-उधर से
शब्द-सामर्थ्य
क्या आप इन शब्दों से परिचित है? = दुर्धर्ष / दुरभिसंधि /कालक्रमानुगत आइये इनके अर्थ का परिचय भी ले लें: दुर्धर्ष = जिसे हराया न जा सके दुरभिसंधि = कुचक्र कालक्रमानुगत = बाप-दादा के समय से चला आता हुआ ***** अब कुछ अंग्रेजी शब्दों के बारे में अपनी जानकारी प्राप्त करते हैं? Medium/ Bearer / Authorized आइये अब इन अंग्रेजी शब्दों के अर्थ पर विचार करें: Medium = माध्यम Bearer = धारक Authorized = अधिकृत / प्राधिकृत Last edited by rajnish manga; 25-03-2013 at 05:59 PM. |
25-03-2013, 06:48 PM | #5 |
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Re: इधर-उधर से
मित्रो, हम में से बहुतों को रागों की कोई जानकारी नहीं होगी लेकिन उसके बावजूद कई गीत हमारे मन-मस्तिष्क पर छा जाते हैं और बरसों बाद भी उन गीतों का आकर्षण ज्यों का त्यों बना रहता है. इन गीतों की लय, ताल, गायकी, ओर्केस्ट्रा, शब्द (और परदे पर अदाकारी) हमें मन्त्र-मुग्ध कर देते हैं. टी.वी. पर बहुत से कार्यक्रम इस बारे में जानकारी प्रदान करते रहे हैं. रागों की जानकारी न होते हुए भी यह जान कर अच्छा लगता है कि कौन सा गीत कौन से राग पर आधारित रचना है. कुछ फ़िल्मी गीत और उनके राग इस प्रकार हैं:
1. वक़्त करता जो वफ़ा आप हमारे होते– (राग = अहीर भैरव) 2. ज़िन्दगी भर ग़म जुदाई का हमें तड़पायेगा- (राग = मालकौंस) 3. जियरा काहे तरसाये- (राग = कलावती) 4. इतनी शक्ति हमें देना दाता- (राग = भैरवी) 5. ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है- (राग =यमन कल्याण) 6. एहसान तेरा होगा मुझ पर- (राग = यमन) 7. झनक झनक तोरी बाजे पायलिया- (राग = दरबारी) (18, 25/11/1996) Last edited by rajnish manga; 26-03-2013 at 10:10 AM. |
25-03-2013, 07:14 PM | #6 |
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Re: इधर-उधर से
दो शे'र प्रस्तुत हैं:
फ़लक देता है जिनको ऐश उनको ग़म भी देता है जहाँ बजते हैं नक्कारे वहां मातम भी होता है (शायर: दाग़ दहलवी) कांटों से गुज़रना तो बड़ी बात है लेकिन फूलों पे भी चलना कोई आसान नहीं है (शायर: आसी दानापुरी) ***** नीचे हम कुछ शब्द दे रहे हैं और देखते हैं कि हम उनके अर्थ से कितना परिचित हैं: अरण्यरोदन / परिप्रेक्ष्य /प्रतिफल /विदीर्ण /मायावी / वितृष्णा आइये अब अपने सोचे हुए अर्थ का निम्नलिखित से मिलान कर लेते हैं: अरण्यरोदन = ऐसा रोना जिसे कोई सुनने वाला न हो परिप्रेक्ष्य = किसी भी दृश्य को ठीक ठीक अनुपात में प्रस्तुत करना प्रतिफल = परिणाम / नतीजा विदीर्ण = फाड़ा हुआ (वाक्य: इस दुखद समाचार ने लोगों के हृदय विदीर्ण कर दिए) मायावी = छलने वाला वितृष्णा = इच्छा से मुक्ति (29/11/1996) Last edited by rajnish manga; 25-03-2013 at 07:17 PM. |
25-03-2013, 11:16 PM | #7 |
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Re: इधर-उधर से
आपके इस सूत्र का अवलोकन कर मेरे मन में सबसे पहले जो भाव उत्पन्न हुए, वह यह हैं कि आपने यह बहुरंगी सूत्र शुरू करने के लिए होली के बेहद अनुकूल अवसर का चयन किया, इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं। मुझे उम्मीद है, होली की तरह ही आपका यह विविध रंगयुक्त सूत्र बेहद मकबूल होगा और अनेक लोगों को मनोरंजन के साथ प्रेरणा भी देगा !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
26-03-2013, 12:53 AM | #8 | |
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Re: इधर-उधर से
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26-03-2013, 01:48 AM | #9 |
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Re: इधर-उधर से
इस गागर में सागर जैसे सूत्र के माध्यम से मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक सामग्री के सुरुचिपूर्ण ढंग से प्रस्तुतीकरण के लिए आपका भावसिक्त अभिनन्दन है ..रजनीश जी।
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
26-03-2013, 12:36 PM | #10 |
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Re: इधर-उधर से
आपकी प्रशंसात्मक टिप्पणी के लिए मेरा आभार और धन्यवाद स्वीकार करें, जय जी. आपकी 'गागर में सागर' वाली सूक्ति मेरी प्रेरणा का स्रोत बनी रहे, यही कामना करता हूँ.
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