09-06-2015, 12:40 PM | #1 |
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दो मिथक
हिन्दुओं के बीच प्रचलित दूसरा मिथक यह है कि नमाज़ पढ़ने से शरीर घिस जाता है। इसलिए नमाज पढ़ना जानते हुए भी नमाज पढ़ने से कतराते रहते हैं तथा पूर्व में कभी पढ़ी गई नमाज के कारण उनका शरीर घिस चुका है समझकर चिन्तित और विचलित होते रहते हैं और हर जगह बेशर्मी के साथ ढ़िंढोरा पीटते रहते हैं कि नमाज पढ़ने के कारण उनका शरीर घिस चुका है। ऐसा बिल्कुल नहीं है। नमाज एक तरह से कसरत भी है। नमाज पढ़ने से शरीर घिसता नहीं बल्कि और मज़बूत हो जाता है। इसलिए अपना दिल छोटा करने की कोई ज़रूरत नहीं है। भूल जाइए कि आप गैर-मुस्लिम हैं। अगर आप अपने आप को गैर-मुस्लिम समझकर नमाज पढ़ना छोड़ देंगे तो नमाज पढ़ने की प्रैक्टिस छूट जाएगी। नमाज़ पढ़ना याद रहेगा तो ज़रूरतमन्दों को जब-तब कायदे से नमाज पढ़ना सिखाकर अल्लाह को खुश करके सवाब हासिल कर सकते हैं। नमाज पढ़ने की पूरी थ्योरी जानते हुए भी हम नमाज पढ़ने की बिल्कुल हिम्मत नहीं करते। आखिर प्रैक्टिकल भी कोई चीज़ होती है। है कोई ऐसा जानकार जो मेहनत करके कायदे से नमाज़ पढ़ना सिखा सके? अपने मोबाइल नम्बर के साथ आज ही हमें लिखें। बिना मोबाइल नम्बर के साथ आए आवेदन-पत्रों को फर्ज़ी समझकर निरस्त कर दिया जाएगा। दक्षिण भारत से आए आवेदन-पत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी, क्योंकि सुना है- दक्षिण में इस्लाम की अच्छी तालीम दी जाती है।
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11-06-2015, 09:49 AM | #2 |
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Re: दो मिथक
नमाज़ के संबंध में सारगर्भित जानकारी.
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