29-06-2012, 03:13 PM | #681 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
नयी दिल्ली! भारत में इंटरनेट खंगालने वाले हर 10 में से 5 बच्चों को आनलाइन धमकाया जाता है या उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। माइक्रोसाफ्ट के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। माइक्रोसाफ्ट द्वारा 25 देशों में कराए गए ‘ग्लोबल यूथ आनलाइन बिहैवियर सर्वे’ के मुताबिक, भारत में 8 से 17 वर्ष की उम्र के 53 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि उन्हें आनलाइन धमकाया गया। इस तरह से भारत सर्वेक्षण में तीसरे पायदान पर रहा। वहीं, चीन में 70 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि उन्हें आनलाइन डराया व धमकाया गया। सिंगापुर में 58 प्रतिशत बच्चों ने इस तरह का जवाब दिया। यह सर्वेक्षण आस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, जापान, पाकिस्तान, रूस, स्पेन, यूएई, ब्रिटेन और अमेरिका सहित 25 देशों में 7,600 बच्चों के बीच कराया गया।
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30-06-2012, 03:13 PM | #682 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
किंग कोबरा के अस्तित्व पर संकट के बादल
नई दिल्ली। आवासीय दिक्कतों और चिकित्सा उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल के चलते विश्व के सबसे लंबे जहरीले सांप किंग कोबरा के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यह सांप मुख्यत: भारतीय वर्षा वनों में पाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने किंग कोबरा को संकट का सामना कर रही प्रजातियों की अपनी नवीनतम ‘रेड लिस्ट’ में शामिल किया है। पश्चिमी घाट के वर्षा वन सम्मानित तथा डरावने माने जाने वाले किंग कोबरा का घर हैं । इस सांप को भारत में शक्तिशाली तथा प्राचीन काल से ही धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है । इंडोनेशिया और फिलीपीन भी इस शानदार तथा पारिस्थितिकी के लिए मूल्यवान सांप का घर हैं। औसतन तीन से चार मीटर की लंबाई वाले इस सांप का वजन करीब छह किलोग्राम होता है। आईयूसीएन की रेड लिस्ट में कहा गया है, ‘आवासीय ह्रास और चिकित्सा उद्देश्यों के लिए अत्यधिक इस्तेमाल के चलते विश्व के सबसे बड़े विषैले सांप किंग कोबरा पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।’’ सांपों को पारंपरिक औषधियों तथा जहर रोधी दवा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और इनकी त्वचा की बिक्री आय का स्रोत है। दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाने वाले स्थानिक सांपों में से करीब 43 प्रतिशत को विलुप्ति और खतरे की श्रेणी में रखा गया है। बर्मीज पाइथन सांप भी भोजन के रूप में इस्तेमाल किए जाने तथा त्वचा बेचने के लिए मार दिए जाने के कारण खतरे का सामना कर रहे हैं, खासकर चीन और वियतनाम में इस सांप को सबसे ज्यादा खतरा है।
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30-06-2012, 03:14 PM | #683 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
शनि के चन्द्रमा टाइटन में मौजूद है तरल महासागर
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने ऐसे मजबूत सबूत पाने का दावा किया है जिससे यह संकेत मिलता है कि शनि के विशाल चन्द्रमा टाइटन की परत के नीचे तरल पानी का महासागर है। वैज्ञानिकों के अनुसार इससे इन संभावनाओं को बल मिला है कि उसके चन्द्रमा पर जीवन संभव है। नासा के कासिनी अंतरिक्षयान से पांच साल से अधिक समय में एकत्र किए गए आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि टाइटन के आकार में करीब 10 मीटर का बदलाव हुआ है। यह बदलाव शनि के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के चलते हुए। यह बदलाव नरमी के कारण भी हुआ है जो सतह के अपेक्षाकृत करीब जलाशय होने की वजह से हुआ है। वैज्ञानिक अभी इस बात को लेकर निश्चित नहीं है कि सतह के नीचे के महासागर से क्या चन्द्रमा के सतह पर पाई गई झीलों को पानी मिलता है। रोम के सापिएनजा विश्वविद्यालय के लूजियानो लेस और उनके सहयोगियों के अनुसार टाइटन पर सतह के नीचे 50 से 100 किलोमीटर का तरल महासागर हो सकता है। कार्नेल विश्वविद्यालय के ग्रह वैज्ञानिक जोनाथन ल्यूनीने ने डिस्कवरी न्यूज को बताया कि टाइटन पर महासागर का प्रमाण करीब उतना ही अच्छा है जितना यूरोप पर महासागर होने का प्रमाण। टाइटन पर जीवन को बनाए रखने के लिए सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या इसका महासागर चट्टानों से स्पर्श करता है। इसके जरिए खनिजों का स्रोत मिलता है और ताप को मार्ग मिल जाता है। यूरोपा का महासागर चट्टानी सतह पर है। ऐसी भी संभावना टाइटन का जल बर्फ की परत के बीच हो जिससे इसका खनिज या ताप से संपर्क नहीं हो सकता।
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30-06-2012, 03:14 PM | #684 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
रंग पहचानने में महिलायें हैं ज्यादा सक्षम
लंदन। एक नये अध्ययन में यह साबित हुआ है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में वर्णान्धता कम होती है। 12 में से एक पुरुष की तुलना में 255 में से सिर्फ एक महिला में वर्णान्धता की समस्या पायी गयी। आँखें हमारे शरीर की सबसे जटिल ज्ञानेन्द्री है और जिन आॅक्यूलर कोशिकाओं द्वारा हम रंगों को पहचानते हैं उन्हें कोन्स कहा जाता है। हर कोन से लगभग 100 रंगों को देखा जा सकता है। डेली मेल की खबर के मुताबिक अधिकतर लोगों में तीन तरह की कोन होती हैं जिन्हें ‘ट्राइक्रोमैटिक’ कहते हैं। इसके विपरीत वर्णान्ध लोगों में दो ही तरह की कोन होती हैं जो कि उन्हें ‘डाइक्रोमैटिक’ बनाती है। अधिकांश जानवर वर्णान्ध होते हैं। बहरहाल, वे महिलायें जिनकी आंखों में तीन कोन थे, उनमें एक अतिरिक्त ‘म्यूटेन्ट कोन’ भी पाया गया। वैज्ञानिको के अनुसार इस चौथी कोन के कारण ही ये महिलायें रंगों में भेद करने में सक्षम होती हैं। इस अध्ययन की लेखिका ने कहा कि इन चार कोन वाले लोगों को ‘टेट्राक्रोमैटिक भी कहते हैं। पिछले 20 वर्षों से चार कोन वाले लोगों की तलाश कर रही डा. जार्डन का दावा है कि आखिरकार उन्हें सफलता मिल ही गई। उत्तरी इंग्लैंड में रहने वाले इस चार कोन वाले डॉक्टर को ‘सीडीए29’ के नाम से जानते हैं। उन्होंने ‘डिस्कवर’ मैग्जीन को अपनी सफलता के बारे में बताते हुये कहा कि अब हम ‘टेट्राक्रोमेसी’ के बारे में जानते हैं। लेकिन हमें यह नहीं पता कि किस कारण से कोई ‘टेट्रामेटिक’ हो जाता है।
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30-06-2012, 03:15 PM | #685 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अब खुद ठंडी होगी बीयर, फ्रिज की जरूरत नहीं
लंदन। गर्मियों में आपका मूड बीयर पीने का हो और आपको ठंडी बीयर ना मिले तो कितना गुस्सा आता है । लेकिन अब आपके गुस्से को शांत करने का तरीका जल्दी ही बाजार में आने वाला है । बाजार में एक ऐसा केन आने वाला है जो अपने अंदर के बीयर को महज दो मिनट में बर्फ जैसा ठंडा बना देगा । लोगों को इस केन में बीयर को ठंडा करने के लिए उसकी पेंदी में लगे एक बटन, ‘जिसपर चिल केन’ लिखा हुआ है, को दबाना है और बस आपका काम हो गया । ऐसा दावा है कि यह पर्यावरण हितैषी भी है । इस केन के इस वर्ष के अंत तक बाजार में आने की संभावना है । निवेशकों का कहना है कि केन की पेंदी में लगे बटन को जब दबाया जाता है तो वह उससे जुड़े कैप्सूल में से दाबित कार्बनडाइआॅक्साइड मुक्त करता है और पेय 15 डिग्री सेंटीग्रेट तक ठंडा हो जाता है । ‘डेली मेल’ की खबर के अनुसार, सुर्रे विश्वविद्यालय के ‘सेन्टर फॉर एंवायरमेंटल स्ट्रेटेजी’ के प्रोफेसर रोलैंड क्लिफ का कहना है कि नयी प्रौद्योगिकी पर्यावरण हितैषी है ।
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30-06-2012, 03:54 PM | #686 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
आधुनिक मानव के जीनोम के प्राचीनतम अंश निकालने का दावा
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने स्पेन में मिली 7,000 साल पुरानी दो गुफामानवों की हड्डियों से आधुनिक मानव के जीनोम के प्राचीनतम अंश निकालने का दावा किया है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि उस भाग में रहने वाले गुफामानव आज के लोगों के पूर्वज नहीं थे। स्पेनिश नेशनल रिसर्च काउंसिल में अनुसंधानकर्ता कार्लेस लैलुएजा फॉक्स ने लाइव साइंस से कहा कि प्रागैतिहासिक काल के आधुनिक मानव के यह सबसे पुराने आंशिक जीनोम हैं। समझा जाता है कि कैंटाबेरियन पहाड़ियों में वर्ष 2006 में खुदाई के दौरान मिले दो कंकाल दो युवा पुरुषों के हैं। यहां सर्दी बहुत तेज होती है जिसकी वजह से हड्डियों में डीएनए के संरक्षण में मदद मिल गई। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि ये हड्डियां तब की हैं जब नवपाषाण युग के लोगों और उनके साथ कृषि का पश्चिम एशिया से आईबेरियाई प्रायद्वीप तक विस्तार नहीं हुआ था। दल ने दोनों गुफामानवों की हड्डियों से 1.34 फीसदी और 0.5 फीसदी मानव जीनोम पाया। अनुमान के अनुसार दोनों गुफामानव शिकारी थे। विश्लेषकों ने कहा कि आइबेरियाई प्रायद्वीप में वर्तमान में रह रहे लोगों में स्पेन, पुर्तगाल और एंडोरा निवासी शामिल हैं और इन लोगों की जीन संरचना गुफामानवों के कंकाल की जीन संरचना से नहीं बल्कि उत्तरी यूरोप में वर्तमान में रह रहे लोगों से मिलती है। वैज्ञानिकों ने इनमें से एक गुफामानव का पूरा माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए भी पाया है जिससे पता चलता है कि मध्य पाषाणकाल के दौरान यूरोपीय लोगों की अनुवांशिक संरचना बहुत मिलतीजुलती थी।
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30-06-2012, 03:55 PM | #687 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
जापान में 25 प्रतिशत कंपनियां नहीं देना चाहती ‘चाइल्ड केयर लीव’
टोक्यो। जापान में करीब 25 प्रतिशत कंपनियां चाहती हैं कि उनके यहां काम करने वाली महिला कर्मचारी अपने बच्चों को जन्म देने के लिए काम छोड़ दें और ‘चाइल्ड केयर लीव’ न लें। एक रोजगार समाचार पत्र में प्रकाशित सर्वे के अनुसार 17 प्रतिशत कंपनियां भी चाहती हैं कि उनके यहां काम करने वाले पुरुष ‘चाइल्ड केयर लीव’ न लें। सर्वे कराने वाले एक अधिकारी ने बताया कि सर्वे के अनुसार ‘चाइल्ड केयर लीव’ को लेकर कंपनियों में चिता बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में सरकार को जागरूकता फैलानी चाहिए। सिर्फ 30 प्रतिशत कंपनियों ने सर्वे में कहा कि वह चाहती है कि महिलाएं चाइल्ड केयर लीव लें और काम पर वापस आ जाएं। फरवरी में इंटरनेट पर किए गए इस सर्वे में कम से कम छह कर्मचारी वाले 1,439 कंपनियों ने भाग लिया। पुरुषों के बारे में 24 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि साल में एक बार ‘चाइल्ड केयर लीव’ लेने में कोई बुराई नहीं है।
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30-06-2012, 03:55 PM | #688 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
लंबे समय में लोग फेसबुक से ऊब सकते हैं
न्यूयार्क। इस दौर में भले ही बड़ी संख्या में फेसबुक के चाहने वाले हैं, लेकिन आगे चलकर दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट के लिए ऊब सबसे बड़ा खतरा बन सकता है। इस समय, फेसबुक के 90 करोड़ से थोड़े अधिक उपयोगकर्ता हैं और अनुमान है कि जल्द ही यह संख्या एक अरब पहुंच जाएगी। वित्तीय सेवाएं देने वाली वैश्विक फर्म सिटीग्रुप ने एक रपट में कहा है कि फेसबुक के लिए सबसे बड़े जोखिम में से एक ऊब है, जिससे आने वाले समय में लोगों की इस वेबसाइट में दिलचस्पी कम हो सकती है। रपट में कहा गया है कि अभी ऐसा उदाहरण देखने को बहुत कम मिला है कि किसी ने फेसबुक का इस्तेमाल बंद किया हो या सेवाओं का उपभोग कम किया हो।
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30-06-2012, 03:56 PM | #689 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
बच्चे को खोने से बढ़ जाता है मां की मौत का खतरा
लंदन। बच्चे को खोने के बाद कई अभिभावकों का जीवन बिखर जाता है लेकिन एक नए अनुसंधान में दावा किया गया है कि संतान को खोने के बाद मां की समय से पहले मौत होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। अमेरिकी अनुसंधानकर्ताओं के एक दल ने पाया कि एक बेटे या बेटी को खोने के बाद दो साल में मां की मौत का खतरा 133 फीसदी बढ़ जाता है। नोत्रेदम विश्वविद्यालय के विलियम एवान्स और रोचेस्टर इन्स्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी के जेवियर एस्पिनोसा की अगुवाई में अनुसंधानकर्ताओं ने 20 साल से 50 साल की उम्र की 69,224 माओं का नौ साल तक अध्ययन किया। डेली मेल की खबर के अनुसार, अध्ययन दल ने पाया कि बच्चे की मौत के दो साल के अंदर मां की मृत्युदर अधिक थी। संतान को खोने वाली किसी भी मां के लिए यह बात मायने नहीं रखती थी कि मौत के समय उसके बच्चे की उम्र क्या थी। आमदनी, मां की शिक्षा या परिवार का आकार इस खतरे को कम नहीं कर पाया। अध्ययन के मुताबिक, पिता की तुलना में मां की मौत का खतरा अधिक होता है।
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02-07-2012, 03:14 PM | #690 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
चीन में मिले मृद्भांड 20000 साल पुराने
लंदन। पुरातत्वविद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि चीन में पाए गए मृद्भांड कम से कम 20 हजार साल पुराने हैं और इस लिहाज से यह दुनिया में अब तक पाए गए सबसे पुराने मिट्टी के बर्तन हैं। डेली मेल के अनुसार अभी तक माना जाता था कि मृद्भांड करीब 10 हजार साल पहले बनाए गए, जब मानव ने आखेट से कृषि का रास्ता अख्तियार किया। चीन और अमेरिका के अनुसंधानकर्ताओं के एक दल ने अब चीन में मिले मृदभांडों की कार्बन डेट से पाया कि इस समय से काफी पहले उन्हें खाना पकाने के काम में लाया जाता था। इस नई खोज से पता लगा है कि आखिरी हिम युग में ही मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल किए जाने लगे थे। दल का मानना है कि पाए गए मृदभांडों के अवशेषों से यह पता लगता है कि करीब 20 हजार साल पहले आखेट करने वाले मानव द्वारा इन्हें इस्तेमाल किया जाता था। अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता और पीकिंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वू श्याहोंग ने कहा कि हम इस खोज से काफी रोमांचित हैं। अब हम पता लगा सकते हैं कि क्यों उस वक्त मृद्भांड इस्तेमाल में लाए जाते थे और उन्होंने मानव के जीवित रहने में क्या भूमिका निभाई होगी । पत्रिका साइंस में प्रकाशित लेख के अनुसार मृद्भांडों के अवशेष दक्षिण चीन में श्यांगशी प्रांत के श्यानरेनदोंग गुफा से पहले 1960 के दशक और फिर 1990 के दशक में उत्खनित किए गए थे। प्रोफेसर वू और कुछ अन्य अनुसंधानकर्ताओं ने कहा था कि वे 20 हजार साल पुराने हो सकते हैं लेकिन इसको लेकर संशय था। वू ने कहा कि हार्वड और बोस्टन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों सहित उनके दल के सदस्यों ने इस सटीकता के साथ आकलन किया कि अब वैज्ञानिक उनसे सहमत हैं। इसराइल में हिबू्र विश्वविद्यालय में लुइस फ्रेबर्ग सेण्टर फार ईस्ट एशियन स्टडीज के प्रमुख गिडोन शेलाश के अनुसार अनुसंधानकर्ता अब इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि मृद्भांडों का अस्तित्व आखिरी हिम युग में था। इससे मृदभांड बनाने के इतिहास पर नया प्रकाश पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अब अनुसंधान का केन्द्र बदल गया है । उल्लेखनीय है कि शेलाश चीन में की गई अनुसंधान परियोजना का हिस्सा नहीं थे।
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