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28-09-2013, 10:00 AM | #1 |
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Re: एक योगी स्कॉटलैंड यार्ड में
रोचक!
पर मुझे आजकल डर लगने लगा है इन अद्बुत प्राणियों से। यदि तालिबान जैसी संस्था इन कुत्तों को suicide bomber बनाकर भेजें तो? |
28-09-2013, 10:33 AM | #2 |
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Re: एक योगी स्कॉटलैंड यार्ड में
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28-09-2013, 10:37 AM | #3 |
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Re: एक योगी स्कॉटलैंड यार्ड में
एक दफा 1971 में मुंबई से किसी ख़ुफ़िया एजेंट ने खबर दी कि पानी के एक माल वाहक जहाज में वहां से अफीम की एक विशाल खेप लंदन भेजी जा रही है. जहाज के आने पर योगी को बुलाया गया लेकिन जांच पड़ताल में कुछ न मिला. जब योगी को ले कर शेअर्न जहाज से उतरने वाला था तो उसे वहां कस्टम विभाग में डाक में आई हुयी वस्तुओं का पहाड़ सा दिखाई दिया. वहां काम कर रहे एक मुलाजिम ने बताया, “सामान इतना अधिक है कि इसे टटोलने के लिये कम से कम 15 व्यक्ति चाहियें और 10 घंटे का समय भी.” उसने शेअर्न से पूछा, “आपके इस कुत्ते को कितना समय लगेगा?”
“ केवल दस मिनट,” शेअर्न ने उत्तर दिया. सभी बोरों को दो समानांतर पंक्तियों में दूर तक सजा दिया गया. उसके बाद शेअर्न ने योगी के गले का पट्टा खोल दिया. उसने हाथ फिरा कर महसूस किया कि योगी का नाक गीला था और ठंडा हो रहा था. इसका मतलब यह था कि योगी को ड्रग्स का आभास हो गया था. उसने उसकी छाती पर दबाव दिया जो इस बात का इशारा था कि वह खोज में जुट जाये. योगी उन दोनों पंक्तियों में रखे हुये बोरों और सामान को दौड़ कर टटोलने लगा और हर बोरे को सूंघता जाता. अचानक वह एक बोरे को पंजों से खुरचने लगा और जोर जोर से भौंकने लगा. बोरे को खोला गया. इसमें रखे गये हर पार्सल को योगी की नाक के निकट लाया गया. इन्हीं में से एक खास पार्सल को ढूंढने में उसने कोई गलती नहीं की जिसमें अफ़ीम की खेप भेजी गयी थी. |
28-09-2013, 10:39 AM | #4 |
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Re: एक योगी स्कॉटलैंड यार्ड में
1972 का वर्ष उसके लिये विशेष महत्व का साबित होने वाला था. उसकी सहायता से पुलिस द्वारा संचालित किये गये अभियानों की सफलता के मद्देनज़र उसे “वर्ष का सर्वश्रेष्ठ श्वान” घोषित किया जाना तय था. विभाग के कार्यों के अतिरिक्त उसे विभिन्न स्कूलों में भी ले जाया जाता था जहां उसकी खोज-पड़ताल की क्षमता बच्चों के सामने प्रदर्शित की जाती थी. यहां पर डाउग द्वारा जन-चेतना हेतु उसके अभियानों के विषय में तथा नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के विषय में लेक्चर दिये जाते थे.
जुलाई 1972 में ही सात वर्षीय, 30 किलो वजन के योगी को स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा वर्ष का सर्वश्रेष्ठ पुलिस श्वान चुने जाने पर “ब्लैक नाईट एवार्ड”, जो कि शुद्ध सोने का बना तमगा था, प्रदान किया गया. यह तमगा योगी की ओर से सार्जेन्ट डगलस शेअर्न ने स्वीकार किया. वह कोहरे से घिरी हुई एक रात थी जब वह एक अभियान के सिलसिले में लंदन के मिलवाल डॉक्स के नज़दीक लाया गया था कि उसकी जोकर वाली पुरानी प्रवृत्ति फिर से दिखाई देने लगी. योगी को लगा कि आसपास ही कहीं हशीश (एक नशीला पदार्थ) की खेप रखी हुई है. वह एक दम से नदी में कूद पड़ा. शेअर्न ने उसको पानी से बाहर निकाला. लेकिन तब तक योगी ने अपनी खेप को ढूंढ निकाला था. इस दौरान, शेअर्न को एक बात का खटका लगा. कुछ लेब्रेडर कुत्तों में यह पाया गया था कि उन्हें बढ़ती उम्र के साथ आँखों की एक बिमारी हो जाती है जिसका पहला संकेत रतौंधी (रात के समय दिखाई न देना) के रूप में सामने आता है. धीरे धीरे यह बीमारी उन्हें पूरी तरह अँधा बना देती है. योगी आज हशीश ढूँढ़ने की झोंक में डॉक से कूद गया था अथवा उस पर अंधेपन का एक आक्रमण हुआ था. |
28-09-2013, 10:43 AM | #5 |
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Re: एक योगी स्कॉटलैंड यार्ड में
बिमारी के प्रथम लक्षण शेअर्न को दिखाई देने के बाद उसका असर दिनोदिन बढ़ता चला गया. योगी सीढ़ियां उतरते हुये गिर जाता या दीवार में सिर मार देता. एक दिन सुबह के समय डाउग ने जब अपनी कार स्टार्ट की, जो कि उनके लिए काम पर जाने का संकेत होता था, योगी झट कार में कूदने के बजाय कार के दरवाजे को ढूंढने लगा.
वह रहस्य जो डाउग ने “ब्लैक नाईट एवार्ड” से लेकर अब तक छुपा रखा था अब और नहीं छुपाया जा सकता था. योगी को रिटायर घोषित करने का समय आ गया था. डाउग उसे ले कर पुलिस विभाग के पशु सर्जन के पास आख़िरी चेक-अप के निमित्त ले कर आया. आधे घंटे के बाद जब सर्जन बाहर आया तो डाउग ने पूछा, “कोई उम्मीद?” सर्जन ने बताया, “वह सो गया है, क्योंकि वह देखने में असमर्थ था, बीमार था और बहुत थक गया था.” “सो गया है?” न समझते हुये सार्जेन्ट ने पूछा. लेकिन उस वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को जल्द ही सर्जन के कहने का आशय समझ आ गया. उसके चेहरे पर विषाद की रेखाएं दिखाई देने लगीं. इसके चार वर्ष बाद डगलस शेअर्न भी पुलिस सेवा से रिटायर हो गया. उसकी बैठक में बनी एक स्लैब पर योगी की तस्वीर रखी थी जिसमे वह भी उसके साथ बैठा हुआ था. यह तस्वीर उस दिन खींची गयी थी जब योगी को “डॉग ऑफ़ द ईयर” घोषित किया गया था. तस्वीर के नीचे लिखा था:- “योगी, 1965-1972, तुमसा कोई और न होगा” Last edited by rajnish manga; 08-08-2018 at 09:42 AM. |
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