07-02-2011, 02:08 PM | #111 |
Special Member
|
बिहार का इतिहास
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
07-02-2011, 02:09 PM | #112 |
Special Member
|
बिहार का इतिहास
१६१३ ई. में अफजल खान की मृत्यु के बाद जफर खान बिहार का सूबेदार बना । १६१५ ई. में नूरजहाँ का भाई इब्राहिम खाँ बिहार का सूबेदार बना लेकिन खडगपुर के राजा संग्राम सिंह के पुत्र द्वारा इस्लाम धर्म स्वीकार करने के बाद उसने अपना राज्य प्राप्त कर लिया । इब्राहिम खान को १६१७ ई. में बंगाल के गवर्नर के रूप में स्थानान्तरण किया गया तथा जहाँगीर कुली खाँ द्वितीय को १६१८ ई. तक बिहार का गवर्नर नियुक्*त कर दिया । फिर एक बार अफगानों और मुगलों की सेना के बीच १२ जुलाई, १५७६ को राजमहल का युद्ध हुआ और अफगान पराजित हुए । इधर भोजपुर एवं जगदीशपुर में उज्जैन सरदार राजा गज्जनशाही ने विद्रोह कर दिया । प्रारम्भ में मुगल सेना को काफी सहायता दी । उसने विद्रोह कर आरा पर कब्जा जमाया और वहाँ के जागीरदार फरहत खाँ को घेर लिया । उसका पुत्र फहरंग खान ने अपने पिता को गज्जनशाही के घेरे से मुक्*त कराने का प्रयास किया, परन्तु इस प्रयास में वह मारा गया तथा फरहत भी मारा गया । गज्जनशाही गाजीपुर की ओर खान-ए-जहाँ के परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार करने के उद्देश्य से गया लेकिन केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्*त शाहवाज खान कम्बो ने पीछा करते हुए जगदीशपुर पहुँच गया और तीन माह तक घेराबन्दी कर अन्त में उसे पराजित कर दिया ।
इसके पश्*चात्* रोहतास के क्षेत्रों में अफगानों का उपद्रव शुरू हो गया । काला पहाड़ नामक अफगान (जो बंगाल से आया था) के साथ मिलकर विद्रोह शुरू कर दिया । मालुम खान ने इसे पराजित कर मार डाला । फलतः शाहवाज खान ने रोहतास के किले एवं शेरगढ़ पर अधिकार कर लिया ।
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
07-02-2011, 02:10 PM | #113 |
Special Member
|
बिहार का इतिहास
१५७७ ई. में मुजफ्फर खान को बिहार से आगरा बुला लिया गया और शुजात खान को बिहार का गवर्नर बनाया गया । १५७८ ई. से १५८० ई. तक बिहार का कोई मुगल गवर्नर नहीं रहा । इस अवधि में छोटे-छोटे सरदार ही शासन करते थे । पटना, रोहतास, आरा, सासाराम, हाजीपुर, तिरहुत के क्षेत्रों में सरदारों का शासन चलता था । बिहार में सूबेदार के अभाव में अव्यवस्था तथा अराजकता का माहौल बना हुआ था ।
१५७९ ई. में शेरशाह ने मुल्ला तैयब को दीवान एवं राय पुरुषोत्तम को मीर बक्शी नियुक्*त किया था, लेकिन अधिकारियों की अदूरदर्शिता से शासन प्रणाली और अधिक चरमरा गई । इसी दौरान बिहार में अरब बहादुर के नेतृत्व में विद्रोह भड़क उठा । पटना में बंगाल से सम्पत्ति ले जा रही गाड़ियों को लूट लिया गया तथा १५८० ई. में विद्रोहियों ने मुजफ्फर खान की हत्या कर दी । कुशाग्र एवं बुद्धि वाला सेनापति राजा टोडरमल ने अतिरिक्*त शाही सैनिक सहायता से बंगाल का विद्रोही नेता बाबा खान कमाल को मार डाला तथा मुंगेर शासक यासुम खान को घेर लिया । यासुम खान पराजित हो गया फलतः शाही सेना गया होते हुए शेर घाटी पहुँची । १५८० ई. के अन्त तक लगभग सम्पूर्ण दक्षिणी बिहार पर पुनः मुगलों का अधिकार हो गया ।
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
07-02-2011, 02:11 PM | #114 |
Special Member
|
बिहार का इतिहास
अकबर ने अपने साम्राज्य को १२ सूबों में बाँटा था । उसमें बिहार भी एक अलग सूबा था जिसका गवर्नर खान-ए-आजम मिर्जा अजीज कोकलतास को बनाया गया । इस समय बिहार की कुल आय २२ करोड़ दाय अर्थात्* ५५,४७,९८५ रु. थी ।
१६१८ ई. मुर्करव खान को बिहार का सूबेदार नियुक्*त किया गया । वह अपने पिता के अनुरूप एक अच्छा चिकित्सक एवं अंग्रेजी साझी व्यापारी था । १६२१ ई. में बिहार का गवर्नर बनने वाला पहला राजकुमार था । वह शहजादा परवेज था । उसके प्रशासनिक कार्यों में मुखलिस खान सहायता करता था । इस समय बिहार में एक अफगान सरदार नाहर बहादुर खवेशगी द्वारा १६३६ ई. में पटना में पत्थर की मस्जिद का निर्माण करवाया था । १६२२-२४ ई. की अवधि में शहजादा खुर्रम ने बादशाह के खिलाफ विद्रोह कर दिया । खुर्रम ने पटना, रोहतास आदि क्षेत्रों पर परवेज का अधिकार छीन लिया । इसी समय खुर्रम ने खाने दुर्रान (बैरम बेग) को बिहार का गवर्नर बनाया । २६ अक्टूबर, १६२४ को बहादुरपुर के निकट टोंस नदी पर शहजादा परवेज की सेना ने खुर्रम को पराजित कर दिया । खुर्रम पटना होते हुए अकबर नगर चला गया फिर जहाँगीर द्वारा सुलह कर लिया गया । १६२६-२७ ई. में शहजादा परवेज के स्थान पर मिर्जा रुस्तम एफावी को को बिहार का सूबेदार बनाया गय जो जहाँगीर का अन्तिम गवर्नर था । १६२८ ई. में खान-ए-आलम बिहार का सूबेदार आठ वर्षों तक बना रहा । इसके बाद गुजरात के गवर्नर सैफ खान को बिहार का गवर्नर बना दिया गया । वह योग्य गवर्नरों में एक था उसने ही १६२८-२९ ई. में पटना में सैफ खान मदरसा का निर्माण कराया था । १६३२ ई. में बिहार का गवर्नर शाहजहाँ ने अपने विश्*वस्त अब्दुल्ला खान बहादुर फिरोज जंग को बनाया । इस समय भोजपुर के उज्जैन शासक ने विद्रोह कर दिया । वह पहले मुगल अधीन मनसबदार था । अन्त में पराजित होकर राजा प्रताप को मार डाला । एक शाही अधिकारी शहनवाज खान बिहार आया । उसने खान-ए-आजम के साथ मिलकर उज्जैन के सरदार दलपत शाही एवं अन्य विद्रोही अरब बहादुर को शान्त किया । राजा टोडरमल के शाही दरबार में लौटने के बाद शाहनवाज को वजीर नियुक्*त किया गया । अब्दुल्ला खान के बाद मुमताज महल का भाई शाहस्ता खाँ को बिहार का गवर्नर (१६३९-४३ ई.) बनाया गया ।
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
07-02-2011, 02:12 PM | #115 |
Special Member
|
बिहार का इतिहास
शाइस्ता खाँ ने १६४२ ई. में चेरो शासकों को पराजित कर दिया । उसके बाद उसने मिर्जा सपुर या इतिहाद खाँ को बिहार का सूबेदार नियुक्*त कर दिया । १६४३ ई. से १६४६ ई. तक चेरी शासक के खिलाफ पुनः अभियान चलाया गया । १६४६ ई. में बिहार का सूबेदार आजम खान को नियुक्* किया गया । उसके बाद सईद खाँ बहादुर जंग को सूबेदार बनाया । इसके प्रकार १६५६ ई. में जुल्फिकार खाँ तथा १६५७ ई. में अल्लाहवर्दी ने बिहार का सूबेदारी का भा सम्भाला । अल्लाहवर्दी खान शाहजादा शुजा का साथ देने लगा, लेकिन शाही सेना ने शहजादा सुलेमान शिकोह एवं मिर्जा राजा जयसिंह के नेतृत्व में शहजादा शुजा को पराजित कर दिया । १६ जनवरी, १६५९ को खानवा के युद्ध में औरंगजेब ने शुजा को पराजित किया और शुजा बहादुर पटना एवं मुंगेर होते हुए राजमहल पहुँच गया ।
मुईउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब शाहजहाँ तथा मुमताज महल का छठवाँ पुत्र था जब औरंगजेब दिल्ली (५ जून, १६५९) को सम्राट बना तो बिहार का गवर्नर दाऊद खाँ कुरेशी को नियुक्*त किया गया । वह १६५९ ई. से १६६४ ई. तक बिहार का सूबेदार रहा । दाऊद खाँ के बाद १६६५ ई. में बिहार में लश्कर खाँ को गवर्नर बनाया गया इसी के शासन काल में अंग्रेज यात्री बर्नीयर बिहार आया था । उसने अपने यात्रा वृतान्त में सामान्य प्रशासन एवं वित्तीय व्यवस्था का उल्लेख किया है । उस समय पटना शोरा व्यापार का केन्द्र था । वह पटना में आठ वर्षों तक रहा । १६६८ ई. में लश्कर खाँ का स्थानान्तरण कर इब्राहिम खाँ बिहार का सूबेदार बना । इसके शासनकाल में बिहार में जॉन मार्शल आया था । उसने भयंकर अकाल का वर्णन किया है ।
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
07-02-2011, 02:13 PM | #116 |
Special Member
|
बिहार का इतिहास
एक अन्य डच यात्री डी ग्रैफी भी इब्राहिम के शासनकाल में आया था । जॉन मार्शल ने बिहार के विभिन्*न शहर भागलपुर, मुंगेर, फतुहा एवं हाजीपुर की चर्चा की है ।
इब्राहिम खाँ के बाद अमीर खाँ एक साल के लिए बिहार का सूबेदार नियुक्*त हुआ, उसके बाद १६७५ ई. में तरवियात खाँ को बिहार का सूबेदार नियुक्*त किया गया । १६७७ ई. में औरंगजेब का तीसरा पुत्र शहजादा आजम को बिहार का गवर्नर नियुक्*त किया गया । इसी अवधि में पटना में गंगाराम नामक व्यक्*ति ने विद्रोह कर दिया । भोजपुर एवं बक्सर के राजा रूद्रसिंह ने भी असफल बगावत की । शफी खाँ के पश्*चात्* बजरंग उम्मीद खाँ बिहार का गवर्नर बना परन्तु अपने अधिकारियों से मतभेद के कारण ज्यादा दिनों तक गद्दी पर नहीं रहा । फिदा खाँ १६९५ ई. से १७०२ ई. तक बिहार का सूबेदार बना रहा । इस अवधि में तिरहुत और संथाल परगना (झारखण्ड) में अशान्ति रही । कुंवर धीर ने विद्रोह कर दिया । इसे पकड़कर दिल्ली लाया गया । फिदा खाँ के बाद शहजादा अजीम बिहार के साथ-साथ बंगाल का भी शासक बना । शहजादा अजीम आलसी और आरामफरोश होने के कारण शीघ्र ही सत्ता का भार करतलब खाँ को दे दिया गया जो बाद में मुर्शिद कुली खाँ के नाम से जाना गया । परस्पर सम्बन्ध में कतुता आ गयी । १७०४ ई. में शहजादा अजीम स्वयं पटना पहुँचा । प्रशासनिक सुदृढ़ता के कारण शहर (पटना) का नाम अजीमाबाद रखा गया । बाद में अलीमर्दन के विद्रोह को दबाने को चला गया । १७०७ ई. में जब औरंगजेब की मृत्यु हो गई तथा बहादुरशाह १७०७ ई. में शसक बना और १७१२ ई. तक दिल्ली का शासक रहा तब राजकुमार अजीम बिहार का गवर्नर पद पर अधिक शक्*ति के साथ बना हुआ था । उसका नाम अजीम उश शान हो गया ।
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
07-02-2011, 02:14 PM | #117 |
Special Member
|
बिहार का इतिहास
१७१२ ई. में बहादुरशाह की मृत्यु हो गयी तो अजीम उश शान ने भी दिल्ली की गद्दी प्राप्त करने की कोशिश की, लेकिन वह असफल होकर मारा गया । जब दिल्ली की गद्दी पर जहाँदरशाह बादशाह बना तब अजीम उश शान का पुत्र फर्रुखशियर पटना में था । उसने अपना राज्याभिषेक किया और आगरा पर अधिकार के लिए चल पड़ा । आगरा के समीप फर्रुखशियर ने जहाँदरशाह को पराजित कर दिल्ली का बादशाह बन गया ।
१७०२ ई. में मुगल सम्राट औरंगजेब के पौत्र राजकुमार को बिहार का सूबेदार नियुक्*त किया गया । प्रशासनिक सुधार उन्होंने विशेष रूप से पटना में किया फलतः पटना का नाम बदलकर ‘अजीमाबाद’ रख दिया । *अजीम का पुत्र फर्रूखशियर पहला मुगल सम्राट था जिसका राज्याभिषेक बिहार के (पटना में) हुआ था । *मुगलकालीन बिहार में शोरा, हीरे तथा संगमरमर नामक खनिजों का व्यापार होता था । *फर्रूखशियर के शासनकाल से बिहार का एक प्रान्तीय प्रशासन प्रभाव धीरे-धीरे कम होते-होते अलग सूबा की पहचान समाप्त हो गई ।
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
07-02-2011, 02:15 PM | #118 |
Special Member
|
बिहार का इतिहास
१७१२ ई. से १७१९ ई. तक फर्रूखशियर दिल्ली का बादशाह बना इसी अवधि में बिहार में चार गवर्नर- खैरात खाँ- १७१२ ई. से १७१४ ई. तक, मीलू जुमला- १७१४ ई. से १७१५ ई. तक, सर बुलन्द खाँ-१७१६ ई. से १७१८ ई. तक बना । इस दौरान जमींदारों के खिलाफ अनेक सैनिक अभियान चलाए गये । भोजपुर के उज्जैन जमींदार सुदिष्ट नारायण का विद्रोह, धर्मपुर के जमींदार हरिसिंह का विद्रोह आदि प्रमुख विद्रोही थे । इन विद्रोहियों का तत्कालीन गवर्नर सूर बुलन्द खाँ ने दमन किया । सूर बुलन्द खाँ के पश्*चात्* खान जमान खाँ १७१८-२१ ई. में बिहार का सूबेदार बना । अगले पाँच वर्षों के लिए नुसरत खाँ को बिहार का नया गवर्नर बना दिया गया । बाद में फखरुद्दौला बिहार का सूबेदार बनकर उसने छोटा नागपुर, पलामू (झारखण्ड) जगदीशपुर के उदवन्त सिंह के खिलाफ सैन्य अभियान छेड़ा ।
इसी के शासनकाल में ही पटना में दाऊल उदल (कोर्ट ऑफ जस्टिस) का निर्माण किया गया । परन्तु कुछ कारणवश इन्हें १७३४ ई. में पद से विमुक्*त कर दिया गया । फखरुद्दौला की नियुक्*ति के बाद शहजादा मिर्जा अहमद को बिहार का नाममात्र का अधिकारी गवर्नर नियुक्*त किया गया बाद में इसे सहायक रूप में बंगाल में (नाजिम शुजाउद्दीन) को नियुक्*त किया गया । शुजाउद्दीन ने अपने विश्*वत अधिकारी अलीवर्दी खाँ को अजीमाबाद में शासन की देखभाल के लिए भेजा । वह अजीमाबाद (पटना में) १७३४ ई. से १७४० ई. तक नवाब बना रहा । उसने अपनी शासन अवधि में बिहार के विद्रोहों को दबाया और एक सश्रम प्रणाली का विकास कर राज्य की आय में बढ़ोत्तरी की । यही बढ़ी आय को उसने बंगाल अभियान में लगाया । वह १७३९ ई. में शुजाउद्दीन की मृत्यु के बाद गिरियाँ युद्ध में शुजाउद्दीन के वंशज को हराकर बिहार और बंगाल का स्वतन्त्र नवाब बन गया । इसी समय बंगाल पर मराठों और अफगानों का खतरा बढ़ गया । अफगानों ने १७४८ ई. में हैबतजंग की हत्या कर दी । अलीवर्दी खाँ ने स्वयं रानी सराय एवं पटना के युद्ध में अफगान विद्रोहियों को शान्त किया । उसने १७५१ ई. में फतुहा के पास मराठों को पराजित किया था किन्तु मराठों ने उड़ीसा के अधिकांश क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया । इसमें मराठा विद्रोही का नेतृत्व रघु जी के पुत्र भानु जी ने किया था ।
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
07-02-2011, 02:15 PM | #119 |
Special Member
|
बिहार का इतिहास
१७५६ ई. में अलीवर्दी खाँ की मृत्यु के बाद सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना लेकिन एक प्रशासनिक अधिकारी रामनारायण को बिहार का उपनवाब बनाया गया ।
अप्रैल, १७६६ में सिराजुद्दौला बंगाल की गद्दी पर बैठा, गद्दी पर बैठते ही उसे शौकत जंग, घसीटी बेगम तथा उसके दीवान राज वल्लभ के सम्मिलित षड्*यन्त्र का सामना करना पड़ा । सिराजुद्दौला का प्रबल शत्रु मीर जाफर था । वह अलीवर्दी खाँ का सेनापति था । मीर जाफर बलपूर्वक बंगाल की गद्दी पर बैठना चहता था दूसरी तरफ अंग्रेज बंगाल पर अधिकार के लिए षड्*यन्त्रकारियों की सहायता करते थे । फलतः व्यापारिक सुविधाओं के प्रश्*न पर तथा फरवरी, १७५७ ई. में हुई अलीनगर की सन्धि की शर्तों का ईमानदारी के पालन नहीं करने के कारण २३ जून, १७५७ में प्लासी के मैदान में क्लाइव और नवाब सेना के बीच युद्ध हुआ । युद्ध में सिराजुद्दौला मारा गया । इसके बाद मीर जाफर बंगाल का नवाब बना । इस प्रकार बिहार, बंगाल एवं उड़ीसा का नवाबी साम्राज्य धीरे-धीरे समाप्त हो गया और अंग्रेजी साम्राज्य की नींव पड़ गई ।
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
09-02-2011, 12:37 AM | #120 |
Special Member
|
बिहार का इतिहास
१७०७ ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद राजकुमार अजीम-ए-शान बिहार का बादशाह बना ।
यहां से शुरू होता है बिहार का आधुनिक इतिहास|
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
Bookmarks |
Tags |
बिहार, bihar, history of bihar, history of india, indian state |
|
|