25-04-2012, 07:56 PM | #111 |
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Re: अनमोल वचन : जीवन तर्क
अगर दिल खोला होता अपने यारों के साथ, तो आज खोलना ना पड़ता औजारों के साथ. |
25-04-2012, 07:59 PM | #112 |
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Re: अनमोल वचन : जीवन तर्क
यदि स्वदेशाभिमान सीखना है तो सीखो एक मछली से
जो स्वदेश (पानी ) के लिए तड़प तड़प कर जान दे देती है. ------नेताजी सुभाषचन्द्र बोस |
25-04-2012, 08:00 PM | #113 |
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Re: अनमोल वचन : जीवन तर्क
इतिहास इस बात का साक्षी है की
जितना नुकसान हमें दुर्जनों की दुर्जनता से नहीं हुआ उससे ज्यादा सज्जनों की निष्क्रियता से हुआ है. ----आचार्य चाणक्य |
25-04-2012, 08:01 PM | #114 |
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Re: अनमोल वचन : जीवन तर्क
कोई इतना अमीर नहीं की अपना पुराना वक़्त खरीद सके
कोई इतना गरीब नहीं की अपना आने वाला वक़्त ना बदल सके. ------अज्ञात कोई इतना अमीर नहीं की अपना पुराना वक़्त खरीद सके कोई इतना गरीब नहीं की अपना आने वाला वक़्त ना बदल सके. ------अज्ञात |
26-04-2012, 06:59 PM | #115 |
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Re: अनमोल वचन : जीवन तर्क
सैकड़ों दर्दमंद मिलते हैं
काम के लोग चंद मिलते हैं जब मुसीबत आती है तो सबके दरवाजे बंद मिलते हैं. --------अज्ञात |
26-04-2012, 06:59 PM | #116 |
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Re: अनमोल वचन : जीवन तर्क
छुई मुई का पौधा अंगुली दिखाते ही मुरझा जाता है
और दुनिया की तो आदत है अंगुली दिखाने की ऐसा पौधा बन कर मत जीना. ------ मुनि तरुण सागर जी |
26-04-2012, 07:00 PM | #117 |
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Re: अनमोल वचन : जीवन तर्क
बचपन में हम सबके पास घडी नहीं थी,
लेकिन समय सबके पास था. आज सबके पास घडी है लेकिन ........................ ------ अज्ञात |
26-04-2012, 07:02 PM | #118 |
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Re: अनमोल वचन : जीवन तर्क
तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे -2
फिर चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रे ओ तू चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रे तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे -2 फिर चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रे यदि कोई भी ना बोले ओरे ओ रे ओ अबाघे कोई भी ना बोले यदि सभी मुख मोड़ रहे सब डरा करे -2 तब डरे बिना ओ तू मुक्तकंट अपनी बात बोल अकेला रे ओ तू मुक्तकंट अपनी बात बोल अकेला रे तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे-2 यदि लौट सब चले ओरे ओ रे ओ अबाघे लौट सब चले यदि रात गहरी चलती कोई गौर ना करे -2 तब पथ के कांटे ओ तू लहू लोहित चरण तल अकेला रे तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे -2 यदि दिया ना जले ओरे ओ रे ओ अबाघे दिया ना जले यदि बदरी आंधी रात में द्वार बंद सब करे -2 तब वज्र शिखा से तू ह्रदय पंजर चला और चल अकेला रे ओ तू हृदय पंजर चला और चल अकेला रे तेरी आवाज़ पे कोई ना आये तो फिर चल अकेला रे -2 फिर चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रे ओ तू चल अकेला चल अकेला चल अकेला चल अकेला रे रबिन्द्रनाथ टैगोर |
26-04-2012, 07:03 PM | #119 |
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Re: अनमोल वचन : जीवन तर्क
एक व्यक्ति ने स्वामी विवेकानन्द से पूछा की
'सब कुछ खो देने से भी बुरा क्या है?' विवेकानन्द जी ने जवाब दिया की "वह उम्मीद खोना जिसके भरोसे आप सब कुछ वापस पा सकतें हैं." |
26-04-2012, 08:25 PM | #120 |
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Re: अनमोल वचन : जीवन तर्क
एक पल का क्रोध आपका भविष्य बिगाड सकता है
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