11-04-2011, 09:06 AM | #111 |
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Re: जीके का महा संग्राम
अनाकोंडा विश्व का सबसे बड़ा सांप माना जाता है। उसके विशाल आकार और आक्रामक स्वभाव को लेकर अनेक अतिशयोक्तिपूर्ण बातें कही गई हैं। इन मनगढ़ंत बातों के आधार पर बनी फिल्म "अनाकोंडा" अभी कुछ दिनों पहले काफी चर्चे में रही। इस फिल्म में इस सांप को काफी खतरनाक और मानवभक्षी दर्शाया गया है, जो सचाई से कोसों दूर है। आइए, इस विशाल सांप के बारे में कुछ विज्ञान-सिद्ध, सच्ची बातें जानें। दिलचस्प बात यह है कि इस सांप का नाम अनाकोंडा एक तमिल शब्द से उपजा है और उसका अर्थ होता है "हाथियों को मारने वाला" (आनै (हाथी) + कोलरा (मारनेवाला) = अनाकोंडा)। पर कोई भी सांप हाथी को मार नहीं सकता, अनाकोंडा भी नहीं। इसलिए "हाथियों को मारने वाला" का अर्थ यही लेना होगा कि यह सांप अन्य सांपों से बहुत बड़ा होता है। अनाकोंडा की औसत लंबाई 20 फुट होती है। पर बहुत से खोजी यात्रियों ने 150 फुट लंबे अनाकोंडा के होने की बातें कही हैं। उनके दावों में कितनी सचाई है, इसका पता लगाने के लिए अमरीका के राष्ट्रीय चिड़ियाघर ने कई साल पहले 30 फुट से ज्यादा लंबा अनाकोंडा लाने वाले को 5000 डालर का पुरस्कार घोषित किया था। इस पुरस्कार को आज तक किसी ने नहीं पाया है। इससे यह सिद्ध होता है कि इस सांप की लंबाई 20-25 फुट से अधिक नहीं होती और 100-150 फुट लंबे अनाकोंडा केवल खोजी यात्रियों के खयालों में होते हैं। इस दृष्टि से अनाकोंडा विश्व का सबसे लंबा सांप भी नहीं ठहरता क्योंकि भारतीय अजगर कभी-कभी उससे भी लंबा हो जाता है। पर अनाकोंडा निश्चय ही विश्व का सबसे भारी सांप है। उसके शरीर का घेराव आसानी से तीन फुट हो सकता है। |
11-04-2011, 09:10 AM | #112 |
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Re: जीके का महा संग्राम
उसके हल्के हरे रंग के शरीर पर बड़े-बड़े काले धब्बे बने होते हैं। सिर पर नाक से लेकर गर्दन तक दो काली धारियां होती हैं। अनाकोंडा समस्त दक्षिण अमरीका में पाया जाता है, खासकर के अमेजन नदी के घने जंगलों में। अजगर के समान ही अनाकोंडा के शरीर के निचले भाग में गुदा-द्वार के पास पिछली टांगों के अवशेष-स्वरूप दो कांटे रहते हैं। ये मैथुन के समय मादा को उकसाने में काम आते हैं। यद्यपि अनाकोंडा भी अजगर के ही कुल का सांप है, पर मादा अनाकोंडा अजगर के समान अंडे नहीं देती बल्कि जीवित बच्चों को जन्म देती है। नवजात अनाकोंडा 2-3 फुट लंबे होते हैं। वन्य अवस्था में अनाकोंडा 40-50 साल जीवित रहते हैं। अमरीका के एक चिड़ियाघर में यह सांप 28 वर्ष जीवित रहा।
अनाकोंडा का अधिकांश समय पानी में बीतता है। वह धीमी गति से बहनेवाली नदियों और दलदलों में रहता है। तेज बहाववाली नदियां उसे पसंद नहीं हैं। सामान्यतः वह अकेले ही रहता है। बिरले ही 3-4 अनाकोंडा एक-साथ दिखते हैं। प्रत्येक अनाकोंडा का एक निश्चित शिकारगाह होता है जहां वह अन्य सजातीय सर्पों को आने नहीं देता। |
11-04-2011, 09:12 AM | #113 |
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Re: जीके का महा संग्राम
अनाकोंडा सामान्यतः रात को सक्रिय रहता है। शिकार फंसाने के लिए वह छिछले पानी में बिना हिले-डुले लेटा रहता है। शरीर को पानी में डूबने से रोकने के लिए वह हवा निगल लेता है। किसी प्राणी के पानी पीने आने पर वह पानी से उछल कर उसे अपने मजबूत जबड़ों में पकड़ लेता है और अपने शरीर की कुंड़लियां उसके ऊपर डालकर उसे पानी में खींच लेता है। शिकार की मृत्यु पानी में डूबने अथवा कुंड़लियों के दबाव के कारण दम घुटने से होती है। अनाकोंडा द्वारा भींचे जाने से शिकार की हर हड्डी के चूर-चूर होने की बातें केवल किस्से-कहानियों में मिलती हैं और उनमें कोई सचाई नहीं है। वह मछली, छोटे-बड़े पक्षी, हिरण, सूअर, बड़े आकार के कृंतक (चूहे के वर्ग के जीव), पानी के कच्छुए और कभी-कभी मगर का शिकार करता है।
सभी सांपों के समान वह अपने शरीर के घेराव से कहीं बड़े शिकार को निगल सकता है। एक बार एक 25 फुट लंबे अनाकोंडा ने 6 फुट लंबा मगर निगल लिया था। इतना बड़ा शिकार खाने के बाद उसे हफ्तों तक खाने की आवश्यकता नहीं रहती। वह चुपचाप किसी सुरक्षित जगह कुंड़लियों के बीच सिर छिपाए पड़ा रहता है। कभी-कभी अनाकोंडा जमीन पर आकर भी शिकार करता है। जमीन पर वह धीमी गति से ही रेंग सकता है। उसे पानी के ऊपर निकल आई वृक्ष-शाखाओं में लेटकर धूप सेंकना भी अच्छा लगता है। |
11-04-2011, 09:13 AM | #114 |
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Re: जीके का महा संग्राम
इस सांप की दृष्टि बहुत कमजोर होती है और वह काफी पास की चीजें ही साफ-साफ देख पाता है, यद्यपि उसके शिकार के हलचलों को वह तुरंत भांप लेता है। शिकार खोजने में उसकी तीव्र घ्राण शक्ति अधिक सहायक बनती है। अधिकांश सांपों के समान उसकी नाक के पास एक अन्य अवयव भी होता है जो शिकार के शरीर से उत्पन्न गरमी को ताड़ने में सहायता करता है। इसी से अनाकोंडा रात के अंधेर में भी शिकार खोज लेता है।
इतने बड़े और शक्तिशाली सांप के बारे में अनेक कहानी-किंवदंतियां बनना स्वाभाविक ही है। दक्षिण अमरीका के आदिवासी उसे देवता मानकर उसकी पूजा करते हैं। कुछ आदिवासी उसे अपना पूर्वज मानते हैं। आदिवासियों में यह धारणा भी प्रचलित है कि रात को अनाकोंडा एक नाव में बदल जाता है और उसके शरीर पर पाल जैसे अवयव बन जाते हैं। जिस प्रकार भारत में अजगर के संबंध में यह धारणा काफी आम है कि वह मनुष्यों को पकड़कर निगल जाता है, दक्षिण अमरीका के लोग अनाकोंडा के संबंध में ऐसा मानते हैं। यह सही है कि कुछ मनुष्य इस विशाल सांप द्वारा मारे गए हैं, पर यह कहना कि वह उन्हें खाता भी है, कोरी कल्पना है। मनुष्य के कंधे की चौड़ाई इतनी अधिक होती है कि वह बड़े से बड़े अनाकोंडा के भी गले से नहीं उतर सकता। मनुष्य के साथ अचानक मुठभेड़ हो जाने पर घबराहट में अथवा आत्मरक्षा में उसकी कुंड़लियों में कुछ मनुष्य आए हैं और उनका दम घुटा है। इन मौतों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि यह सांप खाने के इरादे से मनुष्यों का शिकार करता है। |
11-04-2011, 09:15 AM | #115 |
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Re: जीके का महा संग्राम
भारत में 200 प्रकार के सांप पाए जाते हैं, जबकि विश्वभर में 2,500 प्रकार के सांप हैं। भारत में लगभग 50 प्रकार के विषैले सांप हैं, परंतु ये शायद ही कभी मनुष्य के संपर्क में आते हैं क्योंकि ये ऐसे स्थानों में बसते हैं जहां जनसंख्या बहुत कम होती है। अनेक विषैले सांप मनुष्य के लिए घातक नहीं होते, क्योंकि उनके जहर में केवल चूहे, मेंढ़क आदि छोटे जीवों को मारने की क्षमता ही होती है।
हमें चिंतित करनेवाले केवल चार सांप हैं--नाग, करैत, फुर्सा और दबोइया--जो बड़े खतरनाक हैं और मानव बस्तियों के आसपास पाए जाते हैं। गनीमत है कि इन चार मुख्य सांपों का प्रत्येक दंश घातक नही होता। दंश की तीव्रता दंशित व्यक्ति के स्वास्थ्य, उसके शरीर के आकार और शरीर में गए विष की मात्रा आदि पर निर्भर करती है। सर्पदंश के संबंध में जो रहस्यमयता तथा अधूरी और गलत जानकारी प्रवर्तमान है, उसके परिणामस्वरूप वह एक भयानक और कल्पनातीत घटना बन जाता है। याद रखने योग्य बात यह है कि विषैले सांप के दंश का एकमात्र इलाज प्रतिविष सीरम है जो अस्पतालों में उपलब्ध रहता है। विषैले सांप के दंश से बचने के लिए जो व्यक्ति मंत्रों और जड़ी-बूटियों की शरण में जाता है वह मृत्यु को वरण करता है। |
11-04-2011, 09:19 AM | #116 |
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Re: जीके का महा संग्राम
सांपों के विषय में अनेक किंवदंतियां प्रचलित हैं। सबसे अधिक प्रचलित किंवदंति यह है कि सांप बदला लेते हैं। लोग मानते हैं कि यदि आप किसी सांप को मार डालेंगे तो उसकी मादा आपको अवश्य काटेगी। यह सच नहीं है। बदला लेने की भावना सिर्फ मनुष्य में पाई जाती है।
सपेरे ने अपनी बीन को लेकर एक और किंवदंती गढ़ रखी है। तमाशाबीन सोचते हैं कि सांप सपेरे की बीन के स्वरों पर थिरकता है। लेकिन सांप के तो कान ही नहीं होते और वे सुन ही नहीं सकते। नाग का डोलना बीन की गति के प्रति उसकी प्रतिक्रिया है, आवाज के प्रति नहीं। प्रचलित विश्वास के विपरीत नाग के सिर पर कोई मणि नहीं होता। यदि होता तो सपेरे कंगाल क्यों होते, वे राजा-महाराजा के समान धनवान न हो गए होते? सांपों को लेकर और भी अनेक किंवदंतियां बढ़ा-चढ़ाकर कही गई हैं, जिनका कोई आधार नहीं। कदाचित सांप विश्व में सर्वाधिक गलत समझे जानेवाले प्राणी हैं। सच तो यह है कि सांप मनुष्यों के सच्चे मित्र हैं जो प्रतिवर्ष अनाज का लगभग 20 प्रतिशत नष्ट करनेवाले और प्लेग जैसी भयंकर बीमारियां फैलानेवाले चूहों को खाकर हमारा बड़ा उपकार करते हैं। |
11-04-2011, 09:21 AM | #117 |
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Re: जीके का महा संग्राम
नागों का राजा नागराज
सचमुच ही विश्व का सबसे डरावना सांप नागराज है। पांच मीटर से भी अधिक लंबा यह फनधारी विषधर हाथी तक को डस कर मार सकता है। वह दुनिया का सबसे लंबा जहरीला सांप भी है। उसका बदन छरहरा और सिर संकरा होता है। हल्के हरे रंग के शरीर पर आड़ी-तिरछी लकीरें होती हैं। उसकी खाल चमकीली होती है। कंठ पीला अथवा नारंगी होता है। अवयस्क नागराज काले होते हैं। उनकी पीठ पर पीले छल्ले होते हैं। नागराज का फन गोल न होकर लंबा और चौकोर होता है। नागराज भारत, मलेशिया, इंडोनीशिया, फिलिप्पीन्स, बर्मा और चीन में पाया जाता है। भारत में वह हिमालय की तलहटी, पश्चिम बंगाल के सुंदरबन, बिहार, असम, उड़ीसा, पश्चिमी घाट की पहाड़ियों और अंदमान निकोबार द्वीप समूह में मिलता है। वह एक बहुत दुर्लभ सर्प है और केवल घने, नम वनों में रहता है। |
11-04-2011, 09:22 AM | #118 |
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Re: जीके का महा संग्राम
यद्यपि वह नाग के कुल का सर्प है, पर उसमें और नाग में अनेक भिन्नताएं हैं। नाग चूहे आदि जीवों को खाता है, जबकि नागराज लगभग पूर्णतः सर्पभक्षी है। नाग के ही समान नागराज में भी फन होता है, पर वह उसे नाग के जितना फैला नहीं सकता। फन फैलाकर नाग नृत्य करने के से लहजे में डोलता है, पर नागराज फन ऊपर उठाए गुस्से से घूरते हुए स्थिर खड़ा रहता है। नाग रेंगते समय फन को बंद कर लेता है, पर नागराज फन को जमीन से लगभग 1 मीटर ऊपर उठाए-उठाए आगे बढ़ सकता है। ऐसा करते हुए वह फुफकारता भी जाता है, जिससे वह बहुत ही डरावना लगता है। पर यदि बिना हिले-डुले चुपचाप खड़ा रहा जाए तो कई बार नागराज बिना कुछ किए ही आगे निकल जाता है।
नागराज का विषदंत लगभग 10 सेंटीमीटर लंबा होता है। उसके विशाल विष-थैलियों में 500 मिलीग्राम तक विष होता है। यद्यपि यह विष नाग या करैत के विष जितना असरकारक नहीं होता, फिर भी नागराज द्वारा डसे जाने पर शरीर में इतना अधिक विष चला जाता है कि मृत्यु अनिवार्य हो जाती है। नागराज द्वारा काटे गए व्यक्ति की 10-15 मिनट में ही मृत्यु हो जाती है। यहां तक कि हाथी तक तीन-चार घंटे में मर जाता है। जंगलों में काम कर रहे पालतू हाथी कई बार इसके डसने से मरे हैं। पर इस विशाल सांप द्वारा मनुष्य के काटे जाने की वारदातें बहुत कम होती हैं, क्योंकि यह सर्प बहुत कम संख्या में पाया जाता है और वह ऐसी जगहों में रहता है जहां मनुष्य नहीं होते। |
11-04-2011, 09:23 AM | #119 |
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Re: जीके का महा संग्राम
नागराज दिन में अधिक सक्रिय रहता है। वह अत्यंत फुर्तीला और गुस्सैल स्वभाव का होता है। उसका मुख्य आहार अन्य सांप है, इसलिए उसका नाम "नागराज" सार्थक ही है। वह नाग और करैत जैसे जहरीले सांपों को भी खाता है। उनके विष का उस पर कोई असर नहीं होता। कभी-कभार वह गोहों को भी खाता है। सांपों को पकड़ने में उसका लंबा छरहरा शरीर काफी सहायक होता है। शिकार खोजते हुए वह पेड़ों और चट्टानों पर फुर्ती से चढ़ जाता है। उसे पानी में जाना भी अच्छा लगता है। आत्मरक्षा के लिए भी वह पानी में छिपता है।
मादा अंडों को सेने के लिए दो मंजिला घोंसला बनाती है। इसके लिए वह अपने शरीर के अग्र भाग से वन के फर्श पर पड़े सड़े-गले पत्तों और टहनियों को बुहार कर उनका ढेर लगाती है। फिर इस ढेर में वह दो कक्ष बनाती है। नीचे के कक्ष में वह अंडे देती है और ऊपर के कक्ष में स्वयं अंडों के ऊपर कुंडली मारकर बैठ जाती है। इन घोंसलों का व्यास लगभग एक मीटर होता है। मादा एक बार में 20-40 अंडे देती है। इन अंड़ों को विकसित होने के लिए दो-तीन महीने लगते हैं। इस पूरे दौरान मादा उनके ऊपर घोंसले पर ही बैठी रहती है। नर भी घोंसले के पास ही रहता है। इस तरह घोंसला बनाने का व्यवहार नाग कुल के किसी अन्य सर्प में नहीं पाया जाता। |
11-04-2011, 09:25 AM | #120 |
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Re: जीके का महा संग्राम
सामान्यतः मई महीने में अंड़ों से संपोले निकलते हैं। वे अंधे होते हैं और लगभग 50 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। उनकी विष-ग्रंथी पूर्ण विकसित होती है और उनके द्वारा डसे जाने पर डसे गए प्राणी की मृत्यु हो सकती है।
नागराज अत्यंत क्रुद्ध स्वभाव का सांप है। प्रजनन काल में वह और भी अधिक चिड़चिड़ा हो जाता है। उसके घोंसले के पास जाने वाले मनुष्यों और अन्य जानवरों पर वह झपट पड़ता है। एक बार एक नागराज की पूंछ के ऊपर से एक अंग्रेज ने अपनी कार चला दी। क्रुद्ध नागराज ने तुरंत फन उठाए उसकी कार का लगभग 100 मीटर तक पीछा किया। मोटरकार की खिड़की के ऊपर तक उसका फन उठ आया। घोंसले पर बैठी मादा के निकट कोई जाए तो वह जोर से फुफकारती हुई अपने शरीर के लगभग एक मीटर लंबे हिस्से को घोंसले से ऊपर उठा लेती है और फन फैलाकर कुत्ते की सी आवाज में गुर्राती है। जब कभी जंगलों में से गुजरने वाली सड़कों के किनारे नागराज घोंसला बना देता है, तब वन विभाग के कर्मचारी इन सड़कों को बंद कर देते हैं क्योंकि सड़क पर जाने वाले लोगों पर नागराज दंपति हमला करते हैं। नागराज अन्य सांपों की तुलना में काफी बुद्धिमान होता है। चिड़ियाघरों में रखे गए नागराज काफी पालतू बन जाते हैं और उनकी देखरेख करने वाले चिड़ियाघर के कर्मचारी को पहचानने लगते हैं। |
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