13-02-2013, 06:24 PM | #91 |
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Re: कुछ अपनी कुछ जग की
तीन साधु शांति से ध्यान करना चाहते थे. परंतु उन्हें कोई शांतिप्रद स्थल नहीं मिला. अंत में वे हिमालय की कंदराओं में चले गए. वहाँ गुफ़ा में परिपूर्ण, पिन-ड्रॉप शांति थी. एक वर्ष बीत गया. पहले साधु ने कहा – “बड़ी ही शान्ति प्रिय जगह है यह” एक और वर्ष बीत गया. दूसरे साधु ने कहा – “हाँ” तीसरा वर्ष बीतने हो आया. तीसरे साधु ने कहा – “आप दोनों बहुत बातें करते हैं. मैं तो कहीं और जाकर ध्यान करता हूँ.”
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
13-02-2013, 06:25 PM | #92 |
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Re: कुछ अपनी कुछ जग की
लड़ाई - झगड़ा
मुल्ला नसरुद्दीन और उनकी बेगम के मध्य किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया। पूरे मुहल्ले को उनके झगड़े का शोरगुल सुनायी दे रहा था। अंत में बेगम को इतना गुस्सा आया कि वह बोरिया-बिस्तर लेकर अपनी सहेली के पास रहने चली गयीं। सहेली उस दिन बहुत व्यस्त थी क्योंकि उसके घर में भोज का आयोजन था। इसलिए मुल्ला नसरुद्दीन के विरोध में बेगम की दास्तान सुनने का उसके पास वक्त नहीं था। इसके बजाए वह उसे नसरुद्दीन के पास वापस जाने के लिए मनाने लग गयी। नसरुद्दीन को सहेली के घर पर बुलवाया गया। उन दोनों को सुलह करने के लिए एक कमरे में अकेला छोड़ दिया गया। थोड़ी - थोड़ी देर के बाद एक नौकर आकर उन्हें खाने-पीने की स्वादिष्ट चीजें दे जाता। दोनों मियां-बीवी काफी देर तक खाते-पीते और झगड़ते रहे। उनके पड़ोसी भी वहां आ गए और दोनों को शांत हो जाने के लिए मनाते रहे। अंततः बेगम मुस्करायीं और घर जाने के लिए राजी हो गयीं। सारे गाँव ने राहत की सांस ली। इस दौरान खाना - पीना जारी रहा। नसरुद्दीन और उनकी बेगम ने भरपेट खाना खाया। देर रात, भोजन के बाद जब वे दोनों अपने घर की ओर लौट रहे थे, तब नसरुद्दीन बोले - "बेगम! हम लोगों को प्रायः लड़ते रहना चाहिए। क्योंकि यह हमारे पेट के लिए अच्छा है।"
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13-02-2013, 06:27 PM | #93 |
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Re: कुछ अपनी कुछ जग की
"विशेषज्ञ कभी गलत नहीं हो सकते
एकबार, पता नहीं कैसे मुल्ला नसरुद्दीन की बेगम का नाम मतदाता सूची से नदारद हो गया। चुनाव नजदीक ही थे और उनकी बेगम वोट डालने को आतुर थीं लेकिन मतदाता सूची में उनका नाम नहीं था। अतः नसरुद्दीन अपनी बेगम को लेकर चुनाव आयुक्त के यहाँ पहुंचे। वहां जाकर पता चला कि उनका सिर्फ नाम ही नदारद नहीं है बल्कि वे मृत घोषित थीं। बेगम गुस्से से तमतमा गयीं क्योंकि नसरुद्दीन सारे मामले को बहुत हल्के में ले रहे थे। वह न तो गुस्से में थे न ही विचलित, जो कि उन्हें होना चाहिए था। आखिर उनकी बेगम को मृत घोषित करने की उनकी हिम्मत कैसे हुयी। चुनाव आयुक्त के पास पहुंचकर बेगम बोलीं -"यह अच्छी बात नहीं है। मैं जिंदा हूँ! और मतदाता सूची में दर्ज है कि मैं मर गयीं हूं। आखिर यह सब क्या मचा रखा है?" बेगम को गुस्से में भरा देख नसरुद्दीन बोले - "जरा ठहरो बेगम! तुम एक अधिकारी से कैसे झगड़ सकती हो? वे हमेशा सही होंगे। वे गलत कैसे हो सकते हैं? निश्चित रूप से वे हम लोगों से ज्यादा जानकार हैं। और तुम अनपढ़ महिला होकर एक महान अधिकारी से जबान चला रही हो? यदि उन्होंने लिखा है कि तुम मर गयी हो, तो तुम्हें मर जाना चाहिए।" विशेषज्ञ कभी गलत नहीं हो सकते
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18-03-2013, 11:47 AM | #94 |
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Re: कुछ अपनी कुछ जग की
Hindi Quotes About Success
वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है। प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है। ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है। एकाग्रता से ही विजय मिलती है। कीर्ति वीरोचित कार्यो की सुगन्ध है। भाग्य साहसी का साथ देता है। सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है। विवेक बहादुरी का उत्तम अंश है। कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही। संकल्प ही मनुष्य का बल है। प्रचंड वायु मे भी पहाड विचलित नही होते। कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही। मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है। अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नही होता। |
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