18-06-2013, 11:53 AM | #1 |
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बज गया टेलीग्राम का विदाई गीत
देश की सबसे पुरानी संचार सेवा टेलीग्राम को अतीत बना देने की घोषणा कर दी गई है। 15 जुलाई से तार सेवा इतिहास के पन्नों में सिमट जाएगी। वित्तीय दिक्कतों की वजह से भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने टेलीग्राफ सेवा बंद करने का फैसला किया। वही तार सेवा, जिसे गम, खुशी और आपात स्थिति में इत्तला देने का नम्बर वन तरीका माना जाता था। टेलीग्राम, भले टेलीफोन से हार मान गया हो, लेकिन अपनी शोहरत के दौर में उसका गजब का जलवा रहा। वक्त के पन्नों पर अब टेलीग्राम की इबारत भले धुंधली पड़ गई हो, लेकिन इसकी ऐतिहासिक-सामाजिक अहमियत और समृद्ध विरासत से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता।
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18-06-2013, 11:54 AM | #2 |
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Re: बज गया टेलीग्राम का विदाई गीत
अब तार हुआ बेकार
नई पीढ़ी को तार की अहमियत का अंदाजा नहीं होगा, जिसके संचार का सारा वजूद ही मिस्ड कॉल, चैट, ईमेल और वॉट्स ऐप जैसे नए-नए तकनीकी टूल पर खड़ा है। लेकिन कम्युनिकेशन की इस ऊंची इमारत में कहीं न कहीं तार की नींव डली है। उनके पिता-दादा यह बखूबी जानते हैं कि उनके जमाने में तार क्या कमाल चीज हुआ करता था। इससे इनकार नहीं कि मोबाइल फोन और इंटरनेट ने टेलीग्राम सेवा की हवा निकाल दी है। इस साल की शुरुआत में विदेश के लिए टेलीग्राम सेवा रोक दी गई थी और अब घरेलू बाजार के लिए भी तार के अंतिम दस्तखत हो चुके हैं। हालांकि इस बात का डर काफी पहले से था। लेकिन जब तार का वक्त पूरा होने का तार आया, तो एक टीस बहुत से लोगो के मन में उठी होगी। टेलीग्राफ का इतिहास जानने के लिए काफी पीछे वर्ष 1832 तक जाना होगा, जब शिलिंग ने पहला इलेक्ट्रिक टेलीग्राफ का आविष्कार किया। मोर्स कोड का इस्तेमाल कर इलेक्ट्रिकल टेलीग्राफ आॅपरेटर या टेलीग्राफर जो टेलीग्राफिक मैसेज भेजा गया था, उसे टेलीग्राम कहा गया।
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18-06-2013, 11:54 AM | #3 |
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Re: बज गया टेलीग्राम का विदाई गीत
भारत में पहला टेलीग्राफ
भारत में पहला टेलीग्राफ मैसेज कलकत्ता और वहां से 50 किलोमीटर दूर डायमंड हार्बर के बीच 5 नवम्बर 1850 को भेजा गया। यह फासला भले कम हो, लेकिन देश में संचार के मैदान में टेलीग्राम की लम्बी छलांग यहीं से शुरू हुई। और आम लोगों के लिए यह सेवा फरवरी वर्ष 1855 से मुमकिन बना दी गई। यह बात और है कि नए दौर के नए कम्युनिकेशन सिस्टम के आगे पुराने वक्त का यह खिलाड़ी अब हार मान गया। हालांकि, ऐसा नहीं कि इसे बचाने की कोशिशें नहीं हुई। बीएसएनएल ने इसमें कई तकनीकी अपग्रेड किए, जिनमें वर्ष 2010 में वेब आधारित मैसेजिंग सिस्टम शामिल है। लेकिन बीते 10-15 साल में मोबाइल फोन के गिरते दामों और उसकी पहुंच ने कुछ ऐसा माहौल बनाया कि बात संभल नहीं सकी।
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18-06-2013, 11:55 AM | #4 |
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Re: बज गया टेलीग्राम का विदाई गीत
टेलीग्राम की ऐतिहासिक भूमिका
इतिहास गवाह है कि वर्ष 1857 में जब भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की तो तार ने ब्रिटिश सेना को हालात पर दोबारा काबू पाने और बगावत कुचलने में अहम मदद दी। कई ऐतिहासिक सूचनाएं और जानकारी इसी तार के जरिए पहुंचीं। मेरठ से बगावत करने वाले सैनिकों की टुकड़ी दिल्ली रवाना हुई थी, तो मेरठ से दिल्ली के लोथियन रोड टेलीग्राफ आफिस को तार भेजा गया था। इससे कई अंग्रेज अफसरों की जान बच गई थी। फिर इसी टेलीग्राफ आफिस को अम्बाला छावनी को तार भेजा गया था, जिसने बगावत कुचलने में अहम भूमिका निभाई। इतिहास में यह भी दर्ज है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लंदन में अपने समकक्ष क्लेमेंट एटले को 230 शब्द लिखकर सूचित किया कि कश्मीर के विवादित हिस्से में पाकिस्तानी सैनिकों ने चढ़ाई कर दी और ब्रिटेन तुरंत मदद करे।
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18-06-2013, 11:56 AM | #5 |
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Re: बज गया टेलीग्राम का विदाई गीत
अब बात जनता की
आम तौर पर तार को गम की खबर से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन ऐसा नहीं कि यह केवल इसके लिए ही इस्तेमाल होता था। शादी-ब्याह जैसी खुशियों की खबर भी इन्हीं तार पर सवार होकर पहुंचती थी। इसके अलावा शहरों में रहने वाले नौजवान गांव में अपने मां-बाप तक नौकरी पक्की होने की खबर इसी से पहुंचाया करते थे। यह प्यार के पंछियों के भी खूब काम आया। पुराने जमाने में जो नौजवान घर से भागकर शादी किया करते थे, वे अपने-अपने घर तार भेजकर अपनी खैरियत और फैसले की जानकारी पहुंचाया करते थे। तार पढ़कर मां-बाप को तसल्ली होती और शायद कुछ मामलों में तल्खी भी घट जाती। लेकिन आम जनता का तार नए जमाने में कुछ खास भी हो गया था। बंद होने से ठीक पहले तक राष्ट्रपति अवॉर्ड विजेताओं को तार के जरिए ही सूचना देने की रवायत रही। रेलवे अपनी भर्ती परीक्षाओं के नतीजे तार से ही भिजवा रहा है। साथ ही सशस्त्र बलों में छुट्टी या ट्रांसफर के लिए तार का ही सहारा रहा है।
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18-06-2013, 11:56 AM | #6 |
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Re: बज गया टेलीग्राम का विदाई गीत
ईमेल, मोबाइल बने दुश्मन
फिलहाल कुल टेलीग्राम में से केवल 25 फीसदी आम जनता के होते हैं, पांच फीसदी कारोबार सम्बंधी और शेष 65 फीसदी सरकारी टेलीग्राम होते हैं। इस वक्त हर दिन 5000 टेलीग्राम देश में भेजे जाते हैं, जो बेहद कम हैं। एक वक्त था, जब यह तादाद हजारों-लाखों में थी। हालांकि, कभी दूसरों के गम की खबर लेने वाला तार आज खुद जा रहा है, तो ज्यादा आंखों में आंसू नहीं है। स्वाभाविक भी है। इसकी शुरुआत एक तरह से तभी हो चुकी थी जब राजीव गांधी और सैम पित्रोदा मिलकर देश में संचार क्रांति कर रहे थे। जगह-जगह खुले एसटीडी बूथ ने लोगों को आपस में जुड़ने का एक आसान जरिया दे दिया था। इसके बाद मोबाइल ने मानो तार का विदाई गीत गाना शुरू कर दिया था। अब तो 90 करोड़ से ज्यादा लोगों तक सेलफोन का नेटवर्क पहुंच चुका है और लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में तार की तरफ देखने वाली निगाहें कम हैं। आने वाली पीढ़ी तार को जाने, न जाने, लेकिन उसकी विरासत की इबारत इतिहास के पन्नों में हमेशा दर्ज रहेगी। इबारत ऐसी जो चंद शब्दों में सारी कहानी कह दे। अलविदा तार।
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18-06-2013, 11:58 AM | #7 |
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Re: बज गया टेलीग्राम का विदाई गीत
कहां अब भी जिंदा है तार?
अमेरिका में वेस्टर्न यूनियन ने वर्ष 2006 में अपनी तार सेवा बंद की, लेकिन इसे एक स्वतंत्र क म्पनी आई टेलीग्राम ने खरीद लिया। ओपन टेक्स्ट और अमेरिकन टेलीग्राम जैसी क म्पनियां अब भी टेलीग्राम सेवाएं देती हैं। ब्रिटेन में टेलीग्राम्स आॅनलाइन नामक क म्पनी यह जिम्मा सम्भालती है और ग्रीटिंग कार्ड एवं निमंत्रण जैसी चीजों के लिए तार को बढ़ावा दे रही है। आॅस्ट्रेलिया में भी इस सेवा पर परदा गिर चुका है। लेकिन विक्टोरिया के बीचवर्थ शहर में यह सर्विस जारी है। बहरीन, बेल्जियम, कनाडा, जापान, मैक्सिको, नीदरलैंड्स न्यूजीलैंड, रूस, स्लोवेनिया, स्वीडन, स्विट्जरलैंड जैसे मुल्कों में अब भी टेलीग्राम सेवा जारी है। रूस में सेंट्रल टेलीग्राफ अब भी टेलीग्राम सेवा जारी रखे हुए है। रेगुलर या अर्जेंट टेलीग्राम रूस या पूर्व सोवियत संघ के दूसरे मुल्कों में भेजा जा सकता है। इसके अलावा कलात्मक पोस्टकार्ड पर स्टाइलिश टेलीग्राम का भी इंतजाम है। जर्मनी में डोएचे पोस्ट टेलीग्राम की डिलीवरी अगले रोज सामान्य मेल की तरह करता है। उसने 2000 में विदेशी मुल्कों के मामले में यह सेवा बंद कर दी थी। निजी क म्पनी टेलीग्रामडायरेक्ट जर्मनी में इस सर्विस को अब भी चला रही है और कई दूसरे मुल्कों तक भी जारी रखे हुए है।
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18-06-2013, 11:58 AM | #8 |
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Re: बज गया टेलीग्राम का विदाई गीत
सैनिकों से पूछो तार की कीमत क्या है...
तार भले दुनिया के लिए बेकार हो गया हो, लेकिन कुछ घरों में आज भी इसकी अहमियत आसमान छूती है। इस इलाके में आज भी छुट्टी पर घर आया सैनिक किसी जरूरी काम या आफत में फंसने पर छुट्टी बढ़ाने के लिए तार का ही इस्तेमाल करता है। उत्तराखंड में करीब 2,350 सेवारत सैनिकों की मौजूदगी वाले इस उत्तरकाशी जिले में टेलीफोन एक्सचेंज से महीने में औसतन 30 तार आते-जाते हैं। सियाचिन ग्लेशियर में वर्ष 1997 में सेवाएं दे चुके सेवानिवृत्त मेजर आर एस जमनाल ने बताया, उस क्षेत्र की अग्रिम चौकियों में सैनिक और उनके परिवारों के बीच सुख-दुख की जानकारी देने-लेने का इकलौता जरिया यही तार है। हालांकि, ऐसी चौकियों पर कुछ सैटेलाइट फोन भी हैं, लेकिन इन्हें बारी-बारी अलग-अलग पोस्ट तक पहुंचाने का इंतजाम किया गया है। एक पोस्ट की बारी 15-15 दिन में आती है। सैटेलाइट फेल होने पर समस्या और बढ़ जाती है। ऐसे में जरूरत पड़ने पर सैटेलाइट फोन न हो, तो तार का सहारा है। जमनाल ने इस बात पर हैरानी जताई कि जब अमेरिका समेत दुनिया के कई विकसित देश तार की पुरानी मोर्स कोड तकनीक को न सिर्फ अपना रहे हैं, बल्कि उसे बढ़ावा भी दे रहे हैं, ऐसे में भारत सरकार का इसे बंद करने का फैसला समझ से परे है। सुरक्षा की दृष्टि से यह आत्मघाती कदम है। उनका कहना है कि यदि कोई दुश्मन देश हमारी सैटेलाइट आदि आधुनिक सुरक्षा प्रणाली को निष्क्रिय कर दे, तो हम मोर्स कोड वाली पारम्परिक प्रणाली से काम चला सकते हैं। इसके संदेश को डिकोड करना भी आसान न होने से यह विश्वसनीय सूचना प्रणाली है। शायद इसी को ध्यान में रखकर विकसित यूरोपीय देश इसे जिंदा रखे हुए हैं।
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18-06-2013, 11:30 PM | #9 |
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Re: बज गया टेलीग्राम का विदाई गीत
अलैक जी, हम आपके आभारी हैं कि आपने एक पुराने मित्र 'टेलीग्राम' या आम आदमी की भाषा में बोलेन तो 'तार' की विदाई वेला पर यह फीचर पेश किया. ऐसा लगा जैसे किसी कुशल संगीतकार ने वायलिन पर दर्द भरी स्वर-लहरी छेड़ दी हो. अंत में, मैं ग्रीटिंग टेलीग्राम के कोड 8, 16, 17, और 25 (जो शादी के उपलक्ष्य पर भेजे जाने वाले स्थायी संदेश थे) को दोहराना चाहता हूँ:
8. Best wishes for a long and happy married life. 16. May Heaven's choicest blessings be showered on the young couple. 17. Wish you both a happy and prosperous wedded life. 25. Convey our blessings to the newly married couple. And to express our gratitude, I would like to reproduce greeting Telegram Code No. 22: MANY THANKS FOR YOUR KIND MESSAGE OF GREETINGS
Last edited by rajnish manga; 18-06-2013 at 11:39 PM. |
21-07-2013, 09:32 PM | #10 |
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Re: बज गया टेलीग्राम का विदाई गीत
पिछले सप्ताह डाक घरों में लाइन लगी हुई थी।
कई लोग, आखरी तार भेजने post office आए हुए थे। तार भेजने की कोई आवश्यकता नहीं थी, बस इतिहास में अपना नाम जोडना चाहते थे। क्या पता, आज से कई साल बाद कोई पूछेगा " देश में अंतिम telegram किसने और कहाँ से भेजा था?" आज की ताजा खबर: एक सप्ताह बाद इनमें से कई तार मंजिल तक नहीं पहुँचे हैं। |
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