15-05-2016, 02:12 PM | #1 |
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शायर व शायरी
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एक ग़ज़ल साभार: अभि शर्मा 'मित्र' सियासतदान करते हैं यहा ईमान का सौदा बचाया मुल्क को जिसने उसी की जान का सौदा नदी नाले हवा पानी सभी तो बेच डाले है बचा है क्या अभी होने को है भगवान का सौदा बचा लो दोस्तों इस मुल्क की मिट्टी जो प्यारी है मुझे डर है न कर दें कल ये हिन्दुस्तान का सौदा वतन को लूटने वाले समन्दर पार जा बैठे यहा होता रहा सच झूठ के एलान का सौदा फ़सल ओलों कभी सूखे में जब बर्बाद होती है किसानों नें किया है देख बेजुबान का सौदा अगर आज़ाद हैं हम सब बता मजबूरियां क्या है करें हैं आज भी जो अपने जिस्मों जान का सौदा कभी सरकार ने लूटा कभी बाज़ार ने लूटा यहां हर पल हुआ है आपके अरमान का सौदा (इन्टरनेट से)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 02-10-2017 at 11:05 AM. |
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