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Old 05-02-2011, 02:33 AM   #1
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Lightbulb माइग्रेन: अर्धकपारी

अर्धकपारी या माइग्रेन

माइग्रेन एक सिरदर्द का रोग है। इसमें सिर के आधे भाग में भीषण दर्द होता है। मान्यता अनुसार इसका कोई इलाज नहीं है, किंतु इससे असरदार तरीके से निपटा जा सकता है। इस रोग में कभी कभी सिर के एक हिस्से में बुरी तरह धुन देने वाले मुक्कों का एहसास होता है, और लगता है कि सिर अभी फट जाएगा। उस समय अत्यंत साधारण काम करना भी मुश्किल हो जाता है। यह एहसास होता है कि किसी अंधेरी कोठरी में पड़े हैं।

चिकित्सकीय निगरानी में रहकर और जीवन-शैली में बदलाव करके इस रोग से निपटा जा सकता है। एक अध्ययन के अनुसार माइग्रेन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को तीन गुना अधिक प्रभावित करता है। अधिकांश लोगों को माइग्रेन का पता तब चलता है, जब वे कई साल तक इस तकलीफ को झेलने के बाद इसके लक्षणों से परिचित हो जाते हैं। कई बार यह दर्द साइनोसाइटिस का भी हो सकता है। किसी कठोर चीज से सिर के एक हिस्से में जोर-जोर से वार करने का एहसास तब होता है, जब जैविक परिवर्तन के कारण खून की धमनियां फूलने लगती हैं, या उनमें जलन होने लगती है। जबकि अन्य प्रकार के सिरदर्द में आमतौर पर दर्द सिकुड़ी हुई धमनियों या सिर और गर्दन की मांसपेशियों के सख्त हो जाने के कारण होता है।

अपोलो अस्पताल, चेन्नई के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ए. पन्नीर के अनुसार, माइग्रेन का दर्द बहुत जबर्दस्त होता है। इसस रोजमर्रा के आम काम भी नहीं कर पाते। यहां तक कि चलना फिरना भी दूभर हो जाता है, और लगता है कि शरीर टूट चुका है।
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Old 05-02-2011, 02:36 AM   #2
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लक्षण


माइग्रेन के साथ अक्सर जी मिचलाता है, और उल्टी भी हो जाती है। माइग्रेन का अटैक होने पर मरीज को रोशनी, आवाज या किसी तरह की गंध नहीं सुहाती। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ईश आनंद के अनुसार माइग्रेन का हमला अचानक होता है। कई बार यह शुरू में हल्का होता है, लेकिन धीरे-धीरे बहुत तेज दर्द में बदल जाता है। अधिकतर यह सिरदर्द के साथ शुरू होता है और कनपटी में बहुत तीव्रता से टीस उठती है या ऐसा लगता है कि कोई कनपटी पर प्रहार कर रहा है।

प्रायः यह दर्द आधे सिर में होता है, लेकिन एक तिहाई मामलों में दर्द सिर के दोनों ओर भी होता पाया गया है। एक तरफ होने वाला दर्द अपनी जगह बदलता है और यह ४ से ७२ घंटों तक रह सकता है। इस समय उबकाई आना, उल्टी, फोनोफोबिया और प्रकाश से भय आदि समस्याएं भी पैदा हो सकती है। माइग्रेन का हमला किसी भी आयु में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर इसकी शुरुआत किशोर उम्र से होती है। माइग्रेन के ज्यादातर रोगी वे होते हैं, जिनके परिवार में ऐसा इतिहास रहा है। इसके कुल रोगियों में ७५ प्रतिशत महिलाएं होती हैं।

माइग्रेन का दर्द प्रायः पर सिर के एक सिरे से, या कभी-कभी बीचों-बीच से या पीछे की तरफ से उठता है। माइग्रेन का दर्द ४ से ४८ घंटे तक रह सकता है। कभी यह रह-रहकर कई हफ्तों या महीनों तक, या फिर सालों तक खास अंतराल में उठता है। कई बार एक ही समय में यह बार-बार हथौड़ों की बारिश का एहसास कराता है। इसकी अनुभूति कई बार वास्तविक दर्द से दस मिनट से लेकर आधे घंटे पहले ही शुरू हो जाती है। इस दौरान सिर में बिजली फट पड़ने, आंखों के आगे अंधेरा छा जाने, बदबू आने, सुन्न पड़ जाने या दिमाग में झन्नाहट का एहसास होता है। किसी-किसी मरीज को अजीब-अजीब सी छायाएं नजर आती हैं। किसी को चेहरे और हाथों में सुइयां या या पिनें चुभने का एहसास होता है।

लेकिन कई अध्ययनों से सामने आया है कि माइग्रेन के प्रभामंडल का एहसास केवल एक से पांच प्रतिशत रोगियों को ही होता है। इसे परंपरागत या क्लासिकल माइग्रेन कहा जाता है, लेकिन यह महिलाओं में कम होता है।

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माइग्रेन के तीन प्रकार के बताये जाते हैं:

■सामान्य माइग्रेन: यह माइग्रेन फोनोफोबिया और फोटोफोबिया के साथ होता है।
■क्लासिक माइग्रेन: इस प्रकार के माइग्रेन में विभिन्न वस्तुएं चमकीली दिखायी पड़ती हैं। जिगजैग पैटर्न यानी टेढ़े-मेढ़े स्वरूप में चटख रंगीन चमचमाती रोशनियां दिखाई पड़ती है या दृष्टि क्षेत्र में एक छिद्र दिखाई पड़ता है, जिसे ब्लाइंड स्पॉट कहते है।
■जटिल माइग्रेन मोटा पाठ: ऐसे माइग्रेन में मस्तिष्क के ठीक से काम न करने की वजह से सिरदर्द होता है।
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कारण


अर्धकपारी के प्रमुख कारणों में तनाव होना, लगातार कई दिनों तक नींद पूरी न होना, हार्मोनल परिवर्तन, शारीरिक थकान, चमचमाती रोशनियां,कब्ज़, नशीली दवाओं व शराब का सेवन आते हैं। कई मामलों में ऋतु परिवर्तन, कॉफी का अत्यधिक सेवन(चार कप से अधिक), किसी प्रकार की गंध और सिगरेट का धुआं आदि कारण भी माइग्रेन की समस्या का कारण देखे गये हैं। आजकल डिब्बाबंद पदार्थों और जंक फूड का काफी चलन है। इनमें मैदे का बड़ी मात्रा में प्रयोग होता है, यदि आपको माइग्रेन की शिकायत है तो आप इन पदार्थों का सेवन कतई न करें। पनीर, चाकलेट, चीज, नूडल्स, पके केले और कुछ प्रकार के नट्स में ऐसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जो माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं

२० से ५५ वर्ष की आयु के ऐसे लोग जिनकी कमर के क्षेत्र में अत्यधिक चर्बी है उन्हें माइग्रेन होने का खतरा औरों की तुलना में अधिक होता है। अमेरिकन अकादमी ऑफ न्यूरोलॉजी (एएएन) में फिलाडेल्फिया के ड्रेक्सेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा २२,२११ लोगों किये गये शोध के निष्कर्ष के अनुसार कमर पर अधिक चर्बी वाली ३७ प्रतिशत महिलाओं को माइग्रेन की शिकायत थी जबकि बिना अतिरिक्त चर्बी वाली मात्र २० प्रतिशत महिलाओं को ऐसी समस्या थी। २० से ५५ वर्ष की आयुवर्ग के २० प्रतिशत ऐसे पुरुषों को माइग्रेन की शिकायत थी जिनकी कमर सामान्य से अधिक थी जबकि मात्र १६ प्रतिशत ऐसे लोगों को माइग्रेन था जिनकी कमर ज्यादा नहीं थी। अत्यधिक मोटे या तोंद वाले लोगों को भी माइग्रेन की संभावना अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक होती है। फ्रांस के रैंग्वेल अस्पताल में हुई शोध के दौरान कुछ शोधार्थियों ने साधारण माइग्रेन से पीड़ित सात रोगियों पर मस्तिष्क की प्रक्रियाओं में अंतर बताने वाली ‘पोज़ीट्रॉन इमिशन टोमोग्राफ़ी’ (पीईटी) तकनीक का इस्तेमाल किया। इस शोध में प्रमुख भूमिका निभानेवाली डॉक्टर मारी डेनुएल ने कहा कि जब दौरे को अप्राकृतिक रूप से करवाया जाता है तो रोगी हाइपोथेलेमस प्रतिक्रियाओं को खो देते हैं। इस प्रकार माइग्रेन के दौरे में हाइपोथेलेमस की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। उच्च रक्तचाप के रोगियों में माइग्रेन की संभावना ५० प्रतिशत से भी कम होती है। नॉर्वे में २० वर्ष से अधिक आयु वाले ५१,३५३ लोगों पर हुए शोध के परिणाम न्यूरोलॉजी नामक एक जर्नल में प्रकाशित हुए थे। उसी के संदर्भ से ये संभावना निकली है।
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उपचार

सभी रोगियों में माइग्रेन के पूर्व संकेत (ट्रिगर्स) एक से नहीं होते, इसलिए उनके लिए डायरी में अपनी अनुभूतियां दर्ज करना उपयोगी हो सकता है। इसके बाद दवा की सहायता से इन ट्रिगर्स से समय रहते बचकर, माइग्रेन को टाल भी सकते हैं।

■कभी-कभार माइग्रेन का हल्का-फुल्का दर्द होने पर दैनिक काम प्रभावित नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे रोगी बिना किसी डाक्टरी राय के सीधे दवाई विक्रेता से मिलने वाले आम दर्दमारक दवाइयां ले सकते हैं, जैसे कि क्रोसीन या गैर-स्टैरॉयड जलन मिटाने वाली गोलियां डिस्प्रिन, ब्रूफेन और नैप्रा।
■भीषण दर्द होने पर दो प्रकार की दवाएं काफी प्रभावशाली होती हैं, जिन्हें इन रोगियों को सदा अपने साथ रखना चाहिए। पहली- जलन मिटाने वाली कैफीन रहित गोलियां नैप्रा-डी, नैक्सडॉम और मेफ्टल फोर्ट। और दूसरी ट्रिप्टान दवाएं- जैसे कि सुमिनेट टैब्लेट, नैसाल स्प्रे या इंजेक्शन, राइज़ैक्ट या फिर ज़ोमिग। पहले ट्रिप्टान दवाएं तब दी जाती थीं, जब माइग्रेन पर आम पेन किलर्स का कोई असर नहीं होता था। इसके बाद नए शोध से पता चला कि भीषण दर्द में सीधे ही ट्रिप्टान दवाओं का सहारा लेना अधिक कारगर होता है। ट्रिप्टान दवाएं दर्द शुरू होने से पहले, या मामूली दर्द शुरू हो जाने पर भी ली जा सकती हैं। इससे इनका असर बढ़ जाता है। ऐसा करके माइग्रेन के ८० प्रतिशत हमलों को दो घंटे में खत्म किया जा सकता है। इससे दवा का दुष्प्रभाव (साइड-इफैक्ट) भी कम हो जाता है, और अगले २४ घंटों में माइग्रेन दर्द की संभावना भी नहीं रहती।

कुछ दवाएं ऐसी हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह और मार्गदर्शन से ही लिया जा सकता है। इन्हें एर्गोटैमिन्स कहा जाता है। इस श्रेणी में एर्गोमार, वाइग्रेन, कैफरगोट, माइग्रेनल और डीएचई-45 आती हैं। ट्रिप्टान दवाओं की तरह ये भी अन्य धमनियों को तो खोलती हैं, लेकिन हृदय की धमनियों को कुछ ज्यादा ही खोल देती हैं, इसलिए कम सुरक्षित मानी जाती हैं। यहां खास ध्यान योग्य बात है कि कई बार सिरदर्द दूसरी खतरनाक और जानलेवा बीमारियों का भी संकेत होता है। इसलिए बार-बार होने वाले तेज सिरदर्द, गर्दन दर्द, अकड़न, जी मिचलाने या आंखों के आगे अंधेरा छा जाने को बिलकुल भी नजर अंदाज न करें और फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिये। माइग्रेन की दवाई अब प्रसिद्ध भारतीय औषदि कंपनी रैन्बैक्सी भी निकाल रही है। माइग्रेन में हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी भी लाभदायक होती है।
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शल्य क्रिया द्वारा


वैज्ञानिको के अंनुसार जो लोग माइग्रेन के दर्द से पीड़ित होते हैं उन्हें छोटी-सी सर्जरी से फ़ायदा हो सकता है। अमरीकी डॉक्टरों का कहना है कि यदि माथे और गर्दन की कुछ माँसपेशियाँ हटा दी जाएँ तो इससे माइग्रेन से छुटकारा दिलाया पाया जा सकता है। इन डॉक्टरों ने एक साल में माइग्रेन से पीड़ित सौ लोगों की सर्जरी की और पाया कि उनमें से ९० लोगों को या तो माइग्रेन से छुटकारा मिल गया था या फिर उसमें भारी कमी आई थी।
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योग द्वारा


माइग्रेन का निवारण योगासन द्वाआ सुलभ है। इसके लिए रात्रि को बिना तकिए के शवासन में सोएं। सुबह-शाम योगाभ्यास में ब्रह्म मुद्रा, कंध संचालन, मार्जरासन, शशकासन के पश्चात प्राणायाम करें। इसमें पीठ के बल लेटकर पैर मिलाकर रखें। श्वास धीरे-धीरे अंदर भरें, तब तक दोनों हाथ बिना मोड़े सिर की तरफ जमीन पर ले जाकर रखें और श्वास बाहर निकालते वक्त धीरे-धीरे दोनों हाथ बिना कोहनियों के मोड़ें व वापस यथास्थिति में रखें। ऐसा प्रतिदिन दस बार करें। अंत में कुछ देर शवासन करके नाड़िशोधन प्राणायाम दस-दस बार एक-एक स्वर में करें।
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होम्योपैथी

होम्योपैथी में भी इसका उपचार दिया गया है। इसके लिए

■बैलाडोना - 30 या
■ब्रायोनिया -30 या
■ग्लोनाइन -30 या
■आइरिस - वी -30 या
■जेलसीमियम -30
नामक दवाइयों की की चार - चार बूंदें दिन में चार बार लेने से आराम मिलता है।

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घरेलू उपचार

इस बीमारी के लिए कई घरेलू उपचार भी किए जा सकते हैं।

■सिर की मालिश
इस दर्द में यदि सिर, गर्दन और कंधों की मालिश की जाए तो यह इस दर्द से आराम दिलाने बहुत सहायक सिद्ध हो सकता है। इसके लिए हल्की खुश्बू वाले अरोमा तेल का प्रयोग किया जा सकता है।

■धीमी गति से साँस लें
रोगी साँस की गति को थोड़ा धीमा करके, लंबी साँसे लेने की कोशिश करें। यह तरीका दर्द के साथ होने वाली बेचैनी से राहत दिलाने में सहायता करेगा।

■ठंडे या गर्म पानी की हल्की मालिश
एक तौलिये को गर्म पानी में डुबाकर,उस गर्म तौलिये से दर्द वाले हिस्सों की मालिश करें। कुछ लोगों को ठंडे पानी से की गई इसी तरह की मालिश से भी आराम मिलता है। इसके लिए बर्फ के टुकड़ों का उपयोग भी कर सकते हैं।

■अरोमा थेरेपी
अरोमा थेरेपी माइग्रेन के दर्द से काफ़ी आरआम पहुंचाता है। इस तरीके में हर्बल तेलों के एक तकनीक के माध्यम से हवा में फैला दिया जाता है या फिर इसको भाप के द्वारा चेहरे पर डाला जाता है। इसके साथ हल्का संगीत भी चलाया जाता है जो दिमाग को आराम पहुँचाता है।
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कृपया ध्यान दें- कोई भी दवाई, इलाज़ शुरू करने से पहले पूर्ण चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है| कोई भी कदम उठाने से पहले अनुभवी चिकित्सक से संपर्क करें| दवाइयों के मामले में स्वयं के विवेक से कोई निर्णय न लेकर पूर्ण जांच और एहतियात के साथ ही आगे बढ़ें|
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