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Old 10-04-2011, 06:51 PM   #21
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Default Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )

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किसको देखना है भूत
मुझे देखना हे
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Old 10-04-2011, 07:11 PM   #22
pooja 1990 QUEEN
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Default Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )

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मुझे देखना हे
कोई बजह है
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Old 10-04-2011, 07:19 PM   #23
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Default Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )

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Originally Posted by pooja 1990 queen View Post
कोई बजह है
अभी तक देखा नही हे मेने
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Old 11-04-2011, 08:21 PM   #24
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Default Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )

एक नवविवाहित युवक अपनी पत्नी को अपनी पसंदीदा जगहों की सैर करा रहा था, सो, वह पत्नी को उस स्टेडियम में भी ले गया, जहां वह क्रिकेट खेला करता था...

अचानक वह पत्नी से बोला, "क्यों न तुम भी बल्ले पर अपना हाथ आज़माकर देखो... हो सकता है, तुम अच्छा खेल पाओ, और मुझे अभ्यास के लिए एक साथी घर पर ही मिल जाए..."

पत्नी भी मूड में थी, सो, तुरंत हामी भर दी और बल्ला हाथ में थामकर तैयार हो गई...

पति ने गेंद फेंकी, और पत्नी ने बल्ला घुमा दिया...

इत्तफाक से गेंद बल्ले के बीचोंबीच टकराई, और स्टेडियम के बाहर पहुंच गई...

पति-पत्नी गेंद तलाशने बाहर की तरफ आए तो देखा, गेंद ने करीब ही बने एक सुनसान-से घर की पहली मंज़िल पर बने कमरे की खिड़की का कांच तोड़ दिया है...

अब पति-पत्नी मकान-मालिक की गालियां सुनने के लिए खुद को तैयार करने के बाद सीढ़ियों की तरफ बढ़े, और पहली मंज़िल पर बने एकमात्र कमरे तक पहुंच गए...

दरवाजा खटखटाया, तो भीतर से आवाज़ आई, "अंदर आ जाओ..."

जब दोनों दरवाजा खोलकर भीतर घुसे तो हर तरफ कांच ही कांच फैला दिखाई दिया, और उसके अलावा कांच ही की एक टूटी बोतल भी नज़र आई...

वहीं सोफे पर हट्टा-कट्टा आदमी बैठा था, जिसने उन्हें देखते ही पूछा, "क्या तुम्हीं लोगों ने मेरी खिड़की तोड़ी है...?"

पति ने तुरंत माफी मांगना शुरू किया, परंतु उस हट्टे-कट्टे आदमी ने उसकी बात काटते हुए कहा, "दरअसल, मैं आप लोगों को धन्यवाद कहना चाहता हूं, क्योंकि मैं एक जिन्न हूं, जो एक श्राप के कारण, उस बोतल में बंद था... अब आपकी गेंद ने इस बोतल को तोड़कर मुझे आज़ाद किया है... मेरे लिए तय किए गए नियमों के अनुसार मुझे खुद को आज़ाद करवाने वाले को आका मानना होता है, और उसकी तीन इच्छाएं पूरी करनी होती हैं... लेकिन चूंकि आप दोनों से यह काम अनजाने में हुआ है, इसलिए मैं आप दोनों की एक-एक इच्छा पूरी करूंगा, और एक इच्छा अपने लिए रख लूंगा..."

"बहुत बढ़िया..." पति लगभग चिल्ला उठता है, और बोलता है, "मैं तो सारी उम्र बिना काम किए हर महीने 10 करोड़ रुपये की आमदनी चाहता हूं..."

"कतई मुश्किल नहीं..." जिन्न ने कहा, "यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है..."

इतना कहकर उसने हवा में हाथ उठाया, और उसे घुमाते हुए बोला, "शूं... शूं... लीजिए आका, आपकी 10 करोड़ की आमदनी आज ही से शुरू..."

फिर वह पत्नी की तरफ घूमा, और शिष्ट स्वर में पूछा, "और आप क्या चाहती हैं, मैडम...?"

पत्नी ने भी तपाक से इच्छा बताई, "मैं दुनिया के हर देश में एक खूबसूरत बंगला और शानदार कार चाहती हूं..."

जिन्न ने फिर हवा में हाथ उठाया, और उसे घुमाते हुए बोला, "शूं... शूं... लीजिए मैडम, कागज़ात कल सुबह तक आपके घर पहुंच जाएंगे..."

...और अब जिन्न फिर पति की तरफ घूमा और बोला, "अब मेरी इच्छा... चूंकि मैं लगभग 200 साल से इस बोतल में बंद था, सो, मुझे किसी औरत के साथ सोना नसीब नहीं हुआ... अगर अब आप दोनों अनुमति दें, तो मैं आपकी पत्नी के साथ सोना चाहता हूं..."

पति ने तुरंत पत्नी के चेहरे की ओर देखा, और बोला, "अब हमें ढेरों दौलत और बहुत सारे घर मिल गए हैं, और यह सब तुम्हारी वजह से ही मुमकिन हुआ है, सो, यदि मेरी पत्नी को आपत्ति न हो, तो मुझे इसे तुम्हारे साथ बिस्तर में भेजने में कोई आपत्ति नहीं है..."

जिन्न ने मुस्कुराते हुए पत्नी की ओर नज़र घुमाई तो वह बोली, "तुम्हारे लिए मुझे भी कोई आपत्ति नहीं है..."

पत्नी का इतना कहना था कि जिन्न ने तुरंत उसे कंधे पर उठाया, और दूसरी मंज़िल पर एक बंद कमरे में ले गया, जहां पांच-छह घंटे तक पत्नी के साथ धुआंधार मौज की...

सब तूफान शांत हो जाने के बाद जिन्न बिस्तर से निकलता है, और कपड़े पहनता हुआ पत्नी से पूछता है, "तुम्हारी और तुम्हारे पति की उम्र क्या है...?"

पत्नी मुस्कुराते हुए बोली, "वह 28 साल के हैं, और मैं 25 की..."

जिन्न भी मुस्कुराते हुए तपाक से बोला, "इतने बड़े-बड़े हो गए, अब तक जिन्न-भूतों में यकीन करते हो, बेवकूफों..."
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Old 11-04-2011, 08:33 PM   #25
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Default Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )

एक युवती को एक बोतल में जिन्न मिला और उसने कहा

जिन्न - यदि तुम मुझे आज़ाद कर दो तो में तुम्हारी तीन इच्छाए पूरी कर सकता हूँ |

युवती ने उसको स्वतंत्र कर दिया

जिन्न बोला - में तुम्हे एक बात बताना तो भूल ही गया, कि जो कुछ भी तुम मांगोगी उसका दस गुना तुम्हारे पति को मिलेगा |

युवती - कोई बात नही ,मेरी पहली इच्छा हे कि मुझे संसार में सबसे सुंदर और जवान बना दो |

जिन्न - सोच लो तुम्हारा पति भी संसार के सब मर्दों में सबसे अधिक सुंदर और जवान बन जायेगा |

युवती - कोई बात भी ,रहेंगे तो मेरे पति ही |

जिन्न - ठीक हे, हो गया |

युवती - मुझे संसार में सबसे धनवान बना दो |

जिन्न - इससे तो तुम्हारा पति तुमसे दस गुना धनवान बन जायेगा |

युवती - कोई बात नही ,पति,पत्नी का धन अलग अलग थोड़े ही होता हे |

जिन्न - ठीक हे हो गया |

युवती - मेरी तीसरी और अंतिम इच्छा हे कि मुझे एक हल्का सा दिल का दौरा पड जाये
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Old 13-04-2011, 04:57 PM   #26
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Unhappy भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )

मैं कक्षा नौ में था, सितम्बर का महिना| मैंने और मेरे एक सहपाठी ने रोजाना सुबह उठकर जोगिंग करने का प्लान बनाया| मुझे स्वस्थ रहने का बहुत शौक था लेकिन अधिकतर अकेले ही भाग-दौड़ किया करता था| एक दिन जब सुबह मेरे साथ चलने के लिए तैयार हुआ तो अगले दिन सुबह लगभग साढ़े चार बजे उसके घर पहले उसे लेने पहुंच गया| मैंने अपनी साइकिल बाहर सड़क पर खड़ी की और उसके घर की गली में चला गया| मैंने उसे दो-तीन आवाजें लगाईं, दरवाजा खटखटाया (डोर बेल नहीं थी), लेकिन कोई जवाब नहीं मिला| गली में थोड़ा अंधेरा था इसलिए मैं वापस सड़क पर आ गया| फिर दोबारा जगाने की कोशिश करने फिर दरवाजे पर गया| मुझे लगा सुबह-सुबह की शान्ति में थोड़ा ज्यादा शोर हो रहा है| मैं हारकर वापस सड़क पर आ गया| और साइकिल उठाकर अकेले वापसी करने लगा| साईकिल उठाई ही थी कि मेरी नजर अपने से करीब दो सौ मीटर की दूरी पर एक बहुत लम्बे (लगभग दो मंजिला उंचा) आदमी पर पड़ी| जो सड़क के किनारे से होता हुआ मेरी और आते हुए प्रतीत हो रहा था|


उस इलाके में पहले से भूत-प्रेत के किस्से मशहूर थे| डाक-बंगले का भूत, स्टेशन के पीपल का भूत, निकट के डैम पर बोरा बंद लाश का भूत, सुबह ट्यूशन पढ़ने जाने वालों बच्चों को परेशान करने वाले लम्बे आदमी का भूत आदि आदि, जो शायद सिर्फ मनोरंजन के लिए बनाए गए थे| लेकिन इन सबको याद करके मेरा डर के मारे बुरा हाल था| शरीर में करंट नुमा गर्मी दौड़ गई| ऐसा लगा जैसे अब बुखार आ चुका है|


मैं वहीँ जमा हुआ लगभग दस मिनट उसे मेरी और आते देखता रहा| लेकिन वो मुझ तक अभी भी नहीं पहुंच पाया था|मैंने मन में ही सोचा 'बहुत अजीब बात है'| वापसी का रास्ता तो वही था तो हिम्मत करके धीरे-धीरे उस और चलना शुरू किया| जैसे-जैसे नजदीक पहुंचता, उसके साइज में तो कोई परिवर्तन नहीं था लेकिन वो अभी भी मेरी और आता हुआ लग रहा था| जब मैं उससे सिर्फ पचास मीटर की दूरी पर रह गया और गौर से देखा, तब जाकर पूरा माजरा समझ आया| और ये सिर्फ एक बहम के अलावा और कुछ नहीं निकला|


क्या था? वो बाद में बताऊंगा|
__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||


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Old 13-04-2011, 05:14 PM   #27
Nitikesh
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Default Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )

अब मैं भुत पर विश्वास नहीं करता हूँ.शायद पांचवी क्लास तक मुझे डर लगता था.लेकिन बाद मैं वो भी डर चला गया/मैं जिस स्कूल के हॉस्टल में रहता था/कहा जाता था की वहाँ पर कभी स्मसान घाट या कब्रिस्तान था और २०० फूट की दुरी पर एक नीम का पेड़ था/उसके बारे में कहा जाता था की वहाँ पर चुदैल तांत्रिक क्रियाएँ कराती थी.लेकिन हॉस्टल में रहने की वजह से मैं थोड़ा हिम्मत वाला हो गया.क्यूंकि रात में कभी १ नंबर के लिए जाना होता था तो अपने आप को हौसला देना होता था.क्यूंकि सुनसान रास्ते में जाने पर यदि कोई आवाज होती थी तो दिल में डर सा बैठ जाता था.फिर एक बार गाँधी जी की वो कहानी सुनी जिसमे उनकी दाई डर भगाने के लिए राम नाम का जाप करने को कहती थी.पहले तो मैंने यही तरीका अपनाया/तो थोड़ी राहत मिलती थी.
जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया/थोड़ा होशियार हो गया तो डर से पंगा लेने लगा.मैं हर उस वस्तु और जगह को देखने लगा जिससे मुझे डर लगता था और मैं यह जानने की कोशीश करता था की अजीब सी आवाज या परछाई कैसे बन रही है.जब मैं कारन तक पहुच जाता था तो डर अपने आप निकल जाता था.अब तो ऐसा हो गया है की भुत का विचार ही नहीं आता है/
इस बात पर बहुत बार मेरे दोस्तों में बहस हुई है की भुत है या नहीं.बहुत से मित्र कहते हैं की यदि भगवान है तो भुत भी है.लेकिन मैं उनके इस विचार से सहमत नहीं हूँ.मैंने बहुत बार भुत के बारे में सोच कर डरने की कोशीश की है लेकिन मुझे डर नहीं लगता है.लेकिन जब भगवान के बारे में सोचता हूँ.तो मुझे उसके उपस्थिति का एहसास भी होता है.डर को भगाने का एक तरीका यह है की यदि कोई भी आवाज हो तो उस आवाज का पीछा करें या कोई साया बन रहां हो तो उसके बनाने की वजह ठन्डे दिमाग से जाने की कोशीश करने/फिर देखिये आप का डर दूर हो जायेगा/
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Old 13-04-2011, 05:50 PM   #28
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Default Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )

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Originally Posted by bond007 View Post


क्या था? वो बाद में बताऊंगा|
परछाई थी क्या ...??
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Old 13-04-2011, 05:55 PM   #29
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Default Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )

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Originally Posted by draculla View Post

जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया/थोड़ा होशियार हो गया तो डर से पंगा लेने लगा.मैं हर उस वस्तु और जगह को देखने लगा जिससे मुझे डर लगता था और मैं यह जानने की कोशीश करता था की अजीब सी आवाज या परछाई कैसे बन रही है.जब मैं कारन तक पहुच जाता था तो डर अपने आप निकल जाता था.अब तो ऐसा हो गया है की भुत का विचार ही नहीं आता है/
इस बात पर बहुत बार मेरे दोस्तों में बहस हुई है की भुत है या नहीं.बहुत से मित्र कहते हैं की यदि भगवान है तो भुत भी है.लेकिन मैं उनके इस विचार से सहमत नहीं हूँ.मैंने बहुत बार भुत के बारे में सोच कर डरने की कोशीश की है लेकिन मुझे डर नहीं लगता है.लेकिन जब भगवान के बारे में सोचता हूँ.तो मुझे उसके उपस्थिति का एहसास भी होता है.डर को भगाने का एक तरीका यह है की यदि कोई भी आवाज हो तो उस आवाज का पीछा करें या कोई साया बन रहां हो तो उसके बनाने की वजह ठन्डे दिमाग से जाने की कोशीश करने/फिर देखिये आप का डर दूर हो जायेगा/
बहुत अच्छे भाई लेकिन एक दो कारण भी बता देते सबको तो हो सकता हे सबका डर ही भाग जाये ! जो आपने देखा वो बताये !
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Old 13-04-2011, 06:15 PM   #30
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Originally Posted by sagar - View Post
बहुत अच्छे भाई लेकिन एक दो कारण भी बता देते सबको तो हो सकता हे सबका डर ही भाग जाये ! जो आपने देखा वो बताये !
  1. जैसे कभी कभी ऐसा लगता है की कोई बगल से गुजर गया है/तो मैं शांत मन से अगल बगल की परिस्थिति को देखता हूँ/
  2. जब अँधेरी रात में कोई आवाज होती है तो मैंने यह देखने की कोशिश करता हूँ की वह आवाज क्यूँ आ रही है/
सिम्पल सी बात है की जब भी डर महसूस होता है तो मैं उस डर के जड़ तक पहुँचने की कोशिश करता हूँ/
जिससे मेरा डर भाग जाता है/
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