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![]() दुनिया में कई महान जासूस हुए हैं, लेकिन यदि आम लोगों को किन्हीं दो जासूसों का नाम लेने को कहा जाए तो बहुत सम्भव है वे वो नाम बताएंगे जो कभी हकीकत में हुए ही नहीं! प्रस्तुत है कुछ ऐसे ही जासूसों की सूची जो काल्पनिक हैं, लेकिन वास्तविक लगते हैं. यहाँ तक कि कई जासूस तो अपने सृजनकर्ता लेखकों की तुलना में कहीं अधिक प्रसिद्ध हो गए हैं.
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जासूस जिन्हें हम सब प्यार करते हैं
शरलॉक होम्ज़ (Sherlock Holmes) जासूसी के भीष्म पितामह! शायद दुनिया के सबसे महान जासूस. और वे वास्तविक नहीं है. लंडन की बैकर स्ट्रीट वास्तविक है और वह भी घर भी जहाँ शरलक होम्स रहते थे. सर आर्थर कानन डायल ने 1887 में उनकी रचना की. होम्स के साथ ही डॉ. वाटसन भी प्रकाश में आए और दोनों एक दूसरे के पर्याय बन गए. सर डायल ने होम्स सिरीज की 56 कहानियाँ और 4 उपन्यास लिखे. होम्स के ऊपर अनगिनत धारावाहिक और फिल्में बन चुकी हैं. यहाँ तक कि उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी दर्ज है – उनके ऊपर 200 से अधिक फिल्में बनी है. आज तक किसी पात्र को ध्यान में रखकर इतनी फिल्में नहीं बनी.
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जासूस जिन्हें हम सब प्यार करते हैं
मिस मार्पल Author Agatha Christie & detective Miss Maple एक जासूस के रूप में उनकी कल्पना करना मुश्किल है, लेकिन सस्पेंस उपन्यासों की मल्लिका अगाथा क्रिस्टी ने उनकी रचना करते समय उनकी उम्र को नज़रअंदाज किया. “दादीमाँ” के उम्र की मिस मार्पल अपनी चतुराई से कठिन से कठिन केसों को आसानी से हल कर लेती थी. अगाथा ने 1927 में उनके पात्र को ध्यान में रखकर पहली कहानी लिखी थी. इसके बाद उन्होनें कुल 12 उपन्यास और लिखे जिसमें मिस मार्पल मुख्य पात्र थी. मिस मार्पल के ऊपर कई टीवी धारावाहिक और कुछ फिल्में भी बनी है.
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जासूस जिन्हें हम सब प्यार करते हैं
हर्क्यूल पायरो Author Agatha Christie & detective Hercule Poirot रसूख वाले लोगों का चहेता पात्र है हर्क्यूल पायरो. पायरो बैल्जियम के निवासी हैं और इनकी मुछें बेहद लोकप्रिय हैं. यह पात्र भी अगाथा क्रिस्टी द्वारा रचा गया था. अगाथा ने हर्क्यूल सिरीज की 33 उपन्यास और 51 कहानियाँ लिखी थी. पहली कहानी 1920 और अंतिम 1975 में लिखी गई. हर्क्यूल पायरो पर भी कई फिल्में और टीवी धारावाहिक बने हैं.
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रवीन्द्र कौशिक.
कुछ समय पहले रिलीज हुई फिल्म "एक था टाइगर" ने बड़े परदे पर जबरदस्त धूम मचाई थी .... इस फिल्म ने कमाई के सारे रिकार्ड तोड दिये थे और फिल्म के हीरो सलमान खान नेभी खूब पैसा और वाहवाही बटोरी थी ...इस फोटो मेँ दिखाये गये ये शख्स "एक था टाइगर" फिल्म के सलमान खान की तरह बहुत मशहूर तो नहीँ है और शायद ही कोई इनके बारे मेँ जानता हो या किसी ने सुना हो ? इनका नाम था रवीन्द्र कौशिक.... ये भारत की जासूसी संस्था RAW के भूतपूर्व एजेन्ट थे ... राजस्थान के श्रीगंगानगर मेँ पले बढ़े रवीन्द्र ने 23 साल की उम्र मेँ ग्रेजुएशनकरने के बाद RAW ज्वाइन की थी , तब तक भारत पाकिस्तान और चीन के साथ एक-एक लड़ाई लड़ चुका था और पाकिस्तान भारत के खिलाफ एक और युद्ध की तैयारी कर रहा था... जब भारतीय सेना को इसकी भनक लगी तो साल 1975 में कौशिक को भारतीय जासूस के तौर पर खुफिया मिशन के लिए पाकिस्तान भेजा गया और वहा उन्हें नबी अहमद शेख़ का नाम दिया गया. पाकिस्तान पहुंच कर कौशिक ने कराची के लॉ कॉलेज में दाखिल लिया और कानून में स्तानककी डिग्री हासिल की. इसके बाद वो पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गए और मेजर के रैंकतक पहुंच गए ,लेकिन पाकिस्तान सेना को कभी ये अहसास ही नहीं हुआ कि उनके बीच एक भारतीय जासूस काम कर रहा है.कौशिक को वहां एक पाकिस्तानी लड़की अमानत से प्यार भी हो गया , दोनों ने शादी कर ली और उनकी एक बेटी भी हुई.. कौशिक ने अपनी जिंदगी के 30 साल अपने घर और देश से बाहर गुजारे. इस दौरान पाकिस्तान के हर कदम पर भारत भारी पड़ता था क्योंकि उसकी सभी योजनाओं की जानकारी कौशिक की ओर से भारतीय अधिकारियों को दे दी जाती थी. इनकी बताई जानकारियोँ के बलबूते पर भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर रणनीति तैयार की !पाकिस्तान तो भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध से काफी पहले ही युद्ध छेड़ देता पर रवीन्द्र के रहते ये संभव ना हो पाया ..केवल एक आदमी ने पाकिस्तान को खोखला कर दिया था !भारतीय सेना को रवीन्द्र के जरिये रणनीति बनाने का पूरा मौका मिला और पाकिस्तान जिसने कई बार राजस्थान से सटी सीमा पर युद्ध छेड़ने का प्रयास किया उसे मुँह की खानी पड़ी ! इसलिए ये बात बहुत कम ही लोगोँ को पता है कि पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाईयोँ का असलीहीरो रवीन्द्र कौशिक है ...रवीन्द्र के बताये अनुसार भारतीय सेना के जवानोँ ने अपने अतुल्यसाहस का प्रदर्शन करते हुये पहलगाम मेँ घुसपैठ कर चुके50 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकोँ को मार गिराया...लेकिन दुर्भाग्य से 1983 में कौशिक का राज खुल गया. दरअसलरॉ ने ही एक अन्य जासूस कौशिक से मिलने पाकिस्तान भेजा था जिसे पाकिस्तानी खुफ़िया एजेंसी ने पकड़ लिया.पूछताछ के दौरान इस जासूस ने अपने इरादों के बारे में साफ़ साफ़ बता दिया और साथ ही कौशिक की पहचान को भी उजागर करदिया.हालांकि रवीन्द्र ने किसी तरह भागकर खुद को बचाने के लिये भारत सरकार से अपील की...पर सच्चाई सामने आने के बाद तत्कालीन इंदिरा गाँधी सरकार ने उसे भारत वापिस लाने मेँ कोई रुचि नहीँ दिखाई !अततः उन्हे पाकिस्तान मेँ ही पकड़ लिया गया और जेल मेँ डाल कर उन पर तमाम तरह के मुकदमेँ चलाये गये... रवींद्र कौशिक को काफी लालच दिया गया कि अगर वो भारतीय सरकार से जुड़ी गोपनीय जानकारी दे दें तो उन्हें छोड़ दिया जाएगा. लेकिन कौशिक ने अपना मुंह नहीं खोला, इस पर कौशिक को भयंकर टार्चर भी किया गया ... फिर पाकिस्तान में कौशिक को 1985 में मौत की सजा सुनाई गई जिसे बाद में उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया.कौशिक को मियांवाली की जेल में रखा गया और वही टीबी और दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई.... तो ये सिला मिला रवीन्द्र कौशिक को 30 साल की देशभक्ति का .. भारत सरकार ने भारत मेँ मौजूद रवीन्द्र से संबंधित सभी रिकार्ड मिटा दिये और RAW को धमकी दी कि अपना रवीन्द्र के मामले मे अपना मुँह बंद रखे ... रवीन्द्र के परिवार को हाशिये मेँ ढकेल दिया गया और भारत का ये सच्चा सपूत हमेशा के लिए गुमनामी के अंधेरे मेँ खो गया... "एक था टाइगर" नाम की फिल्म रवीन्द्र कौशिक के जीवन पर ही आधारित है ,जब इस फिल्म का निर्माण हो रहा था तो भारत सरकार के भारी दखल के बाद इसकी स्क्रिप्ट मेँ फेरबदल करके इसकी कहानी मे बदलाव किया गया.... पर मूल कथा वही है !इसलिए दोस्तो इस देशभक्त को गुमनाम ना होने देँ ,शेयर एवं टैग करेँ ... इस पोस्ट को और ज्यादा से ज्यादा लोगोँ को बतायेँ और हाँ ,जब भी "एक था टाइगर" फिल्म देखे ,तब इस असली टाइगरको जरूर याद कर लें...! साभार
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Disclaimer......! "The Forum has given me all the entries are not my personal opinion .....! Copy and paste all of the amazing ..." |
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जासूस जिन्हें हम सब प्यार करते हैं
जेम्स बाँड उनके निधन के बाद कुछ अन्य लेखकों जैसे कि किग्स्ले एमिज़, ज़ोन पीयरसन, ज़ोन गार्डनर, रेमंड बेंसन आदि ने भी जेम्स बॉंड की कहानियाँ लिखी. लेकिन इस पात्र को जितनी सफलता उपन्यासों में नहीं मिली उतनी फिल्मों में मिली और मिल रही है.
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जासूस जिन्हें हम सब प्यार करते हैं
फेलुदा Renowned Director Satyajit Ray & his creation Feluda and others in one of the Appu Trilogy films सत्यजीत राय की रचना फेलुदा भारत के अपने हर्क्यूल पायरो हैं. सत्यजीत राय ने फेलुदा के पात्र वाली कई उपन्यासें और कहानियाँ लिखी थी. फेलुदा कोलकाता की रजनी सेन रोड पर रहते हैं और निजी जासूस (Private Detective) हैं. फेलुदा की मदद उनके चचेरे भाई टोपसे और जटायु करते हैं. वैसे फेलुदा तो उनका प्रेम का नाम है. उनका असली नाम है प्रदोष चन्द्र मित्र. फेलु प्रदोष का प्रेम का नाम है और बंगाली में बड़े भाई को दादा कहा जाता है. इस आधार पर बना नया नाम “फेलुदा”.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 01-11-2014 at 10:46 PM. |
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