13-12-2012, 08:52 PM | #13 |
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Re: मेरी रचनाएँ-3- दीपक खत्री 'रौनक'
ना फ़ीक्र थी कोई उसे, ना ही गुमान था कोई उसे
किया जो गैर उसने मैंने हर पल कई हादसे जिये हर आँख रोने लगी हर दिल तड़प उठा 'रौनक' कलम से ब्यान जो मैंने जीस्त के हादसे किये दीपक खत्री 'रौनक' |
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