11-04-2011, 08:51 AM | #4231 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
बंता- यार, अगर वह दूसरी टाँग भी उठाएगा तो गिर नहीं जाएगा क्या!
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
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12-04-2011, 02:58 PM | #4232 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
पिता : बेटा कहां गए थे , मैं ढूंढ रहा था तुम्हें।
बेटा : रामजाने पिता : मैं पूछ रहा हू , कहाँ गए थे तुम ? बेटा : रामजाने पिता ( जोर जोर से बेटे को मारते हुए ): मैं पूछ रहा हूं कि कहां गया था , बता क्यों नहीं रहा है। रमेश ( बेटे का दोस्त ):- अंकल क्यों मार रहे हो इसे , हम तो रामजाने मूवी देखने गए थे।
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है। |
12-04-2011, 03:02 PM | #4233 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
अरे , तुम्हें क्या हो गया है , दुबले होते जा रहे हो। '
' मेरे पेट में कीड़े हैं। खाया-पिया कुछ लगता ही नहीं। जो भी खाता हूं , सब कीड़े खा जाते हैं। समझ में नहीं आता कि क्या करूं ?' ' कोई दवाई क्यों नहीं लेते ?' ' दवाई खाता हूं लेकिन वह भी कीड़े खा जाते हैं। '
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12-04-2011, 03:23 PM | #4234 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
संता: जब मैं अच्छे कपड़े पहनकर सब्जी लेने जाता हूं तो महंगी सब्जी मिलती है और गंदे कपड़े पहनकर जाता हूं तो सस्ती मिलती है।
संता की बीवी: एक काम करो , कल से फटे कपड़े पहनकर जाया करो , फ्री में मिलेगी।
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12-04-2011, 03:38 PM | #4235 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
एक हाथी जंगल की तरफ भागा जा रहा था। रास्ते में उसे उसकी फ्रेंड चींटी मिली।
चींटी ने पूछा , ' क्या हुआ ? क्यों भाग रहे हो ?' हाथी : एक शिकारी मेरा पीछा कर रहा है ... चींटी बड़ी मासूमियत से बोली , ' इसमें डरने की क्या बात है। आओ तुम मेरे पीछे छुप जाओ !'
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12-04-2011, 03:43 PM | #4236 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
काले धन को नजर न लगे
आज जिसके पास धन हो उसे घोड़े बेचकर नहीं सोना चाहिए। और अगर धन काला हो तो नींद के बारे में सोचना ही बेकार है। धन एक दुल्हन की तरह होता है जिसे पर्दे में रखना जरूरी है। वैसे धन काला हो या सफेद, उसे नजर बहुत जल्दी लगती है। काले चोर की नजर का क्या ठिकाना। उसकी नजर हमेशा आपके धन पर ही रहती है। वैसे किसी चीज को बुरी नजर से बचाने के लिए हमारे यहां कई जुगाड़ हंै। मसलन अगर बच्चे को बुरी नजर से बचाना हो तो काला टीका लगा देने से उसे सरकारी स्कूल की नजर नहीं लगती और उसे पब्लिक स्कूल में एडमिशन मिल जाता है। ट्रक वाले तो भारी संख्या में बुरी नजर के सताए होते हैं। ये लोग बुरी नजर वाले का मुंह ही काला कर देते हैं। बुरी नजर से पीडि़त एक ट्रक पर तो मैंने यहां तक लिखा देखा - बुरी नजर वाले तू मेरा साला। कुछ बड़े व्यापारियों ने नजर सुरक्षा कवच भी बाजार में उतारे हंै, जिन्हें हाथ या गले में पहना जाता है। एक दिन यूं ही मैंने एक माला अपने गले में डाल ली तो पत्नी देखते ही बोली -काले घोड़े की नाल ज्यादा असरदार होती है। मेरा दिमाग घूम गया - मैंने कहा तुम मुझे गलत समझ रही हो। ये नजर सुरक्षा कवच नहीं है। इसे पहनने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। वह कहने लगी- मै भी तुम्हंे घोड़े की नाल गले में डालने के लिए नहीं कह रही हंू। उसकी अंगूठी बनवाकर पहनी जाती है। घोड़ों की बात निकली है तो इधर सुनने में आया है कि घोड़ों के व्यापार में बहुत रोकड़ा है। एक साहब ने इस धंधे में बहुत सारा धन कमा लिया। उनसे गलती ये हो गई कि वो अपने धन को सरकार की बुरी नजर से नहीं बचा पाए। सरकार का कहना है कि जिसे वो अपनी मेहनत की कमाई समझ रहे हैं, वो दरअसल काला धन है। सरकार घोड़े बेचकर थोड़े ही सो रही है कि आप धन पर धन कमाते रहंे और उसे धेला भी न दें। सरकार को इससे कोई मतलब नहीं कि आप घोड़े बेचें या गधे। उसे आपकी कमाई से साल में एक बार हफ्ता चाहिए। हफ्ता बोले तो टैक्स। आप टैक्स नहीं देंगे तो जाहिर है आपके धन को बुरी नजर लगेगी। घोड़े बेजुबान होते हैं। वो रेस का मैदान छोड़कर आपकी रिटर्न भरने तो आएंगे नहीं। उनकी जिंदगी वैसे ही दांव पर लगी होती है। जीत गए तो सफेद घोड़ी के साथ डिनर और हार गए तो खच्चरों में गिनती। व्यापार करने के भी कुछ नियम होते हैं। पहला नियम तो यही होता है कि आप ग्राहक को संतुष्ट करने में माहिर हों। अगर आप घोड़े के व्यापारी हैं तो खरीदार भी कोई पेंशनर तो होगा नहीं। वह भी अकूत धन का मालिक होगा। उसका भी साल का करोड़ों का टर्न ओवर होगा। करोड़ों रुपये घोड़ों की रेस में लगाता होगा। और रेस हारने के बाद किसी अच्छे क्लब में अपनी शाम रंगीन करता होगा। समझदार व्यापारी अपने धन को सरकार की बुरी नजर से बचाने के लिए टैक्स नाम का ताबीज अपनी दुकान में लगाते हैं। यह ताबीज उसे आयकर अधिकारियों की बुरी नजर से बचाए रखता है। काले की बात न भी करें तो धन हर तरह के व्यापार में पाया जाता है। यह सरकार तय करती है कि आपका धन किस ग्रेड का है या आप किस टाइप के व्यापारी हैं। आप भारत के टॉप टेन उद्योगपतियों में हैं या अव्वल दजें के टैक्स चोर है। घोड़े तो यूं ही प्रकाश में आ गए हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि कल को यह भी सुनने को मिले कि कुत्तों के फलां व्यापारी के घर से काले धन की प्राप्ति हुई। या एक मच्छी के पकौड़े बेचने वाले पर करोड़ों का टैक्स बकाया। भैंस उद्योग में हालांकि घोड़ों की तरह ग्लैमर नहीं है , मगर दूघ , घी और मक्खन में बहुत फैट पाया जाता है। यहां मुर्गों को भी याद रखना चाहिए , क्योंकि चिकन फ्राई और चिकन चंगेज़ी जैसी वैराइटी घोड़ों के पास नहीं है।
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12-04-2011, 04:00 PM | #4237 | |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
आप सोचेंगे कि हमे ये क्या हो गया? ये मेरे शब्द नही है, ये गुल्लू के है, गुल्लू बोले तो गुलशन। ट्रक ड्राइवर है, अभी कल ही दिल्ली मे इसको इसका साथी दिलबाग सिंह पकड़कर ले गया था, एक जलसे में। गुल्लू जाना तो नही चाहता था, लेकिन जब उसको पता चला कि शिल्पा शेट्टी भी आ रही है तो गुल्लू तैयार हो गया। दोनो साथी सबसे आगे बैठे थे, ताकि सब कुछ साफ़ साफ़ (गलत मत समझो यार!) दिख सके।
ये सारा मजमा था ट्रक ड्राइवरों को एडस के खतरे से आगाह करने के लिए। यहाँ शिल्पा शेट्टी के अलावा हॉलीवुड के अभिनेता रिचर्ड गेरे भी मौजूद दे। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। शिल्पा भी इठला इठला कर एडस के खतरे के बारें मे बता रही थी। कंडोम के प्रयोग करने पर जोर दे रही थी। कंडोम नही तो सेक्स नही का नारा बहुत जोरो शोरों पर चल रहा था। ट्रक ड्राइवर जो अक्सर अपने घरों से दूर रहते है एड्स जैसे रोगों के अक्सर शिकार बनते है। एड्स का रोग, भारत मे बहुत तेजी से फैल रहा है। अरे हम तो बहुत गम्भीर हो गए, खैर इस बारें मे गम्भीरता से फिर कभी बात करेंगे, पहले बात करते है, स्टेज पर हुए ड्रामे की। हुआ यूं कि रिचर्ड गेरे जैसे ही स्टेज पर आए, उन्होने शिल्पा के पहले दाँए गाल को चूमा, फिर बाऍ। ये प्रक्रिया दोहरायी गयी, यहाँ तक तो ठीक था, लेकिन रिचर्ड तो शायद किसी और मूड मे ही थे, वे दे दना दन, शिल्पा को किस करते चले गए। आधा झुककर, खड़े रहकर, हर एंगिल से। शिल्पा जब तक समझती समझती रिचर्ड अपना कोटा पूरा कर चुके थे। शिल्पा हतप्रभ(?) सी रिचर्ड को देखती रही और ट्रक वाले शिल्पा को। शिल्पा भी कुछ नही कर सकी और ना ही ट्रक ड्राइवर। स्टेज के सामने बैठे बैठे स्टेज पर होने वाले इस ईस्ट इन्डिया कम्पनी द्वारा भारतीय कोहूनूर की लाइव लूट देखते रहे। ट्रकवाले जो सपने मे करने की सोचते है वो रिचर्ड ने दिन दहाड़े कर दिखाया। जहाँ ट्रकवाला करता तो पिटता, रिचर्ड ने किया तो शिल्पा मुस्कराकर थैंक्यू भी बोली। ट्रक ड्राइवर जो कंडोम के पैकेट लेकर कटने ही वाले थे, उनका अच्छा इन्टरटेनमेन्ट हो गया। गुल्लू तो आलमोस्ट पगला ही गया था, वो तो जोश मे आकर स्टेज पर चढने ही वाला था, दिलबाग सिंह ने उसको पकड़ लिया, बोला Quote:
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12-04-2011, 04:03 PM | #4238 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
न्यूज चैनल का रिपोर्टर ने अपने बाल ठीक किए, कैमरामैन को आँख मारकर इशारा किया और गुल्लू की तरफ लपका। जब तक गुल्लू कुछ समझता, कैमरा चालू हो चुका था, और रिपोर्टर सवालों के साथ शुरु हो गया
रिपोर्टर : चैनल फुल्ली फालतू के लिए मै रिपोर्टर लपेटू अपने कैमरा मैन पप्पू कंघी के साथ आपको लाइव और एक्सक्लूसिव दिखा रहे है, अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी की एड्स एवायरनैस वाली सभा। मै आपको बता दूं कि ये प्रोग्राम सिर्फ चैनल फुल्ली फालतू पर आ रहा है, आइए बात करते है सभा मे शामिल हुए ट्रक ड्राइवर से। रिपोर्टर : आपका नाम? आप क्या करतें है गुल्लू : गुल्लू, गुलशन बावरा। यार बेहूदा सवाल है, ट्रक ड्राइवरों की सभा थी, वही तो आएंगे, पाइलट थोड़े ही आएंगे। ट्रक चलाता हूँ, दिल्ली मुम्बई हाइवे पर, ‘बत्ती बुझा के’। (बत्ती बुझा के, गुल्लू का तकिया कलाम है, आप अन्यथा मत लीजिएगा, अगर ले भी लेंगे तो गुल्लू जाने और आप, हमे क्या) गुल्लू जी आज के कार्यक्रम में आपने क्या सीखा? “जितना सिखाया उतना तो हमें पहले ही आता था। ‘बत्ती बुझा के’ “ मैं पूछ रहा हूं एच आई वी के बारे में आपको कोई जानकारी मिली? “वो वी आई पी अच्छा लगा मगर उसकी हरकतें अच्छी नहीं लगीं, जैसी हरकतें कर रहा था, पिट जाता, बत्ती…. “ “नहीं हम पूछ रहे हैं कि आपको एड्स के बारे में जानकारी मिली कुछ?” “एड मतलब सहायता? भई हम तो सहायता कर देते अगर शिल्पा जी को कोई हर्ज न होता। मुझे तो समझ नहीं आया कि वो स्टाईल मार रहा था या बुढ़ापे के बोझ से गिरा जा रहा था। उसको एड की बहुत जरूरत है बत्ती..।” “आप लोग जो कई कई दिन घर से बाहर रहते हैं तो आपको संयम रखने के लिये बताया होगा वहां?” “अरे वो जो अपने घर से दूर आया वो सबके सामने संयम नहीं रख सका तो हमें क्या समझायेगा? बत्ती बुझा के” “आपको क्या लगता है कि इस तरह के कार्यक्रम एच आई वी की रोकथाम में सहायक होंगे?” “जरूर सहायक होंगे, लेकिन पहले ऐसे वी आई पी की रोकथाम की जानी चाहिए। आप खुद बताओ कि सारे हिंदूस्तानी मर गये थे जो इस अंग्रेज को बुलाया? अगले कार्यक्रम में किसी ट्रक ड्राईवर को ही बुलाया जाना चाहिये क्योंकि यह प्रोग्राम हमारे लिये ही किया गया था। अगली बार किसी अंग्रेज को बुलाया तो हम हड़ताल पर चले जाएंगे। हमारी एसोशिएशन का भी यही मानना है। बत्ती…” प्रोग्राम के आयोजकों से कुछ कहना चाहेंगे? यही कहना चाहेंगे कि जो दिखाओ पूरा दिखाओ, ये क्या कि बॉलीवुड फिल्मों की तरह लोगों पहले जोश दिलाते हो फिर उनके इमोशन्स के साथ धोखाधड़ी करते हो। इतना अच्छा मूड बना था, इस गोरे ने आधे मे छोड़कर सारा मूड खराब कर दिया। “क्या आप सरकार से कुछ कहना चाहेंगे?” “सरकार से तो जी कोई उम्मीद नहीं है, भगवान से कहना चाहेंगे कि अगले जनम में उस अंग्रेज को ट्रक ड्राईवर बनाये और गुल्लू को अंग्रेज। बत्ती बुझा के” “उससे क्या होगा?” “ओ जी गुल्लू जो काम एक बार शुरू करता है तो उसे अधूरा नहीं छोड़ता। एक बार दिल्ली से ट्रक स्टार्ट किया तो जाकर जयपुर में ही ब्रेक लगाता है। जो काम वो अंग्रेज पूरा नही कर सका, हमे मौका देते तो हम कर दिखाते। बत्ती बुझा के” गुल्लू के जवाब से लपेटू रिपोर्टर सकपका गया और चुपचाप दूसरे मुर्गे सॉरी बन्दे को इन्टरव्यू के लिए तलाशने के लिए आगे बढ गया। गुल्लू बेचारा हाथ मे कंडोम का पैकेट लिए, दु:खी मन से ट्रक की तरफ बढ चला।
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12-04-2011, 05:37 PM | #4239 | |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
Quote:
बस चाचाजी अपना योगदान देते रहे/
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The world suffers a lot. Not because of the violence of bad people, But because of the silence of good people! Support Anna Hazare fight against corruption... Notice:->All the stuff which are posted by me not my own property.These are collecting from another sites or forums. |
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12-04-2011, 06:29 PM | #4240 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग की परीक्षा में प्रफेसर ने एक छात्र से पूछा: ' बताओ , स्विच दबाते ही पंखा क्यों चलने लगता है। '
' सर , आजकल बिजली की जो हालत है , उसे देखते हुए तो ऐसा लगता है कि यह सब ईश्वर की कृपा है।
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
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