12-08-2015, 10:12 PM | #1 |
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न जीने की तम्मना है ना मरने के ख़याल ...bansi
छोड़ दिया है उस पर मुझे रखे जिस हाल कुछ भी सोचने की ज़रूरत महसूस होती नहीं क्यूँ कि यकीन है पूरा वो मेरा रखेगा ख़याल दुनियाँ में कोई भी ऐसा कभी भी होता नहीं जो अपनो का कभी भी नहीं रखता ख़याल ज़रूरत है यारो उसको दिल से अपना बनाने की ता कि सोते जागते सदा आए उसका ख़याल न दिल में होगी आज किसी बात की चिंता न कभी मन में आएगा कल का ख़याल हर हाल में मन में हर वक़्त होगी खुशी खुशियों से हमेशा के लिए हो जाएँगे माला माल न जीने की तम्मना है ना मरने के ख़याल ‘बंसी’ छोड़ दिया है उस पर मुझे रखे जिस हाल बंसी(मधुर) |
12-08-2015, 10:36 PM | #2 | |
Super Moderator
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Re: न जीने की तम्मना है ना मरने के ख़याल ...bansi
Quote:
बहुत सुंदर व मनोहारी ग़ज़ल शेयर करने के लिए धन्यवाद, मित्र.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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