14-11-2011, 04:03 PM | #21 |
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Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
लीजिए, मलेठियाजी ! हो गए 'ट्रिपल ए' !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
17-11-2011, 11:14 AM | #22 |
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Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
भारत हमको जान से प्यारा है / रोजा
रचनाकार : पी. के. मिश्रा संगीत : ए. आर. रहमान गायन : हरिहरन एवं साथी भारत हमको जान से प्यारा है सबसे न्यारा गुलिस्तां हमारा है सदियों से भारत भूमि, दुनिया की शान है भारत मां की रक्षा में, जीवन कुर्बान है भारत हमको जान से प्यारा है ... उजड़े नहीं अपना चमन, टूटे नहीं अपना वतन गुमराह न कर दे कोई, बर्बाद न कर दे कोई मन्दिर यहां मस्जिद यहां, हिन्दू यहां मुस्लिम यहां मिलते रहे हम प्यार से, जागो ... हिन्दुस्तानी नाम हमारा है, सबसे प्यारा देश हमारा है जन्मभूमि है हमारी, शान से कहेंगे हम सब ही तो भाई भाई, प्यार से रहेंगे हम हिन्दुस्तानी नाम हमारा है, भारत हमको जान से प्यारा है आसाम से गुजरात तक, बंगाल से महाराष्ट्र तक जाति कई धुन एक है, भाषा कई सुर एक है कश्मीर से मद्रास तक, कह दो सभी हम एक हैं आवाज दो हम एक हैं, जागो ...
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17-11-2011, 07:31 PM | #23 |
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Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
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22-11-2011, 11:05 PM | #24 |
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Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
ये देश है वीर जवानों का / नया दौर
रचनाकार: साहिर लुधियानवी संगीत : ओ. पी. नय्यर गायन : मोहम्मद रफी, बलबीर ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का इस देश का यारो क्या कहना, ये देश है दुनिया का गहना यहां चौड़ी छाती वीरों की, यहां भोली शक्लें हीरों की यहां गाते हैं रांझे मस्ती में, मचती हैं धूमें बस्ती में पेड़ों में बहारें झूलों की, राहों में कतारें फूलों की यहां हंसता है सावन बालों में, खिलती हैं कलियां गालों में कहीं दंगल शोख जवानों के, कहीं करतब तीर कमानों के यहां नित नित मेले सजते हैं, नित ढोल और ताशे बजते हैं दिलबर के लिए दिलदार हैं हम, दुश्मन के लिए तलवार हैं हम मैदां में अगर हम डट जाएं, मुश्किल है कि पीछे हट जाएं
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु Last edited by Dark Saint Alaick; 22-11-2011 at 11:08 PM. |
23-11-2011, 07:03 PM | #25 |
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Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
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28-11-2011, 02:35 AM | #26 |
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Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
मेरा रंग दे बसंती चोला / शहीद
रचना एवं संगीत : प्रेम धवन गायन : महेंद्र कपूर, मुकेश, राजेंद्र भाटिया मेरा रंग दे बसंती चोला, माए रंग दे मेरा रंग दे बसंती चोला दम निकले इस देश की खातिर बस इतना अरमान है एक बार इस राह में मरना सौ जन्मों के समान है देख के वीरों की क़ुरबानी अपना दिल भी बोला मेरा रंग दे बसंती चोला ... जिस चोले को पहन शिवाजी खेले अपनी जान पे जिसे पहन झांसी की रानी मिट गई अपनी आन पे आज उसी को पहन के निकला हम मस्तों का टोला मेरा रंग दे बसंती चोला ...
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25-12-2011, 12:12 PM | #27 |
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Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
ऐ मेरे वतन के लोगों रचनाकार: कवि प्रदीप् ए मेरे वतन् के लोगो तुम् खूब् लगा लो नारा ये शुभ् दिन् है हम् सब् का लहरा लो तिरङा प्यारा पर् मत् भूलो सीमा पर् वीरो ने है प्रान् गवाये कुछ् याद् उन्हे भी कर् लो -२ जो लौट् के घर् न आये -२ ए मेरे वतन् के लोगो जर आख् मे भर् लो पानी जो शहीद् हुए है उन्कि जरा याद् करो कुर्बानि जब् घायल् हुआ हिमालय् खत्रे मे पडी आजादी जब् तक् थी सास् लडे वो फिर् अप्नि लाश् बिछा दी सङीन् पे धर् कर् माथा सो गये अ मर् बलिदानी जो शहीद् हुए है उन्कि जरा याद् करो कुर्बानि जब् देश् मे थी दिवाली वो खेल् रहे थे होली जब् हम् बैठे थे घरो मे वो झेल् रहे थे गोली थे धन्य जवान् वो अपने थि धन्य वो उनकि जवानी जो शहीद् हुए है उन्कि जरा याद् करो कुर्बानि कोइ सिख् कोइ जाठ् मराठा कोइ गुरखा कोइ मदरासि सरहद् पे मरनेवाला हर् वीर् था भारतवासी जो खून् गिरा पर्वत् पर् वो खून् था हिन्दुस्तानि जो शहीद् हुए है उन्कि जरा याद् करो कुर्बानि थी खून् से लथ्-पथ् काया फिर् भी बन्दूक् उठाके दस्-दस् को एक् ने मारा फिर् गिर् गये होश् गवा के जब् अन्त्-समय् आया तो कह् गये के अब् मरते है खुश् रहना देश् के प्यारो अब् हम् तो सफर् करते है क्या लोग् थे वो दीवाने क्या लोग् थे वो अभिमानि जो शहीद् हुए है उन्कि जरा याद् करो कुर्बानि तुम् भुल् ना जाओ उन्को इस् लिये कही ये काहानी जो शहीद् हुए है उन्कि जरा याद् करो कुर्बानि जय् हिन्द् जय् हिन्द् कि सेना -२ जय् हिन्द्, जय् हिन्द्, जय् हिन्द्
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25-12-2011, 12:15 PM | #28 |
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Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
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25-12-2011, 12:24 PM | #29 |
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Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
वंदे मातरम वंदे मातरम, वंदे मातरम सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम् सस्य श्यामलां मातरंम् . शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम् फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्, सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् . सुखदां वरदां मातरम् ॥ सप्त कोटि कण्ठ कलकल निनाद कराले द्विसप्त कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवाले के बोले मा तुमी अबले बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम् रिपुदलवारिणीम् मातरम् ॥ तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्म त्वं हि प्राणाः शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति, हृदये तुमि मा भक्ति, तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ॥ त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी कमला कमलदल विहारिणी वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम् नमामि कमलां अमलां अतुलाम् सुजलां सुफलां मातरम् ॥ श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम् धरणीं भरणीं मातरम् ॥ वंदे मातरम, वंदे मातरम - बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय
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25-12-2011, 12:26 PM | #30 |
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Re: गुनगुनाओ, खुल कर गाओ, लेकिन सही गाओ
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Last edited by prashant; 25-12-2011 at 12:28 PM. |
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