14-01-2015, 09:06 AM | #1 |
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चल गई
दोस्तो यू तो में भी इंसान हूँ , आप की तरह श्री मान हूँ , पर अपनी बाई आंख से बरा पेरशान हूँ , जब देखो चल ही जाती हैं , और सामने वाले को खल जाती हैं ! इक बार बचपन में, शायद सॅन ८० में , में बेटा था क्लास में , इक लड़की के पास में , मेयने देखा लड़की को और चल गई , लड़की को मचल गई , क्लास से निकल गई , और प्रिंसिपल के पास गई , प्रिंसिपल ने मुझे बुलाया , इक लम्बा भाषण पिलाया ! में सर झुकाए खड़ा था , जेसे प्रिंसिपल को देखा इक बार फिर चल गई , प्रिंसिपल को खल गई , फिर वही हुआ जो होना था , लड़की मुझे स्कूल से निकलवा कर गई ! |
14-01-2015, 10:25 AM | #2 |
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Re: चल गई
उन्हें देख तबियत मचल गई,
फिर लगा की अब संभल गई, इज़हार-ए-ईश्क वो करने ही वाले थे... बस उसी वक्त, कम्बख़त, चल गई! उनकी मम्मी से शिकायत हुई, भैया को बुलाने की रवायत हुई, उसके बाप ने जब धर लिया मुझे, आंखो की पुतली उछ्ल गई, फिर से चल गई!
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14-01-2015, 10:58 AM | #3 |
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Re: चल गई
वाह-वाह क्या खूब कहा है..
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ज्ञान का घमंड सबसे बड़ी अज्ञानता है, एंव अपनी अज्ञानता की सीमा को जानना ही सच्चा ज्ञान है। Teach Guru |
14-01-2015, 04:32 PM | #4 |
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Re: चल गई
Nice bhai
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