11-11-2010, 06:16 PM | #41 |
Tech. Support
Join Date: Dec 2009
Location: Bangalore
Posts: 2,771
Rep Power: 35 |
बस इस के बाद कहने के लिए कोई शब्द ही नहीं बचा. आपने तो सभी लोगों को नए नए रास्ते सुझा दिए, बेचारे moderators को परेशां करने के लिए.
__________________
|
11-11-2010, 06:43 PM | #42 |
Exclusive Member
|
|
11-11-2010, 06:58 PM | #43 |
Tech. Support
Join Date: Dec 2009
Location: Bangalore
Posts: 2,771
Rep Power: 35 |
@खालिद
किये का फल तो भुगतना ही पड़ेगा ना!
__________________
|
11-11-2010, 07:50 PM | #44 |
Exclusive Member
|
|
11-11-2010, 09:43 PM | #45 |
Senior Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 516
Rep Power: 16 |
अरविंदभाई बहुत अच्छा सूत्र बनाया है...निरंतरता बनाये रखियेगा.....धन्यवाद.
|
11-11-2010, 09:51 PM | #46 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,421
Rep Power: 32 |
वाकई बहुत अच्छा सूत्र है. बहुत बहुत मजा आया. धन्यवाद.........
__________________
|
11-11-2010, 10:08 PM | #47 |
Senior Member
|
अरविन्द भाई इस सूत्र को को पढ़ कर तो मन गद गद हो गया ..मजा आ गया
|
12-11-2010, 09:38 AM | #48 |
Diligent Member
Join Date: Oct 2010
Location: जयपुर (राजस्थान)
Posts: 1,366
Rep Power: 17 |
अनुज अरविन्द
आज खाना खिलाने का मूड नहीं है क्या !!..??.. |
15-11-2010, 03:41 PM | #49 |
Banned
Join Date: Nov 2010
Location: राँची, झारखण्ड
Posts: 3,682
Rep Power: 0 |
Re: फोरम की चटनी, प्रविष्टि का मुरब्बा
आलमपनाह, सोच ही रहा था की क्या खिलाऊं आपको.....
फोरम पर तो शब्दो की चाशनी ही दे सकता हूँ। दरअसल, आजकल मै कुछ का इस्तेमाल करने लगा हूँ.... जी हाँ - आजकल मै दिल का इस्तेमाल करने लगा हूँ। क्यों? - अरे भाई जो रहेगा उसी का इस्तेमाल किया जा सकता है ना। और सच है कि मेरा ऊपरी तल्ला बिलकुल खाली है। अपवाद भी है - कुछ उल्लूक और बैशाखनंदन वहां बिना किराया दिये रहते है। क्यों रहते है? - अरे बंधु, अब क्या बताए, दूर के रिश्तेदार जो ठहरे। हाँ तो मै बता रहा था कि मेरे दिल ने कहा कि क्यों ना फोरम मे प्रविष्टियाँ ऐसी कि जाये कि लोग उत्सुकता वश ही सही, भ्रमण तो करे। कुछ न कुछ तो पसंद कर ही लेंगे। और ना भी करे तो मेरी बला से। क्या फर्क पड़ता है? कौन सी रोयालटी मिलनेवाली है। मेरी प्रविष्टियाँ तो बस जी अजर-अमर है, अब कोई माने या ना माने। बस किसी महान कवि कि ये पंक्तिया याद आ गई - नापसन्दी का जो चटका है हमारा
इतना तगड़ा ये फटका है हमारा दूसरा और कोई यहाँ क्यूँ रहे मेरी ही पोस्ट के दरमियां क्यूँ रहे हाँ यहाँ क्यूँ रहे ये यहाँ क्यूँ रहे हां जी हां क्यूँ रहे ये जो हाट लिस्ट है, बाप का है हमारा नहीं दिख सकता, कभी पोस्ट तुम्हारा नापसन्दी का जो चटका है हमारा कैसे दीदार सूत्रधार तुम्हारा करे रूखे पोस्ट का कोई कैसे नज़ारा करे हां नज़ारा करे क्या बेचारा करे, बस पुकारा करे नापसन्दी का चटका है दे मारा नहीं आने दूंगा तुमको मैं दोबारा नापसन्दी का जो चटका है हमारा रुख से परदा कभी तो सरक जाएगा तब वो कम्बख्त चेहरा नज़र आएगा हाँ नज़र आएगा फिर किधर जाएगा हां जी मर जाएगा, तेरे चटके से बड़े हैं मेरे पाठक संग मेरे तो खड़े मेरे पाठक हो. हो..हो.. नापसन्दी का जो चटका है हमारा इतना तगड़ा ये फटका है हमारा |
15-11-2010, 04:49 PM | #50 | |
Senior Member
Join Date: Nov 2010
Location: AAP KE DIL MEN
Posts: 450
Rep Power: 16 |
Re: फोरम की चटनी, प्रविष्टि का मुरब्बा
Quote:
क्या बात है कितना मस्त मस्त मादक मनमोहक मनचला मंत्रमुग्ध करने वाला मोहनी सूत्र बनाया मासूम बधाई स्वीकारें
__________________
तोडना टूटे दिलों का बुरा होता है जिसका कोई नहीं उस का तो खुदा होता है |
|
Bookmarks |
Tags |
discussions, forum anthem, forum songs, forum talks, satires, witty replies |
|
|