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21-08-2012, 11:35 AM | #1 |
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सिब्बल शिक्षा पद्धति से शिक्षा का हाल।
श्री मान कपिल सिब्बल साहब ने प्राईमरी से लेकर माध्यमिक, तकनीकी, प्रौयोधिकी आदि हर क्षेत्र मे आमूल-चूल परिवर्तन कर चुके है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है और ये होना भी चाहिए। मगर इस परिवर्तन का असर क्या होगा या हो रहा है, इसपर चिंतन भी बहुत जरूरी है।
कपिल सिब्बल द्वारा लागू किए गए या अनुशंसा किए गए पद्धति का असर क्या होगा या हो रहा है, इसपर आप सभी के विचार सादर आमंत्रित है। |
21-08-2012, 11:31 PM | #2 |
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Re: सिब्बल शिक्षा पद्धति से शिक्षा का हाल।
मेरा तो मानना है की अपनी पुरानी शिक्षा पद्धति एकदम outdated हो गयी है। अब इसमें बदलाव की जरुरत है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो की रोज़गार में मदद करे।
लेकिन कपिल सिबल क्या क्या बदलाव लाना चाहते हैं यह मुझे नहीं पता। इसपर अगर रौशनी डाले तो और विचार पेश करू।.
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22-08-2012, 05:37 PM | #3 | |
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Re: सिब्बल शिक्षा पद्धति से शिक्षा का हाल।
Quote:
सबसे पहले "आठवी कक्षा तक किसी भी छात्र को फेल नहीं करना" की नीति कहा तक सही है और इसके क्या प्रभाव या दुष्प्रभाव पड़ेंगे? |
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22-08-2012, 05:41 PM | #4 |
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Re: सिब्बल शिक्षा पद्धति से शिक्षा का हाल।
सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकेण्डरी एजूकेशन (सीबीएसई) की बात करे। छात्र चाहे कुछ भी ना करे, उसे पास करना अनिवार्य है। जरा सोचिए, बिना पढ़ाई-लिखाई किए यदि छात्रों को पास करना है तो विद्यालयों, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षकों की क्या आवश्यकता है? बिना बोर्ड के स्तर को पास किए कक्षा ग्यारह और बारह में विभिन्न स्तर पर विज्ञान, वाणिज्य जैसे गूढ़ विषयो को समझने के लिए जब आधार ही नहीं होगा तो वह विद्यार्थी आईआईटी, आईआईएम, सीए, एमबीए, बीबीए कैसे उत्तीर्ण कर पाएगा? हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने देश में अगर आज किसी विषम स्थिति से परेशान है तो वह स्थिति है- भारत की आज की शिक्षा पद्धति से पढ़े-लिखे वे भारतीय, जिन्होंने वहां के स्वास्थ्य, विज्ञान और कम्प्यूटर तकनीक क्षेत्र में जरूरत से ज्यादा अधिकार प्राप्त कर लिया है। नासा जैसी संस्था में आज की ठोस नीति से पढ़े-लिखे लोगों ने ही 47 प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधित्व कर अपना परचम फहराया है। उधर, यदि भारतीय डॉक्टर न हों तो अमेरिकी स्वास्थ्य की व्यवस्था मिनटों में चरमरा जाएगी। कम्प्यूटर तकनीकी के क्षेत्र में भारत ने पूर्ण वर्चस्व आज की शिक्षा से ही प्राप्त किया है। भारत के विद्यार्थियों ने ओबामा के मस्तिष्क पर जो चिन्ताएं उकेरी हैं, मुझे लगता है कि वह सारी चिन्ताएं हम इन नए शिक्षा परिवर्तनों से स्वयं ही मिटा देंगे। लगता है, अपने आप को "स्ट्रेस-फ्री" शिक्षा देते-देते हम ओबामा को "स्ट्रेस-फ्री" कर देंगे।
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22-08-2012, 05:43 PM | #5 |
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Re: सिब्बल शिक्षा पद्धति से शिक्षा का हाल।
अब राजस्थान बोर्ड की बात लीजिए। हमने आठवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को फेल नहीं करने की नीति अपना ली है। अब न शिक्षकों को पाठ्यक्रम पूरा करवाने की चिन्ता रहेगी, न ही विद्यार्थियों को पढ़ने की और न ही अभिभावक को बच्चों को पढ़ने के लिए कहने की आवश्यकता। शायद जादू की छड़ी से कक्षा नवीं और दसवीं की परीक्षा पास करने की योग्यता विद्यार्थियों में स्वत: ही उत्पन्न हो जाएगी। हमने सत्र 2011-2012 के लिए एनसीआरटी की पुस्तकें लागू करने का निर्णय किया है। पुस्तकें अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। हर वर्ष ऎसी ही परिस्थितियां रहती हैं, शिक्षक पढ़ाएं तो क्या पढ़ाएं। इधर, कक्षा 10 व 12 में सभी विषयो के दो के स्थान पर एक प्रश्नपत्र कर दिए गए हैं। अब अगर विद्यार्थी का प्रश्नपत्र खराब होता है तो उस विषय को सुधारने के लिए कोई स्थिति नहीं बचती है। यह परिवर्तन मेरे विचार में तो छात्रों को तनाव समाप्त करने के स्थान पर और अधिक तनाव में डालेगा।
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22-08-2012, 07:48 PM | #6 |
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Re: सिब्बल शिक्षा पद्धति से शिक्षा का हाल।
maine suna hai pahle ki parhai mein jab 10 ka parikch hote the to8 /10tak ke sawal pucha jata tha
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31-08-2012, 12:26 AM | #7 | |
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Re: सिब्बल शिक्षा पद्धति से शिक्षा का हाल।
Quote:
बात इतनी आसान नहीं है मित्र ! आपके पास संभवतः पूरी सूचना नहीं है ! यह सही है कि निर्णय किया गया है कि किसी को फेल नहीं किया जाए, लेकिन ग्रेड सिस्टम लागू किया गया है यानी प्रतिस्पर्धा बरकरार है और सबसे निचली ग्रेड में आने की शर्मिंदगी विद्यार्थियों के लिए अब भी मौजूद है और इसे मैं पिछली पद्धति से ज्यादा खतरनाक मानता हूं, क्योंकि पहले आप तीन साल फेल होकर चौथे साल प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होकर गर्व महसूस कर सकते थे, लेकिन अब बदलाव की कोई संभावना नहीं है ! यह अवसर आपसे छिन गए हैं, क्योंकि अब परिणाम में बदलाव की गुंजाइश नहीं है ! इसका अर्थ कदापि यह नहीं है कि श्रीमान सिब्बल की नीतियों से मैं सहमत हूं, भारतीय शिक्षा पद्धति में अनेक झोल हैं, जिन्हें दुरुस्त करने के बजाय शिक्षा मंत्री उनकी दरारें और बढ़ा रहे हैं ! आपका सूत्र अभी काफी आगे बढेगा, कुछ और विचार फिर कभी ! धन्यवाद !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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02-09-2012, 01:31 AM | #8 |
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Re: सिब्बल शिक्षा पद्धति से शिक्षा का हाल।
मेरे विचार इस विषय में तनिक कटु हैं, मित्र ! इसीलिए अक्सर मैं प्रतिक्रिया से बचता हूं ! दरअसल मैकाले से सिब्बल तक भारतीय शिक्षा क्षेत्र की असल जरूरियात को समझा ही नहीं गया ! बीच-बीच में रवीन्द्रनाथ ठाकुर और गिजु भाई जैसे कुछ प्रयास अवश्य हुए, किन्तु हकीकत यही है कि आज भी हम उस क्षेत्र (प्राथमिक शिक्षा) पर बजट में सबसे कम राशि का प्रावधान करते जा रहे हैं, जिस पर सबसे ज्यादा व्यय होना चाहिए ! प्रत्येक क्षेत्र के लिए भविष्य के नेतृत्व को तैयार करने वाले इस क्षेत्र की यह उपेक्षा हमें एक दिन बहुत भारी पड़ने वाली है, यह तय है ! इसे पश्चिम से प्रभावित सिब्बल तो कदापि नहीं समझ सकते ! सेंट स्टीफंस पर दबाव डाल कर उपस्थिति कम होने के कारण परीक्षा से वंचित किए जा रहे उन्मुक्त चन्द्र को परीक्षा के योग्य बनाने से ही काम नहीं चलेगा, देश का भविष्य बनाने के लिए कई पापड़ बेलने पड़ेंगे ! हां, यह अवश्य है कि मैं ग्रेड सिस्टम में बहुत अधिक बुराई नहीं पाता, लेकिन इसका वास्तविक लाभ तभी हासिल होगा, जब आप उच्च शिक्षा में मौजूद अनेक खामियों को दुरुस्त कर शिक्षा को रोजगारोन्मुख और जीवन के अनुकूल बनाएंगे, वरना बाबू तो यह पद्धति भी खूब पैदा कर ही रही है !
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