My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Entertainment > Film World
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 10-08-2020, 05:49 PM   #1
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण, जिन्हें हिंदी सिनेमा जगत गुरुदत्त के नाम से पुकारता है. उन्होंने सिनेमा को उस वक्त सार्थक पहचान दी, जब ज्यादातर फिल्म निर्देशक समाज के दुख और दुर्दशा को भुलकर मनोरंजन का तिलिस्म गढ़ने में व्यस्त थे.
भारतीय सिनेमा के इतिहास में जब भी कल्ट फिल्मों की बात होती है तो उसमें गुरुदत्त की फिल्मों का नाम सबसे उपर होता है. गुरुदत्त की फिल्में ‘प्यासा’, ‘कागज के फूल’ और ‘साहब, बीवी और गुलाम’ आज कई फिल्में संस्थानों के कोर्स में पढ़ाई जाती हैं. इतना ही नहीं विश्वप्रसिद्ध टाइम मैगज़ीन ने अपनी 100 सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की सूची में गुरुदत्त की फिल्म ‘प्यासा’ और ‘काग़ज़ के फूल’ को जगह देकर इसे प्रामाणिक भी किया है.
साल 1957 में रिलीज हुई गुरुदत्त की फिल्म ‘प्यासा’ में निभाए गए उनके किरदार ‘विजय’ को देखकर सभी हैरान रह गए थे. बेरोजगार शायर विजय सोसायटी और सिस्टम से निराश है, वह कहीं भी फिट नहीं पा रहा है. फिल्म में बोला गया विजय का एक संवाद इसकी तस्दीक कुछ ऐसे कर रहा है. ‘मुझे शिकायत है उस समाज के उस ढांचे से जो इंसान से उसकी इंसानियत छीन लेता है, मतलब के लिए अपने भाई को बेगाना बनाता है. दोस्त को दुश्मन बनाता है. बुतों को पूजा जाता है, जिन्दा इंसान को पैरों तले रौंदा जाता है. किसी के दुःख दर्द पर आंसू बहाना बुज़दिली समझी जाती है. छुप कर मिलना कमजोरी मानी जाती है.’ आज हम उसी फिल्म ‘प्यासा’ को आपके सामने लेखनी के जरिए रख रहे हैं.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 10-08-2020, 05:51 PM   #2
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

फिल्म का नायक विजय एक बेरोजगार शायर है. वह वही लिखता है, जो जीती जागती दुनिया में देखता है. लेकिन इस दुनिया के लिए विजय एक निहायत ही नाकार शख्स है. पब्लिशर्स विजय की शायरी को रद्दी का पुलिंदा समझते हैं. विजय अपने ही मुहल्*ले में दबे पांव गुजर रहा है. तभी विजय के कानों में एक महिला की आवाज़ पड़ती है. ‘भईया जी, भाजी तौल रहे हो या सोना?’ यह सुनने के बाद विजय ठहर सा जाता है. उसके पांव आगे नहीं बढ़ रहे हैं. यह आवाज़ उसकी मां (लीला मिश्रा) की है, जो उससे बहुत प्*यार करती है, पर मजबूरी में विजय के बड़े भाईयों के साथ रह रही है. मां बाजार में एक ठेलेवाले से सब्*ज़ी ख़रीद रही है. विजय को उसका भतीजा देख लेता है. वह विजय की मां से कहता है, ‘दादी, चाचा!’. भाईयों की वजह से विजय कई दिनों से अपने घर नहीं गया है. विजय की उजड़ी हालत को देखकर मां रोने लगती है. वह विजय को ज़बरदस्*ती घर ले जाती है. कहती है ‘मैंने तेरे लिए कुछ पकवान बचा कर रखे हैं.’
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 10-08-2020, 05:51 PM   #3
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

विजय घर को चौके में जाता है, जहां मां उसे चोरी से खाना निकाल कर देती है. तभी रसोई में विजय का मंझला भाई (महमूद) प्रवेश करता है और विजय को ताना मारता है. ‘क्यों मां, आ गया तुम्*हारा कालीदास!’ मझंला भाई आगे कहता है, ‘पराई खेती समझ कर सब गधे चरने लगे!’. अभी यह हो ही रहा था कि बड़ा भाई खाना खाते हुए विजय पर ताने कसता है, ‘मैं तो खाने वाले की बेशर्मी की दाद देता हूं.’ मां दोनों बेटों को डांटती है. बड़ा बेटा विजय की ओर देखते हुए कहता है, ‘हाथ पैर वाला है! कुछ कमा धमा कर खाए. हमारे टुकड़ों पर क्यों पड़ा है?’. इतना सुनकर मां झल्लाती हुई कहती है, ‘बेशर्मों, तुम्*हारा सगा भाई है वह! बाप के मरने के बाद तुम लोग उसके बाप की जगह हो!’. इस पर मझला भाई कहता है, ‘मां-बाप से हमने तो नहीं कहा था कि ऐसी निखट्टू औलाद पैदा करे.!’
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 10-08-2020, 05:52 PM   #4
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

इतना सुनकर विजय थाली छोड़कर उठ जाता है और वहीं चौके से भाई की पत्नी को आवाज़ देकर पूछता है, ‘भाभी, मेरी
नज़्मों की फ़ाइल कहां है?’. जवाब मंझला भाई देता है, ‘औरतों को क्*या दीदे दिखाते हो? मुझसे बात करो, मुझसे! मैंंने वो रद्दी वाले बनिए को बेच दीं!”. गुस्से में विजय बोलता है, ‘आप जैसा ज़ाहिल ही उन्हें रद्दी समझेगा!’.
विजय के भाईयों की नज़र में वो शायरी कबाड़ी को बेचने के लायक थी. विजय कबाड़ी के पास गया. कबाड़ी वाले ने विजय को बताया कि एक औरत उसके नज्मों की फाइल ले गई. निराश विजय पार्क में पेड़ के नीचे बेंच पर उदास बैठा था. तभी विजय को एक औरत गुनगुनाते हुए सुनाई दी, ‘फिर न कीजे मेरी गुस्*ताख़-निगाही का गिला… देखिए आपने फिर प्*यार से देखा मुझको!’.
विजय एकदम से चौंक उठा, यह तो उसी की नज़्म है. आखिर इस औरत के पास कहां से आई. विजय ने गाने वाली औरत की ओर देखा और उसके पास आया. विजय ने कहा, ‘सुनिए…’ इतना सुनते ही गाने वाली औरत उठकर चल दी और एक कातिल अदा से विजय की ओर देखने लगी. यह गुलाबो (वहीदा रहमान) थी.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 10-08-2020, 05:53 PM   #5
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

विजय ने कुछ घबराते हुए कहा, ‘मैंने कहा…’ गुलाबो मुस्कुराने लगी और गाते हुए वहां से चल दी. ‘जाने क्या तू ने कही..

जाने क्या मैंने सुनी… बात कुछ बन ही गई… सनसनाहट सी हुई… सरसराहट सी हुई… जाग उठे ख्*़वाब कई… बात कुछ बन ही गई…’ धीरे-धीरे गीत खत्म होता है और विजय गुलाबो के पीछे-पीछे तंग गलियों में पहुंच गया. गुलाबो एक टूटे हुए पुराने मकान की सीढ़ियों पर चढ़ने लगी.
विजय ने फिर कहा, ‘सुनिए!’. गुलाबो ने बलखाते हुए कहा, ‘सुनाइए! क्*या चाहिए आपको’. विजय ने कहा, ‘वो फ़ाइल, जिसमें आपको गीत मिला.’ गुलाबो ने कहा, ‘बस! और कुछ नहीं?’. विजय ने गुलाबो के इशारे को समझते हुए कहा, ‘देखिए, मुझे ऐसा बेतुका मज़ाक़ पसंद नहीं.’ गुलाबो ने कहा, ‘मैं पसंद हूं!’. विजय ने एक झटके में कहा, ‘जी, नहीं!’
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 10-08-2020, 05:56 PM   #6
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

विजय के जवाब से गुलाबो भड़क उठी और ग़ुस्*से से बोली, ‘तो मेरे पीछे क्यों आए?’ विजय ने कहा, ‘वो गीतों वाली फाइल आपके पास है या नहीं. मेरे पास जब पैसे…’. इतना सुनते ही गुलाबो ने गुस्से से कहा, ‘तू ख़ाली हाथ आया मेरी पीछे! इस गोदी को ख़ाला जी का घर समझा है क्*या? चल… निकल यहां से!’.
घर में उपर आकर गुलाबो सोच रही है कि आज की शाम तो बेकार हो गई थी. कितनी मुश्किल से ग्राहक पटा था. वह भी भिखारी निकला. कमरे में गुलाबो की नजर नज़्मों की फ़ाइल पर गई, अचानक ही उसे लगा कि कहीं पीछा करना वाला वह शख्स ही तो उन नज्मों को लिखने वाला शायर नहीं था. गुलाबो तुरंत भागी भागी बाहर आई, पर विजय उसकी दहलीज से जा चुका था.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 10-08-2020, 05:57 PM   #7
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

एक दिन विजय पार्क में बैठा है, तभी उसके साथ पढ़ी पुष्*पलता (टुनटुन) से उसकी मुलाकात होती है. पुष्*पलता विजय से कहती है, ‘आज शाम कॉलेज में जलसा है, साथ के पढ़े लोग आएंगे, तुम भी ज़रूर आना’. शाम को विजय कॉलेज के जलसे में पहुंचता है. वहां विजय अपनी कॉलेज के दिनों की प्रेमिका मीना (माला सिन्हा) से टकराता है. लोग विजय से शायरी सुनाने को कहते हैं. विजय कविता शुरू करता है. ‘तंग आ चुके हैं कश्मकश-ए-ज़िंदगी से हम… ठुकरा न दें जहां को कहीं बेदिली से हम’.
तभी दर्शकों में शामिल एक आदमी चीख़ता है, ‘ख़ुशी के मौक़े पे क्*या बेदिली का राग छेड़ा हुआ है… कोई ख़ुशी का गीत सुनाइए!’. एक पल को ठहरा हुआ विजय गाता है, ‘हम ग़मज़दा हैं… लाएं कहां से ख़ुशी के गीत… देंगे वही जो पाएंगे इस ज़िंदगी से हम… उभरेंगे एक बार अभी दिल के वलवले… माना कि दब गए हैं ग़म-ए-ज़िंदगी से हम… लो, आज हमने तोड़ दिया रिश्*ता-ए-उम्*मीद… लो, अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम…’.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 10-08-2020, 05:58 PM   #8
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

विजय अपनी शायरी पढ़ रहा है और उसकी पूर्व प्रेमिका मीना के चेहरे पर उसे खो देने का अफसोस साफ दिखाई पड़ रहा है. मीना ने बेरोजगार विजय को छोड़कर एक पैसे वाले रईस पब्लिशर मिस्टर घोष (रहमान) से शादी कर ली थी. कॉलेज के जलसे में मीना के शक़्क़ी पति मिस्टर घोष सब कुछ समझ जाते हैं. मिस्टर घोष ने बदले की भावना से विजय को अपने यहां नौकरी का ऑफर देते हैं. विजय मिस्टर घोष ऑफर स्वीकार कर लेता है.
जलन और बदले की भावना से विजय को नीचा दिखाने के लिए मिस्टर घोष एक शाम अपने घर पर पार्टी रखते हैं. पार्टी में शेर-ओ-शायरी की महफ़िल जमी. शराब का दौर शुरू हुआ और मेहमानों को शराब परोसने की जिम्मेदारी विजय को दी गई. महफिल में लोग अपने-अपने कलाम सुना रहे थे, उन बेकार नज्मों को सुनकर विजय खुद को रोक न सका और खड़े-खड़े गुनगुनाने लगा. ‘जाने वो कैसे लोग थे, जिनके प्*यार को प्*यार मिला’. मेहमान शायरों ने मिस्*टर घोष से कहा, ‘भाई… बहुत खुब वाह!… बहुत सुख़ननवाज़ है घर आपका… नौकर-चाकर भी शायरी करते हैं!’. एक शायर ने विजय की ओर मुड़ कर कहा, ‘तुम कुछ कह रहे थे, बर्ख़ुरदार? चुप क्यों हो गए? कहो! कहो!.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 10-08-2020, 05:59 PM   #9
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

विजय किताबों की शेल्फ के सहारे एक कोने में खड़े होकर दोनों हाथ किताबों की शेल्फ पर टिका कर गाना शुरू किया. ‘जाने वो कैसे लोग थे, जिनके प्*यार को प्*यार मिला… हमने तो जब कलियां मांगीं कांटों का हार मिला… खु़शियों की मंजिल ढूंढी तो ग़म की गर्द मिली… चाहत के नग्में चाहे तो आहें सर्द मिली… दिल के बोझ को दूना कर गया जो ग़मख्*़वार मिला… बिछड़ गया हर साथी देकर पल दो पल का साथ… किसको फ़ुर्सत है जो थामे दीवानों का हाथ… हमको अपना साया तक अक्सर बेज़ार मिला… हमने तो जब कलियां मांगी…’. मीना विजय के इस गीत को बर्दाश्त न कर सकी और कमरे को कोने में रोने लगी. वहीं दूसरी तरफ मिस्टर घोष सब देख रहे हैं. विजय गा रहा है, ‘इसको ही जीना कहते हैं तो यूं ही जी लेंगे… उफ़ न करेंगे, लब सी लेंगे, आंसू पी लेंगे… ग़म से अब घबराना कैसा, ग़म सौ बार मिला…’.
विजय की इतनी बेइज्जती के बाद मीना नहीं चाहती थी कि विजय यहां नौकरी करे. मीना विजय को यह समझा रही थी कि मिस्टर घोष ने देख लिया और समझा कि मीना-विजय के बीच पुराने प्यार की कोई बात चल रही है. मिस्टर घोष ने विजय को नौकरी से निकाल दिया.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 10-08-2020, 06:00 PM   #10
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा

इसके बाद फिल्म टर्न लेती है और घूमकर गुलाबो पर चली आती है

गुलाबो के कमरे में घायल विजय गहरी नींद में है. गुलाबो विजय को चादर ओढ़ाती है. उसके बाद वो कमरे के दरवाजे़ के सहारे बैठकर सो जाती है. लंबी नींद के बाद विजय की आंखें खुलती हैं. विजय के कानों में तरह-तरह की आवाज़ें गूंज रही हैं. ‘क्यों छापूं, साहब! मेरा दिमाग़ ख़राब हुआ है क्*या? आपकी बकवास कोई शायरी है…!’
इसके बाद विजय को गुलाबो की आवाज़ सुनाई देती है, ‘दुनिया को तुम्*हारी शायरी की ज़रूरत है!’. गुलाबो की आवाज़ पर मिस्*टर घोष की आवाज़ सुपरइंपोज होती है. ‘हमारी मैगज़ीन में मशहूर शायरों की नज्में छपती हैं, किसी नौसिखिए की
बकवास नहीं!’.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
गुरुदत्त, प्यासा, gurdutt, pyasa


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 02:44 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.