27-04-2011, 03:57 PM | #81 |
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Re: प्यार जिदगी हे
दिल में प्यार का आगाज हुआ करता है,
बातें करने का अंदाज हुआ करता है, जब तक दिल को ठोकर नहीं लगती, सब को अपने प्यार पर नाज हुआ करता है |
29-04-2011, 08:19 PM | #82 |
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Re: प्यार जिदगी हे
न रास्ता सुझाई देता है,
न मंजिल दिखाई देती है, न लफ्ज़ जुबां पर आते हैं, न धड़कन सुनाई देती है, एक अजीब सी कैफियत ने आन घेरा है मुझे, की हर सूरत में, तेरी सूरत दिखाई देती है...
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
08-05-2011, 06:01 PM | #83 |
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Re: प्यार जिदगी हे
आ जरा ओ मेरे दिलबर, बात दो चार करें,
दो घड़ी ही सही आ प्यार सिर्फ़ प्यार करें । गिले शिकवों से कोई आज सरोकार न हो, प्यार ही प्यार सिर्फ़ प्यार का इज़हार करें । कुछ पहल तुम भी करो, चन्द कदम हम भी बढें, जिन्दगी भर न सही, सफ़र तो एक बार करें । किसने कितने हैं सहे जुल्मो सितम तो जानें, आ मिलाकर जरा नज़रों से नज़र चार करें । जुड़ तो सकते वो नहीं ख्वाब जो अब टूट चुके, कोई झूठा ही सही, ख्वाब सा साकार करें । क्या पता रूह में जज़्बात सा कुछ जिन्दा हो, आ सवालात जरा रूह से इस बार करें । आ जरा ओ मेरे दिलबर बात दो चार करें, दो घड़ी ही सही आ प्यार सिर्फ़ प्यार करें ।
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17-09-2011, 04:46 PM | #84 |
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Re: प्यार जिदगी हे
"खुशियां आप सब के कदम चूमे रस्ते-रस्ते
बस दुनियां देखती रह जाये आपको हंसते -२" |
17-09-2011, 04:53 PM | #85 |
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Re: प्यार जिदगी हे
क्या खूब फेलाया है रंग मौसम ने अपना
लग रहा है जैसे जगते हुवे देख रहा हुं सपना नम नम बुंदे देखो ऐसे बिखराई है जैसे कोई अप्सरा अभी अभी नाह कर आई है हलकी हलकी रोशनी ऐसे छायी है |
17-09-2011, 04:53 PM | #86 |
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Re: प्यार जिदगी हे
मोहब्बत के बिना ज़िन्दगी फिजूल हैं !
पर मोहब्बत के भी अपने उसूल हैं !! कहते हैं मिलती हैं मोहब्बत में बहुत उल्फ़ते ! पर आप हो महबूब तो सब कबूल हैं !! |
17-09-2011, 05:00 PM | #87 |
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Re: प्यार जिदगी हे
पल भर के लिए भी ना किया तुमने इकरार
ख्वाबों में ही करते रहे हम तुमसे प्यार। |
17-09-2011, 05:00 PM | #88 |
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Re: प्यार जिदगी हे
आंखों में भरकर तेरे सपने , गाते रहे तेरे ही नगमे
खुद को दी हर कसम , जो साथ ना खा सके कसमें , साथ तुम ना रही कभी , पर निभाई हमने सभी रस्में पल भर भी भूल जाऊं तुम्हें , कहां ये अपने बस में। |
17-09-2011, 05:01 PM | #89 |
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Re: प्यार जिदगी हे
यूं ही तन्हा रहे , चाहे हो पतझड़ या सावन की फुहार
पल भर के लिए भी ना किया तुमने इकरार , बस , ख्वाबों में ही तुमसे हम करते रहे प्यार। |
17-09-2011, 05:01 PM | #90 |
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Re: प्यार जिदगी हे
छाई है हर ओर बहार , आया है प्यार का त्योहार
आज तो कर दो अपना हाल-ए दिल बयां चलो , अब कर लो तुम भी इकरार। |
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