22-12-2011, 07:27 PM | #1111 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
वाशिंगटन। मिस्र में लगातार हो रही हिंसा और महिला प्रदर्शनकारियों पर हमले की खबरों से चिंतित अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने मिस्र के प्रधानमंत्री कमाल अल गनजौरी के सामने चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि अमेरिका इन खबरों से विशेषकर महिलाओं के ऊपर हुए हमलों से चिंतित है। इस सप्ताह की शुरुआत में हिलेरी ने कहा था कि दशकों के तानाशाही शासन का अंत करने वाली क्रांति के बाद महिलाओं के साथ इस तरह का बर्ताव शर्म की बात है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता नूलैंड ने कहा कि हिलेरी ने कल दोपहर गनजौरी से फोन पर बात की। यह बातचीत बहुत सकारात्मक रही। हिलेरी हिंसा की खबरों से चिंतित हैं। गनजौरी ने स्पष्ट कहा कि मिस्र प्रशासन चाहता है कि सुरक्षा बल कानून के दायरे में रहकर काम करें। हिलेरी ने गनजौरी को उनकी नियुक्ति के लिए बधाई दी। हिलेरी ने गनजौरी से लोकतांत्रिक प्रक्रिया और स्वतंत्र चुनावों के बारे में चर्चा की। नूलैंड ने कहा कि दोनों ने मिस्र में सुरक्षा हालात के बारे में भी चर्चा की। गनजौरी ने कहा कि उनकी सरकार शांतिपूर्ण प्रदर्शन चाहती है और वह सुरक्षा बलों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हिलेरी और गनजौरी ने मिस्र के आर्थिक विकास को आगे ले जाने के लिए अमेरिकी मदद जारी रखने के मुद्दे पर भी बात की।
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22-12-2011, 07:30 PM | #1112 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
विभिन्न संप्रदायों के शिष्टमंडल ने की सिब्बल से मुलाकात
नई दिल्ली। सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले धर्म विरोधी विचारों पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली की एक अदालत के आदेश से लैस मुस्लिम, इसाई और अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों ने दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल से मुकालात की और ऐसे इंटरनेट प्लेटफार्म के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। दूरसंचार मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक करीब 100 लोगों का एक समूह सिब्बल से मिला और फेसबुक, गूगल और याहू जैसे वेबसाइट पर चलने वाली गैर-कानूनी गतिविधियों के खिलाफ मांगपत्र सौंपा। इस समूह में सभी धर्मों के इमाम, उलेमा, पादरी, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और वकीलों ने मंत्री से मुलाकात की। शिष्टमंडल ने जल्द से जल्द कानूनी कार्रवाई करने की अपील की और कहा कि इससे देश मे सांप्रदायिक सौहार्द भंग हो सकता है और दूसरे किस्म की मुश्किलें हो सकती हैं। मंत्री ने शिष्टमंडल को आश्वस्त किया कि सरकार ऐसी अपमानजनक सामग्री के लिए कंपनियों के खिलाफ उचित कार्रवाई पर विचार करेगी। बुधवार को दिल्ली की एक अदालत ने फेसबुक, गूगल और यू-ट्यूब समेत सोशल नेटवर्किंग साईट पर नफरत फैलाने वाले या सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले धर्म या समाज विरोधी कंटेंट पेश करने के सम्बंध में रोक लगाई थी। अदालत के आदेश के सम्बंध में गूगल इंडिया ने गुरुवार को कहा कि हमारा मानना है कि सूचनाओं की पहुंच स्वतंत्र समाज की बुनियाद है। गूगल सर्च ज्ञान के प्रसार में मदद कर रहा है और कंप्यूटर लोगों को कुछ शब्द टाईप कर लगभग सबकुछ जानने में मदद कर रहा है।
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22-12-2011, 08:19 PM | #1113 |
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अन्ना आंदोलन से निपटने के संप्रग सरकार के तरीके का भगवती ने किया समर्थन
नयी दिल्ली ! प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जगदीश एन. भगवती ने मजबूत लोकपाल के लिए अन्ना हजारे के आंदोलन से निपटने के संप्रग सरकार के तरीके का आज समर्थन किया। उन्होंने कहा कि समाज सुझाव देने के लिए स्वतंत्र है लेकिन उसे समाधान थोपने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। कोलंबिया विश्वविद्यालय में सीनियर फेलो भगवती ने कहा कि देश को समाज के कार्यकर्ताओं के साथ सबसे बड़ी मायूसी उनकी उस धारणा से है कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की जगह ले सकते हैं। ‘डिजाइनिंग इंस्टीट्यूशन्स फॉर गवर्नेंस रिफॉर्म’ पर 24 वां इंटेलीजेंस ब्यूरो एंडाउमेंट व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘संप्रग सरकार बिल्कुल सही है। समाज आंदोलन कर सकता है। वे इस मुद्दे को उठाने में सही हैं लेकिन आलोचना करने में सही नहीं है।’’ भगवती ने कहा कि समाज संसदीय लोकतंत्र के भीतर महत्वपूर्ण अनुपूरक है लेकिन यह चेतावनी अवश्य जोड़ी जानी चाहिए कि उसे विनाशकारी भूमिका की जगह रचनात्मक भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘कम से कम उन्हें (समाज) को निंदा की बजाय बातचीत के मूल्य को भी सीखने की आवश्यकता है।’’ भगवती ने समाज के विभिन्न कार्यकर्ताओं द्वारा एक-दूसरे पर आक्षेप लगाने का उल्लेख किया। इसके लिए उन्होंने अरुंधति राय और अरविंद केजरीवाल के बीच एक-दूसरे पर आक्षेप लगाए जाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘‘इन कार्यकर्ताओं के बीच घमासान मुझे अमेरिकी फ्री स्टाइल कुश्ती की याद दिलाता है जहां कोई नियम नहीं है। बस एक ही नियम है कि आपको व्यक्तिगत हमला करना है।’’
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22-12-2011, 08:21 PM | #1114 |
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सरकार ने किया ओबीसी के भीतर अल्पसंख्यकों को 4.5 फीसदी आरक्षण देने का फैसला
नई दिल्ली ! सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी आरक्षण के भीतर अल्पसंख्यकों को साढे चार फीसदी आरक्षण देने का आज रात फैसला किया। यह कदम उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले उठाया गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला किया जिससे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण का रास्ता साफ हो गया। अल्पसंख्यक शब्द को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2 (सी) में परिभाषित किया गया है। मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी को अधिनियम की धारा 2 (सी) के तहत अल्पसंख्यक समुदाय के तौर पर अधिसूचित किया गया है। अल्पसंख्यकों को उप आरक्षण शासनादेश के जरिए अधिसूचित किया जाएगा। इसे आज रात ही जारी किया जाएगा। यह फैसला राष्ट्रीय धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यक आयोग की सिफारिशों पर आधारित है। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, ‘‘कथित अल्पसंख्यकों की जाति और समुदाय जो समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा समय-समय पर अधिसूचित ओबीसी की केंद्रीय सूची में होंगे वे उप आरक्षण के दायरे में आएंगे।’’ सूत्रों ने बताया कि यह फैसला सर्वसम्मति से किया गया। हालांकि, रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी (तृणमूल कांग्रेस) बैठक में मौजूद नहीं थे।
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22-12-2011, 08:26 PM | #1115 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
अदालत ने नहीं लगाया डॉन-2 पर प्रतिबंध, कल होगी रिलीज
मुंबई ! बंबई उच्च न्यायालय ने शाहरूख खान स्टारर ‘डॉन-2’ की रिलीज पर प्रतिबंध लगाने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही फिल्म के कल रिलीज होने का रास्ता साफ हो गया है। पुराने फिल्म डॉन (वर्ष 1978) के कॉपीराइट के मालिक नरीमन हिरानी के कानूनी उत्तराधिकारियों ने कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाकर 'डॉन-2' के रिलीज पर प्रतिबंध लगाने के लिए बंबई उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की अदालत में याचिका दायर की थी, लेकिन न्यायाधीश ने 19 दिसंबर को यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि अब बहुत देर हो चुकी है। इसके बाद नरीमन फिल्मस और हिरानी परिवार ने अपील की थी। आरोप लगाया गया था कि फरहान अख्तर ने ओरिजनल फिल्म से सिग्नेचर ट्यून, गाने, पटकथा और किरदार की नकल की है। हिरानी ने अपनी याचिका में कहा है कि हालांकि इस फिल्म के रीमेक के अधिकार वर्ष 2005 में ही बेच दिए गए थे, लेकिन वह केवल वर्ष 2009 तक ही मान्य था। वर्ष 2005 में ही शाहरूख खान स्टारर डॉन आयी थी। इसके अनुसार, फिल्म के निर्माता एवं निर्देशकों ने सीक्वल बनाने के लिए कोई अधिकार नहीं खरीदने हैं।
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22-12-2011, 10:13 PM | #1116 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
तुर्की फ्रांस से अपने राजदूत को वापस बुलाएगा : सरकारी टीवी
अंकारा ! तुर्की के सरकारी टीवी का कहना है कि देश फ्रांस से अपने राजदूत को वापस बुला रहा है। फ्रांसीसी संसद में डब्ल्यूडब्ल्यूआई काल में ‘जातिसंहार’ में बड़ी संख्या में आर्मेनियाई लोगों की हत्या से इंकार को अपराध बताने संबंधी वोट के जवाब में यह कदम उठाया जा रहा है। फ्रांस के निचले सदन ने इस विधेयक को आज पारित किया। इसे सीनेट में मंजूर किया जाना शेष है। तुर्की ने हत्याओं के लिए ‘जातिसंहार’ शब्द का कड़ा विरोध किया और फ्रांस को कानून के दायरे में लाने के लिए अभियान चलाया। टीआरटी टेलीविजन ने कहा कि राजदूत तहसीन बुर्कुओग्लु को वापस बुलाया जाएगा। विदेश मंत्रालय ने फिलहाल इन खबरों की यह कहते हुए पुष्टि नहीं की कि प्रधानमंत्री इससे संबंधित घोषणा करेंगे।
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22-12-2011, 10:17 PM | #1117 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
सिलसिलेवार विस्फोटों से दहला इराक, 63 की मौत, 194 घायल
बगदाद ! इराक से अमेरिकी सेना की अंतिम टुकडी के जाने के कुछ दिनों बाद ही राजधानी बगदाद के शिया बहुल इलाके में आज हुये 12 बम विस्फोटों में 63 लोगों की मौत हो गयी तथा 194 अन्य घायल हो गये। हताहतों की संख्या बढने की आशंका है। अल जजीरा ने इराकी स्वास्य अधिकारियों के हवाले से बताया कि सुबह का समय होने के कारण घटनास्थल पर बडी संख्या में लोग मौजूद थे जिसकी वजह से मृतकों की संख्या बढकर 63 हो गयी है। सुरक्षा बलों ने घटनास्थल को चारो ओर से घेर लिया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बगदाद के दक्षिण-पश्चिम इलाके के अल आमिल जिले में सडक किनारे पडे दो बमों में विस्फोट से कम से कम सात लोग मारे गये और 21 अन्य घायल हो गये। दक्षिण के दूरा में एक कार बम विस्फोट में तीन लोग मारे गये और छह अन्य घायल हो गये। अधिकारियों ने बताया कि कर्रादा जिले में एक एंबुलेंस में सवार आत्मघाती हमलावर ने एक सरकारी कार्यालय के बाहर विस्फोट करके खुद को उडा लिया। हमले में कम से कम 18 लोग मारे गये। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विस्फोट इतना जबरदस्त था कि खिडकियों के कांच चटक गये। चारों ओर अफरा.तफरी फैल गयी और लोग बदहवास होकर इधर-उधर भागने लगे। पुलिस ने बताया कि शिया बहुल इराक के मध्य में स्थित अलावी, उत्तरी क्षेत्र शाब और शूला में भी रोड के किनारे बम धमाके हुए और सुन्नी बहुल इलाके अधमिया में हुए धमाके में एक आदमी की मौत हो गयी और पांच अन्य घायल हो गये।
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22-12-2011, 10:20 PM | #1118 |
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निर्यातकों को प्रोत्साहन पैकेज देने से सरकार का इनकार
नयी दिल्ली ! फर्टिलाइजर और तेल पर अतिरिक्त सब्सिडी दिए जाने की वजह से राजकोषीय घाटा बढने के बीच सरकार ने निर्यातकों को किसी तरह का राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज देने की संभावना से आज इनकार करते हुए उन्हें निर्यात बढाने के लिए नए बाजार तलाशने को कहा। यहां एसोचैम के एक कार्यक्रम में वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने कहा, ‘‘मुझे इसकी (राजकोषीय प्रोत्साहन) दूर दूर तक कोई संभावना नहीं दिखती.. हमारे पास फिलहाल लुटाने के लिए पैसा नहीं है। ऐसा नहीं होने जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि बढते राजकोषीय घाटे की वजह से सरकार के लिए निर्यातकों को किसी तरह का राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज उपलब्ध कराना मुश्किल है। खुल्लर ने कहा कि वैश्विक मंदी को देखते हुए वर्ष 2014 तक भारत का निर्यात दोगुना करने के लिए निर्यात ढांचागत सुविधाओं में सुधार और लेनदेन की लागत में कमी लाना आवश्यक है। वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने कहा कि देश से बाहर खासकर अमेरिका और यूरोपीय संघ में माहौल अनुकूल नहीं है और अगला दो साल भारतीय निर्यातकों के लिए कठिन होने जा रहा है। वाणिज्य मंत्रालय ने अगले तीन साल में निर्यात दोगुना कर 450 अरब डालर पर पहुंचाने के लिए एक रणनीति प्रपत्र पेश किया है जिसमें निर्यात के भविष्य के लिए रूपरेखा तैयार की गई है। हालांकि, विकसित बाजारों में खराब होती मांग की स्थिति का असर देश के निर्यात पर दिखना शुरू हो गया है। खुल्लर ने कहा, ‘‘बाहरी वातावरण अच्छा नहीं है और निकट भविष्य में इसके बेहतर होने के आसार नहीं हैं। वर्ष 2012 से आपको सरकार खर्च में कटौती देखने को मिल सकती है और इस दौरान विनिमय दरों में भारी उतार..चढाव और वित्तीय क्षेत्र में दिक्कतें नजर आ सकती हैं। इसका मतलब है कि विदेशी मांग अनुकूल नहीं रहेगी।’’ यहां एसोचैम के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश का निर्यात बढाने के लिए, ‘‘रेल और बंदरगाह, सड़क जैसे क्षेत्रों में दिक्कतें दूर करने की जरूरत है।’’
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22-12-2011, 10:31 PM | #1119 |
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टीम अन्ना ने गिनाईं सरकारी लोकपाल बिल की खामियां
नई दिल्ली ! सशक्त लोकपाल विधेयक के लिए पिछले एक साल से देशव्यापी मुहिम चला रही अन्ना टीम ने संसद में आज रखे गये सरकारी विधेयक को जनविरोधी बताते हुए खारिज कर दिया तथा इसे वापस लिए जाने की मांग की। अन्ना टीम ने विधेयक पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह विधेयक जनविरोधी है। इसका मकसद केवल लोकपाल नामक संस्था बनाना है जो सरकारी शिकंजे में रहेगी तथा इसके जरिये लोगों का दमन किया जायेगा। अन्ना टीम ने इस विधेयक को वापस लिए जाने की मांग की। लोकपाल विधेयक की परिधि में गैरसरकारी संगठनों को लाए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अन्ना टीम ने कहा कि देश के सारे मंदिर, मस्जिद, चर्च, महिला संगठन, धार्मिक संस्थाएं, रामलीला कमेटी, दुर्गा पूजा समिति, मदरसे, क्रिकेट क्लब, स्पोर्ट्स क्लब, युवा क्लब, मजदूर किसान संगठन, सारे अस्पताल, रिहायश कल्याण कलब, रोटरी क्लब आदि आ जायेंगे। इन सभी संस्थाओं में कार्यरत सभी पंडित, मौलवी, फादर, सिस्टर, बिशप, ग्रंथी, अध्यापक, डाक्टर आदि को लोकसेवक घोषित किया गया है। टीम की विज्ञप्ति के अनुसार विधेयक के दायरे में केवल 10 प्रतिशत नेता और पांच प्रतिशत सरकारी अधिकारी आयेंगे। 90 प्रतिशत नेता, 95 प्रतिशत अधिकारी, सभी कंपनियां और सभी राजनीतिक पार्टियां लोकपाल के दायरे के बाहर होंगी। लोकपाल अपनी पहल पर शिकायत दर्ज नहीं कर सकेगा। अन्ना टीम के अनुसार विधेयक जनविरोधी है, भ्रष्टाचार को बढावा देने वाला है, अव्यावहारिक तथा खतरनाक है। विज्ञप्ति में आरोप लगाया गया है कि विधेयक के जरिये बनने वाला लोकपाल सरकार के हाथ की कठपुतली होगा, जिसका इस्तेमाल करके सरकर सभी संस्थानों पर शिकंजा कस सकती है। टीम अन्ना ने लोकपाल चयन समिति और खोज समिति पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि लोकपाल के सदस्यों को हटाना भी सरकार ने अपने पास रखा है। सरकार अथवा 100 सांसदों की शिकायत पर उच्चतम न्यायालय जांच करेगा तथा जांच के दौरान सरकार लोकपाल सदस्य को निलंबित कर सकती है। लोकपाल के वरिष्ठ अधिकारियों का चयन भी सरकार द्वारा सुझाए गए नामों में से होगा। टीम ने आशंका व्यक्त की है कि लोकपाल कानून बनने के बाद केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पूरी तरह निष्क्रिय हो जाएगी। आज सीबीआई पूछताछ, जांच और अभियोजन खुद करती है। विधेयक के जरिये सीबीआई से पूछताछ और अभियोजन का काम छीना जा रहा है, जिसका परिणाम यह होगा कि यह जांच एजेंसी खंडित होकर निष्क्रिय हो जाएगी। सीबीआई निदेशक के चयन की नयी प्रक्रिया की आलोचना करते हुए टीम अन्ना ने कहा कि अब यह काम राजनीतिक नियंत्रण में कर दिया गया है। निदेशक का चयन प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता विपक्ष और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश करेंगे। टीम अन्ना के अनुसार प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष कमजोर निदेशक की ही सिफारिश करेंगे। सख्त निदेशक बनाया गया, तो वह उन्हीं के खिलाफ जांच शुरू कर देगा। टीम अन्ना ने इस धारणा को गलत बताया कि लोकपाल को सीबीआई पर निरीक्षण का अधिकार होगा। उसके अनुसार जांच एजेंसी पर लोकपाल नहीं, बल्कि सरकार का नियंत्रण होगा। लोकपाल केवल पोस्टमैन की तरह सीबीआई को शिकायत भेजने का काम करेगा। विग्यप्ति में कहा गया है कि समूह सी और डी के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे के बाहर रखा गया है तथा इनके खिलाफ मामलों की जांच एवं कार्रवाई सीबीआई और केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को सौंपी गयी है। टीम अन्ना ने पूछा है कि सीवीसी के 232 कर्मचारी समूह सी और डी के 57 लाख कर्मचारियों की तहकीकात कैसे करेंगे। टीम के अनुसार आजादी के पहली बार भ्रष्टाचार के मुकदमों में आरोपी अधिकारियों और नेताओं को सरकार मुफ्त में वकील मुहैया करायेगी और हर तरह की कानूनी सलाह देगी। विधेयक के जरिये भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई है। भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ शिकायत होने पर लगभग दो साल बाद मुकदमा शुरू होगा, जबकि शिकायतकर्ता के खिलाफ मुकदमा अगले दिन से ही शुरू हो सकेगा। टीम अन्ना के अनुसार भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने वाले लोगों को कानूनी संरक्षण देने के लिए विधेयक में कोई प्रावधान नहीं है। इसी तरह निजी कंपनियों के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भी कोई उपाय नहीं किया गया है। निजी कंपनियां यदि कानून का उल्लंघन करती हैं, तो इसे भी भ्रष्टाचार माना जाए, यह मांग सरकार ने अनसुनी कर दी है।
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22-12-2011, 10:38 PM | #1120 |
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उद्योगपतियों की नकारात्मक टिप्पणियों से अनिश्चितता बढी है : प्रधानमंत्री
नयी दिल्ली ! प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकारी नीतियों पर ‘नकारात्मक टिप्पणियों’ के लिए उद्योग जगत के दिग्गजों को आज आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इन नकारात्मक टिप्पणियों से ‘अनिश्चितता’ बढी है। हालांकि, प्रधानमंत्री ने यह माना कि गठबंधन की राजनीतिक के चलते मुद्दों पर आम सहमति बनने में जरूरत से अधिक समय लगता है। सरकार में नीतिगत सुस्ती को लेकर जारी बहस के बीच सिंह ने कहा कि सरकार विकासोन्मुखी आर्थिक माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यहां प्रधानमंत्री की व्यापार एवं उद्योग परिषद की एक बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं यह स्वीकार करता हूं कि कभी कभी हमारे उद्योगपतियों की ओर से नकारात्मक टिप्पणियां सुनकर थोड़ी निराशा होती है। हमें बताया जाता है कि सरकार की नीतियों से अर्थव्यवस्था में नरमी आ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की टिप्पणियों से अनिश्चितता पैदा होती है और उन लोगों का साहस बढता है जिनको आर्थिक वृद्धि से कोई लेनादेना नहीं है।’’ प्रधानमंत्री ने माना कि यह बैठक मुश्किल परिस्थितियों में हो रही है और बाहरी वातावरण कठिन चुनौतियां पैदा कर रहे हैं। सिंह ने कहा, ‘‘हमें यूरो-जोन में गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिकी आर्थिक वृद्धि दर लगातार सुस्त बनी हुई है। निकट भविष्य में हमें वैसी वृद्धि दर देखने को संभवत: न मिले जैसा कि हमने मंदी से पहले देखी।’’ उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर भी स्थिति समान रूप से चिंताजनक है। कुछ समय से उंची मुद्रास्फीति अस्वीकार्य है। ‘‘हमें अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत राजकोषीय स्थिति के बीच लाना है।’’ इस बैठक में नारायणमूर्ति, राहुल बजाज, मुकेश अंबानी, रतन टाटा, सुनील मित्तल, दीपक पारेख, जमशेद गोदरेज, चंदा कोच्चर और सुनील कांत मुंजाल सहित उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों ने हिस्सा लिया। रुपया में तेज गिरावट पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार स्थिति पर पैनी नजर रखे हुए हैं और भयंकर उतार-चढाव रोकने के लिए जब कभी जरूरत पड़ेगी, कदम उठाए जाएंगे। बैठक में सरकार की ओर से पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनन्द शर्मा, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी. रंगराजन मौजूद थे।
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