My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 04-01-2013, 11:41 AM   #261
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

गुरु नानक देव की वाणी – जिंदगी झूठ, मौत सच! एक पैसे का सच और एक पैसे का झूठ



एक बार गुरुनानक सिलायकोट पधारे। लोगों से उन्हें पता चला कि हमजागौस नामक एक मुसलमान पीर लोगों को तंग करता है।


नानकदेव ने हमजागौस को बुलाकर लोगों को तंग करने का कारण पूछा।
वह बोला – यहां के एक व्यक्ति ने पुत्र प्राप्ति की कामना की थी। मैंने उससे कहा कि तुम्हें पुत्र होगा, किंतु वह मेरी कृपा से होने के कारण तुम्हें उसे मुझे देना होगा। उसने उस समय तो यह शर्त स्वीकार कर ली, पर बाद में वह उससे मुकर गया। इसलिए मैं इस झूठी नगरी के लोगों को उसका दंड देता हूं।
नानक देव ने हंसते हुए पूछा, ‘गौस! मुझे यह बताओ कि क्या उस व्यक्ति के लड़का वास्तव में तुम्हारी कृपा से ही हुआ है?’
‘नहीं, वह तो उस पाक परवरदिगार की कृपा से हुआ है’ – उसने उत्तर दिया।
नानक देव ने आगे प्रश्न किया – फिर उनकी कृपा को नष्ट करने का अधिकार तुम्हें है या स्वयं परवरदिगार को? खुदा को सभी लोग प्यारे हैं।
गौस ने कहा – मुझे तो इस नगरी में खुदा का प्यारा एक भी आदमी दिखाई नहीं देता। यदि होता, तो उसे मैं नुकसान न पहुंचाता।
इस पर संत नानक ने अपने शिष्य मरदाना को बुलाकर दो पैसे देते हुए एक पैसे का सच और एक पैसे का झूठ लाने को कहा।
मरदाना गया और जल्दी ही एक कागज का टुकड़ा ले आया, जिस पर लिखा हुआ था, जिंदगी झूठ, मौत सच!
गौस ने इसे जब पढ़ा तो बोला- केवल लिखने से क्या होता है?
तब नानक देव ने मरदाना से उस व्यक्ति को लाने को कहा। उसके आने पर वे उससे बोले – क्या तुम्हें मौत का भय नहीं है?
अवश्य है – उसने जवाब दिया।
तब माया जंजाल में तुम कैसे फंसे हो? – नानक बोले।
- अब मैं अपना कुछ भी नहीं समझूंगा। यह कहकर वह व्यक्ति चला गया। गौस को भी सब कुछ समझ में आ गया।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 04-01-2013, 11:43 AM   #262
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

सबसे बड़ा ज्ञानी




बहुत पुरानी कथा है। यूनान में एक व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक संत के पास पहुंचा। उसने संत को प्रणाम कर उनसे कहा-महात्मा जी, मेरे जीवन में कुछ प्रकाश हो जाए, ऐसा कुछ ज्ञान देने की कृपा करें। इस पर संत बोले- भाई मैं तो एक साधारण व्यक्ति हूं। मैं भला तुम्हें क्या ज्ञान दूंगा। यह सुनकर उस व्यक्ति को हैरानी हुई।


उसने कहा-ऐसा कैसे हो सकता है। मैंने तो कई लोगों से आपके बारे में सुना है। इस पर संत बोले- तुम्हें ज्ञान चाहिए तो सुकरात के पास चले जाओ। वही तुम्हें सही ज्ञान दे सकेंगे। वे ही यहां के सबसे बड़े ज्ञानी हैं। वह व्यक्ति सुकरात के पास पहुंचा और बोला-महात्मा जी, मुझे पता लगा है कि आप सबसे बड़े ज्ञानी हो। इस पर सुकरात मुस्कराए और उन्होंने पूछा कि यह बात उससे किसने कही है।
उस व्यक्ति ने उस महात्मा का नाम लिया और कहा-अब मैं आपकी शरण में आया हूं। मेरे उद्धार का कोई उपाय बताएं। इस पर सुकरात ने जवाब दिया- तुम उन्हीं महात्मा जी के पास चले जाओ। मैं तो साधारण ज्ञानी भी नहीं हूं बल्कि मैं तो अज्ञानी हूं। यह सुनने के बाद वह व्यक्ति फिर उस संत के पास पहुंचा। उसने संत को सारी बात कह सुनाई।
इस पर संत बोले- भाई सुकरात जैसे व्यक्ति का यह कहना कि मैं अज्ञानी हूं, उनके सबसे बड़े ज्ञानी होने का प्रमाण है। जिसे अपने ज्ञान का जरा भी अभिमान नहीं होता वही सच्चा ज्ञानी है। उस व्यक्ति ने इस बात को अपना पहला पाठ मान लिया।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 04-01-2013, 11:44 AM   #263
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

जीवन का रहस्य



राजा सुषेण के मन में कुछ प्रश्न थे, जिनके उत्तर की तलाश में वह एक महात्मा के पास पहुंचे। महात्मा ने कहा, ‘अभी मेरे पास समय नहीं है। मुझे अपनी वाटिका बनानी है।’ राजा भी उनकी मदद करने में जुट गए। इतने में एक घायल आदमी भागता-भागता आया और गिरकर बेहोश हो गया। महात्मा जी ने उसके घाव पर औषधि लगाई। राजा भी उसकी सेवा में लग गए। जब वह आदमी होश में आया तो राजा को देखकर चौंक उठा। वह राजा से क्षमा मांगने लगा।
जब राजा ने इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि वह राजा को मारने के इरादे से निकला था, लेकिन सैनिकों ने उसके मंसूबों को भांप लिया और उस पर हमला कर दिया। वह किसी तरह जान बचाकर भागता हुआ इधर पहुंचा है। महात्मा जी के कहने पर राजा ने उसे क्षमा कर दिया। लेकिन तब राजा ने महात्मा से प्रश्न किया, ‘मेरे तीन प्रश्न हैं। सबसे उत्तम समय कौन-सा है, सबसे बढि़या काम कौन सा है और सबसे अच्छा व्यक्ति कौन है।’
महात्मा बोले, ‘हे राजन, इन तीनों प्रश्नों का उत्तर तो तुमने पा लिया है। फिर भी सुनो। सबसे उत्तम समय है वर्तमान। आज तुमने वर्तमान समय का सदुपयोग करते हुए मेरे काम में हाथ बंटाया और वापस जाने को टाला, जिससे तुम बच गए। अन्यथा वह व्यक्ति बाहर तुम्हारी जान ले सकता था। और जो सामने आ जाए, वही सबसे बढि़या काम है। आज तुम्हारे सामने बगीचे का कार्य आया और तुम उसमें लग गए। वर्तमान को संवार कर उसका सदुपयोग किया। इसी कर्म ने तुम्हें दुर्घटना से बचाया। और बढि़या व्यक्ति वह है, जो प्रत्यक्ष हो। उस आदमी के लिए अपने दिल में सद्भाव लाकर तुमने उसकी सेवा की, इससे उसका हृदय परिवर्तित हो गया और तुम्हारे प्रति उसका वैर भाव धुल गया। इस प्रकार तुम्हारे सामने आया व्यक्ति, शास्त्रानुकूल कार्य व वर्तमान समय उत्तम हैं।’ जीवन के इस रहस्य को जान कर राजा महात्मा के सामने नतमस्तक हो गए।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 04-01-2013, 11:46 AM   #264
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

दस चलते हैं, एक पहुंचता है





लक्ष्य जीवन में बहुत जरुरी है। बिना लक्ष्य के जीवन बिल्कुल निरर्थक है। कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ लोग किसी अन्य व्यक्ति को देखकर अपना लक्ष्य निर्धारित तो कर लेते हैं लेकिन उस तक पहुंच नहीं पाते क्योंकि लक्ष्य प्राप्ति में कई बाधाएं, लालसाएं आदि आती है। जो व्यक्ति सिर्फ अपने लक्ष्य को देखता है सिर्फ वही लक्ष्य तक पहुंचता है। यानि जब लक्ष्य तय करते हैं तो चलते तो कई लोग साथ में है लेकिन पहुंचते कुछ ही लोग हैं।


एक महात्मा ने एक नया आश्राम खोला तो पुराने आश्रम को खबर भेजी कि यहां की व्यवस्था के लिए वहां से एक संत भेजो। तो पुराने आश्रम के जो महात्मा थे उन्होंने 10 संत नए आश्रम की व्यवस्था के लिए भेज दिए। सबने कहा कि गुरुजी वहां तो सिर्फ ही व्यक्ति की आवश्यकता है। तो महात्मा कुछ नहीं बोले। कुछ दिनों बाद खबर आई कि आपने जो एक संत भेजा था वह पहुंच गया है।
यह सुनकर बाकी सब आश्चर्य में पड़ गए कि यहां से 10 गए थे वहां 1 ही पहुंचा बाकी 9 कहां रह गए? महात्मा ने अपनी दिव्य दृष्टि से बताया कि जब 10 लोग यहां से चले तो रास्ते में एक शहर आया वहां का राजा मर चुका था तो राजज्योतिष ने मंत्रियों को सलाह दी कि जो व्यक्ति सबसे नगर में प्रवेश करे उसे राजा बना दो। तो 10 में से एक वहां रुक गया और राजा बन गया। थोड़ी आगे चले तो एक अन्य शहर आया । यहां भी मंत्रीमंडल मिला। उसने कहा कि हमारे राज्य में कोई राजकुमार नहीं है तो आप में से कोई एक राजकुमार बन जाईए। उसी से राजकुमारी का विवाह किया जाएगा और वही राजा भी बनेगा। तो एक और संत वहां रुक गया।
थोड़ी आगे गए तो एक गांव आया वहां के लोगों ने बताया कि हम यहां एक बहुत बड़ा मंदिर बना रहे हैं तो उसकी देखभाल के लिए हमें एक महात्मा रखना है तो आपमें से एक यहां रुक जाईए। तो एक और वहां रुक गया। ऐसे करते-करते किसी न किसी कारण से और भी संत रुकते रहे। अंत में केवल एक ही संत नए आश्रम तक पहुंचा। उसी की सूचना पुराने आश्रम को दी गई।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 04-01-2013, 11:48 AM   #265
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

राजगृह कहां है




एक बार एक व्यक्ति गौतम बुद्ध के पास आकर बोला-तथागत्, मैं तो बहुत प्रयत्न करता हूं पर जीवन में धर्म का कोई प्रभाव नहीं दिखाई देता। इस पर बुद्ध ने सवाल किया- क्या तुम बता सकते हो कि राजगृह यहां से कितनी दूर है? उस व्यक्ति ने उत्तर दिया- दो सौ मील। बुद्ध ने फिर पूछा- क्या तुम्हें पक्का विश्वास है कि यहां से राजगृह दो सौ मील है? व्यक्ति ने कहा- हां, मुझे निश्चित मालूम है कि राजगृह यहां से दो सौ मील दूर है। बुद्ध ने फिर प्रश्न किया- क्या तुम राजगृह का नाम लेते ही वहां अभी तुरंत पहुंच जाओगे? यह सुनकर वह व्यक्ति आश्चर्य में पड़ गया। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि बुद्ध इस तरह के सवाल क्यों कर रहे हैं? फिर उसने थोड़ा सकुचाते हुए कहा- अभी मैं राजगृह कैसे पहुंच सकता हूं। अभी तो मैं आपके सामने खड़ा हूं। राजगृह तो तब पहुंचूंगा जब वहां के लिए प्रस्थान करूंगा और दो सौ मील की यात्रा करूंगा। यह सुनकर बुद्ध मुस्कराए। फिर बोले-यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है। तुम राजगृह को तो जानते हो पर वहां तभी तो पहुंचोगे जब वहां के लिए प्रस्थान करोगे। यात्रा के कष्ट उठाओगे। उसके सुख-दुख झेलेगो। केवल जान लेने भर से तो वह चीज तुम्हें प्राप्त नहीं हो जाएगी। यही बात धर्म को लेकर भी लागू होती है। धर्म को सब जानते हैं पर उस तक वास्तव में पहुंचने के लिए प्रयत्न नहीं करते। उसके लिए कष्ट नहीं उठाना चाहते। उन्हें लगता है सब कुछ आसानी से बैठे-बिठाए मिल जाए। इसलिए अगर तुम वास्तव में धर्म का पालन करना चाहते हो तो पहले लक्ष्य का निर्धारण करो फिर उस दिशा में चलने की कोशिश करो। वह व्यक्ति बुद्ध की बातों को समझ गया। उसने तय किया कि वह धर्म के रास्ते पर चलेगा।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 04-01-2013, 11:50 AM   #266
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

भिक्षु की योग्यता





बौद्ध मठ में सुवास नामक भिक्षु बहुत ही महत्वाकांक्षी था। वह चाहता था कि बुद्ध की तरह वह भी नव भिक्षुओं को दीक्षित करे और उसके शिष्य उसकी चरण वंदना करें। मगर वह समझ नहीं पा रहा था कि अपनी यह इच्छा कैसे पूरी करे। वह आम तौर पर दूसरे भिक्षुओं से कटा-कटा सा रहता था। कई बार जब दूसरे भिक्षु उसे कुछ कहते तो वह उनसे दूरी बनाने की कोशिश करता या ऐसा कुछ कहता जिससे उसकी श्रेष्ठता साबित हो। दूसरे भिक्षु इस कारण उससे नाराज रहते थे।


एक दिन बुद्ध ने जब प्रवचन समाप्त किया और सभा स्थल खाली हो गया तो अवसर देख सुवास ऊंचे तख्त पर विराजमान बुद्ध के पास जा पहुंचा और कहने लगा-प्रभु मुझे भी आज्ञा प्रदान करें कि मैं भी नव भिक्षुओं को दीक्षित कर अपना शिष्य बना सकूं और आपकी तरह महात्मा कहलाऊं। यह सुनकर बुद्ध खड़े हो गए और बोले- जरा मुझे उठाकर ऊपर वाले तख्त तक पहुंचा दो। सुवास ,बोला,- प्रभु, इत,ने नीचे, से तो मैं आपको नहीं उठा पाऊंगा। इसके लिए तो मुझे आपके बराबर ऊंचा उठना पड़ेगा।
बुद्ध मुस्कराए और बोले-बिल्कुल ठीक कहा तुमने। इसी प्रकार नव भिक्षुओं को दीक्षित करने के लिए तुम्हें मेरे समकक्ष होना पड़ेगा। जब तुम इतना तप कर लोगे तब किसी को भी दीक्षित करने के लिए तुम्हें मेरी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। मगर इसके लिए प्रयास करना होगा। केवल इच्छा करने से कुछ नहीं होगा। सुवास को अपनी भूल का अहसास हो गया। उसने बुद्ध से क्षमा मांगी। उस दिन से उसका व्यवहार में विनम्रता आ गई।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 04-01-2013, 11:52 AM   #267
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

गेरुआ चोंगा नहीं, मन होता है संन्यासी





दो बौद्ध भिक्षु पहाड़ी पर स्थित अपने मठ की ओर जा रहे थे। रास्ते में एक गहरा नाला पड़ता था। वहां नाले के किनारे एक युवती बैठी थी, जिसे नाला पार करके मठ के दूसरी ओर स्थित अपने गांव पहुंचना था, लेकिन बरसात के कारण नाले में पानी अधिक होने से युवती नाले को पार करने का साहस नहीं कर पा रही थी।
भिक्षुओं में से एक ने, जो अपेक्षाकृत युवा था, युवती को अपने कंधे पर बिठाया और नाले के पार ले जाकर छोड़ दिया। युवती अपने गांव की ओर जाने वाले रास्ते पर बढ़ चली और भिक्षु अपने मठ की ओर जाने वाले रास्ते पर। दूसरे भिक्षु ने युवती को अपने कंधे पर बिठा कर नाला पार कराने वाले भिक्षु से उस समय तो कुछ नहीं कहा, पर मुंह फुलाए हुए उसके साथ-साथ पहाड़ी पर चढ़ता रहा। मठ आ गया तो इस भिक्षु से और नहीं रहा गया। उसने अपने साथी से कहा, हमारे संप्रदाय में स्त्री को छूने की ही नहीं, देखने की भी मनाही है। लेकिन तुमने तो उस युवा स्त्री को अपने हाथों से उठाकर कंधे पर बिठाया और नाला पार करवाया। यह बड़ी लज्जा की बात है।
ओह तो ये बात है, पहले भिक्षु ने कहा, पर मैं तो उसे नाला पार कराने के बाद वहीं छोड़ आया था, लेकिन लगता है कि तुम उसे अब तक ढो रहे हो। संन्यास का अर्थ किसी की सेवा या सहायता करने से विरत होना नहीं होता, बल्कि मन से वासना और विकारों का त्याग करना होता है। इस दृष्टि से उस युवती को कंधे पर बिठाकर नाला पार करा देने वाला भिक्षु ही सही अर्थों में संन्यासी है। दूसरे भिक्षु का मन तो विकार से भरा हुआ था। हम अपने मन में समाए विकारों और वासना पर नियंत्रण कर लें, तो गृहस्थ होते हुए भी संन्यासी ही हैं।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 04-01-2013, 11:54 AM   #268
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

संन्यासी और युवती





एक पहुंचे हुए महात्मा थे। बड़ी संख्या में लोग उन्हें सुनने आते थे। एक दिन महात्मा जी ने सोचा कि उनके बाद भी धर्मसभा चलती रहे इसलिए क्यों न अपने एक शिष्य को इस विद्या में पारंगत किया जाए। उन्होंने एक शिष्य को इसके लिए प्रशिक्षित किया। अब शिष्य प्रवचन करने लगा। समय बीतता गया। सभा में एक सुंदर युवती आने लगी। वह उपदेश सुनने के साथ प्रार्थना, कीर्तन, नृत्य आदि समारोह में भी सहयोग देती। लोगों को उस युवती का युवक संन्यासी के प्रति लगाव खटकने लगा। एक दिन कुछ लोग महात्मा जी के पास आकर बोले, ‘प्रभु, आपका शिष्य भ्रष्ट हो गया है।’ महात्मा जी बोले, ‘चलो हम स्वयं देखते हैं’। महात्मा जी आए, सभा आरंभ हुई। युवा संन्यासी ने उपदेश शुरू किया। युवती भी आई। उसने भी रोज की तरह सहयोग दिया। सभा के बाद महात्मा जी ने लोगों से पूछा, ‘क्या युवक संन्यासी प्रतिदिन यही सब करता है। और कुछ तो नहीं करता?’ लोगों ने कहा, ‘बस यही सब करता है।’ महात्मा जी ने फिर पूछा, ‘क्या उसने तुम्हें गलत रास्ते पर चलने का उपदेश दिया? कुछ अधार्मिक करने को कहा?’ सभी ने कहा, ‘नहीं।’ महात्मा जी बोले, ‘तो फिर शिकायत क्या है?’ कुछ धीमे स्वर उभरे कि ‘इस युवती का इस संन्यासी के साथ मिलना-जुलना अनैतिक है’। महात्मा जी ने कहा, ‘मुझे दुख है कि तुम्हारे ऊपर उपदेशों का कोई असर नहीं पड़ा। तुमने ये जानने की कोशिश नहीं की वो युवती है कौन। वह इस युवक की बहन है। चूंकि तुम सबकी नीयत ही गलत है इसलिए तुमने उन्हें गलत माना। सभी लज्जित हो गए।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 04-01-2013, 11:56 AM   #269
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

सबसे बड़ा ज्ञानी




बहुत पुरानी कथा है। यूनान में एक व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक संत के पास पहुंचा। उसने संत को प्रणाम कर उनसे कहा-महात्मा जी, मेरे जीवन में कुछ प्रकाश हो जाए, ऐसा कुछ ज्ञान देने की कृपा करें। इस पर संत बोले- भाई मैं तो एक साधारण व्यक्ति हूं। मैं भला तुम्हें क्या ज्ञान दूंगा। यह सुनकर उस व्यक्ति को हैरानी हुई।


उसने कहा-ऐसा कैसे हो सकता है। मैंने तो कई लोगों से आपके बारे में सुना है। इस पर संत बोले- तुम्हें ज्ञान चाहिए तो सुकरात के पास चले जाओ। वही तुम्हें सही ज्ञान दे सकेंगे। वे ही यहां के सबसे बड़े ज्ञानी हैं। वह व्यक्ति सुकरात के पास पहुंचा और बोला-महात्मा जी, मुझे पता लगा है कि आप सबसे बड़े ज्ञानी हो। इस पर सुकरात मुस्कराए और उन्होंने पूछा कि यह बात उससे किसने कही है।
उस व्यक्ति ने उस महात्मा का नाम लिया और कहा-अब मैं आपकी शरण में आया हूं। मेरे उद्धार का कोई उपाय बताएं। इस पर सुकरात ने जवाब दिया- तुम उन्हीं महात्मा जी के पास चले जाओ। मैं तो साधारण ज्ञानी भी नहीं हूं बल्कि मैं तो अज्ञानी हूं। यह सुनने के बाद वह व्यक्ति फिर उस संत के पास पहुंचा। उसने संत को सारी बात कह सुनाई।
इस पर संत बोले- भाई सुकरात जैसे व्यक्ति का यह कहना कि मैं अज्ञानी हूं, उनके सबसे बड़े ज्ञानी होने का प्रमाण है। जिसे अपने ज्ञान का जरा भी अभिमान नहीं होता वही सच्चा ज्ञानी है। उस व्यक्ति ने इस बात को अपना पहला पाठ मान लिया।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 04-01-2013, 11:57 AM   #270
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

सीखने का सिलसिला




यूनानी दार्शनिक अफलातून के पास आए दिन अनेक विद्वानों का जमावड़ा लगा रहता था। सभी उनसे कुछ न कुछ ज्ञान प्राप्त करके जाया करते थे। लेकिन स्वयं अफलातून अपने को कभी भी ज्ञानी नहीं मानते थे और स्वयं कुछ नया सीखने में लगे रहते थे। कई बार तो वह छोटे-छोटे बच्चों व युवाओं से भी कुछ नया सीखते थे।


एक दिन उनके एक परम मित्र ने कहा, ‘महोदय, आपके पास दुनिया के बड़े-बड़े विद्वान कुछ न कुछ सीखने और जानने आते हैं और आपसे बातें करके अपना जन्म धन्य समझते हैं। किंतु आपकी एक बात मेरी समझ में नहीं आती।’ मित्र की बात पर अफलातून बोले, ‘कहो मित्र तुम्हें किस बात पर शंका है?’ इस पर मित्र बोला, ‘आप स्वयं इतने बड़े दार्शनिक और विद्वान हैं, लेकिन फिर भी आप दूसरे से शिक्षा ग्रहण करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, वह भी बड़े उत्साह और उमंग के साथ। उससे भी बड़ी बात यह है कि आपको साधारण व्यक्ति से सीखने में भी झिझक नहीं होती। आपको सीखने की भला क्या जरूरत है? कहीं आप लोगों को खुश करने के लिए उनसे सीखने का दिखावा तो नहीं करते?’
मित्र की बात पर अफलातून जोर से हंसे फिर उन्होंने कहा, ‘हर किसी के पास कुछ न कुछ ऐसी चीज है जो दूसरों के पास नहीं। इसलिए हर किसी को हर किसी से सीखना चाहिए। ज्ञान तो अनंत है इसकी कोई सीमा ही नहीं है। जब तक दूसरों से कुछ सीखने में शर्म नहीं आएगी मैं सीखता रहूंगा।’ अफलातून की बातें सुनकर उनका मित्र उनके सामने नतमस्तक हो गया।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
hindi forum, hindi stories, short hindi stories, short stories


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 09:00 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.